वात दोष के कारण जानने के लिए हमें इसकी जड़ तक जाना होगा। हमारे शरीर में तीन वात, पित्त और कफ प्रकृति पाई जाती हैं। इन तीनों तत्वों का संतुलन शरीर को स्वस्थ रहता है और किसी भी एक तत्व की या अनेक तत्व की अधिकता या कमी होने से उस तत्व से संबंधित दोष कहलाता है ।
आज हम इस आर्टिकल में वात दोष से संबंधित चर्चा करेंगे जिसमें आप पाएंगे वात दोष क्या है, इसके क्या लक्षण है , इसके कुपित होने या बढ़ने के क्या कारण है और इसमें क्या खाना चाहिए , क्या नहीं खाना चाहिए ।
रोगों से संबंधित सामान्य जानकारी से हम रोगों से अपना बचाव स्वयं कर सकते हैं । और रोग उत्पन्न होने पर डॉक्टर की दवाइयों के अलावा स्वयं से ही परहेज करके, अपने रोग को जल्दी ठीक भी कर सकते हैं। यह लेख आपको वात दोष से संबंधित तकलीफों से छुटकारा प्रदान करने में अवश्य मदद करेगा। अतः इसे सावधानी से ध्यान पूर्वक अंत तक पढ़े।
वात दोष का कारण क्या है !
- हमारा शरीर पंच तत्वों से बना हुआ है । यह पांच तत्व है अग्नि, जल, वायु, आकाश और पृथ्वी।
- यही पांच तत्व हमारे शरीर में मौजूद होते हैं । और इन्हीं को हम ग्रहण करते हैं ।
- इसमें जिस तत्व की अधिकता होती है । उसे हम उस तत्व का कुपित होना या बढ़ जाना कहते हैं ।
- जब किसी तत्व की कमी होती है तो उससे हम उसका क्षीण होना कहते हैं।
- अब इन पांच तत्वों में वायु से सम्बंधित तत्व वायु और आकाश ।
- वायु का अर्थ है हवा और आकाश का मतलब रिक्त स्थान स्पेस या खाली स्थान कहलाता है।
- जिस समय हमारे शरीर में वायु और खाली स्थान यह दो तत्वों की अधिकता हो जाती है ,
- तब इससे बनने वाला वायु दोष कुपित हो जाता है अर्थात बढ़ जाता है।
- और इसी बड़े हुए दोष को हम वात दोष कहते हैं।
- अर्थात वायु दोष का कारण शरीर में हवा या खाली स्थान का बढ़ जाना होता है।
वात दोष के लक्षण !
- इसे जानने के लिए बहुत ही आसान तरीका है कि हम यह समझे कि वात या वायु को क्या पसंद है।
- तो वात को तरावट पसंद है अर्थात चिकनाई, ऑइल और स्मूदनेस पसंद है ।
- इसे खुश्की नापसंद है अर्थात रूखी सुखी चीजें ना पसंद है।
- स्पष्ट होता है कि वात दोष बढ़ने का मतलब है कि आपके शरीर में खुश्की बढ़ चुकी है ऑयल की कमी हो गई है।
- खुश्की में वायु बढ़ जाती है अर्थात वात दोष कुपित हो जाता है ।
- हमारे शरीर में 206 हड्डियां हैं । प्रत्येक हड्डी के संचालन के लिए उसमें तरावट, ग्रीस या लुब्रिकेंट की आवश्यकता होती है।
- जो हमें तेल और घी से प्राप्त होता है । जब इसकी कमी हो जाती है तो हड्डियों में घर्षण होने लगता है
- शरीर में विभिन्न तरह के दर्द उत्पन्न होते हैं।
- शरीर का रूखापन और शरीर में किसी भी प्रकार का दर्द वात का प्रमुख लक्षण माना जाता है।
- वात दोष से बचने के लिए उसके उपचारों में सबसे पहले वातज चीजों का निषेध करना चाहिए।
- तो आइए जानते हैं कि वह दोष में क्या नहीं खाना चाहिए।
वात दोष में क्या नहीं खाना चाहिए !
