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कैसे व कब करें दीपदान ; जानिए दीपदान का महत्व व मन्त्र! How and when to do Deepdaan; Know the importance and mantra of Deepdaan


कार्तिक के इस पवित्र महीने में कैसे करें दीपदान? और दीपदान का क्या महत्व है?
तथा कौन से तिथियों पर दीपदान किया जाना चाहिए? व दीपदान के समय कौन से मन्त्र बोलने चाहिए?
ऐसे सभी प्रश्नों के सारगर्भित उत्तर इस लेख में आपको मिल सकेंगे।
जो कि विभिन्न शास्त्रों, पुराणों व धार्मिक पुस्तकों व
कल्याण आदि में उल्लेखित जानकारी व स्वयं द्वारा करणीय तथ्यों पर आधारित हैं।
जिसे पढ़कर व अपने जीवन मे उपयोग कर आप स्वयं भी अवश्य लाभान्वित होंगे।
इसके संबंध में स्कंद पुराण ,पद्मपुराण और भविष्य पुराण आदि में यह बताया गया है।
जलदान करने वाला तृप्ति, अन्न दान करने वाला अक्षय सुख,
तथा तिल दान करने वाला इक्छित संतान को प्राप्त करता है।
और कार्तिक मास में दीपदान करने वाला उत्तम ज्योति (नेत्र) प्राप्त करता है।


रोगापहं पातकनाशकृतपरं सद्बुद्धिदं पुत्रधानादिसाधकम।
मुक्तेर्निदानं नहि कार्तिकव्रताद विष्णुप्रियादन्यदिहास्ति भूतले।।

अर्थात इस मास को रोग एवं पातक-विनाशक, सद्बुद्धि, मुक्ति एवं पुत्र, धन-धान्य प्रदान करने वाला,
तथा विष्णु प्रिया देवी महालक्ष्मी की उपासना हेतु धरती पर श्रेष्ठतम मास बताया गया है।
दीपदान देवताओं को प्रसन्न करता है।

दीपदान का महत्व! Importance of Deepdaan!


1- कार्तिक मास में दीपदान करने से ना केवल धन धान्य एवं ऐश्वर्य की देवी महालक्ष्मी सहित श्रीहरि प्रसन्न होते हैं,
बल्कि समस्त देवगण, सूर्यपुत्र यमराज , पितर आदि भी प्रसन्न होते हैं।
तथा दीपदान करने वाले पर अपनी असीम कृपा प्रदान कर ,
धन-धान्य सुख समृद्धि पुत्र पौत्रादि हेतु आशीर्वादों की वर्षा कर देते हैं।
2- भविष्य पुराण में उत्तर-पर्व में श्री कृष्ण भगवान ने महाराजा युधिष्ठिर को बताया है कि;
दीपदान करने वाला सुंदर विमान में बैठकर स्वर्ग जाता है और प्रलय पर्यंत वही वास करता है
वह व्यक्ति दीपक की ज्योति की तरह प्रकाशमान होता है।
3- पद्म पुराण के उत्तर खंड में भगवान शंकर ने पुत्र कार्तिकेय को बताया है कि;
कार्तिक मास में जो श्री विष्णु भगवान के निमित्त घी अथवा तिल्ली के तेल से युक्त दीपदान करते हैं ,
वे अश्वमेध यज्ञ एवं समस्त तीर्थों में स्नान करने के बराबर फल प्राप्त करते हैं।
4- कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी से शुक्ल पक्ष द्वितीया तक 5 दिन रात्रि के प्रथम पहर में दीपदान करने से,
और देव मंदिर, गौशाला, जल स्थान, देववृक्षों के नीचे तथा अंधेरे मार्ग में दीपक जलाने से,
जिनका कभी तर्पण और श्राद्ध नहीं हुआ है वह पितर भी मोक्ष प्राप्त करते हैं।
5- कार्तिक मास में भगवान नारायण के निमित्त प्रतिदिन दीपदान करना चाहिए।
इसके अतिरिक्त आकाश- दीप, घर या देव मंदिर के ऊंचे स्थान पर अवश्य रखना चाहिए।
इससे भगवान राधा दामोदर अति प्रसन्न होते हैं तथा सभी मनोरथ पूर्ण करते हैं।
6- आकाशदीप ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके एवं रात्रि के प्रथम पहर में दोनों समय दिया जाता है।
आकाशदीप दान करने वाले के समस्त पाप कर्म नष्ट हो जाते हैं।
7-वैसे तो दीपदान पूरे कार्तिक मास पर किया जाना चाहिए।
किंतु यदि किसी कारणवश ऐसा ना हो सके तो;
कार्तिक मास के विशिष्ट व्रत व पर्वों के दिन दीपदान विधि पूर्वक अवश्य किया जाना चाहिए।

दीपदान कब करें व कौन से मन्त्र बोलें! When will Deep give & which mantra to say!

