Hindi educative stories- “Kathalok” Mrs. Manorama dixit: बाल-कहानियाँ साहित्य लेखन का प्रमुख विषय होना चाहिए। क्योंकि कथा-कहानियाँ बच्चों को संस्कारित और प्रेरित कर उनके भविष्य निर्माण में सहायक होती है। जीवन से जुड़े साहसिक, आध्यात्मिक कथानकों पर आधारित कहानियाँ प्रेरक होती हैं। आइये आज पढ़ते हैं ; Hindi educative stories- “Kathalok” श्रीमती मनोरमा दीक्षित द्वारा लिखे कहानी संग्रह की कहानी ” दशरथ के पिता कौन ….
Hindi educative stories- “Kathalok”
दशरथ के पिता कौन ….?
प्राचीनकाल में उत्तरप्रदेश के रामनगर में धरनीधर नामक राजा थे। उनका अजीब शौक था।
उन्होंने अपने राज्य में मुनादी पिटवा दी कि जो विद्वान उन्हें सत्यनारायण की कथा विधि विधान से सुनाकर ,
उन्हें संतुष्ट कर देंगे, उसे वे अपना आधा राज्य दे देंगे, किन्तु जो पंडित कथा सुनाने के पूर्व,
उनके प्रश्न का उत्तर नहीं दे पायेगा, उसे जेल में डाल दिया जायेगा।
पंडितों को उनकी यह शर्त कठिन नहीं लगी और वे पोथी लेकर कथा सुनाने आने लगे।
सबसे पहिले पंडित वंशगोपाल आये पूजन मंडप सजा हुआ था पंडित जी ने ज्यों ही कहा “श्री गणेशाय नमः
राजा जी ने पूछा “गणेश जी के पिता कौन थे?” पंडित जी ने तपाक से उत्तर दिया “महादेव जी”।
महादेव जी के पिता कौन थे?”
अब पंडित जी चुप हो गये। बस पंडित को जेल में डाल दिया गया।
इस प्रकार अनेक पंडित जेल में डाल दिये गये क्योंकि राजा कथा के प्रारम्भ में ही ऊटपटाँग प्रश्न पूछकर
पंडित को फंसा देता था और डाल देता था जेल में। अंत में एक तात्कालिक सोच रखने वाले पंडित रामशरण आये।
ज्यों ही वे कथा सुनाने को आसन में बैठे राजा भी कथा सुनने आ बैठे।
पंडित रामशरण ने प्रारम्भ किया- ‘ॐ रामचन्द्राय नमः । राजा ने प्रश्न किया- राम के पिता का नाम?”
“दशरथ”
“दशरथ के पिता का नाम “
“ग्यारह रथ
अब राजा के चौंकने की बारी थी। राजा ने प्रश्न किया
“ग्यारह रथ के पिता कौन?”
“बारह स्थ
बारह रथ के पिता कौन?”
“तेरह रथ”
Hindi educative stories- “Kathalok”
अब क्या था राजा के प्रश्न पूछते ही पंडित रामशरण तडातड उत्तर दे रहे थे।
अब संख्या हजारों तक जा पहुंची। न राजा पीछे हट रहे। थे और न ही पंडित जी ।
पंडित जी ने प्रारम्भ में ही शर्त रख दी थी कि कथा सुनाने के दौरान कोई भी बीच से नहीं उठेगा
और कथा सुना देने पर आधा राज्य तो आप देंगे ही, साथ ही जेल में बंद सभी पंडितों को छोड़ना होगा।
कथा के चलते तीन दिन और आधी रात बीत गयी पर प्रश्न उत्तर समाप्त ही नहीं हो रहे थे।
पंडित तो परिश्रमी थे, ये पोथी पुराण सुनाते हुए कई घंटे आराम से बिता देते थे
किन्तु आरामप्रिय राजा “धरनीधर” काफी थक चुके थे अत वे बोले
‘पंडित जी आपके रथ कब समाप्त होंगे?” पंडित जी ने कहा- “जब आपके बाप समाप्त होंगे।”
अब राजा बहुत लज्जित हुआ। उसने अपनी शर्त पूरी करते हुए जेल में बंद सभी पंडितों को रिहा किया और पंडित रामशरण को आधा राज्य दिया।
बच्चो हमेशा अपनी सूझ-बूझ से तात्कालिक परिस्थतियों को अपने अनुकूल बना सकते हो। कथा के इस संदेश को हमेशा जीवन में याद रखना और आवश्यकतानुसार इस अस्त्र का उपयोग करना।
Hindi educative stories- “Kathalok” Mrs. Manorama dixit Mandla.
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