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यदि आप भी करते हैं इन शब्दों का इस्तेमाल, तो, हो जाएं सावधान ?

? नई पीढ़ी की जीवन शैली ही अलग है । नए नए शब्दों का अंग्रेजी में उपयोग करते हैं, जो बहुत ही शर्मनाक और हमारे जीवन पर बुरा बुरा असर डालने वाले होते हैं।

? यदि आप भी ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं तो सावधान हो जाएं , क्योंकि यह शब्द कहीं अचेतन में आपके सौभाग्य को दुर्भाग्य में बदलने की तैयारी है।

?*आश्चर्य हुआ ना ? * *जी हां !!* यह शब्द ही है , जो हमारे जीवन को बना भी डालते हैं और हमारे जीवन को बर्बाद भी कर डालते हैं।

? आपने देखा होगा कि पहले के समय में लोग जम्हाई लेते समय हे राम “आदि शब्दों का प्रयोग किया करते थे या किसी को धक्का लगने से या स्वयं गिर पढ़ने से ईश्वर का नाम लेकर के क्षमा भाव से मुद्राएं बनाया करते थे किंतु समय बदला , कल्चर बदला, शिक्षा बदल गई , शिक्षा के स्तर बदला । अब आज ऐसे ऐसे शब्दों का प्रयोग करने लगे हैं कि जिनको सभ्यता के दायरे में नहीं गिना जा सकता नहीं रखा जा सकता ।

? वह ऐसे शब्द है जो बहुत ही चिर परिचित और बहुतायत में सुनाई देने वाले खासकर विद्यार्थियों के मुख से सुनाई देने वाले शब्द हैं जैसे ◆【”oh shitt, oh crap, oh f*ck, hell yaar, f*ck off, damm it”】◆ आदि ऐसे शब्द हैं जिन का अर्थ बहुत ही घिनौना है औरअशोभनीय है, किंतु उच्च शिक्षित बच्चे भी आपस में इन शब्दों का उपयोग करके स्वयं को अत्यंत शिक्षित समझते हैं।

? इसके अलावा सामान्यतः बातचीत में बीच बीच मे गालियां देकर भी बड़ी आत्मीयता का प्रदर्शन करतें हैं । बहुत से तो ऐसे भी हैं जिनकी उम्र के दिन जितने न होंगे , उससे ज्यादा गालियां बोल चुके होंगें। वे सभी इन सबके भयानक दूरगामी परिणामों से अनभिज्ञ हैं।

?*क्या होता है इन शब्दों से नुकसान जाने!!*?

*1* – डिप्रेशन का कारण

? हम जो भी बोलते हैं वह हमारे विचारों की प्रस्तुति होती है। जैसे शब्द निकलना शुरू होते हैं हमारे मस्तिष्क में विचारों की श्रंखला हमारे मस्तिष्क में बन्ना शुरू हो जाती है। आप स्वयं ही सोच है यदि ऐसे शब्द आपके विचारों में स्थान लेंगे तो आपके व्यक्तित्व को कितना दूषित बना देंगे। जो डिप्रेशन को जन्म देता है।

*2* – हीनभावना के जनक –

? जब इस प्रकार की शब्द ब्रह्मांड में गूंजते हैं तो यह हमारे आभामंडल को प्रभावित करते हैं। और हमारे चारों ओर एक ऐसा नकारात्मक दायरा तैयार करते हैं जिससे कि नकारात्मक प्रवृत्ति के लोग हमारी ओर आकर्षित होने लगते हैं। इस प्रकार हम स्वयं ही अपने आसपास नकारात्मकता को आमंत्रित करती लगते हैं। जो मन मे हीनभावना उतपन्न करते हैं।

*3* – निष्क्रियता का कारण-

?यह शब्द जब दूसरे व्यक्ति सुनकर के और उन्हीं शब्दों को रिप्लाई करते हैं तो पुनः वही शब्द आपके अवचेतन में टकरा करके उसे स्मृति को प्रगाढ़ बना देते हैं और इस तरीके से आप अपने ही नकारात्मक आभामंडल को उन्हें मजबूत कर देते हैं। ओर जीवन मे निष्क्रियता लाते हैं।

*4* – पतन का कारण-

?जब यह नकारात्मक शब्द हमारे आसपास चारों ओर एक दायरा बना लेते हैं तब सकारात्मक वेव्स या किरणें हमसे खुद ब खुद दूर हो जाती हैं और ना चाहते हुए भी हम नेगेटिविटी के दलदल में फंसते चले जाते हैं।और जो हमे पतन की ओर ले जाते हैं।

