आंवला नवमी 2020 व्रत कथा व पूजनविधि संबंधित समस्त आवश्यक जानकारी भरा यह लेख प्रस्तुत है, अवश्य लाभ उठावें।
यह व्रत कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी को आंवला नवमी | अक्षय नवमी के नाम से जाना जाता है, इसे कुष्मांड नवमी भी कहते हैं।
यह 23 नवंबर 2020 को मनाया जाएगा। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है ।
ऐसी मान्यता है कि इस तिथि को गाय, वस्त्र , व सोना आदि दान देने से ब्रह्महत्या जैसे महापाप तक से भी छुटकारा मिल जाता है ।
पूजन विधि
- आज के दिन प्रातः स्नान करके शुद्ध भाव से आंवले वृक्ष के नीचे पूर्व दिशा की ओर मुख करके आंवले के वृक्ष का षोडशोपचार विधि से पूजन करना चाहिए।
- आंवले की जड़ में दूध की धार गिराकर, चारों ओर कच्चा सूत लपेटे।
- तथा कपूर जलाकर आरती करनी चाहिए ।
- एवं सात बार परिक्रमा करना चाहिए ।
- आंवला वृक्ष के नीचे ब्राह्मण भोजन करने तथा दान करने का विशेष महत्व माना जाता है।
आंवला नवमी की कथा
कथा इस प्रकार है , काशी नगरी में बहुत धर्मात्मा दानी तथा निसंतान एक बनिया रहता था ।
कैसे रहें फिट; कार्तिक मास में करें कोई एक उपाय !
वे पति पत्नी दोनों संतान के अभाव में दिनोंदिन दुखी और मलिन होते जाते थे।
कुछ समय बाद वैश्य की पत्नी से एक स्त्री ने कहा ;
कि यदि तुम किसी पराए लड़के की बलि भैरव के नाम से कर दो तो यह पुत्र कामना अवश्य पूरी हो जाएगी ।
यह बात वैश्य के पास भी पहुंची, मगर उसने अस्वीकार कर दिया।
लेकिन सखी की बात वैश्य पत्नी भूली नहीं मौके की तलाश करती रही ।
एक दिन एक लड़की को भैरव देवता के नाम पर कुएं में गिरा कर बलि दे दी ।
इस हत्या का परिणाम बड़ा उल्टा हुआ पुत्र लाभ की जगह उसके सारे बदन में कोढ़ हो गया।
तथा लड़की की प्रेतात्मा उसे सताने लगी ।
ऐसी परेशानी देखकर वैश्य ने इसका कारण अपनी पत्नी से पूछा ।
तब उसने सारी कहानी शुरू से आखरी तक कह सुनाया।
ऐसा जानकर वैश्य ने पत्नी को बहुत बुरा भला कहा। तथा कठोर शब्दों से उसे काफी मर्म आहत किया ।
तथा बताया कि गोवध, ब्राह्मण वध तथा बाल वध करने वाले के लिए इस संसार में कहीं भी ठिकाना नहीं है।
इसलिए तू गंगा तट पर जाकर स्नान वंदन कर तभी तू इस कष्ट से छुटकारा पा सकती है।
कैसे करें जीवन मे मौन का वरण ?
पत्नी ने ऐसा ही किया ।
गंगा किनारे रहने लगी । थोड़े ही दिन बीते थे कि 1 दिन गंगा जी वृद्धा स्त्री का रूप बनाकर आई और कहने लगी;
हे दुखिया! तु मथुरा नगरी में जाकर कार्तिक नवमी का व्रत रहना।
तथा आंवला वृक्ष की परिक्रमा करते हुए यह पूजन करना यह व्रत करने से तुम्हारी सब पाप नष्ट हो जाएंगे।
तब घर जाकर वैश्य पत्नी ने अपने पति से सब बात बताई ।
और आज्ञा लेकर मथुरा जाकर विधिवत व्रत रखकर पूजन किया ।
ऐसा करने से भगवान की कृपा से शरीर वाली हो गई और पुत्र लाभ कर अंत में गोलोक को प्रस्थान किया ।
इस प्रकार काआँवला नवमी के दिन की गई व्रत पूजा व उपासना अक्षय फल प्रदान करती है।
✍️श्रीमती रेखा दीक्षित सहस्त्रधारा रोड,देवदर्रा मण्डला।
नमस्कार! मैं रेखा दीक्षित एडवोकेट, मैं एडवोकेट ब्लॉगर व युट्यूबर हूं । अपने प्रयास से अपने पाठकों के जीवन की समस्याओं को दूर कर ,जीवन में उत्साह लाकर खुशियां बांटना चाहती हूँ। अपने अनुभव एवं ज्ञान के आधार पर मैंने अपने ब्लॉक को सजाया संवारा है, जिसमें आपको योग ,धार्मिक, दर्शन, व्रत-त्योहार , महापुरुषों से संबंधित प्रेरक प्रसंग, जीवन दर्शन, स्वास्थ्य , मनोविज्ञान, सामाजिक विकृतियों, सामाजिक कुरीतियां,धार्मिक ग्रंथ, विधि संबंधी, जानकारी, स्वरचित कविताएं एवं रोचक कहानियां एवं स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां उपलब्ध हो सकेंगी । संपर्क करें : info.indiantreasure@gmail.com
Nice ???
Jai mata di
New information for me, thanks.
Very informative