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बहुला चौथ व्रत विधि 25 अगस्त 2021: पूजा विधि एवं कथा!

बहुला चौथ में गाय बछड़ा व श्रीकृष्ण

नमस्कार दोस्तों ! बहुला चौथ व्रत विधि : 25 अगस्त 2021 , सावन की समाप्ति पर श्रावणी पूर्णिमा के पश्चात लगातार बहुत से त्यौहार एवं पर्व प्रारंभ हो जाते हैं। जिन्हें भादो माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी व्रत एवं बहुला चौथ का पर्व मनाया जाता है ।

बहुला चौथ व्रत विधि 25 अगस्त 2021

इसमें सबसे पहले प्रातःकाल उठकर स्नान के बाद भगवान कृष्ण एवं शिव परिवार तथा गौ माता का ध्यान करते हुए

अंजलि में जल लेकर के व्रत का संकल्प लिया जाता है।

और संकल्प करते हुए ईश्वर से यह प्रार्थना की जाती है

कि भगवान मैं आपकी प्रसन्नता के लिए यह बहुला चौथ एवं गणेश चतुर्थी व्रत का संकल्प लेती हूं ।

अतः मेरे संकल्प को पूर्ण करें।

ईश्वर से कभी भी किसी प्रकार की इच्छाओं के साथ व्रतों का पालन नहीं करना चाहिए ।

ऐसी पूजा सकाम पूजा कहलाती है

और हम जब कुछ मांगते हैं तो हमारी प्रार्थना उतने तक ही सीमित हो जाती हैं ।

किंतु देने वाले ईश्वर के हाथ में तो सब कुछ है ,

वह हमें इतना कुछ दे सकते हैं जो हमारी कल्पना में भी नहीं हो सकता ।

लेकिन जब हम अपनी कोई विशेष इच्छा है या मांग ईश्वर के सामने रखते हैं तो

मजबूरन भगवान को आपकी वही इच्छा के ऊपर ध्यान केंद्रित करना पड़ता है ।

इसीलिए ईश्वर से विशेष मांग ना करते हुए कामना रहित पूजा ईश्वर की प्रसन्नता के लिए ही किया जाना चाहिए।

बहुला चौथ व्रत विधि

बहुला चौथ व्रत पूजा विधि इस प्रकार है !

ऐसे संकल्प लेने के पश्चात इस के व्रत की विधि इस प्रकार है कि

मिट्टी के शेर और गाय बनाकर के तालाब जैसा

एक कुंड बनाकर और आमने सामने शेर और गाय को रखा जाता है

एवं गणेश जी शंकर पार्वती भगवान कृष्ण गाय बछड़ा इन सब की प्रतीकात्मक रूप से पूजा करनी चाहिए ।

जिसमें पूजन के प्रारंभ में ही गौरी गणेश की पूजा की जाती है,

तत्पश्चात विधिवत तिलक वंदन अक्षत पुष्प नैवेद्य इत्यादि से भगवान कृष्ण की पूजा करनी चाहिए ।

आज के दिन गाय और बछड़े सहित गाय की पूजा का विशेष महत्व रहता है ।

इसीलिए आज के दिन हम व्रत में गाय के दूध एवं गाय के दूध से बनी हुई किसी भी चीज का ग्रहण नहीं करते हैं।

गाय का दूध मात्र बछड़े के लिए ही छोडा जाता है। फल इत्यादि फलाहार करके और व्रत का नियम करना चाहिए ।

बहुला चौथ व्रत विधि ; कथा

बहुला चौथ व्रत विधि : कथा

पूजन के पश्चात इसकी कथा की जाती है। कथा इस प्रकार है कि भगवान श्रीकृष्ण की गायों में एक बहुला नाम की गाय थी।

जिसे भगवान बहुत चाहते थे ओर वह गाय अति श्रेष्ठ थी। एक दिन भगवान ने उस गाय की परीक्षा लेनी चाही,

और जब गाय सभी गायों के साथ में जंगल में घास चरने गई थी, सारी गाय लौट गई । किन्तु बहुला गाय पीछे रह गई,