*5* – उदासी, चिड़चिड़ापन व अकेलेपन का जन्म –

?यह शब्द हमारे मस्तिष्क में चिपके हुए हमारे अवचेतन में चिपके हुए हमारे आभामंडल में आकृति लिए हुए जब हमारे परिवार में पहुंचते हैं तब हम अपने परिवार का भी वातावरण दूषित कर देते हैं और इस तरह से अपने ही लोगों के बीच हम स्वयं एक नेगेटिविटी फैलाने वाले बन जाते हैं। जो हमे उदास चिड़चिड़ा व अकेला कर देते है।

*6* – असफलताओं का कारण-

?धीरे धीरे इन्हीं कारणों से हमारी सकारात्मकता समाप्त होने लगती है और हम निष्क्रिय हो जाते हैं । हमारी नेगेटिविटी बढ़ जाती है और हम पतन की ओर उन्मुख हो जाते हैं। और प्रत्येक कार्य मे असफल होने लगते हैं।

*7* – फोबिया(समाज से भय ) पैदा होना-

? केवल शब्द मात्र जो हमारे द्वारा हंसी मजाक में बोले गए थे, जो हमारे जीवन को ही हंसी का पात्र बना देते हैं और हम ऊंचाइयों से नीचे गिर जाते हैं। और हम लोगों का सामना नही कर पाते।और हमें फोबिया हो जाता है।

*8* – कोमलता का विनाश व क्रूरता का विकास-

?हमारा जीवन ईश्वर की अनमोल कृति है और विचार हमारी अनमोल कृति है। शब्द विचारों की कृति है, इसलिए स्वयं को सुंदरतम बनाने के लिए इन असुंदर शब्दों का प्रयोग कदापि नहीं करना चाहिए। ये जीवन को भी कुरूप बना देते है। हमारे चेहरे की स्वाभाविक कोमलता नष्ट होकर क्रूरता व दुष्टता का भाव चेहरे से झलकने लगता है।

*9* – अपराधी प्रवर्ती का विकास –


?यह शब्द हमारे आसपास हमारे शत्रु को भी उत्पन्न कर देते हैं क्योंकि नकारात्मक सोच के व्यक्ति आपके जीवन को नष्ट ही करेंगे। नकारात्मक लोग अपने बुरे विचारों के साथ हमे भी अपराधी बना देते है।

*10* पीढ़ियों तक के भविष्य का विनाश-


? मात्र क्षणिक आवेश में, अपने शिक्षा का प्रतीक बनाने वाले इन शब्दों से हम अपने स्तर को आंतरिक रूप से नष्ट कर देते हैं हमारी अंतरात्मा दूषित होने लगती है। और आने वाली सम्पूर्ण पीढ़ी का भविष्य नष्ट कर देते हैं।

? अंततः इतनी नेगेटिविटी को सहन न् कर पाने से व्यक्ति आत्महत्या तक करने पर मजबूर हो जाते हैं। ये परिवर्तन इतने सूक्ष्म होते हैं कि तत्काल समझ नही आते। जब व्यक्ति बर्बाद ही चुकता है तब भी इन कारणों को नही जान पाता।

?यह एक मनोवैज्ञानिक तथ्य है , की शब्दों का जीवन पर बहुत ही महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।यह अनेकों रिसर्च से माना भी जा चुका है।

?*आईये इन शब्दों से छुटकारा पाने के हम कुछ उपाय करते हैं*!!*?

*1*- ? डिक्शनरी से बहुत सुंदर सुंदर शब्दों का चयन करें, जिन को बोल कर के आप अपने व्यक्तित्व को स्वयं ही निखार सकते हैं।

?जैसे oh swan, swan कहते हैं हंस को जो विष्णुजी का अवतार है। oh fish { मत्स्यावतार}, oh turtle {कूर्मावतार },thank God/ goodness/heavens, हरि ॐ तत्सत, है राम, नारायण, शिव शिव , राम राम , हरे कृष्ण , हरे राम,राधे राधे, गोविंद, माधव आदि ….

