बारिश की रिमझिम फुहारें शायद ही किसी के मन को झंकृत न कर पाती होंगी। भीगी भीगी हवा सरसराती हुई जब पास से गुजरती है तो लगता है मानो मन प्राण नई ऊर्जा से भर उठे हों । जैसे प्रकृति, पेड़पौधे, पशुपक्षी सभी बारिश के मौसम में विशेष तैयारी करते है ऐसा लगता है जैसे कोई विशिष्ट मेहमान आने वाले हैं जिसकी तैयारी में सारी प्रकृति पृथ्वी को सजाने में जुट गई है। जी हाँ यहाँ से आरम्भ होता है चतुर्मास का ! भगवान विष्णु के योगनिद्रा में लीन होने का एवम भोलेनाथ का अपने गणों सहित सपरिवार पृथ्वी में आगमन का।
आपने कभी सोचा है कि हम सीमेंट लोहे से बने मकान की कितनी सुरक्षा करते हैं जिसमे हमारे इस नश्वर शरीर को रहना है, और वही दूसरी ओर उस अनश्वर आत्मा के मकान अपने शरीर के बारे में कुछ नही सोचते।आइये अपनी आत्मा व इस शरीर की शुद्धि के कुछ उपाय करते हैं। बारिश के ये 4 माह चतुर्मास भी कहलाते हैं। इन चार महीनों में भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं। ये चतुर्मास 1जुलाई देवशयनी एकादशी से प्रारम्भ होकर 25 नवम्बर देवउठनी एकादशी को समाप्त हो जाएंगे।
ये चार महीने आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं।वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो बारिश के कारण बारिश में मौसम में नमी की अधिकता रहती, जिस कारण सभी बैक्टीरिया व वायरस का जन्म होता है तथा तेजी से कोई भी संक्रमण फैलता है। रातें अंधेरी होती हैं, चारो तरफ पानी ही पानी होता है और अन्य जीवजन्तु भी जो गर्मियों में धरती के भीतर छिपे रहते हैं जहरीले सांप इत्यादि भी बाहर निकल आते हैं। इसके अलावा हमारी पाचन शक्ति भी कमजोर हो जाती है और हमारा इम्यून सिस्टम बिगड़ जाता है,जिससे नए नए रोग शरीर पर हमला करने लगते हैं।
आध्यात्मिक दृष्टि से देखें तो हमारे शरीर की बैटरी आत्मा है, ओर श्रीविष्णु उस बैटरी (आत्मा )का चार्जर हैं।और इस समय हमारी आत्मा का चार्जर यानी श्री विष्णु जी सो रहें हैं तब ऐसी स्थिति में अपनी बैटरी को कम खर्च करें ताकि चार्जिंग का समय आते तक बहुत अच्छे से आपकी बैटरी चल सके।
ऐसा भी माना जाता है कि भगवान विष्णु जी के योगनिद्रा के समय धरती पर पालन पोषण व देखरेख का भार महादेव व उनके परिवार पर रहता है इसलिए भोलेशंकर अपने परिवार व गणों सहित धरती पर विचरण करते हैं।अतः इन चतुर्मासो में शिवजी के समस्त परिवार की प्रसन्नता हेतु पूजा की जाती है।
न्ही आध्यात्मिक, धार्मिक व वैज्ञानिक कारणों से पृथ्वी पर जीवन संचालन के कुछ नियम हमारे पूर्वजों द्वारा बनाये गए थे, जिनका जितना हो सके हमें पालन करना चाहिए।
वे नियम है
1. चतुर्मास में यात्रा या अनावश्यक विहार का परित्याग करें।
2. सात्विक भोजन करें। पत्तेदार सब्जियां, दही, मांस का परित्याग करें।
3. किसी भी प्रकार के नशे का परित्याग करें।
4. देर रात भोजन, शयन व विचरण( बाहर घूमना) का परित्याग करें।
अब कुछ करने योग्य नियम है जिनका पालन हमे अवश्य ही करना चाहिए, वे हैं…
1. इन चतुर्मासों मे भगवान विष्णुजी की प्रसन्नता हेतु प्रतिदिन उनके नाम का जप या स्मरण अवश्य करें। हो सके तो गीताजी का पाठ अवश्य करें।