तब भगवान कृष्ण उसके सामने शेर बनकर के उपस्थित हुए और उसको खाना चाहा ।

गाय ने शेर से कहा कि मेरा बेटा बछड़ा भूखा होगा और मेरी राह देख रहा होगा।

अतः मैं पहले अपने बच्चे को दूध पिला कर और उसको मिलकर कर यहां आती हूं ,तब तुम मुझे खा लेना।

शेर ने कहा कि ऐसा कोई नहीं करता है ।

गाय ने शेर को विश्वास दिलाया कि तुम मेरा विश्वास करो मैं निश्चित आऊंगी तो तुम मुझे खा जाना।

यह कहकर गाय अपने बछड़े के पास उसको घर पर दूध पिलाया और दूध पिलाने के पश्चात वह जंगल वापस लौट गई ।

और शेर से कहा कि अब तुम मुझे खा सकते हो । तब शेर गाय को देखकर बहुत अचंभित हुआ और

गाय की सत्य निष्ठा पर बहुत प्रसन्न हुआ और फिर श्री कृष्ण ने शेर का रूप छोड़कर , अपने रूप में प्रकट हुए

और गाय को वरदान दिया की तुम्हारी सत्य निष्ठा से मैं बहुत प्रसन्न हूं और तुम्हें वरदान देता हूं

कि आज के दिन जो भी तुम्हारे बछड़े के साथ तुम्हारी और मेरी पूजा करेगा तो उसे जीवन में उसको दीर्घायु समृद्धि

एवं संतति प्राप्त होगी। तथा यह व्रत सन्तान की दीर्घायु प्रदान करने वाला होगा।

बहुला चौथ व्रत विधि व गणेश चतुर्थी पूजा विधि !

बहुला चौथ व्रत विधि: अत्यंत ही शुभदर्शन कहलाता है

इस प्रकार इस कथा को सुन एवं व्रत को रखकर लोग बछड़े सहित गाय एवं भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना करते हैं।

साथ ही चतुर्थी तिथि गणेश जी की तिथि होने के कारण एक चौकी पर गणेश जी को बैठाकर और चतुर्थी होने से चार चीजें

यदि कोई भी फल है तो चार नारियल है तो चार और कुछ भी हर चीज जो भी चीज भगवान चढ़ाएं।

वे चार की संख्या में उनको चढ़ाई जाकर और भगवान गणेश जी से भी सुख-समृद्धि की प्रार्थना की जाती है।

यह पूजा चंद्रमा के निकलने पर चंद्र दर्शन के साथ ही संपूर्ण होती है । तथा व्रत का पारण किया जाता है।

इस प्रकार बहुला चौथ में मिट्टी की बहुला गाय और उसके बछड़े ,शेर की मूर्ति की पूजा की जाती है।

और शिव पार्वती, गणेश गौरी, श्री गणेश इस तरह से सभी की पूजा की जाकर श्रद्धा पूर्वक व्रत का नियम किया जाता है ।

यह तिथि 25 अगस्त 2021, दिन बुधवार को मनाई जायगी।

अंत में

इस प्रकार बहुला चौथ की पूजा एवम व्रत विधि का श्रद्धा पूर्वक पालन करके जीवन में भगवान श्री कृष्ण एवं

श्री गणेश जी की कृपा से संतान की दीर्घायु का वर प्राप्त होता है ।

जिस प्रकार बहुला गाय कि सत्य निष्ठा से प्रसन्न होकर के भगवान श्री कृष्ण ने पुनः उससे उसके पुत्र की देखभाल

एवं सुरक्षा हेतु जीवनदान दिया ताकि गाय और बछड़ा सुरक्षित और सुख में जीवन व्यतीत कर सकें ।

उसी प्रकार इनकी पूजा करने से संतान की सुरक्षा उत्तम स्वास्थ्य एवं दीर्घायु जीवन की प्राप्ति होती है।

जय श्री कृष्ण!!

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