कार्तिक मास की त्रयोदशी ,नरक चतुर्दशी, अमावस्या, प्रतिपदा और द्वितीया ये पांच महत्वपूर्ण तिथियां है।
इसके अतिरिक्त आंवला नवमी, एकादशी व कार्तिक पूर्णिमा भी दीपदान हेतु अत्यंत महत्वपूर्ण तिथियां हैं।
जो व्यक्ति कार्तिक मास के नियमों का मास भर पालन ना कर सके
उसे इन 5 दिनों में विधिवत स्नान व पूजा व्रत आदि के नियमो का पालन करना चाहिए।
जिससे 5 दिनों में ही संपूर्ण मास के पुण्य फल को प्राप्त हो सके।
उपरोक्त महत्वपूर्ण तिथियों में किस प्रकार दीपदान किया जाता है, जानते हैं-

1-कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी -धनतेरस पर्व को दीपदान! Kartik Krishna Paksha Trayodashi – Deepdaan on Dhanteras festival!

धनतेरस के दिन से ही पांच दिवसीय दीपोत्सव का प्रारंभ होता है।
इस दिन प्रदोष काल में ही घर के मुख्य द्वार पर एक पात्र में गेहूं या चावल भर कर रखें।
उस पर मृत्यु के देवता, धर्मराज यमराज के निमित्त तेल का दीपक जलाये।
उस दीपक का गंध अक्षत पुष्प से विधिवत पूजन कर ,नैवेद्य समर्पित कर, दीप दान करना चाहिए।

धनतेरस दीपदान के समय बोले जाने वाला मन्त्र- The mantra spoken during the Dhanteras Deepdaan

मृत्युना पाशहस्तेन कालेन भार्यया सह।
त्रयोदश्यां दीपदानात्सूर्यज: प्रियतामिति।।
(पद्मपुराण उत्तरखंड)


अर्थात;
हे सूर्यपुत्र यमराज मृत्युपाशधारी काल और पत्नी सहित आप त्रयोदशी के दिन दिए गए इस दीपदान से प्रसन्न हो।

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इस प्रकार यमराज की प्रसन्नता हेतु दीपदान व प्रार्थना करने के बाद,
रात्रि के प्रथम प्रहर में अपने पूजा कक्ष में देव चिकित्सक धनवंतरी जी एवं तिजोरी या धन रखने के स्थान पर,
धनाध्यक्ष कुबेर जी के निमित्त पूजा कर, दीपदान करना चाहिए ।
तत्पश्चात घर के आंगन, तुलसी एवं देव वृक्षों के नीचे तथा द्वार पर दीपक जलाना चाहिए।
एवं घर की छत पर या सर्वोच्च स्थान पर 4 बत्तियों का घी का दीपक (आकाशदीप )जलाना चाहिए।
यह आकाशदीप भगवान विष्णु या पितरों, प्रेतों एवं भगवान शंकर के निमित्त जलाना चाहिए।

तथा यह प्रार्थना मन्त्र बोलना चाहिए;

नमः पितृभ्य: प्रीतेभ्यो नमो धर्माय विष्णवे।
नमो यमाय रुद्राय कान्तारपतये नम:।।
(स्कंदपुराण, वैष्णवखण्ड, कार्तिक मास महात्म्य)

2- कृष्ण पक्ष चतुर्दशी -नरक चतुर्दशी को दीपदान! Krishna Paksha Chaturdashi – Deepdaan to Narak Chaturdashi!

इस दिन सूर्योदय में तेल उबटन लगाकर स्नान किया जाता है।
तथा भीगे वस्त्रों में ही घर के बाहरी द्वार पर ,मृत्युपुत्रों हेतु दीप दान करना चाहिए।
ऐसी मान्यता है कि इस दिन तेल में महालक्ष्मी एवं जल में गंगा जी का वास रहता है।

नरकचतुर्दशी के दीपदान हेतु यह मंत्र बोलना चाहिए; This mantra should be said for the Deepdaan of Narakaturdashi;

शुनकौ श्याम शबलौ भ्रातरौ यमसेवकौ ।
तुष्टो स्यातां चतुर्दश्यां दीपदानेन मृत्यु जी।।
( स्कंद पुराण, वैष्णव खंड, कार्तिक मास महत्म्य)

