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क्यों आती है नींद ? नींद के प्रकार, लाभ व कितने घंटे सोना चाहिए ?

नमस्कार दोस्तों! क्यों आती है नींद ? नींद के प्रकार, लाभ और किसी व्यक्ति को कितने घंटे सोना चाहिए। नींद सचमुच एक विचित्र वस्तु है । यह मानव जीवन को एक वरदान भी है । यह एक रहस्य पूर्ण घटना है जो प्रकृति के बड़े-बड़े रहस्यों में से एक है। हम तो सिर्फ इतना ही जानते हैं कि जब शरीर और मन थके हुए होते हैं तो शक्ति को संचय करने के लिए निद्रा एक साधन है।

जीवन शक्ति की सुरक्षा और उसके निर्माण के लिए निद्रा या नींद एक आधारभूत आवश्यकता है । भोजन की अपेक्षा नींद अधिक आवश्यक है । कोई भी व्यक्ति बिना खाए कई सप्ताह तक रह सकता है किंतु अधिक दिनों बिना नींद के नहीं रह सकता । इससे शरीर पर बहुत हानिकारक परिणाम होते हैं।

आज हम आपके लिए नींद के प्रकार उसकी उपयोगिता, लाभ और किसी व्यक्ति को कितने घंटे सोना चाहिए कि संबंध में एक सामान्य जानकारी प्रस्तुत करेंगे। यह बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है और सभी के जानने योग्य है। अतः इसे अंत तक ध्यान पूर्वक अवश्य पढ़ें।

नींद की उपयोगिता !क्यों आती है नींद !

हमारे जीवन में नींद का विशेष स्थान है ।

शरीर विज्ञान की दृष्टि से भी नींद वह अवस्था है जिसमें सभी इंद्रियां और ज्ञानेंद्रियां या तो

बिल्कुल निष्क्रिय हो जाती हैं या उनकी कार्य करने की गति एकदम धीमी पड़ जाती है।

इस प्रकार यह क्रिया शारीरिक नहीं मानसिक होती है । निद्रा की हालत में मस्तिष्क खाली रहता है ।

साधारण मान्यता है कि नींद में व्यक्ति बेहोश रहता है पर असलियत यह नहीं है।

क्यों आती है नींद ? नींद आने के 4 कारण है!

1- शरीर में अम्लीय पदार्थ के संचित होने से ,

2- जागृत अवस्था में विभिन्न शारीरिक व मानसिक क्रियाओं के परिणाम स्वरुप

प्राणवायु (ऑक्सीजन).का व्यय और कार्बन डाइऑक्साइड का संचय अधिक हो जाने से ।

3- शरीर में किसी विष की प्रतिक्रिया होने से।

4- शरीर के किसी भाग विशेष अथवा मस्तिष्क में रक्त की कमी हो जाने से।

अब आप जान गए हैं कि ये नींद क्यों आती है।

नींद के प्रकार !

  • 1- सात्विक व स्वभाविक नींद – जिन नींद व्यक्तियों को रात के पहले पहर में गहरी नींद आती है ,
  • और वे ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाते हैं। ऐसी नींद सात्विक एवं स्वाभाविक निद्रा कहलाती है ।
  • यह निद्रा उत्तम स्वास्थ्य की निशानी है।
  • 2- राजस नींद – जो व्यक्ति बिना किसी नियत समय और नियम के चाहे जब कभी दिन में कभी रात में सोते हैं।
  • ऐसी नींद राजस नींद कहलाती है ।
  • 3- तामस नींद – जो व्यक्ति दिन में भी खूब सोते हैं और रात में भी पढ़ते पढ़ते, बात करते-करते,बैठे-बैठे,
  • खड़े-खड़े या चलते-चलते भी सोने लगते हैं उनकी नींद तामस कहलाती है।
  • 4- वैकारिक नींद – शरीर के कफ का भाग जब क्षीण हो जाता है तब वायु की वृद्धि होने पर
  • अथवा जब शरीर कष्ट त्रस्त हो तब मन दुःखी हो तब मनुष्य को नींद नहीं आती ।
  • यदि थोड़ी बहुत आ भी गई तो तुरंत आंख खुल जाती है ऐसी नींद वैकारिक निद्रा कहलाती है । (क्यों आती है नींद)

किस को कितने घंटे सोना चाहिए !

  • प्रत्येक मनुष्य के लिए जिस प्रकार भोजन निश्चित करना असंभव है ।
  • उसी प्रकार उसके लिए नींद का समय बांधना भी बहुत कठिन है।
  • पर इस संबंध में यह एकदम सही है कि कौन कितनी देर सोता है उसका कोई महत्व नहीं है,
  • महत्व यह है कि नींद कितनी गहरी है। उथली नींद में 8 घंटे सोने की अपेक्षा 3 घंटे की गहरी नींद
  • कहीं अधिक लाभदायक और ताजगी देने वाली होती है।
  • फिर भी डॉक्टरों ने आयु के अनुसार सोने के कुछ घंटे निर्धारित किए हैं ।
  • 1 महीने के बालक को 21 घंटे
  • 6 महीने के बालक को 18 घंटे
  • 1 वर्ष के बालक को 15 घंटे
  • 4 वर्ष से ऊपर वालों को 12 घंटे
  • 12 वर्ष से ऊपर वालों को 10 घंटे
  • 16 वर्ष से ऊपर वालों को 8 घंटे
  • और 30 वर्ष से ऊपर वालों को 6 घंटे
  • और अधिक वृद्धावस्था में 4 से 6 घंटे सोना लाभकारी होता है।
  • यदि आप अपनी आयु के अनुसार पर्याप्त नींद ले रहे हैं तो यह आपके शरीर को पुष्टि प्रदान करती है।

नींद से लाभ !

