पवनमुक्तासन करने की विधि व फायदे | Method And Benefits Of Doing Pavanmuktasana Total Post View :- 1514

पवनमुक्तासन करने की विधि व फायदे | Method And Benefits Of Doing Pavanmuktasana

पवनमुक्तासन करने की विधि व फायदे | Method And Benefits Of Doing Pavanmuktasana वर्तमान समय में एक ओर विलासिता अपने पैर पसार रही है। तो दूसरी ओर कार्य की अधिकता, समय की कमी, अस्त व्यस्त दिनचर्या ये सभी बातों ने जीवन को कष्टप्रद बना दिया है।

जीवन को पटरी में लाने की जद्दोजहद जारी है। कौन नहीं है जो स्वस्थ व सुखी रहना चाहता हो। ऐसे में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कम से कम 12 मिनट 12 आसन अवश्य करें। वैसे तो स्वस्थ, फुर्तीला व यंग बने रहने के लिए कम से कम एक से डेढ़ घण्टे की एक्सरसाइज अवश्य करनी चाहिए ।

योगासन आयु को बढ़ाते हैं। योगासन अनेक प्रकार के होते हैं। लगभग 84 योगासन के नाम हमने बताए हैं। उनमें से एक पवनमुक्तासन और द्विपाद पवनमुक्तासन है। आज हम आपको पवनमुक्तासन करने की विधि व फायदे बताएंगे।

पवनमुक्तासन करने की विधि

  • यहां हम आपको पवनमुक्तासन करने की आसान विधि बताएंगे। यह बहुत ही आसान है।
  • इसके नियमित अभ्यास से आप स्वयं में चमत्कारी परिवर्तन पाएंगे।
  • पवनमुक्तासन करने के लिए पीठ के बल फर्श पर सीधे लेट जायें। दोनों पाँव परस्पर मिले रहें।
  • अब दाँये घुटने को मोड़कर जाँघ को पेट के साथ सटायें।
  • तथा दोनों हाथों से दाँये पाँव को पकड़कर उसे पेट की ओर अधिक से अधिक दबायें।
  • बाँया पाँव सामने की ओर फैला रहना चाहिए तथा बाँया घुटना मुड़ना नहीं चाहिए।
  • दो मिनट तक उक्त स्थिति में रहने के बाद फिर उक्त क्रियाओं को बांया पैर मोड़कर करें।
  • दोनों क्रियाओं को 10-10 बार दुहरायें।

पवनमुक्तासन करने के फायदे

  • यह आसन बहुत सरल है तथा वृद्धों एवं महिलाओं के लिये भी उपयोगी है।
  • यह मोटापे को दूर करता है।
  • प्रसवोपरान्त जिन स्त्रियों का पेट आगे को बढ़ गया हो,
  • उन्हें प्रसव के एक मास बाद (यदि शरीर नीरोग हो तो) यह आसन करना चाहिए।
  • इससे पेट भीतर को धँस जाता है।
  • इस अभ्यास से शरीर की जकड़न, तनाव, थकान तथा सांस फूलना आदि दोष दूर होते हैं।
  • शारीरिक अथवा दिमागी काम करने के कारण थक जाने वाले लोगों के लिए यह विशेष लाभकारी है।
  • घण्टों एक स्थान पर बैठकर काम करते रहने से शरीर में कहीं गिल्टियाँ पड़ जाने,
  • तो कहीं सुन्नता अथवा झनाने की शिकायते आरम्भ हो जाती हैं।
  • ये सब वायु प्रकोप के कारण होती है। इस आसन के अभ्यास से वायु मुक्त हो जाती है,
  • फलतः उक्त सभी शिकायतों का निराकरण होता है। यह आसन स्त्री तथा पुरुष के लिए समान रूप से उपयोगी है।

द्विपाद पवनमुक्तासन करने की विधि

  • द्विपाद पवनमुक्तासन करने के लिए निम्नानुसार करें ।
  • पूर्वोक्त ‘पवन मुक्तासन’ में एक पाँव को ऊपर उठाकर उसके घुटने को पेट के साथ लगाया जाता है
  • तथा ‘द्विपाद पवनमुक्तासन’ में दोनों घुटनों के पाँव तथा दोनों घुटनों को जोड़कर ऊपर उठाया जाता है
  • तथा उन्हें पेट की ओर दबाया जाता है।
  • अन्य सभी विधियां पवन मुक्तासन के समान ही समझनी चाहिए।
  • 1 से 10 मिनट तक इस स्थिति में रहा जा सकता है।
  • इस अभ्यास को रुक-रुककर 10 बार तक दुहराना चाहिए।

विशेष-

  • कुछ अभ्यासी इस आसन में पाँवों का बन्धन छोड़े बिना, झटके से, सन्तुलन बनाते हुए, उठकर बैठ जाते हैं।
  • तथा पुनः पीछे की ओर लुढ़क जाते हैं । इस क्रिया को कई-कई बार दुहराया जाता है।
  • कुछ अभ्यासी द्विपाद-पवनमुक्तासन में लुढ़कते समय साँस लेने तथा बैठते समय साँस छोड़ने की क्रिया भी करते हैं।
  • परन्तु यह क्रिया कुम्भक की स्थिति में करना ही लाभप्रद रहता है।

द्विपाद पवनमुक्तासन करने के फायदे

  • यह अभ्यास बवासीर तथा पेट की गैस के रोगियों के लिए विशेष हितकर है।
  • डकारें आना, भोजन से अरुचि तथा अपच की शिकायतों को दूर करता है।
  • यह पेट की दूषित वायु को निकाल कर, पाचन-क्रिया को ठीक करता है।
  • हर प्रकार की थकान को दूर करने तथा मोटापा कम करने में भी यह हितकर है।

निष्कर्ष

आशा है आपको पवनमुक्तासन करने की विधि व फायदे | Method And Benefits Of Doing Pavanmuktasana अवश्य अच्छा लगा होगा। इसमें हमने पवनमुक्तासन करने की विधि व फायदे तथा द्विपाद पवनमुक्तासन करने की विधि व फायदे जाने।

अंत तक लेख को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद!

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