अर्थात;
काले और चितकबरे रंग के दो श्वान जो मृत्यु के पुत्र यमराज के सेवक एवं आपस में सगे भाई हैं ।
चतुर्दशी को दिए इस दीपदान से मुझ पर प्रसन्न हो।
इसके बाद हाथ धो लें और गीले वस्त्र बदल लें।
रात्रि के प्रथम पहर प्रारंभ होने पर रुई की बत्ती के 14 यम के नाम से दीपक जलाने चाहिए ।
उनका विधिवत पंचोपचार पूजन ( गन्ध ,अक्षत ,पुष्प,नैवैद्य , आरती करनी चाहिए।
इसके बाद घर के सदस्य घर के सभी कमरों में तुलसी एवं देव वृक्षों के नीचे घर के मुख्य द्वार पर,
एवं आंगन घर के निकट के चौराहे आदि स्थानों पर भी दीपक जला कर रख दें ।
इसके बाद त्रयोदशी की भांति चार बत्ती का घी का दीपक (आकाशदीप) जलाएं।
जो भगवान विष्णु रुद्र तथा पितरों आदि की प्रसन्नता हेतु रखना चाहिए।
इस दिन श्री हनुमान मंदिर जाकर दर्शन एवं दीपदान भी अवश्य करना चाहिए।

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3- कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या – दीपावली को दीपदान! Karthik Krishna Paksha Amavasya – Deepdaan on Deepavali!

कार्तिक अमावस्या (दीपावली) को दीपदान
इस दिन किए गए दीपदान से हमारे पितर अति प्रसन्न होते हैं ।
और अपने वंशजों को धन वैभव सुख समृद्धि और दीर्घायु होने का आशीर्वाद दे जाते हैं।
श्री गणेश- लक्ष्मी- सरस्वती- महाकाली आदि के पूजन उपरांत थाली में 11, 21 या 51 दीपक प्रज्वलित कर
“ॐ दीपावल्यै नमः” मंत्र से गंध अक्षत पुष्प से उनका पूजन करें नैवेद्य अर्पित करें।
धान का कलावा विशेष रूप से अर्पित करें एवं प्रार्थना करे।

दीपावली में दीपदान हेतु मन्त्र-Mantra for Deepdaan in Diwali-


त्वं ज्योतिस्त्वं रविशचंद्रो, विद्युदगनिश्च तारका: ।

सर्वेषाम ज्योतिषाम ज्योतिर्दीपावल्यै नमो नमः

इसप्रकार पूजा करके , उन्हें घर आंगन के विभिन्न हिस्सों में रखना चाहिए। ।
देव -वृक्ष पीपल, आंवला, बरगद, बेल इत्यादि एवं तुलसी के नीचे रखें।
इसके अतिरिक्त अपनी सामर्थ्य के अनुसार दीपक जलाकर उन्हें घर की छत पर, निकट के चौराहे पर ,
विष्णु ,शिव मंदिर में, कुआ ,बावड़ी, घर के जल के स्थान, स्नानागार , गोशाला आदि स्थानों पर रखना चाहिए ।
देव मंदिर या घर की छत ऊंचे स्थान पर 4 या 7 बत्ती का घी का दीपक (आकाश दीप ) जलाना चाहिए ।
इसके अतिरिक्त पीपल वृक्ष के पास सरसों के तेल का एक दीपक शनिदेव की प्रसन्नता हेतु
ॐ शं शनिश्चराय नमः बोलकर रखना चाहिए।

4- गोवर्धन पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को दीपदान! Deepdaan to Govardhan Pooja Karthik Shukla Paksha Pratipada!

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में घर की झाड़ू लगाकर सारा कचरा सूप में लेकर घर के बाहर कर सूप को बजा कर,
दरिद्र नारायण का निस्सारण एवं लक्ष्मी जी का आवाहन किया जाता है ।
तथा घर के आंगन में दीपक लगाकर महालक्ष्मी की प्रसन्नता की कामना की जाती है ।
इस समय दीपदान से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं एवं धन संपत्ति की कमी परिवार में पूरे वर्ष नहीं होने देती।
प्रातकाल गोवर्धन पूजा एवं रात्रि के प्रथम प्रहर में भगवान श्री कृष्ण के लिए आकाशदीप देना चाहिए।

गोवर्धन पूजा के दीपदान हेतु मन्त्र;Mantra for the Deepdaan of Govardhan Puja;

दामोदराय श्रीकृष्णाय विश्वरूपधराय च ।
नमस्कृत्वा प्रदास्यामि व्योमदीपं हरिप्रियम।।



अर्थात मैं सर्व स्वरूप एवं विश्वरूपधारी भगवान दामोदर को नमस्कार करके यह आकाशदीप देता हूं जो उन्हें परम प्रिय है।

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5- यम द्वितीया- कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया अर्थात भाई दूज को दीपदान! Yama Dwitiya- Kartik Shukla Paksha Dwitiya / Deepdaan to Bhai Dooj!

