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श्री शिव नीराजनम आरती ; भगवान भोलेनाथ की अति प्रिय आरती!

नमस्कार दोस्तों ! श्री शिव नीराजनम आरती भगवान भोलेनाथ की अति प्रिय आरती है। सावन मास में भगवान को रिझाने के लिए भक्त अनेकों तरह से उपाय करते हैं । उन्हीं में से एक उपाय यह आरती भी है।

जो भगवान शिव कि श्री शिव नीरंजनम आरती से स्तुति करता है उसे समस्त गृहस्थ सुख प्राप्त होते हैं और वह ऐश्वर्यवान हो जाता है।

आरती पूजा को पूर्णता प्रदान करती है। अर्थात कोई कमी अगर पूजा में रह जाती है तो उसे आरती करके पूरा कर दिया जाता है। श्री शिव नीरजनम आरती ओम जय जगदीश हरे की तर्ज पर गाई जाती है।

श्री शिव निराजनम आरती

ॐ जय गंगाधर जय हर शिव जय गिरिजाधीशा शिव (२)

त्वं मां पालय नित्यं (२) कृपया जगदीशा।।

ॐ हर हर हर महादेव……

कैलाशे गिरि शिखरे कल्प द्रुम विपिने . शिव (२)

गुंजति मधुकर पुंजे (२) कुंज बने गहने ।।

ॐ हर हर हर महादेव…..

कोकिल कूजित खेलति हंसावन ललिता ..शिव (२)

रचयति कला कलापं (२) नृत्यति मुद सहिता ।।

ॐ हर हर हर महादेव……

तस्मिन्ललित सुदेशे शाला मणि रचिता….शिव (२)

तन्मध्ये हर निकटे (२) गौरी मुद सहिता।।

ॐ हर हर हर महादेव…….

क्रीडां रचयति भूषा रंजित निज मीशम् .. शिव (२)

ब्रह्मादिक सुर सेवित (२) प्रणामति ते शीर्षम्…..।।

ॐ हर हर हर महादेव……

विबुधबधू बहु नृत्यति हृदये मुद सहिता…. शिव (२)

किन्नरगानं कुरुते (२) सप्त स्वर सहिता…..।।

ॐ हर हर हर महादेव…..

घिनकत थे थे घिनकत मृदङ्गं वादयते….. शिव (२)

क्वण क्वण ललित सुवेणु (२) मधुरं नादयते।।

ॐ हर हर हर महादेव…

रुणु रुणु चरणे रचयति नुपूरमुज्वलिता…. शिव (२)

चक्रावर्ते भ्रमयति (२) कुरुते तां धिकताम्…।।

ॐ हर हर हर महादेव….

ॐ हर हर हर महादेव….

तां तां लुपचुप तालं मधुरं नादयते ..शिव (२)

अंगुष्ठाल्डलिनादं (२) लास्यकतां कुरुते…..।।

ॐ हर हर हर महादेव…..

कर्पूर द्युति गौरं पंचानन सहितम्

त्रिनयनशशिधरमौले (२) विषधरकण्ठयुतम्. ।।

ॐ हर हर हर महादेव…..

सुन्दर जटा कलापं पावक युतभालम् शिव (२)

त्रिशुलडमरु पिनार्क (२) करघृतनृकपालम्…।।.

ॐ हर हर हर महादेव……

शंखनिनादं कृत्वा झाल्लरी नादयते…… शिव (२)

विराजयते ब्रह्मा (२) वेद ऋचां पठते ।।

ॐ हर हर हर महादेव…

इति मृदुचरण सरोजे हदिकमले धृत्वा शिव (२)

अवलोक यतिमहेशं ईशं अभिनित्वा…।।

ॐ हर हर हर महादेव……

रुण्डरचित उरमाला पुत्रगमुपवीतम् शिव (२)

वाम विभोग गिरिजा (२) रुपं अति ललितम्

ॐ हर हर हर महादेव……

सकलशरीरे मनसिज कृत भस्माभरणम् शिव (२)

इति वृषभध्वजरुपं (२) तापत्रय हरणम् ।।

ॐ हर हर हर महादेव…..

ध्यानं आरती समये हृदये इति कृत्वा…. शिव (२)

रामं त्रिजटानाथं (२) ईशं अभिनत्या….।।

ॐ हर हर हर महादेव…….

प्रतिदिनमिवं पठनं संगीतं कुरुते… शिव (२)

शिवसायुज्यं गच्छति (२) भक्त्या यः शृणुते ।।

ॐ हर हर हर महादेव…….

श्री शिव नीराजनम आरती के बाद करें !

।। कर्पूरगौरं ।।

कर्पूरगौरं करुणावतारं,

संसारसारं भुजगेन्द्रहारम |

सदा वसन्तं हृदयारविन्दे ,

भवं भवानी सहित नमामि ।

मंगलं भगवान शम्भूः ,

मंगल वृषभध्वज।

मंगलं पार्वतीनाथो,

मंङ्गलायतनोहरः ।।

सर्वमंङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।

शरण्ये त्र्यंबके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते ।।

श्री शिव नीराजनम आरती के बाद करें पुष्पांजलि!

।। अथ मंत्र पुष्पांजलिः ।।

ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन।

ते ह नाकम्महिमानः सचन्त यत्र पूर्वेसाध्याः सन्ति देवाः ।।

ॐ राजाधिराजाय प्रसह्यसाहिने । नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे ।।

स मे कामान्कामकामाय मह्यम् कामेश्वरो वैश्रवणो ददातु।

कुबेराय वैश्रवणाय महाराजाय नमः ।।

ॐ स्वस्ति साम्राज्यं भोज्यं स्वाराज्यं वैराज्यं ।

पारमेष्ठ्य राज्य महाराज्य महाधिपत्यम समन्त पर्यायी स्यात्।।

सार्व भौमः र्सावायुष आर्तादापरार्धात् पृथिव्यै समुद्र।

पर्यन्ताया एकराडिति तदप्येषः श्लोकोऽभिगीतो।।

मरुतः परिवेष्टारो मरुत्तस्या वसन्गृहे।

आवीक्षितस्य कामप्रेर्विश्वेदेवाः सभासद इति।।

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