नमस्कार दोस्तों! महर्षि वाग्भट्ट के 5 नियम स्वास्थ्य से सम्बन्धित बताए गए हैं। जो कि आपके स्वास्थ्य की रक्षा करते हैं। इन्हें जीवन में अपनाने पर यह आपको कभी बीमार नहीं होने देंगे। हमारा उद्देश्य आपको स्वास्थ्य संबंधित जानकारियां देने का है। ताकि आप अपने आपको आयुर्वेद के साथ सहयोग करके स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकें।
स्वास्थ्य संबंधी यह पोस्ट अत्यंत महत्वपूर्ण है। जिसमें महर्षि वाग्भट के द्वारा बताए गए उन 5 नियम का उल्लेख किया जाएगा। जो सभी के लिए बहुत ही उपयोगी है। अतः इसे ध्यान पूर्वक अंत तक अवश्य पढ़ें।
महर्षि वाग्भट्ट के 5 नियम!
पहला नियम!
- भोजन हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।
- इसीलिए इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि भोजन बनाते और पकाते समय भोजन पर सूर्य का प्रकाश और
- हवा का स्पर्श भोजन में जरूर होना चाहिए।
- इसी बात को ध्यान में रखकर वास्तु शास्त्र में भी भोजन कक्ष को पूर्व दिशा की ओर बनाया जाता है।
- ताकि सूर्य का प्रकाश और हवा दोनों ही मिल सके।
- किंतु महत्वपूर्ण बात यह भी है कि यह भोजन माइक्रोवेव में, फ्रिज अन्यथा ऐसे स्थान पर ना बनाया जाए ,
- जहां सूर्य का प्रकाश और हवा प्रवेश न कर पाती हो।
दूसरा नियम!
- भोजन पकने के 48 मिनट के अंदर उसे खा लेना चाहिए। भोजन बचना नहीं चाहिए।
- ठंडा होने के बाद भोजन को गर्म करके खाने से यह भारी हो जाता है और पचने में मुश्किल होती है।
तीसरा नियम!
- रोटी बनाने के लिए गेहूं का आटा 15 दिन से ज्यादा पुराना नहीं होना चाहिए।
- और मोटा अनाज जैसे बाजरा, दाल आदि 7 दिन से ज्यादा पुराना पिसवा कर नहीं रखना चाहिए।
चौथा नियम!
- शारीरिक श्रम 60 वर्ष की उम्र तक कम नहीं करना चाहिए।
- आयुर्वेद में उम्र के हिसाब से शारीरिक श्रम की मात्रा अलग-अलग बताई गई है।
- जैसे 1 से 18 वर्ष की उम्र में खेल के रूप में ही श्रम करना चाहिए।
- 18 से 60 वर्ष की आयु में प्रतिवर्ष श्रम को बढ़ाते जाना चाहिए।
- अर्थात 18 वर्ष में कुछ श्रम किया, फिर 19 वर्ष में उससे ज्यादा, फिर 20 वर्ष में उससे ज्यादा।
- इस तरह क्रमश: श्रम की मात्रा को बढ़ाते रहना चाहिए। यह श्रम उत्पादक होना चाहिए।
- अर्थात किसी भी कार्य से कुछ न कुछ उत्पन्न होना चाहिए यह उत्पादक श्रम कहलाता है।
- 60 वर्ष से 100 वर्ष तक के व्यक्तियों को श्रम धीरे-धीरे कम करते जाना चाहिए।
- और अधिक उम्र होने पर केवल आराम करना चाहिए।
पांचवा नियम !
- हमेशा अपने आसपास की भौगोलिक स्थिति का अवश्य ध्यान रखें।
- आपके जीवन में तासीर, आबोहवा किस प्रकार की है इसका बहुत महत्व होता है।
- क्योंकि भारत एक गर्म देश है और गर्म स्थानों में वात की प्रबलता रहती है।
- भारत में 70 से 75% लोग वात से पीड़ित होते हैं। 12-13 प्रतिशत पित्त और 10% लोग कफ से पीड़ित होते हैं।
- गर्म जगह में दौड़ने से वात सबसे ज्यादा बढ़ जाता है। इसीलिए सुबह दौड़ने के बजाय टहलना चाहिए।
- अक्सर बड़े-बड़े रनर, दौड़ने वाले, 35 साल के बाद नहीं दौड़ पाते।
- अतः अपने देश की भौगोलिक परिस्थिति को ध्यान में रखकर ही हमें अपने जीवनचर्या का पालन करना चाहिए।
महर्षि वाग्भट के बताए गए 5 नियम पालन करने से हम स्वस्थ रह सकते हैं। किंतु विडंबना है कि हम हेल्थ को वेल्थ की तरह जब तक खोते नहीं है, तब तक उसका मूल्य नहीं समझते हैं। अतः बताए गए नियमों का ध्यान रखकर आप पूर्णतः स्वस्थ रह सकते हैं।
संबंधित जानकारी देने का एकमात्र उद्देश्य आपको स्वास्थ्य के बारे में जागरूक करना है। अतः जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे अवश्य शेयर करें। ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए देखते रहे आपकी अपनी वेबसाइट
संबंधित पोस्ट भी अवश्य पढ़ें!
शरीर में मौजूद बायोक्लॉक ; जानिए अंगों के कार्य करने का समय?
करें योग रहें निरोग ; अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर विशेष !!दिमाग तेज करने के लिए आसान तरीका!
नमस्कार! मैं रेखा दीक्षित एडवोकेट, मैं एडवोकेट ब्लॉगर व युट्यूबर हूं । अपने प्रयास से अपने पाठकों के जीवन की समस्याओं को दूर कर ,जीवन में उत्साह लाकर खुशियां बांटना चाहती हूँ। अपने अनुभव एवं ज्ञान के आधार पर मैंने अपने ब्लॉक को सजाया संवारा है, जिसमें आपको योग ,धार्मिक, दर्शन, व्रत-त्योहार , महापुरुषों से संबंधित प्रेरक प्रसंग, जीवन दर्शन, स्वास्थ्य , मनोविज्ञान, सामाजिक विकृतियों, सामाजिक कुरीतियां,धार्मिक ग्रंथ, विधि संबंधी, जानकारी, स्वरचित कविताएं एवं रोचक कहानियां एवं स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां उपलब्ध हो सकेंगी । संपर्क करें : info.indiantreasure@gmail.com