माँ के रूप अनेक हैं ! कहीं किसी रूप को आप अनदेखा तो नहीं कर रहे ! (मातृदिवस पर विशेष)Mother's forms are many! Are you ignoring some form somewhere (Special on Mother's Day) Total Post View :- 1314

माँ के रूप अनेक हैं ! कहीं आप अनदेखा तो नहीं कर रहे ! (मातृदिवस पर विशेष)

माँ के अनेक रूप हैं ! कहीं किसी रूप को आप अनदेखा तो नहीं कर रहे !आज बात करेंगें माँ की। सभी अपनी माँ को बहुत प्यार करते हैं। फिर वो पशु-पक्षी हो, या मनुष्य। ये वो बातें हैं जो अनजाने में माँ के प्रति समाज मे देखने में आ रही हैं।

चलिये चिंतन करें माँ का-

जी हाँ ! जन्म देने वाली स्त्री माता होती है। सबसे पहला और सबसे बड़ा तो यही एक ऋण हैं। जो इस मनुष्य योनी में हमे लाने का माध्यम बनता है।

आपका सौभाग्य ही आपको ऐसी कोख देता है । जहाँ आप जन्म लेकर संस्कारित होते हैं।

बड़े सौभाग्य से ही माँ मिलती है किन्तु आसानी से मिलने के कारण, उसकी कदर नहीं होती।

जीवन के प्रत्येक रिश्ते किसी न किसी स्वार्थ पर खड़े होते है, फिर चाहे बदले में प्रेम ही अपेक्षित क्यों न हो।

किन्तु माँ तो कभी बदले में प्रेम भी नहीं चाहती, वह तो बस अपनी संतान की बेहतरी और कामयाबी ही चाहती है।

मेरी इस बात से, इसे पढ़ने वाली हर माँ सहमत होगी ! इतना निःस्वार्थ प्रेम सिर्फ और सिर्फ ईश्वर करता है।

लेकिन ईश्वर भी आपके कर्मों के हिसाब से आपको फल देता है, पर माँ कभी आपके कर्म याद नही रखती।

क्योंकि उसे कोई हिसाब नही चुकाना आपको! वह तो अपने कर्म भी आपको समर्पित कर देती है।

तभी तो आप अचानक से बड़े होकर समाज मे सम्मानित हो जाते हैं, तो कहीं बिजनेस में सफल होने लगते हैं।

कभी कभी अपनी योग्यता से भी बढ़कर सफलता हासिल कर लेते हैं और कभी बहुत बड़ी जॉब मिल जाती है।

आप सोचते हैं आपका परिश्रम सफल हुआ। आप भूल जाते हैं एक कोने में भगवान के दरवाजे पर मस्तक झुकाती माँ को।

जो शायद आपसे कम पढ़ी लिखी है, पर उसकी याददाश्त इतनी तेज है कि

जन्म से लेकर आज तक अपने से पहले आपको याद करना कभी नहीं भूलती।

माँ के अनेक रूप हैं ! Mother has many forms!

  • माँ के अनेक रूप होते हैं। कहीं किसी रूप को आप अनदेखा तो नहीं कर रहे।
  • माता का यही निःस्वार्थ प्यार पाने के लिए तो भगवान श्रीकृष्ण, व श्रीराम तक ने मानव शरीर को धारण किया।
  • आज माँ नामक रिश्ता शाब्दिक रूप जितना छोटा है, उतना ही आपके जीवन मे महत्वपूर्ण और मजबूत है।
  • हमारे देश मे आज भी माँ शब्द मुख में आते ही मन मस्तिष्क व शरीर मे मुलामियत का अहसास होता है।
  • हम माँ से प्रेम तो बहुत करते हैं पर उसे इज्जत देना भूल जाते हैं।
  • उसी ने तो हमे इज्ज़तदार बनाया है। अब हम उसे कायदे सिखाते हैं।
  • ऋण जो उतारना है। भूल जाते हैं कि माँ के सामने हम नँगे पैदा हुए थे ।
  • हम असभ्य थे बिस्तर में सूसू करते थे। खाने का तरीका भी नहीं जानते थे।
  • लोगों के सामने बदतमीजी करते थे और तब माँ हँसते हुए दुलराते हुए अपनी गोद मे छिपा लेती थी।
  • इस डर से कि कहीं आपको कोई बुरा न कह दे। आपको अकेले में आपकी गलतियाँ गिनाती थी।
  • मारती भी थी, डांटती भी थी, पर ये ध्यान हमेशा रखती थी कि ये सब कोई देखे न ।
  • कभी किसी के सामने बेइज्जत नहीं होने दिया। हमे इज्ज़तदार बनाने वाली माँ ही है।

