"और उधमसिंह को फांसी दे दी गई' वीर क्रांतिकारी की जयंती पर नमन!! Total Post View :- 818

“और उधमसिंह को फांसी दे दी गई” ; वीर क्रांतिकारी की जयंती पर नमन!!

नमस्कार दोस्तों !! “और उधमसिंह को फांसी दे दी गई” वीर क्रांतिकारी की जयंती पर सादर नमन करते हैं। उनके जीवन का यह अविस्मरणीय पल इस बात की याद दिलाता है, कि क्रांतिकारी वीरों ने देश की आजादी के लिए अपना बलिदान देने में भी कोई संकोच नहीं किया।

आज हम वीर क्रांतिकारी उधम सिंह की जयंती पर उनकी जीवन वृत पर नजर डालेंगे। और उस लम्हे को याद करेंगे जब उधम सिंह को फांसी दे दी गई थी।

और उधमसिंह को फांसी दे दी गई!! जीवन वृत्त!!

  • उधम सिंह का जन्म 26 दिसम्बर 1899 को पंजाब केसंगरूर जिले के सुनाम गाँव में हुआ था।
  • सन 1901 में उधमसिंह की माता और 1907 में उनके पिता का निधन हो गया।
  • इस घटना के चलते उन्हें अपने बड़े भाई के साथ अमृतसर के एक अनाथालय में शरण लेनी पड़ी।
  • उधमसिंह का बचपन का नाम शेर सिंह और उनके भाई का नाम मुक्तासिंह था।
  • जिन्हें अनाथालय में क्रमश: उधमसिंह और साधुसिंह के रूप में नए नाम मिले।
  • इतिहासकार मालती मलिक के अनुसार उधमसिंह देश में सर्वधर्म समभाव के प्रतीक थे।
  • उन्होंने अपना नाम बदलकर राम मोहम्मद सिंह आजाद रख लिया था, जो भारत के तीन प्रमुख धर्मों का प्रतीक है।
  • अनाथालय में उधमसिंह की जिन्दगी चल ही रही थी, कि 1917 में उनके बड़े भाई का भी देहांत हो गया।
  • वह पूरी तरह अनाथ हो गए।
  • 1919 में उन्होंने अनाथालय छोड़ दिया।और क्रांतिकारियों के साथ मिलकर आजादी की लड़ाई में शमिल हो गए।
  • उधमसिंह अनाथ हो गए थे, लेकिन इसके बावजूद वह विचलित नहीं हुए।
  • वे देश की आजादी तथा डायर को मारने की अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए लगातार काम करते रहे।

माइकल ओ डायर की गोली मारकर हत्या!!

  • उधमसिंह १३ अप्रैल १९१९ को घटित जालियाँवाला बाग नरसंहार के प्रत्यक्षदर्शी थे।
  • राजनीतिक कारणों से जलियाँवाला बाग में मारे गए लोगों की सही संख्या कभी सामने नहीं आ पाई।
  • इस घटना से वीर उधमसिंह तिलमिला गए ।
  • उन्होंने जलियाँवाला बाग की मिट्टी हाथ में लेकर माइकल ओ डायर को सबक सिखाने की प्रतिज्ञा ले ली।
  • अपने मिशन को अंजाम देने उधम सिंह ने विभिन्न नामों से अफ्रीका, नैरोबी, ब्राजील और अमेरिका की यात्रा की।
  • सन् 1934 में उधम सिंह लंदन पहुंचे और वहां 9, एल्डर स्ट्रीट कमर्शियल रोड पर रहने लगे।
  • वहां उन्होंने यात्रा के उद्देश्य से एक कार खरीदी और छह गोलियों वाली एक रिवाल्वर भी खरीद ली।
  • भारत का यह वीर क्रांतिकारी माइकल ओ डायर को ठिकाने लगाने के लिए उचित वक्त का इंतजार करने लगा।

और उधमसिंह को फांसी दे दी गई!!

  • उधम सिंह को अपने सैकड़ों भाई-बहनों की मौत का बदला लेने का मौका 1940 में मिला।
  • जलियांवाला बाग हत्याकांड के 21 साल बाद 13 मार्च 1940 को रायल सेंट्रल एशियन सोसायटी की लंदन के,
  • काक्सटन हाल में बैठक थी। जहां माइकल ओ डायर भी वक्ताओं में से एक था।
  • उधम सिंह उस दिन समय से ही बैठक स्थल पर पहुंच गए। अपनी रिवॉल्वर उन्होंने एक मोटी किताब में छिपा ली।
  • इसके लिए उन्होंने किताब के पृष्ठों को रिवॉल्वर के आकार में उस तरह से काट लिया था,
  • जिससे डायर की जान लेने वाला हथियार आसानी से छिपाया जा सके।
  • बैठक के बाद दीवार के पीछे से मोर्चा संभालते हुए उधम सिंह ने माइकल ओ डायर पर गोलियां दाग दीं।
  • दो गोलियां माइकल ओ डायर को लगीं जिससे उसकी तत्काल मौत हो गई।
  • उधम सिंह ने वहां से भागने की कोशिश नहीं की और अपनी गिरफ्तारी दे दी।
  • उन पर मुकदमा चला। 4 जून 1940 को उधम सिंह को हत्या का दोषी ठहराया गया।
  • और 31 जुलाई 1940 को उन्हें पेंटनविले जेल में उधमसिंह को फांसी दे दी गई।

वीर क्रांतिकारी उधम सिंह को उनकी जयंती पर शत-शत नमन । ऐसी ही महत्वपूर्ण और रोचक संस्मरण के लिए देखते रहे आपकी अपनी वेबसाइट

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