- वायु और आकाश यह वात दोष के प्रमुख तत्व हैं। यह दोनों तत्व जब गड़बड़ होते हैं तभी वात दोष उत्पन्न होता है।
- इनके गड़बड़ होने के तीन प्रमुख कारण है जो हमारे आहार में जुड़े हुए हैं।
- जिनमें पहला है खुश्क आहार – इसमें ड्राई फ्रूट्स, चाय, रुखा सुखा भोजन, बिना ऑयल या घी का भोजन करना, लंबे समय तक भूखे रहना ,
- ज्यादा व्रत करना और ज्यादा खाना , जिसे वात वालों को नहीं करना चाहिए।
- दूसरा बासी आहार – रात का भोजन, फ्रिज में रखा हुआ भोजन, फ्रिज का पानी, फ्रिज के मसाले और बाहर रखे हुए भोजन को भी बार-बार गर्म करके खाना यह सभी बासी खाना कहलाता है।
- जिस समय वात दोष बहुत अधिक बढ़ा हुआ है ऐसे में चावल नहीं खाना चाहिए।
- जिनका सामान्य वात है वह चावल में तेजपात और बड़ी इलायची डालकर खा सकते हैं।
- इस प्रकार बासी भोजन भी वात को बढ़ाने वाला होता है।
- तीसरा ठंडी चीजें – केवल फ्रीज में रखी चीजें ही ठंडी नहीं होती हैं ।
- कच्चा सलाद बार-बार और ज्यादा मात्रा में खाना तथा ठंडी तासीर वाले आहार खटाई और पत्तेदार सब्जियां ठंडा भोजन करना यह सभी वात को बढ़ा देते हैं ।
- ऐसी स्थिति में जिनका वात दोष पहले से ही बढ़ा हुआ हो उनको इन चीजों से परहेज करना चाहिए ।
- वात को गर्मी पसंद है इसीलिए हल्का गरम शरीर रखना चाहिए।
- एसी कूलर तथा ज्यादा देर पानी में गीले रहना ठंडे मौसम में रहना वात वालों को अवॉइड करना चाहिए
वात दोष में क्या खाना चाहिए !
- शरीर में ऑयल की या चिकनाई की कमी ना होने पाए ऐसा भोजन करना चाहिए ।
- इसीलिए वात दोष से पीड़ित व्यक्तियों को अपने आहार में घी, तेल और फैट वाली चीजों का सेवन करना चाहिए।
- गाय का दूध, ताजा पनीर, मक्खन और नमकीन छाछ आदि का सेवन करना चाहिए
- वात को गर्मी पसंद है अतः गर्म तासीर वाले आहार करना चाहिए ।
- जैसे गेहूं, तेल, अदरक, लहसुन और गुड़ से बनी हुई चीजों को खाना चाहिए ।
- ड्राय फ्रूट को घी में तलकर या बादाम, कद्दू के बीज, तिल,व सूरजमुखी के बीजों को पानी में भिगोकर खाना चाहिए।
वात दोष का निवारण !
- आहार चिकित्सा के बाद प्राकृतिक चिकित्सा को अपनाना चाहिए।
- जिसमें तेल मालिश का विशेष स्थान है क्योंकि वात को तेल, चिकनाई और गर्मी पसंद है ।
- मालिश से चिकनाई और गर्मी दोनों ही शरीर में पहुंचती है, जिससे वात नष्ट होता है।
- मालिश के लिए तिल का तेल जिस की तासीर गर्म होती है और जिस में चिकनाई भी ज्यादा मात्रा में होती है,
- अतः इस तेल की मालिश अवश्य करनी चाहिए।
- प्रतिदिन नहाने के पश्चात नाक में, नाभि में, गुदा में, पैरों के तलवे में और सिर में, 5 प्रकार से तेल का उपयोग अवश्य करना चाहिए।
- नारियल तेल से ऑयल पुलिंग भी अवश्य करें इससे हुए वात दोष में तत्काल राहत मिलती है।
- इसे आयुर्वेद में गंडुष क्रिया कहा जाता है इससे वात दोष का शमन होता है।
इस प्रकार वात दोष का कारण इसके लक्षण और इसमें क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए तथा इसके निवारण संबंधी उपचार की समस्त जानकारी आपको देने का प्रयास किया है। इसे अपनाकर आप अपने शरीर में कुपित हुए वात दोष को अवश्य शांत कर सकते हैं। पोस्ट से संबंधित जानकारी अच्छी लगी हो तो इससे सभी को शेयर करें ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें । और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकें । ऐसी ही छोटी-छोटी किंतु महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए देखते रहे आपकी अपनी वेबसाइट
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वात रोग निवारण हेतु सरल उपाय बताये गये धन्यवाद🙏
धन्यवाद दीदी 🙏