माँ को समझें, उसकी इज्जत करें! Understand mother, respect her!

  • आज उसी की हरकतों से हमारी बेइज्जती हो जाती है, क्योंकि वो ऊंचा सुनती है, जोर के बोलती है।
  • खाते हुए मुँह से आवाज करती है, असभ्य है। कपड़े मिसमैच पहनती है।
  • अब तो हमेशा बीमार भी रहती है, स्मार्ट नहीं है, एक्टिव नही है। चल भी नहीं पाती, कहीं ले जाना भी मुश्किल है।
  • आप भूल गए कि ये वही माँ है जो आप नहीं चल पाते थे तो आपको गोद मे उठा कर ले जाती थी।
  • पूरा सफर आपको गोद मे बिठाकर पूरा करती थी, पर कभी आपको छोड़कर कहीं नही जाती थी।
  • उसने आपके लिए कभी आया या नर्स नहीं ढूंढी आपका मलमूत्र भी प्रेम से उठाया है।
  • तो क्या हुआ हम अच्छे से अच्छी व्यवस्था करते हैं, सारे साधन जुटाते हैं !
  • कोई कष्ट न हो माँ को इसलिए नौकर चाकर हैं मशीनी यंत्र सभी तो हैं। अब उनके भाग्य में ही सुख नहीं है तो क्या कर सकते हैं।
  • पर माँ ने तो हमारे भाग्य में सुख लिखा था, उसने नौकर-चाकर तो क्या कभी भगवान के भरोसे भी हमें नहीं रखा है।
  • सच मे उसके भाग्य में सुख नही है , क्योंकि अपने भाग्य का सुख उसने हमें जो दे दिया है।
  • माँ के अनेक रूप हैं जिसे जो भा जाए उसे ही हमे जपना है। क्या हम भी माँ जैसा बन सकते हैं !

वैशाख माह में दान किन वस्तुओं का करना चाहिए ! Which items should be donated during the month of Baishakh!

बच्चों को न बनाएं बोनसाई वृक्ष !!

सृष्टि के अनेक रूप में सबसे सुंदर रचना माँ ही है! Mother is the most beautiful creation in many forms of the universe!

  • सृष्टि के अनेक रूप में सबसे सुंदर रचना माता ही है । भगवान भी ऐसा सृजन दूसरा नहीं कर पाया।
  • शायद इसलिये कि इतने रस, इतने रूप और इतनी महानता वह स्वयं भी दुबारा नहीं सोच पाया ।
  • पर हम तो इसे कर्तव्य मानते हैं, जिसे हर माँ को करना ही चाहिए।
  • अब जन्म दे दिया तो खरीद थोड़े ही लिया है, बदले में हम भी खिला रहें है , सब सुविधाएं दे रखीं है।
  • सुविधाओं से याद आया, जब हम छोटे थे बोल नहीं पाते थे, बल्कि खुद भी समझ नहीं पाते थे,
  • कि हमें क्या असुविधा हो रही है लेकिन माँ तब भी सब जानती थी,
  • और बिना मांगे ही सब सुविधा उपलब्ध कर देती थी। भूख लगते ही सब काम छोड़कर खाना देती थी।
  • घर मे कुछ न भी हो, केवल माँ हो तो बच्चे कभी भूखे नहीं रहते। जैसे माँ कोई कल्पवृक्ष हो।
  • सच माँ कामधेनु से कम नहीं है, वह सच में कल्पवृक्ष है , जो मांगा है वही पाया है।
  • ईश्वर से प्रार्थना करो या न करो, कभी माँ से कोई इच्छा करके देखना, वह अवश्य पूरी होगी।
  • माँ के चरणों मे भगवान का वास होता है। इन्ही चरणों की धूल को भगवान ने भी अपने मस्तक पर लगाया है।

कहीं आप अनदेखा तो नहीं कर रहे माँ के अनेक रूपों में से किसी रूप को ! Are you not ignoring any of the many forms of mother?

