पेट की गर्मी को दूर करने के लिए क्या उपाय करना चाहिए ऐसे बहुत से प्रश्न आते रहते हैं । यह समस्या अक्सर गर्मियों में अधिक होती है । किंतु वर्तमान जीवन शैली और खान-पान के कारण यह समस्या कभी भी, किसी को भी, व किसी भी समय हो सकती है ।
इसका मुख्य कारण शरीर में पानी की कमी होना होता है । अतः अधिक से अधिक पानी पीना ही इसका मुख्य निदान है। किंतु ज्यादा पानी पीने से भी कई नुकसान होने लगते हैं । अतः आज हम इस आपको पेट की गर्मी को दूर करने के कुछ घरेलू आयुर्वेदिक उपाय बताएंगे । जिसे उपयोग कर आप इस समस्या से मुक्ति पा सकते हैं ।
पेट की गर्मी के लक्षण !
- इस समस्या में अक्सर पेट में, सीने में, गले में और मुख में जलन होने लगती है ।
- पेट में दर्द व गैस भी बनती है। अपच व उल्टी की शिकायत हो जाती है ।
- कुछ भी खाते ही जी मिचलाना और उल्टी सा होना लगने लगता है किंतु उल्टी नहीं होती है।
- डकार आना और गैस की समस्या हो जाती है। जिससे सिर में दर्द भी हो सकता है।
- इसे पेट की गर्मी या पित्त बढ़ना भी कहते हैं। यह बहुत ही कष्टदायी होता है।
- तो आइए इसे रोकने के कुछ घरेलू आयुर्वेदिक उपचार :
पेट की गर्मी का आयुर्वेदिक और घरेलू इलाज !
- शरीर का प्रतिदिन दो- ढाई लीटर तक पानी बाहर निकल जाता है ।
- अतः कम से कम ढाई से 4 लीटर तक पानी रोज पीना चाहिए। यह पानी पेट की गर्मी को शांत करता है।
- भोजन में गाय के घी का सेवन करना चाहिए ।
- यह आंतों को चिकनाहट देकर मुलायम बनाता है जिससे गैस नहीं बन पाती।
- दोपहर के भोजन में अजवाइन का उपयोग जरूर करना चाहिए।
- इसे दाल, सब्जी या आटे में डालकर भोजन बनाना चाहिए।
- यदि ऐसा ना हो सके तो दोपहर के भोजन के बाद थोड़ी सी अजवाइन में सेंधा नमक मिलाकर चबाना चाहिए ।
- दोपहर के भोजन में दही लस्सी या छाछ का उपयोग करें।
- गर्मियों में नारियल पानी पीने से पूरे वर्ष भर पेट में गर्मी की समस्या नहीं होती है।
- इस मौसम में गन्ने का जूस भी पेट की गर्मी को शांत करता है । इसे कभी भी, किसी भी समय पिया जा सकता है।
- पूरे दिन में दोपहर का 4:00 से 6:00 का वक्त बहुत ही महत्वपूर्ण होता है ।
- इस समय अक्सर सभी को भूख लगती है ।
- ऐसे में समोसा, पकोड़ा,या रेडीमेड उपलब्ध सामग्री को खा लेते हैं जो पेट में जलन को आमंत्रण देता है।
- अतः अत्यधिक भूख लगने पर मीठे चावल खाएं। भूख ना हो तो डिटॉक्स वाटर पीना चाहिए।
- किंतु तेल मे तला व सूखा, कड़ा भोजन नहीं करना चाहिए।
- जिन्हें यह समस्या अधिक मात्रा में हो तो आधा चम्मच जीरा पानी में उबालकर ठंडा करके पीने से लाभ होता है।
- उक्त जीरा पानी में स्वाद के लिए शहद या सेंधा नमक मिलाकर पी सकते हैं ।
- यह प्रयोग सुबह दोपहर शाम तीनों समय भोजन के पश्चात करना चाहिए । साथ में जीरा को चबाकर खा लेना चाहिए।
उपचारों की सामान्य जानकारी !
- आयुर्वेदिक चिकित्सकों के अनुसार पेट की गर्मी का आयुर्वेदिक इलाज निम्नानुसार है ।
- पहला उपचार – कुमारी आसव सुबह-शाम आधे गिलास पानी में चार-चार चम्मच मिलाकर पीने से राहत मिलती है।
- दूसरा उपचार – आंतों में सूजन के कारण दर्द होने पर पुनर्नवारिष्ट या पुनर्नवा आसव का प्रयोग लाभदायक होता है।
- यह आयुर्वेदिक औषधियां पूर्णतः निरापद है किंतु आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह पर इसका उपयोग करना चाहिए।
- इसके अलावा इन दवाइयों के साथ खस का शरबत भी पित्त या पेट की गर्मी को शांत करने के लिए उत्तम माना जाता है।
इस प्रकार पेट की गर्मी को कैसे दूर करें से संबंधित सामान्य जानकारी देने का हमने प्रयास किया है। आशा है इससे आपको अवश्य लाभ होगा।
यह एक सामान्य जानकारी है किंतु किसी भी प्रकार की औषधि के प्रयोग से पूर्व अपने चिकित्सक से अवश्य सलाह लें । ऐसी महत्वपूर्ण व उपयोगी जानकारी के लिए देखते रहे आपकी अपनी वेबसाइट
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