नमस्कार दोस्तों !! शिव बिल्वाष्टकम् का पाठ करता है सभी मनोकामनाओं की पूर्ति !! भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाते हुए इस मंत्र का पाठ करना चाहिए। इससे तीनों जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति सर्वोत्तम पुण्य का भागी होता है।
ऐसा उल्लेख मिलता है कि यदि बेलपति उपलब्ध न हो तो चांदी की बेल पत्ती चढ़ाते हुए इस मंत्र का पाठ करने से बेलपत्र चढ़ाने का फल प्राप्त होता है और शिव प्रसन्न होकर सभी ऐश्वर्य को प्रदान करते हैं।
आज हम आपके लिए शिव बिल्वाष्टकम् का पाठ एवं उसका हिंदी में अर्थ प्रस्तुत कर रहे हैं पूरा श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा का बहुत महत्व माना जाता है। भगवान शिव को बेलपत्र बहुत अधिक प्रिय है ऐसी स्थिति में बेलपत्र चढ़ाते समय इस मंत्र का जाप करना अत्यंत ही शुभ फलदाई होता है।
एक बार अवश्य ही इस पाठ को करना चाहिए। सावन मास में भगवान शिव के सामने घी का दीपक जलाकर रात्रि में उजाला करने वाले को शिव लोक की प्राप्ति होती है। प्रस्तुत है शिव बिल्वाष्टकम् स्त्रोत का पाठ !!
!! शिव बिल्वाष्टकम् स्तोत्र !!
त्रिदलं त्रिगुणा कारं त्रिनेत्रं च त्रयायुधम् ।
त्रिजन्म पाप संहारं ह्विक बिल्वं शिवार्पणम् ।।१।।
त्रिशाखे बिल्व पत्रैश्च हच्छिद्रैः कोमलैः शुभैः ।
शिव पूजा करिष्यामि ह्वोक बिल्वं शिवार्पणम् ||२||
अखण्ड बिल्व पत्रेण पूजिते नन्दिकेश्वरे ।
ध्यान्ति सर्वपापेभ्यो ह्वोक बिल्वं शिवार्पणम् ।।३।।
शालिग्राम शिला मेकां विप्राणां जातु अर्पयेत् ।
सोमयज्ञ महा पुण्यं ह्वोक बिल्वं शिवार्पणम् ॥४॥
दन्ति कोटि सहस्राणि वाजपेय शतानि च ।
कोटि कन्या महादानं ह्वोक बिल्वं शिवार्पणम् ।।५।।
लक्ष्म्याः स्तनत उत्पन्नं महा देवस्य च प्रियम् ।
बिल्ववृक्षं प्रयच्छामि ह्वोक बिल्वं शिवार्पणम् ।।६।।
दर्शनं बिल्व वृक्षस्य स्पर्शनं पाप नाशनम्।
अघोर पाप संहार ह्वोक बिल्वं शिवार्पणम् ।।७।।
मूलतो ब्रह्म रुपाय मध्यतो विष्णु रुपिणे ।
अग्रतः शिव रूपाय ह्वोक बिल्वं शिवार्पणम् ॥८।।
बिल्वाष्टक मिदं पुण्यं यः पठेच्छिव सन्निधौ ।सर्व पाप विनिर्मुक्तः शिवलोक मवाप्नुयात् ।।९।।
इति बिल्वाष्टकं संपूर्णम्
शिव बेलवाबिल्वाष्टकम् स्त्रोतम पाठ का हिंदी में अर्थ!
शिव बिल्वाष्टकम् का पाठ पद- 1
- तीन दलवाला, सत्त्व, रज एवं तमस्वरूप, सूर्य, चन्द्र तथा अग्नि त्रिनेत्रस्वरूप और आयुध त्रयस्वरूप
- तथा तीनों जन्मों के पापों को नष्ट करनेवाला बिल्वपत्र मैं भगवान् शिव के लिये समर्पित करता हूँ ।। १ ।।
शिव बिल्वाष्टकम् का पाठ पद -2
- छिद्ररहित, सुकोमल, तीन पत्तेवाले, मंगल प्रदान करनेवाले बिल्वपत्र से मैं भगवान् शिव की पूजा करूँगा।
- यह बिल्वपत्र भगवान् शिव को समर्पित करता हूँ ।।२।।
शिव बिल्वाष्टकम् का पाठ पद- 3
- अखण्ड बिल्वपत्र से नन्दिकेश्वर भगवान् की पूजा करने पर मनुष्य सभी पापों से मुक्त होकर शुद्ध हो जाते हैं।
- मैं बिल्वपत्र भगवान् शिव को समर्पित करता हूँ ।।३।।
शिव बिल्वाष्टकम् का पाठ पद- 4
- मेरे द्वारा किया गया भगवान् शिव को यह बिल्वपत्र का समर्पण, ब्राह्मणों के शालिग्राम की शिला के समान तथा
- सोमयज्ञ के अनुष्ठान के समान महान् पुण्यशाली हो। अतः भगवान् शिव को मैं बिल्वपत्र समर्पित करता हूँ ||४||
शिव बिल्वाष्टकम् का पाठ पद 5
- मेरे द्वारा किया गया भगवान् शिव को यह बिल्वपत्र का समर्पण, हजारों करोड़ों गजदान, सैकड़ों वाजपेय यज्ञ के
- अनुष्ठान तथा करोड़ों कन्याओं के महादान के समान हो । अतः मैं बिल्वपत्र भगवान् शिव को समर्पित करता हूँ।।५।।
शिव बिल्वाष्टकम् पद 6
- विष्णु प्रिया भगवती लक्ष्मी के वक्षःस्थल से प्रादुर्भूत तथा महादेव के अत्यंत प्रिय बिल्व वृक्ष को मैं समर्पित करता हूँ,
- यह बिल्वपत्र भगवान् शिव को समर्पित है ||६||
शिव बिल्वाष्टकम् पद- 7
- बिल्व वृक्ष के दर्शन और उसका स्पर्श समस्त पापों को नष्ट करनेवाला तथा शिव अपराध का संहार करनेवाला है।
- यह बिल्वपत्र भगवान् शिव को समर्पित है ।।७।।
शिव बिल्वाष्टकम् पद- 8
- बिल्वपत्र का मूलभाग ब्रह्मरूप, मध्यभाग विष्णु रूप एवं अग्रभाग शिव रूप है,
- ऐसा बिल्वपत्र भगवान् शिव को समर्पित है।।८।।
शिव बिल्वाष्टकम् पद- 9
- जो भगवान् शिव के समीप इस पुण्य प्रदान करनेवाले शिव बिल्वाष्टकम् का पाठ करता है,
- वह समस्त पापों से मुक्त होकर अन्त में शिवलोक को प्राप्त करता है ।।९।।
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