  • आप भी चैक करें, अनजाने में कहीं आप अनदेखा तो नहीं कर रहे माँ के अनेक रूपों में से किसी रूप को!
  • जी हाँ ! कहते है, वृद्धावस्था बचपन का रूप होता है। जो बचपन हमने अपनी माँ की गोद मे गुजारा है।
  • आज वही बचपन रूप बदलकर वृद्ध माँ के रूप में हमारे सामने है।
  • उसकी हर स्थिति में अपना बचपन याद करेंगे तो आप ये बात समझ जाएंगे कि हम कर्जदार हैं, हम तो माँ जैसे तब भी नहीं बन सकते ।
  • क्योंकि देने वाला हमेशा श्रेष्ठ होता हैऔर माँ ने हमें हमेशा दिया ही है ।
  • हम कुछ भी कर लें तो भी उसे देने वाले हम बन ही नहीं सकते।
  • आपका कर्ज सिर्फ आप ही चुका सकते हैं, नौकर-चाकर, मशीनी तंत्र या कोई अन्य नहीं।
  • आज अवसर है ऋण हल्का करने का, ताकि दुबारा कभी जन्म हो तो माँ की छत्रछाया जीवन भर बनी रहे।
  • अन्यथा जिस चीज की इज्जत करना आप नही जानते वह चीज आपको दुबारा नहीं मिलती।
  • हम सभी माँ को बहुत प्यार करतें हैं पर अनजाने में या कभी जानबूझकर उसकी इज्जत नहीं करते।
  • पर ये याद रखियेगा, जहाँ माँ मुस्कुराती हैं , वहाँ भगवान भी आते जाते रहते हैं।
  • माँ के आँसू भगवान भी सहन नहीं करते हैं, क्योंकि वे भी तो माँ की पूजा करते हैं।
  • भगवान की सबसे सुंदर कलाकृति माँ ही है, उसे मुस्कान रूपी गहने से सजाइये।
  • माँ के जैसे बनिए, माँ ने कभी हमारी जिम्मेदारी किसी को नहीं सौंपी।
  • हमारे लिए किसी का भरोसा नहीं किया। जो किया खुद ही सब किया।
  • आज हमारी बारी है। आइये माँ को मुस्कान रूपी गहने से सजाएं। और मातृदिवस मनाएं।

माँ को कैसे करें खुश! https://youtu.be/D4rstuNC2Ng

चिंतन करें ! Ponder!

  • माँ के रूप अनेक हैं ! कहीं किसी रूप को आप अनदेखा तो नहीं कर रहे ! (मातृदिवस पर विशेष)
  • इस आर्टिकल के जरिये हमने माँ के प्रति ममता जगाने का प्रयास किया है।
  • यदि आपको हमारा प्रयास उचित लगता है तो इसे अपने मित्रों व प्रियजनों को शेयर करें।
  • आपके प्रयासों से यदि कोई भी माँ मुस्कुराएगी तो भगवान आपके घर भी आएंगे।
  • ऐसे ही अन्य रोचक लेख पढ़ने के लिए हमारी बेबसाईट देखें ।
  • http://Indiantreasure. in


Spread the love

5 thoughts on “माँ के रूप अनेक हैं ! कहीं आप अनदेखा तो नहीं कर रहे ! (मातृदिवस पर विशेष)

  1. वाह.. बहुत बढ़िया… 🙏👌💞मातृदिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं…🙏👑💐🎉🎊

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!