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लश्कर ने ललकारा है ; राष्ट्रभक्ति गीत – श्रीमती मनोरमा दीक्षित (मंडला)

नमस्कार दोस्तों ! लश्कर ने ललकारा है इस मधुर और ओजस्वी देश प्रेम के देश भक्ति गीत की रचनाकार श्रीमती मनोरमा दीक्षित पूर्व प्राचार्य मंडला ने देशभक्ति के भावों से ओतप्रोत यह रचना लिखी है। जो आज 15 अगस्त के शुभ अवसर पर आपके समक्ष प्रस्तुत करती हूं अवश्य पढ़ें !!

लश्कर ने ललकारा है

आज अलविदा के गूंजे स्वर, बही वीर रस धारा है ।

उठो राष्ट्र के अमर जवानो, लश्कर ने ललकारा है ।

रण बांकुरे लड़ाकू, जिन वीरों ने जान गंवायी है ।

बारूदी सुरंग तोपें बम तोड़ वीर गति पाई है ।

काश्मीर बस भारत का आवाज बुलंद बनाई है ।

सीमा रेखा पार करें जो, उसकी शामत आई है ।

स्वर्गारोहित वीरों को, शत नमन सलाम हमारा है ।

उठो राष्ट्र के अमर जवानों, लश्कर ने ….…..।

खुली चुनौती लोकतंत्र को, सोता नाग जगाया है ।

जैश मुहम्मद, लादेन, अजहर, दहशते बिगुल बजाया है।

तुम्हें कुचलना है इनके सिर, सही समय अब आया है ।

दांत करो खट्टे दुश्मन के, लाश न लेने आया है ।

रणभेरी बज उठी राष्ट्र में आतंकी चढ़ आया है ।

उठो राष्ट्र के अमर जवानों, लश्कर ने……….. ।

लश्कर ने ललकारा है

राष्ट्र प्रेम, राष्ट्रीय एकता, बहती अविरल धारा है ।

दूर हटों ऐ पाक निवासी, यह काश्मीर हमारा है ।

राजनीति की चाल छोड़ अब, हमें एक हो जाना है ।

भेदभाव को भूल हमें अब, भारत सुदृढ़ बनाना है ।

इन जाँबाजों की दमखम से, जीवित राष्ट्र हमारा है ।

उठो राष्ट्र के अमर जवानों, लश्कर ने ………… ।

जयचंदों की गद्दारी को, असफल हमें बनाना है ।

दुश्मन के छक्के छूटें, अब उसको धूल चटाना है ।

काश्मीर है प्राण हमारा, यही हमारा नारा है ।

वीरों की समाधि पर अर्पित, अश्रु गीत यह प्यारा है ।

मातृभूमि इस भारत माँ पर, दुश्मन का अब साया है ।

उठो राष्ट्र के अमर जवानों, लश्कर ने ………. ।

पंचशील पर आधारित, यह शांति अति हमें प्यारी है ।

यह कमजोरी नहीं हमारी, बन सकती चिंगारी है ।

आतंकी को शरण दे रहा, पाक बना मतवाला है ।

पाक नाम ‘नापाक इरादे, झूठा स्वांग बबाला है ।

मिट जायेगा नक्शे से तू, करता भूल दुबारा है ।

उठो राष्ट्र अमर जवानों, लश्कर ने ……… ।

कवयित्री- श्रीमती मनोरमा दीक्षित (पूर्व प्राचार्या) मण्डला!

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