(क्यों आती है नींद ! )

गहरी नींद के समान दूसरा कोई तत्व शरीर के गठन करने वाला नहीं होता।

प्रतिदिन काम करने के कारण हमारी जीवनी शक्ति का क्षय होता है। यह मात्र गहरी नींद से ही पूरा होता है।

नींद के समय हमारे शरीर के रक्त कण एकत्रित होते हैं। किसी रात ना सोने के कारण शरीर जो मुरझाया रहता है,

उसका कारण यही है कि उस रात शरीर के रक्त कणों का आवश्यक और स्वाभाविक गठन नहीं हुआ रहता।

आयुर्वेद के अनुसार…

“निद्रा तू सेविता काले धातु साम्य मतन्द्रिताम।

पुष्टि वर्ण बलोत्साहं बन्हि दीप्तिम करोति हि ।।”

अर्थात दिन में व्यर्थ ना सो कर जो रात के दूसरे प्रहर से निद्रा आरंभ कर रात के चौथे पहर में 4:00 बजे

प्रातः काल जग जाते हैं । उनका शरीर स्वस्वथ अवस्था में रहता है । उनमें किसी प्रकार का आलस नहीं रहता ।

उनका शरीर पुष्ट होता है और सौंदर्य निखरता है । उत्साह बढ़ता है ।

उनकी जठराग्नि प्रदीप्त होकर भूख खूब खुलकर लगती है।

नींद न आने के दुष्प्रभाव !

यदि हम काम करते चले जाएं और निद्रा ना लें तो एक समय ऐसा आएगा,

जब हमारा शरीर और मस्तिष्क दोनों काम करने की अयोग्य हो जाएंगे

और तब हम या तो पागल हो जाएंगे या मर जाएंगे। अतः जीवन रक्षा के लिए अच्छी नींद आवश्यक है ।

चिकित्सकों के अनुसार निद्रा में बहुत से आरोग्यदायक गुण होते हैं ।

उसे समस्त रोगों की प्राकृतिक चिकित्सा कहा जाता है। नींद से शरीर का मल निकलता है।

अनावश्यक गर्मी दूर होती है तथा शरीर पुष्ट होता है ।

निद्रा अवस्था में सांस जागृत अवस्था की अपेक्षा अधिक लंबी और तेज चलती है ।

जिसकी वजह से फेफड़े के जरिए मल और विष के विकास की क्रिया भी अधिक अच्छी होती है।

रोग की अवस्था में रोग का कारण विष (टॉक्सिन्स) सोते समय बहुत कुछ निकल जाता है ।

रोगी के शरीर में जितना अधिक विष होगा, उतनी ही अधिक नींद उसके लिए आवश्यक होगी।

जहां शरीर के विषाक्त होने पर 8-10 घंटे सोना आवश्यक होता है,

वहां साधारण स्थिति में स्वस्थ व्यक्ति के लिए 5 घंटे सोना ही काफी होता है।

निद्रा अंगों की क्षतिपूर्ति करती है यह नाड़ीयों को भी सुधारती है। निद्रा आहार से अधिक महत्व की चीज है।

गहरी नींद औषधि है !

क्योंकि रोगी को आहार की बिल्कुल जरूरत नहीं होती, पर नींद की उसको केवल जरूरत ही नहीं होती बल्कि

वह रोगी के लिये सर्वोत्तम औषधि भी है।

यदि नींद न हो तो मनुष्य का संसार में क्या हाल हो जाय, कहा नहीं जा सकता।

गहरी नींद में व्यक्ति अपनी आत्मा में विश्राम लेता है और शक्ति तथा आनन्द की प्राप्ति करता है।

काम करने के बाद दिमाग, स्नायुमण्डल तथा सभी इन्द्रियां विश्राम चाहती हैं । निद्रा से ही यह विश्राम सम्भव है।

निद्राकाल में मन, कारण शरीर अथवा आनन्दमय कोष में विश्रान्त हो जाता है ।

उचित निद्रा आध्यात्मिक प्रवृत्तियों के जागरण में भी सहायक होती है।

गीता में कहा गया है कि

‘युक्त स्वप्नान बोधस्य योगी भवति दुःखहा।’

आप अपनी नींद की चिन्ता रखिये और यकीन मानिये आपकी बहुत सी चिन्ताएं स्वयं ही सुलझ जावेंगी ।

इसलिये नींद को समय की बर्बादी नहीं समझनी चाहिये, अपितु वह एक प्रेरक शक्ति है

और जीवन में सर्वत्रोन्मुखी प्रगति का सम्बल है।

एक महापुरुष ने कहा है- ‘जिस मनुष्य के पास आशा और निद्रा नहीं उससे बढ़कर अभागा कौन हो सकता है।

आरथर स्कोपलहार जो एक तत्व ज्ञानी है, कहते हैं- मनुष्य के लिये निद्रा वैसे ही है जैसे घड़ी में चाबी देना।

निद्रा व्यक्ति को यूवा और सुन्दर रहने में भी सहायता करती है।

जर्मन भाषा में एक कहावत है..

जिसका आशय यह है कि अच्छी नींद भोजन का आधा उद्देश्य पूरा कर देती है।

नींद के बिना अच्छे से अच्छा स्वास्थ्य भी बिगड़ सकता है और यदि कम सोने की आदत हो तो यादमी शीघ्र मर जाता है ।

अन्य जानकारियों के लिए देखते रहें आपकी अपनी वेबसाइट

http://Indiantreasure. in

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