फ्री शिव तांडव स्त्रोतम : हिंदी के अर्थ सहित, सरल, शब्दों में! Total Post View :- 1917

श्री शिव तांडव स्तोत्रम : हिंदी के अर्थ सहित, सरल, शब्दों में !!

नमस्कार दोस्तों! श्री शिव तांडव स्तोत्रम से भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं। रावण रचित यह स्तोत्र मधुर कंठ से गाकर भगवान को सुनाने से भोलेनाथ मुग्ध होकर नृत्य करने लगते हैं।

भगवान शिव को अत्यंत प्रिय श्री शिव तांडव स्तोत्रम पवित्र सावन मास में अधिक से अधिक करना चाहिए । आज हम हिंदी के अर्थ सहित सरल भाषा मे श्री शिव तांडव स्तोत्रम प्रस्तुत करते हैं। अवश्य पढ़ें व शिव जी का आशीर्वाद पाएं।

!!श्री शिव ताण्डव स्तोत्रम् !!

  • जटाटवी गलज्जल प्रवाह पावि तस्थले
  • गलेऽ वलम्ब्य लम्बितां भुजंङ्ग तुङ्ग मालिकाम् ।
  • डमड्डमड्डम ड्डमन्निनाद वड्डमर्वय
  • चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ।।१।।
  • जटाकटाह सम्भ्रम भ्रममन्निलिम्प निर्झरी
  • विलोल वीचिवल्लरी विराजमान मूर्द्धनि ।
  • धगद्धगद्धग ज्जवलल्ललाट पट्टपावके
  • किशोर चन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ।।२।।
  • धराधरेन्द्र नन्दिनी विलासबन्धु बन्धुर
  • स्फुरद्दिगन्त सन्तति प्रमोदमान मानसे ।
  • कृपा कटाक्ष धोरणी निरुद्ध दुर्धरापदि
  • क्वचिद्दिगम्बरे मनो विनोद मेतु वस्तुनि ॥३॥
  • जटाभुजङ्ग पिङ्गल स्फुरत्फणा मणिप्रभा
  • कदम्ब कुड्कुमद्रव प्रलिप्त दिग्वधूमुखे ।
  • मदान्ध सिन्धुर स्फुरत्त्व गुत्तरीय मेदुरे
  • मनो विनोद मद्भुतं बिभर्तु भूत भर्तरि ॥४॥
  • सहस्र लोचन प्रभृत्य शेषलेख शेखर
  • प्रसून धूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रि पीठभूः ।
  • भुजंङ्ग राजमालया निबद्ध जाटजूटकः
  • श्रियै चिराय जायतां चकोर बन्धुशेखरः ।।५।।
श्री शिव तांडव स्तोत्रम
  • ललाट चत्वरज्वल द्धनञ्जय स्फुलिंङ्गभा –
  • निपीत पञ्चसायकं नमन्निलिम्प नायकम् ।
  • सुधामयूख लेखया विराजमान शेखरं
  • महाकपालि सम्पदे शिरो जटालमस्तु नः ।।६।।
  • कराल भालपट्टिका धगद्धगद्धगज्वल
  • द्धनञ्जया हुतीकृत प्रचण्ड पञ्चासायके ।
  • धराधरेन्द्र नन्दिनी कुचाग्र चित्रपत्रक
  • प्रकल्पनैक शिल्पिनि त्रिलोचने रर्तिमम ।।७।। –
  • नवीन मेघ मण्डली निरुद्ध दुर्धरस्फुर
  • त्कुहू निशीथि नीतमः प्रबन्ध बद्ध कन्धरः
  • निलिम्प निर्झरी धरस्त नोतु कृत्ति सिन्धुरः
  • कला निधान बन्धुरः श्रियं जग धुरन्धरः ॥८॥
  • प्रफुल्ल नीलपङ्कज प्रपञ्च कालिमप्रभा
  • वलम्बि कण्ठ कन्दली रुचिप्रबद्ध कन्धरम् ।
  • स्मरच्छिंद पुरच्छिदं भवच्छिंद मखच्छिदं
  • गजच्छि दान्ध कच्छिदं तमन्त कच्छिदं भजे ।।९।।
  • अखर्व सर्व मंङ्गला कला कदम्ब मञ्जरी
  • रस प्रवाह माधुरी विजृम्भणा मधुव्रतम्।
  • स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं
  • गजान्त कान्ध कान्तकं तमन्त कान्तकं भजे ।।१०।।
श्री शिव तांडव स्तोत्रम
  • जयत्वद भ्रविभ्रम भ्रम द्भुजङ्ग मश्वस
  • द्विनिर्गम त्क्रमस्फुर त्कराल भाल हव्यवाट्
  • धिमि द्धिमि द्धिमि ध्वन न्मृदङ्ग तुङ्ग मङ्गल
  • ध्वनि क्रम प्रवर्तित प्रचण्ड ताण्डवः शिवः ।।११।।
  • दृषद्वि चित्र तल्पयो र्भुजंङ्ग मौक्ति कस्रर्जी
  • गरिष्ठ रत्न लोष्ठयोः सुहृद्वि पक्ष पक्षयोः
  • तृणार विन्द चक्षुषोः प्रजा मही महेन्द्रयोः
  • सम प्रवृत्तिकः कदा सदाशिवं भजाम्यहम् ।।१२।
  • कदा निलिम्प निर्झरी निकुञ्ज कोटरे वसन्
  • विमुक्त दुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन्
  • विलोल लोल लोचनो ललाम भाल लग्नकः
  • शिवेति मन्त्र मुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ।।१३।।
  • इमं हि नित्य मेव मुक्त मुत्तमोत्तमं
  • स्तवं पठन्स्मर न्ब्रुवन्नरो विशुद्धि मेति सन्ततम्
  • हरे गुरौ सुभक्ति माशु याति नान्यथा
  • ग विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्यं चिन्तनम् ।।१४।।
  • पूजा वसान समये दशवक्त्र गीतं
  • यः शम्भु पूजन परं पठति प्रदोषे ।
  • तस्य स्थिरां रथ गजेन्द्र तुरङ्ग युक्तां
  • लक्ष्मीं सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः ।।१५।।