भाई दूज का दिन कार्तिक स्नान के पश्चात सफेद कपड़े पहन कर सफेद चंदन लगाकर ,
प्रसन्नता पूर्वक गूलर वृक्ष के नीचे भगवान ब्रह्मा, विष्णु , महेश के साथ वीणावादिनी मां शारदा का पूजन कर,
उनके निमित्त दीपदान करना चाहिए। प्रदोष काल में घर -आंगन में दीप दान करना चाहिए।
देववृक्षों के नीचे दीपक जलाना चाहिए।

8- कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी- आंवला नवमी- अक्षय नवमी को दीपदान! Kartik Shukla Paksha Navami- Amla Navami- Deepdaan to Akshay Navami!

कार्तिक मास शुक्ल पक्ष नवमी को धात्रीनवमी एवं कुष्मांडनवमी भी कहा जाता है ।
इस दिन पूजन, तर्पण, स्नान, अन्न-दान, दीपदान आदि करने का अक्षय फल प्राप्त होता है।
इस दिन आंवले के वृक्ष का पूजन एवं इसके नीचे भगवान ब्रह्मा विष्णु एवं शिव सहित,
धर्मराज यमराज की प्रसन्नता हेतु घी के दीपक या कपूर से दीप दान करना चाहिए ।

6- कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी- देव उठनी एकादशी को दीपदान! Kartik Shukla Paksha Ekadashi- Deepdaan to Ekadashi!

भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी के बाद उठते हैं।
इस दिन प्रदोष काल में भगवान शालिग्राम( श्री विष्णु) का तुलसी के साथ विवाह किया जाता है।
इस दिन दीपावली के दिन की भांति रोशनी एवं दीपदान किया जाना चाहिए।

7- कार्तिक पूर्णिमा को दीपदान! Deepdaan on Kartik Purnima! –

इस दिन कार्तिक मास स्नान एवं दीपदान पूर्ण होता है ।
बहती हुई नदियों में महिलाएं स्नान कर उषाकाल में भगवान शिव के निमित्त दीपदान करती हैं।
एवं प्रदोष काल में भगवान विष्णु के निमित्त जलते दीपक नदी में प्रवाहित कर जल-दीपदान करती हैं ।
यह दिन देव-दीपावली के नाम से प्रसिद्ध है। नदियों में बहते दीपकों को देखकर यमराज बहुत प्रसन्न होते हैं।
तथा ब्रह्मा विष्णु शिव अंगिरा आदित्य आदि सायंकाल के दीपदान से अत्यंत प्रसन्न होते हैं ।
इसी दिन सायं काल भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार भी लिया था।
इस कारण आज के दिन के दान जप आदि का फल 10 यज्ञों के समान होता है।

वरान् दत्वा यतो विष्णुर्मत्स्यरूपोsभवत ततः।
तस्यां दत्तं हुतं जप्तं दशयग्यफलं स्मृतम।।

(पद्मपुराण)

अर्थात ;
इस दिन सायंकाल देव मंदिरों, घर आंगन तुलसी एवं देव वृक्षों के समीप विशेषकर पीपल के नीचे जड़ के समीप
,चौराहों, जल स्थान आदि के स्थानों पर दीपदान किया जाना चाहिए।
इस प्रकार कार्तिक मास के विशिष्ट पर्वों पर दीपदान का विशेष महत्व है,
अतः ईश्वर की प्रसन्नता हेतु उपरोक्त विशिष्ट पर्वों पर अवश्य ही दीपदान करना चाहिए।
जानकारी अच्छी लगी तो कमेंट अवश्य करें।
आपके द्वारा पूछे गए प्रश्न, व दिए गए विचार मुझे अध्ययन की दिशा प्रदान करते हैं।
जय श्रीकृष्णा

✍️ श्रीमती रेखा दीक्षित ,सहस्रधारा रोड देवदर्रा मण्डला

?यह आलेख विभिन्न जनकरियों पर आधारित पूर्णतः मौलिक व स्वरचित है।

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