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शहद के चमत्कारी उपयोग : प्रकार, प्रकृति व फायदे जानिए !

नमस्कार दोस्तों ! शहद के चमत्कारी उपयोग ; प्रकार, प्रकृति और फायदे जानिए ! हमारे देश में शहद की उपयोगिता बच्चे के जन्म लेने से ही शुरू हो जाती है जन्म लेने के साथ ही बच्चे के मुख में शहद से सोने की सलाई से ॐ लिखा जाता है। जो यह बताता है कि प्रकृति में सबसे पवित्र शहद है और यह निरापद भी है।

आज हम जानेंगे कि शहद कितने प्रकार का होता है इसकी तासीर या प्रकृति क्या होती है तथा इसे औषधि के रूप में किस प्रकार उपयोग में लाया जाता है। तथा अलग अलग तरह का शहद किस तरह से बनाया जाता है। यह अत्यंत ही महत्वपूर्ण जानकारी है अतः इसे अंत तक पढ़ें।

शहद की चमत्कारी प्रकृति या तासीर के अनुसार उपयोग !

यह ना तो गर्म होता है और ना ही ठंडा प्रकृति का होता है।

शहद की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि यह जिस औषधि के साथ मिलाया जाता है।

उसी औषधि की प्रकृति को ग्रहण कर लेता है इसीलिए इसे योग वाही कहते हैं।

अर्थात जिस चीज के साथ इसका योग किया जाए उसी के गुणों का वाहक बनकर औषधि के गुणों को बढ़ा देता है।

जैसे सर्दियों में कफ या खांसी होने पर अदरक के रस के साथ शहद मिलाने से

यह गर्म प्रकृति का होकर कफ को शांत करता है।

लेकिन यही शहद गर्मी के दिनों में ठंडाई के साथ मिलाकर पीने से ठंडक देता है।

इसीलिए आयुर्वेद में बहुत सी औषधियों के साथ शहद को मिलाकर लेने का विधान बताया गया है।

क्योंकि यह औषधि के साथ मिलकर औषधि के गुणों को बढ़ा देता है।

शहद के चमत्कारी गुण व उपयोग क्या है !

यह शरीर में उपस्थित तीनों दोषों वात, पित्त और कफ को बैलेंस रखता है।

दूसरे शब्दों में पंच तत्वों से बने हुए इस शरीर के पांचों तत्व धरती, वायु, आकाश, अग्नि और जल में से

यदि कोई भी तत्व शरीर में बढ़ा हुआ हो तो यह उसे बैलेंस कर देता है।

किंतु यदि कोई तत्व घटा हो तो उसको बड़ा नहीं सकता ।

इसीलिए इसे एक निश्चित और सीमित मात्रा में खाना चाहिए।

यह आग की तरह है अर्थात एक फ्यूल है जैसे ही शरीर में पहुंचता है वैसे ही यह तुरंत शरीर में लग जाता है ।

अर्थात कोई भी चीज जब हम खाते खाते हैं तो वह धीरे-धीरे पचती है ।

लेकिन शहद शरीर में जाते ही अपना असर दिखाने लगता है।

इसी कारण इसे कमजोरी लगने या घबराहट होने पर तुरंत शहद चटाया जाता है,

ताकि यह तत्काल कैलोरी की कमी को पूरा कर सके।

यह इंफेक्शन से बचाता है और एंटीबैक्टीरियल होता है ।तत्काल एनर्जी देता है। (शहद के चमत्कारी उपयोग)

लेकिन इससे रूखा और ज्यादा खाने पर इसकी प्रकृति ठंडी हो जाती है ।

अर्थात यह अति करने पर नुकसानदायक होता है। अतः हमेशा इसे सीमित मात्रा में ही खाना चाहिए ।

शहद के प्रकार या इसे बनाने का तरीका !

शहद कई प्रकार का होता है। यह मधुमक्खियों द्वारा पेड़ों पर छाता बनाकर इकट्ठा किया जाता है ।

जिसमें मधुमक्खियों को एक खास तरह के बगीचे में रखकर बनाया जाता है।

जिस तरह का बगीचा होता है उसी तरह का शहद तैयार होता है ।

जैसे तुलसी के बगीचे से तैयार किया शहद, नीम के उद्यान से और फूलों के पराग से तथा

विभिन्न औषधीय और वनस्पतियों के बगीचे से एकत्रित किया गया शहद उसी औषधि के नाम से बिकता है।

जैसे तुलसी हनी, नीम हनी इस प्रकार से बहुत सारे फूलों के बगीचे से लिया हुआ शहद मल्टीफ्लोरा शहदकहलाता है

इस तरह 50 तरह का शहद मिलता है। सभी शहद उत्तम प्रकृति के होते हैं।

किंतु गुड़ का शहद सबसे घटिया कहलाता है जो गुड़ से तैयार किया जाता है।

इसके लिए ऐसे सुनसान स्थान पर जहां कोई पेड़ पौधा या फूल नहीं होता उस स्थान पर

केवल गुड के ढेले यहां वहां रख दिए जाते हैं जिससे मधुमक्खी शहद बना देती है।

उससे तैयार गुड़ का शहद सबसे घटिया प्रकृति का कहलाता है और यह नुकसान करता है।(शहद के चमत्कारी उपयोग)

शहद खाने के फायदे!

(शहद के चमत्कारी उपयोग)

प्राकृतिक रूप से यह हमारे खून के तरह ही है। यह तत्काल शरीर में घुल मिल जाता है ।

और रक्त को शुद्ध करता है तथा मनुष्यों की बौद्धिक क्षमता को बढ़ाता व स्मृति को बढ़ाता है।

यह मानसिक प्रसन्नता को बढ़ाने वाला है तथा शरीर से समस्त रोगों को मिटा देता है।

यह शरीर के भीतर जाकर स्निग्धता प्रदान करता है और एक मल्हम की तरह कार्य करता है।

इसकी बाहरी प्रयोग खूबसूरती बढ़ाने के लिए चेहरे तथा बालों में भी किये जाते हैं।

इसका सीधा सीधा असर शरीर पर पड़ता है जिससे त्वचा स्निग्ध और मुलायम हो जाती है।

गुनगुने पानी के साथ में शहद को मिलाकर पीने से यह शरीर की चर्बी घटाता है।

इसी तरह शहद के और भी बहुत से रोगों में चमत्कारी उपयोग होते है।

शहद को कभी गर्म करके नहीं खाना चाहिए। तथा बराबर मात्रा में घी और शहद का उपयोग नहीं करना चाहिए।

यह जहर के समान हो जाता है।

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