नमस्कार दोस्तों! रसौत से करें बवासीर का निदान : रसौंत हर घर में होनी चाहिए, यह एक आयुर्वेदिक मेडिसन है। यह वात और पित्त से संबंधित समस्त रोगों को दूर करती है। यह बवासीर जैसे रोग को भी ठीक कर देती है। आयुर्वेद में प्रत्येक बीमारी का इलाज इन्हीं जड़ी बूटियों के माध्यम से किया जाता है। जो शत प्रतिशत लाभ भी पहुंचाता है।
किसी भी रोग को दूर करने के लिए उसकी जड़ तक पहुंचना बहुत जरूरी है। अर्थात यह रोग शुरू कहां से होता है। बवासीर की बात करें तो यह दो प्रकार का होता है। एक वादी बवासीर और दूसरा खूनी बवासीर। बादी बवासीर वात के बिगड़ने से होता है और खूनी बवासीर वात और पित्त दोनों के बिगड़ने से होता है। आयुर्वेद में रोगों की चिकित्सा प्रकृति दोषों के आधार पर की जाती है।
रसौंत से करें बवासीर का पहला उपाय!
- यह दारूहल्दी से बनती है और शिलाजीत के समान ठोस कांच जैसी चमकती है।
- इससे पित्त संबंधी समस्त रोगों की चिकित्सा की जाती है। इसे रसवंती भी कहते हैं।
- इसका प्रयोग बवासीर की चिकित्सा में किया जाता है।
- इसके लिए नीम की पत्तियों को धोकर अच्छे से पोंछकर एक घंटा धूप में सुखा लें।
- फिर छाया में ढककर 2-3 दिन अच्छे से सुखाएं। सूख जाने पर इसे बारीक पीस लें और कपड़े से छान लें।
- 10 ग्राम रसौंत के चूर्ण को रात भर ढाई सौ ग्राम पानी में कांच के गिलास में भिगोकर रख दें।
- अब 20 ग्राम नीम पाउडर को पत्थर के खरल में डालकर रसौंत के पानी से लगभग आधा घंटा तक थोड़ा-थोड़ा
- पानी डालकर घोंटतें रहें। घोंटने से औषधि के गुण बढ़ जाते हैं। आयुर्वेद में कहा गया है “मर्दनम गुण वर्धनम” ।
- इस प्रकार सुबह शाम आधा-आधा घंटा 3 दिन तक उक्त दवाई को रसौंत के पानी से घोंटतें रहें।
- एक ही बार में पूरा पानी मिलाकर नहीं घोंटना है। चम्मच से थोड़ा-थड़ा पानी डालकर घोंटतें रहे।
- 2 से 3 दिन में पूरा पानी उसमें समा जाएगा। पूरा पानी समाप्त हो जाए इतना घोंटना है।
- लगभग तीसरे दिन हरी मटर के जैसे गोली बनाकर कपड़े से ढंक कर इसे धूप में सुखा लें। सीधे धूप में न सुखाएं।
- इसे ध्यान से सुखाएं और देखते रहे कि इसमें कीड़े ना पड़ने पाए।
- इसे खाली पेट दो गोली सुबह उठते ही ताजे पानी से लेना चाहिए।
- इसके प्रयोग से मात्र 3 से 4 दिनों में ही खूनी बवासीर में लाभ हो जाता है।
- इसके प्रयोग से पेट की गर्मी शांत होती है और पित्त का शमन होता है।
- यह पेट की समस्त गंदगी को धीरे-धीरे बाहर निकाल देती है और बवासीर जैसे रोग से छुटकारा मिल जाता है।
बवासीर की चिकित्सा में रसौंत से करें दूसरा उपाय!
- बादी बवासीर के लिए यह बहुत ही आसान और निरापद उपाय है। इसे 10 दिन करने पर ही आराम हो जाता है।
- आंतों की सफाई का होना बवासीर के चिकित्सा में बहुत ज्यादा आवश्यक है।
- एक बार ठीक हो जाने के बावजूद भी यह रोग पुन: हो जाता है।
- क्योंकि आंतों की सफाई पर ध्यान नहीं दिया जाता। और खान-पान पर नियंत्रण भी नहीं रखा जाता।
- ऐसे में रसौंत हर घर में होनी चाहिए इसे एक चने के दाने के बराबर कूटकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय
- उबले पानी से पीना चाहिए। इससे आंतों में चिपका मल पूरी तरह बाहर हो जाता है और पेट की गर्मी शांत होती है।
अंत में
- बवासीर रोग के निवारण होने के बाद भी वात और पित्त दोष को शांत रखना चाहिए ।
- वात और पित्त रोग दोनों दोषों के कुपित होने से खूनी बवासीर होता है।
- खूनी बवासीर में तीखे, चटपटे, मसालेदार पदार्थ नहीं खाने चाहिए। मीठा का सेवन भी नहीं करना चाहिए।
- बादी बवासीर वात के कुपित होने से होती है। अतः वात के संबंध हेतु उपाय करने चाहिए।
- जिस पर नीचे लिंक में विस्तृत चर्चा की गई है जिसे अवश्य पढ़ें ।
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किसी भी रोग की चिकित्सा में लंघन अर्थात परहेज और दिनचर्या का बहुत महत्व होता है। केवल दवाई खाने से मात्र रोग का निदान संभव नहीं है। संपूर्ण चिकित्सा आहार-विहार और लंघन पर करनी चाहिए। अतः आयुर्वेद को समझें और अपनाएं। किसी भी औषधि को बनाते हुई पत्थर के खरल या कांच की बर्तन का ही उपयोग करना चाहिए। औषधि को किसी धातु के संपर्क में नहीं आना चाहिए।
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अतः बवासीर रोग के कारणों को जानते हुए रसौंत से करें बवासीर का आसान इलाज। संयम और सावधानी से हर रोग पर विजय पाई जा सकती है। हमारा उद्देश्य अपने ही घर में उपलब्ध औषधियों के बारे में आपको जानकारी देना है। जिससे सभी उसका लाभ उठा सकें। अतः इससे अपने मित्रों और परिजनों को भी अवगत कराएं। ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए देखते रहें आपकी अपनी वेबसाइट
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