2. भगवान भोलेशंकरजी की प्रसन्नता हेतु महादेवजी के सम्पूर्ण परिवार की पूजा प्रार्थना अवश्य करें।
3. रात का भोजन कम करें व कम से कम इन चार महीनों में हमारा शाम का भोजन छह बजे तक अवश्य कर लें, इससे बारिश में होने वाली पेट सम्बन्धी समस्या से भी हम मुक्त हो जाएंगे।
4. स्नान के पानी मे कुछ बूंदे डेटॉल की अवश्य डालें।
5. स्वयं की इक्छा से किसी भी एक वस्तु का परित्त्याग अवश्य करें।( जैसे कोई भोजन चावल, दाल, सब्जी या चाय कॉफ़ी या कोई नशा की वस्तु या ऐसी कोई वस्तु जो आप नियमित प्रतिदिन करते हों )
6. तेल मिर्च मसाला पूर्णरूप से बंद कर दे। किसी भी तरह के फल आवश्यक न हो तो न खाएं। सेवफल खाया जा सकता है।
इस तरह प्रकृति के नियमों का धर्म और अध्यात्म के साथ वैज्ञानिकता को ध्यान में रखते हुए इन चतुर्मासों मे पालन कर हम स्वयं को स्वस्थ व प्रसन्न रख सकते हैं। इन नियमो के पालन में किसी भी पूर्वाग्रह से न बंधते हुए पूरे मन से चतुर्मास का पालन करना चाहिए।अतः भगवान विष्णु को समर्पित यह चतुर्मास , भगवान भोलेनाथ की भक्ति से सराबोर और प्रकृति का अतिसुन्दर मनोहारी वातावरण स्वमेव ही मन को पवित्र व भक्तिमय कर देता है।इस समय जो भी साधना की जाती है वह शीघ्र फलदायी होती है।
अतः कोई भी एक संकल्प या व्रत जरूर लें ,जो इन चतुर्मासों में हम पूरी श्रद्धा व भक्ति से पालन करें। वो संकल्प या व्रत कुछ भी हो सकता है। जैसे…
1. एक समय भोजन करना। या
2. कोई एक अन्न का भोजन करना।या
3. दो बार स्नान करना। या
4. विष्णु सहस्रनाम का प्रतिदिन पाठ करना। या
5. ॐ विष्णुवे नमः का जप प्रतिदिन करना। या
6. ॐ नमः शिवाय का जप प्रतिदिन करना। या
7. प्रतिदिन विष्णु जी की आरती करना। या
8. प्रतिदिन महादेवजी की आरती करना। या
9. प्रतिदिन किसी भी मंदिर में दर्शन हेतु जाना। या
10. प्रतिदिन कोई भी वस्तु दान करना। आदि ऐसा कोई भी संकल्प जो आपको सरल लगे और जिसका निर्वाह आप चतुर्मास में प्रतिदिन बिना किसी बाधा के कर सकते हों जरूर करना चाहिए व घर के प्रत्येक सदस्यों को भी इस हेतु प्ररेरित करना चाहिए। भक्ति भूखे रहने में नही है भक्ति का मतलब है त्याग और ध्यान।
अतः ईश्वर की प्रसन्नता हेतु कुछ भी छोटी से छोटी बात या वस्तु का हाथ मे जल लेकर चतुर्मास में पूर्ण परित्याग य पालन हेतु संकल्प लेकर भगवान विष्णु का ध्यान कर पूर्ण श्रद्धा भाव से पालन करना ही चाहिए इससे जीवन मे नया उत्साह व ऊर्जा का संचार होता है जिसकी ताकत आप स्वयं महसूस करेंगे।
नमस्कार! मैं रेखा दीक्षित अपने चैनल में आपका स्वागत करती हूं । मैं एडवोकेट, ब्लॉगर , और यूट्यूबर हूं। मेरी शिक्षा दीक्षा व जन्म बालाघाट में हुआ । मेरी लेखनी मेरे पिता से पूरी तरह प्रभावित है। मेरा अध्ययन मनोविज्ञान, समाजशास्त्र, हिंदी साहित्य, राजनीति शास्त्र, विधिविज्ञान, धर्म दर्शन व महापुरुषों की जीवनी या इन पर आधारित है। तथा मेरे जीवन में मेरे अध्ययन का बहुत बड़ा योगदान है। अपने अनुभव एवं ज्ञान के आधार पर मैंने अपने चैनल को सजाया और संवारा है । संपर्क करें : info.indiantreasure@gmial.com