डाकू एक लघुकथा ; ग्रामीण परिवेश की मनोरंजक कहानी ! Total Post View :- 912

डाकू एक लघु कथा : ग्रामीण परिवेश की मनोरंजक कहानी !

नमस्कार दोस्तो ! डाकू एक लघु कथा है । जो श्रीमती मनोरमा दीक्षित पूर्व प्राचार्य द्वारा लिखे गए कहानी संग्रह पलाश के फूल से ली गई हैं। पलाश के फूल कहानी संग्रह में ग्रामीण परिवेश को चित्रित करती अनेकों कहानियां लिखी गई है। उसी की यह लघु कथा हम आपके लिए प्रस्तुत करते हैं , अवश्य पढ़ें

डाकू एक लघु कथा !

नदी के कछार से कुछ दूर घने जंगल में आज शाम कुछ नये चेहरे ठहरे हैं, सुना पीतम ।

टेकलाल की आवाज सुनकर चौंका पीतम कंधे पर रखे दोस्त के हाथ को अपनी हथेलियों से जकड़ते हुए बोला-

“अरे बार रे बाप अभी चार दिन पहिले नक्सलियों ने नाकेदार और सिपाही हरभजन को झाड़ में बांधकर मारा था,

अब ये कौन आ गये ? पीतम और टेकलाल दोनों ही ग्राम रक्षा समिति के सदस्य थे।

“अरे टेकलाल, वे रात 11 बजे ट्रक से उतरे थे, पाँच नकाबपोश थे।

रिवाल्वर हाथ में लिये, दबे पैरों से झाड़ी में छुप गये थे” पीतम ने अपनी बात पूरी की।

“मैं भागता हुआ तुम्हारे पास आया हूँ, अब जल्दी निर्णय लो कि हमें क्या करना है” पीतम घबराया सा बोला।

“चलो सरपंच दादा ही कुछ रास्ता बतायेंगे। तुम कुछ भी कहो, वे काफी खतरनाक लग रहे थे।”

“दादा दरवाजा खोलो”

पीतम ने आवज लगायी। उत्तर में सरपंच दादा के पोता धनीराम ने दरवाजा खोला।

आधी रात में आये इन लोगों को उसने आश्चर्य से देखा। अब दादा के साथ टेकलाल, पीतम, रघु और हीरा,

धीमी आंच के पास बैठे ढिबरी के मद्दे उजाले में खुसुर फुसुर कर रहे थे।

अचानक कुछ निर्णय लिया गया और ये चारों हाथ में लाठी लिये बढ़ते कदम से थाने जा पहुंचे।

नींद की गोद में चैन से सोये पूरे गांव को क्या मालूम था कि, कल का सुबह ग्राम रक्षा समिति की तत्परता की कथा लेकर आयेगा ।

एस. पी. साहब के निर्देशानुसार गाँव की सीमा में छुपे इन बदमाशों को डाका, लूटपाट और खून-खराबा के पहिले ही हथकड़ी लग चुकी थी।

कड़ी पूछताछ से यह बात उजागर हुई कि ये गाँव में जमकर लूटपाट एवं मालिक के बेटे के अपहरण के इरादे से आये थे, जिसके कि पास ये ड्राइवर रह चुके थे।

आज सारे गाँव वाले ..

ग्राम रक्षा समिति के मेम्बरों का पूरा-पूरा साथ दे रहे हैं। गांव में बाहर से आये गट्ठेवालों, डेरे वालों, कुचबंधिया,

जड़ी-बूटी बेचने वाले किसी भी बेपहचानी को देखकर वे गुप्त सूचना थाने और पंचायत में देते हैं।

अपने गाँव में बारी-बारी से गश्त देकर ये बहादुर ग्रामवासी ग्राम रक्षा समिति की प्रेरणा से सुरक्षित जीवन बिता रहे हैं।

गणतंत्र दिवस पर “ग्राम पंचायत ने टेकलाल और पीतम की सूझबूझ और तत्परता के लिए उसे “पदक” से नवाजा था ।

जिसे देने स्वयं जिले के प्रभारी मंत्री महोदय पधारे थे। (डाकू एक लघु कथा)

श्रीमती मनोरमा दीक्षित (पूर्व प्राचार्या)मण्डला

अन्य कहानियां पढ़ने के लिए देखते रहे आपकी अपनी वेबसाइट

http://Indiantreasure. in

अन्य कहानियां भी पढ़ें !

कहानी मछुए की बेटी सुभद्रा कुमारी चौहान! ( हिंदी कहानियाँ)

बाबा जी का भोग (कथा कहानी) मुंशी प्रेमचंद की लघु कथाएं!

भूख एक लघु कथा ; ग्रामीणों के जीवन की व्यथा दर्शाती कहानी !

https://youtu.be/kOTW3c3Eq3g

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!