“इति श्रीरावणकृतं शिव ताण्डव स्तोत्रं सम्पूर्ण”

श्री शिव तांडव स्तोत्रम का हिंदी में अर्थ !

  • उनके बालों से बहने वाले जल से उनका कंठ पवित्र है, और उनके गले में सांप है जो हार की तरह लटका है,
  • और डमरू से डमट् डमट् डमट् की ध्वनि निकल रही है,
  • भगवान शिव शुभ तांडव नृत्य कर रहे हैं, वे हम सबको संपन्नता प्रदान करें। मेरी शिव में गहरी रुचि है।
  • जिनका सिर अलौकिक गंगा नदी की बहती लहरों की धाराओं से सुशोभित है,
  • जो उनकी बालों की उलझी जटाओं की गहराई में उमड़ रही हैं?
  • जिनके मस्तक की सतह पर चमकदार अग्नि प्रज्वलित है,
  • और जो अपने सिर पर अर्ध-चंद्र का आभूषण पहने हैं। मेरा मन भगवान शिव में अपनी खुशी खोजे।
  • अद्भुत ब्रह्माण्ड के सारे प्राणी जिनके मन में मौजूद हैं, जिनकी अर्धांगिनी पर्वतराज की पुत्री पार्वती हैं,
  • जो अपनी करुणा दृष्टि से असाधारण आपदा को नियंत्रित करते हैं, जो सर्वत्र व्याप्त है,

और जो दिव्य लोकों को

  • अपनी पोशाक की तरह धारण करते हैं।
  • मुझे भगवान शिव में अनोखा सुख मिले, जो सारे जीवन के रक्षक हैं,
  • उनके रेंगते हुए सांप का फन लाल-भूरा है और मणि चमक रही है,
  • ये दिशाओं की देवियों के सुंदर चेहरों पर विभिन्न रंग बिखेर रहा है,
  • जो विशाल मदमस्त हाथी की खाल से बने जगमगाते दुशाले से ढंका है। भगवान शिव हमें संपन्नता दें,
  • जिनका मुकुट चंद्रमा है,जिनके बाल लाल नाग के हार से बंधे हैं,
  • जिनका पायदान फूलों की धूल के बहने से गहरे रंग का हो गया है,
  • जो इंद्र, विष्णु और अन्य देवताओं के सिर से गिरती है।
  • शिव के बालों की उलझी जटाओं से हम सिद्धि की दौलत प्राप्त करें,
  • जिन्होंने कामदेव को अपने मस्तक पर जलने वाली अग्नि की चिनगारी से नष्ट किया था,
  • जो सारे देवलोकों के स्वामियों द्वारा आदरणीय हैं,

