नमस्कार दोस्तों ! आयुर्वेद में गाय के दूध को कब और कैसे पीना चाहिए इसके संबंध में कुछ नियम बताए गए हैं। अक्सर दूध पीने के समय के बारे में लोगों में जिज्ञासा पाई जाती है । यह तो सभी जानते हैं कि दूध रात में पीना फायदेमंद होता है किंतु यह किस तरह से फायदेमंद होता है यह जानने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक पढ़े।
आज हम आपको दूध की तासीर दूध कब पीना चाहिये व कैसा दूध किस तरह के व्यक्तियों के लिए फायदेमंद होता है इसके संबंध में संक्षिप्त में चर्चा करेंगे।
रात में दूध कब व क्यों पीना चाहिए!
- आयुर्वेद के अनुसार नाड़ी का भोजन से गहरा संबंध होता है ।
- जैसा हम भोजन करते हैं नाड़ी की गति भी उसी प्रकार तीव्र, मध्यम या निम्न होती रहती है।
- जिसे लघु, गुरु व सूक्ष्म नाड़ी कहते हैं। दूध पीने से नाड़ी की गति धीमी हो जाती है।
- रात के समय शरीर के सारे अंग शिथिल पड़ जाते हैं और ब्रेन को भी आराम देना होता है ।
- ऐसी स्थिति में रात को दूध पीने से बहुत अच्छी नींद आती है ।और सुबह उठने पर बहुत एक्टिव महसूस करते हैं।
- इसीलिए रात के समय दूध पीना बहुत ज्यादा फायदेमंद होता है।
- इससे शरीर को विशेष आराम मिलता है और शक्ति प्राप्त होती है।
- लेकिन जो लोग रात में दूध पीकर नहीं सोते वे सुबह उठ भी नहीं पाते ।
- और रात भर उनका दिमाग भी चलता रहता है जिससे नींद पूरी नहीं होती। कुछ लोगों को रात में दूध नहीं पचता।
- ऐसी स्थिति में दूध के बाद थोड़ी अजवायन फांक लेने से दूध का पाचन हो जाता है ।
- इसके बाद भी यदि दूध ना पचे तो सूर्यास्त होने पर भोजन के एक डेढ़ घंटा पहले पी लेना चाहिए।
दूध कब पीना चाहिए रात को या सुबह !
- दिन के समय दूध पीने की कोई मनाही नहीं है ।
- किंतु दिन में हमें एक्टिव रहना होता है और दूध पीने से लघु नाड़ी हो जाती है।
- जिससे हमारे शरीर की सक्रियता धीमी हो जाती है और कार्य में डबल मेहनत लगती है।
- इसीलिए दूध को रात में पीने के लिए बताया जाता है। किंतु जिन्हें बैठे बैठे काम करना हो या
- अध्ययन करना हो, कंप्यूटर पर वर्क करना हो ऐसे लोग दिन में भी दूध पी सकते हैं।
- जो छोटे बच्चे दूध पर ही निर्भर होते हैं वह तो दिन में भी दूध ही पीते हैं ।
- इसका कारण यह है कि उनकी नाड़ी की गति बहुत तेज होती है ।
- जिसे सामान्य करने के लिए दूध पिलाया जाता है। ताकि धीरे-धीरे उनकी नाड़ी की गति सामान्य हो सके।
दूध को कब और कैसे पीना चाहिए!
- हमेशा गुनगुना दूध ही पीने योग्य होता है। अधिक ठंडा दूध बिल्कुल भी नहीं पीना चाहिए।
- यह शक्ति का नाश करता है और पेट में गैस बनाता है। वात के रोगियों को रात में ठंडा दूध बिल्कुल नहीं पीना चाहिए।
- इससे जल्दी ही बाल सफेद होने लगते हैं, दांत जल्दी हिलने लगते हैं।
- और गठिया और जोड़ों के दर्द आदि जल्दी ही शुरू हो जाते हैं।
- गर्मी के दिनों में ठंडाई युक्त जिसमें काली मिर्च आदि पड़ी हो ऐसा दूध सूर्यास्त के पहले तक पिया जा सकता है।
- दूध हमेशा भोजन करने के आधा घंटे पहले या आधा घंटे बाद पीना चाहिए।
- दूध के साथ नमक नहीं खाना चाहिए इससे स्किन संबंधी रोग होते हैं।
- इसलिए कभी भी दूध के साथ नमकीन बिस्किट या नमकीन आदि नहीं खाए जाते हैं।
- दूध स्वयं पूर्ण आहार है अतः उसके साथ दूसरा पूर्ण आहार(अन्न) का सेवन करने से पाचन नहीं हो पाता है।
- यदि मोटे होना चाहते हैं तो दूध के साथ अन्न खा सकते हैं । किन्तु लगातार इसे खाने से भी गैस बनने लगती है।
- भैंस का दूध भी पिया जा सकता है किंतु भैंस के दूध की प्रकृति भैंस की ही तरह होती है ।
- इससे शरीर में वजन बढ़ता है । और शरीर में सुस्ती आती है।
- जबकि गाय के दूध से शरीर हल्का व छरहरा बना रहता है और दिमाग तेज होता है।
- दूध पीने के बाद कभी भी टहलना नहीं चाहिए।
- क्योंकि दूध पीने के बाद नाड़ी धीमी हो जाती है और शरीर रेस्ट चाहता है।
- और ऐसे में परिश्रम करना शरीर को थका डालता है।
निष्कर्ष !
- अंत में दूध पीने के नियम, दूध को कब और कैसे पीना चाहिए रात को या सुबह ,
- तथा रात में दूध कब व क्यों पीना चाहिए से संबंधित संक्षिप्त जानकारी आपको देने का प्रयास किया है ताकि यदि आपकी दिनचर्या में कोई गलती हो तो उसमें आपके द्वारा स्वयं सुधार किया जा सके। हमारी वेबसाइट पर बताई गई समस्त जानकारी विभिन्न स्रोतों से प्राप्त अध्ययन से व अनुभवों से ली गई है । अतः किसी भी प्रयोग को करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। और इसी तरह की महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए देखते रहें आपकी अपनी वेबसाइट
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