?ऐसे ही नये नये शब्दों को खोजकर अपनी विद्वता का प्रदर्शन करते हुए बोलें। जिनसे आपका भाग्य निर्मित होगा। ऐसा कहने से आप आउटडेटेड नही कहलायेंगे। बल्कि आपका भाग्योदय होना शुरू हो जाएगा।और बिना पूजा पाठ के ही सदगति भी प्राप्त हो जााएगी।

*2*- ? जिस प्रकार नकारात्मक शब्द आपके जीवन को बर्बाद कर देते हैं उसी प्रकार सकारात्मक शब्द आपके जीवन को उन्नत बना सकते हैं।

*3* – ?ऐसे शब्द जो आत्मिक उन्नति में सहायक हो एक दूसरे को पॉजिटिव वाइब्रेशन देते हो और उत्साहवर्धन करते हो ऐसे शब्दों का उपयोग करें

*4* – ? ऐसे सकारात्मक शब्दों का प्रयोग करने से आपके आसपास सकारात्मक लोग इकट्ठे होने लगेंगे और आपका आभामंडल सकारात्मक हो जाएगा । जब आप का आभामंडल सकारात्मक हो जाएगा तो निश्चित ही आप उन्नति के शिखर पर पहुंचने लगेंगे ।

*5* – ?सकारात्मक शब्द ना केवल हमारे जीवन को उन्नत बनाते हैं । अपितु हमारी आत्मा को भी श्रेष्ठतम ऊंचाइयों पर पहुंच आते हैं और जब हम आंतरिक रूप से सुंदर बन जाते हैं, तब चारों और हमारे आसपास मात्र सुंदरता ही सुंदरता दिखाई देती है।

*6* – ?इन शब्दों के चयन से हम अपने आसपास सुंदर भावनाओं , सुंदर विचारों , सुंदर लोगों का एक उद्यान बना लेते हैं । जिसमें चारों और भावनाओं की सुंदर महक ही महक होती है और जीवन सुखमय हो जाता है।

*7* – ? आप चाहें तो अपने इष्ट देव का भी नाम ले सकते हैं । यदि आउटडेटेड लगता हो तो उनसे मिलते-जुलते ही ऐसे शब्दों का प्रयोग करें जो कि ईश्वर की अनुभूति कराते हो । तब आपके विचारों के साथ साथ आपकी आध्यात्मिक और मानसिक उन्नति भी स्वमेव होने लग जाएगी।

*8* – ?जीवन छोटा होता है लगता है पड़ा है किंतु बड़ा नहीं है हमारे आसपास जितना ही सुंदर वातावरण हम बनाएंगे उतना ही हम सृष्टि में सुंदरता का विस्तार कर सकेंगे इसीलिए अंग्रेजी अत को छोड़कर के अंग्रेजी से ही सुंदर से सुंदर शब्दों का चयन करें।

*9* – ?भावी पीढ़ी के हाथ में समाज की बागडोर होती है एक सुंदर और शुभ सुगठित समाज की रचना करने का दायित्व भी युवाओं पर होता है अतः अपने आसपास अपने शब्दों से ऐसा संसार निर्मित कीजिए जो आने वाली पीढ़ी को भी आपके ज्ञान से आलोकित करता रहे।

*10* – ?व्यक्ति का मानसिक , शारीरिक और आध्यात्मिक विकास ही उस का सर्वांगीण विकास कहलाता है और इसी के लिए हम शिक्षित भी होते हैं। किंतु आज उस शिक्षा का दुरुपयोग करते हुए ऐसे अभद्र और अशोभनीय शब्दों को अपने जीवन में खुलेआम आमंत्रित करते हैं और खुश होते हैं, जो कि हमारे जीवन के लिए जहर हैं और समाज के लिए उस विषधर के समान हैं जिसे हम अपने आस्तीन में लिए हुए स्वयं घूम रहे हैं।

? सोचे समझे और स्वयं प्रकाशित होकर दूसरों को भी प्रकाशित करें । समाज को एक दिशा प्रदान करें अच्छा कार्य किसी एक व्यक्ति की शुरुआत से शुरू होता है , किंतु बिना हिचक शुभ कार्यों को करते रहने से लोग जुड़ते जाते हैं और काफिला बनता जाता है । अतः अशोभनीय शब्दों का संवाद छोड़कर शुभ शुभ शब्दों की ओर आकर्षित हो और समाज को भी आकर्षित करें।

? यह आलेख स्वरचित है।

✍️ श्रीमती रेखा दिक्षित एडवोकेट
?सहस्त्रधारा रोड देवधारा मण्डला

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