जो अर्ध-चंद्र से सुशोभित हैं।

  • मेरी रुचि भगवान शिव में है, जिनके तीन नेत्र हैं,
  • जिन्होंने शक्तिशाली कामदेव को अग्नि को अर्पित कर दिया,
  • उनके भीषण मस्तक की सतह डगद् डगद्… की घ्वनि से जलती है,
  • वे ही एकमात्र कलाकार है जो पर्वतराज की पुत्री पार्वती के स्तन की नोक पर,सजावटी रेखाएं खींचने में निपुण हैं।
  • भगवान शिव हमें संपन्नता दें,वे ही पूरे संसार का भार उठाते हैं,
  • जिनकी शोभा चंद्रमा है,जिनके पास अलौकिक गंगा नदी है,
  • जिनकी गर्दन गला बादलों की पर्तों से ढंकी अमावस्या की अर्धरात्रि की तरह काली है।
  • मैं भगवान शिव की प्रार्थना करता हूं, जिनका कंठ मंदिरों की चमक से बंधा है,
  • पूरे खिले नीले कमल के फूलों की गरिमा से लटकता हुआ, जो ब्रह्माण्ड की कालिमा सा दिखता है।

जो कामदेव को मारने वाले हैं,

  • जिन्होंने त्रिपुर का अंत किया,
  • जिन्होंने सांसारिक जीवन के बंधनों को नष्ट किया, जिन्होंने बलि का अंत किया,
  • जिन्होंने अंधक दैत्य का विनाश किया, जो हाथियों को मारने वाले हैं,
  • और जिन्होंने मृत्यु के देवता यम को पराजित किया।
  • मैं भगवान शिव की प्रार्थना करता हूं, जिनके चारों ओर मधुमक्खियां उड़ती रहती हैं
  • शुभ कदंब के फूलों के सुंदर गुच्छे से आने वाली शहद की मधुर सुगंध के कारण,
  • जो कामदेव को मारने वाले हैं, जिन्होंने त्रिपुर का अंत किया,
  • जिन्होंने सांसारिक जीवन के बंधनों को नष्ट किया, जिन्होंने बलि का अंत किया,
  • जिन्होंने अंधक दैत्य का विनाश किया, जो हाथियों को मारने वाले हैं,
  • और जिन्होंने मृत्यु के देवता यम को पराजित किया।

शिव, जिनका तांडव नृत्य

  • नगाड़े की ढिमिड ढिमिड तेज आवाज श्रंखला के साथ लय में है,
  • जिनके महान मस्तक पर अग्नि है, वो अग्नि फैल रही है नाग की सांस के कारण,
  • गरिमामय आकाश में गोल-गोल घूमती हुई।
  • मैं भगवान सदाशिव की पूजा कब कर सकूंगा, शाश्वत शुभ देवता,
  • जो रखते हैं सम्राटों और लोगों के प्रति समभाव दृष्टि,
  • घास के तिनके और कमल के प्रति, मित्रों और शत्रुओं के प्रति,
  • सर्वाधिक मूल्यवान रत्न और धूल के ढेर के प्रति,
  • सांप और हार के प्रति और विश्व में विभिन्न रूपों के प्रति?
  • मैं कब प्रसन्न हो सकता हूं, अलौकिक नदी गंगा के निकट गुफा में रहते हुए,

अपने हाथों को हर समय

  • बांधकर अपने सिर पर रखे हुए,
  • अपने दूषित विचारों को धोकर दूर करके, शिव मंत्र को बोलते हुए,
  • महान मस्तक और जीवंत नेत्रों वाले भगवान को समर्पित?
  • इस स्तोत्र को, जो भी पढ़ता है, याद करता है और सुनाता है,
  • वह सदैव के लिए पवित्र हो जाता है और महान गुरु शिव की भक्ति पाता है।
  • इस भक्ति के लिए कोई दूसरा मार्ग या उपाय नहीं है।
  • बस शिव का विचार ही भ्रम को दूर कर देता है।

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