नमस्कार दोस्तों ! श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्रम शिवजी की महिमा का गुणगान करता है। यह 5 अक्षरों का मंत्र अत्यंत प्रभावशाली है। इसके द्वारा अनेकों सिद्धियां प्राप्त की जा सकती है। विद्या, धन और अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति दिलाने वाला यह अत्यंत अद्भुत और चमत्कारी मंत्र है।
श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्रम का महत्व !
- जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो और कार्यों में सफलता ना मिल रही हो, तब ऐसी स्थिति में अंजलि में,
- जल लेकर, श्री शिव पंचाक्षर स्त्रोतम का 11 बार जप करके,
- उस जल से शिव अभिषेक करने से सफलता प्राप्त होती है।
- उक्त स्त्रोत के जाप से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है
- इस मंत्र को का 11 बार जप करके भोजन करने से वह भोजन अमृततुल्य हो जाता है।
- और आरोग्य प्रदान करता है। अत्यंत सरल व सुलभ यह मंत्र भगवान शिव के स्वरूप को प्रदर्शित करता है ।
- इसके पांच अक्षर ‘न’, ‘म’, ‘शि’, ‘व’ और ‘य’ है । जो शिव के स्वरूप की व्याख्या करते हैं ।
- शिव पूजा के समय भगवान शिव के समीप बैठकर जो व्यक्ति उक्त मंत्र का जाप करता है,
- वह इस लोक में समस्त ऐश्वर्य और धनसंपदा को प्राप्त करता है। तथा अंत में शिवलोक को प्राप्त होता है।
- अतः सावन के इस पवित्र माह में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यह अत्यंत उपकारी मंत्र है।
- श्री शिव पंचाक्षर स्त्रोतम का हिंदी के अर्थ सहित प्रस्तुत है एक बार श्रद्धापूर्वक अवश्य पढ़ें।
श्री शंकराचार्यकृत
।। श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्रम ॥
नागेन्द्र हाराय त्रिलोचनाय,
भस्मांग रागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,
तस्मै ‘न’ कराय नमः शिवाय ।।१।।
मन्दाकिनी सलिल चन्दन चर्चिताय,
नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय ।
मन्दार पुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय
तस्मै ‘म‘ कराय नमः शिवाय ।।२।।
शिवाय गौरी बदनाब्ज वृन्द,
सूर्याय दक्षाध्वर नाशकाय ।
श्री नील कण्ठाय वृष ध्वजाय,
तस्मै ‘शि’ कराय नमः शिवाय ।।३।।
वसिष्ठ कुम्भोद्भव गौतमार्य,
मुनीन्द्र देवार्चित शेखराय।
चन्द्रार्क वैश्वानर लोचनाय,
तस्मै ‘व‘ कराय नमः शिवाय ॥४॥
यक्ष स्वरूपाय जटा धराय,
पिनाक हस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय
तस्मै ‘य’ कराय नमः शिवाय ।।५।।
श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्रम का हिंदी में अर्थ !
हिंदी में अर्थ पद – 1
- वे जिनके पास साँपों का राजा उनकी माला के रूप में है, और जिनकी तीन आँखें हैं,
- जिनके शरीर पर पवित्र राख मली हुई है और जो महान प्रभु है,
- वे जो शाश्वत है, जो पूर्ण पवित्र हैं और चारों दिशाओं को जो अपने वस्त्रों के रूप में धारण करते हैं,
- उस शिव को नमस्कार, जिन्हें शब्दांश “न” द्वारा दर्शाया गया है
हिंदी में अर्थ पद – 2
- वे जिनकी पूजा मंदाकिनी नदी के जल से होती है और चंदन का लेप लगाया जाता है,
- जो नंदी के और भूतों-पिशाचों के स्वामी हैं, महान भगवान,
- वे जो मंदार और कई अन्य फूलों के साथ पूजे जाते हैं,
- उस शिव को प्रणाम, जिन्हें शब्दांश “म” द्वारा दर्शाया गया है।
हिंदी में अर्थ पद – 3
- वे जो शुभ है और जो नए उगते सूरज की तरह है, जिनसे गौरी का चेहरा खिल उठता है,
- जो दक्ष के यज्ञ के संहारक हैं,
- वे जिनका कंठ नीला है, और जिनके प्रतीक के रूप में बैल है,
- उस शिव को नमस्कार, जिन्हें शब्दांश “शि” द्वारा दर्शाया गया है।
हिंदी में अर्थ पद – 4
- वे जो श्रेष्ठ और सबसे सम्मानित संतों – वशिष्ट, अगस्त्य और गौतम, और देवताओं द्वारा भी पूजित है, और जो ब्रह्मांड का मुकुट हैं,
- वे जिनकी चंद्रमा, सूर्य और अग्नि तीन आंखें हों,
- उस शिव को नमस्कार, जिन्हें शब्दांश “वा” द्वारा दर्शाया गया है।
हिंदी में अर्थ पद – 5
- वे जो यज्ञ (बलिदान) का अवतार है और जिनकी जटाएँ हैं।
- जिनके हाथ में त्रिशूल है और जो शाश्वत हैं,
- वे जो दिव्य हैं, जो चमकीला हैं, और चारों दिशाएँ जिनके वस्त्र हैं,
- उस शिव को नमस्कार, जिन्हें शब्दांश “य” द्वारा दर्शाया गया है।
अंत में !
इस प्रकार समस्त सिद्धियों को देने वाला यह मंत्र अत्यंत पवित्र और उपकारी है। अतः शिव पूजा करते समय हमेशा इस पंचाक्षर मंत्र का जाप करना चाहिए।
पूजा करते समय कोई भी मंत्र ना आता हो तब भी समस्त पूजा एकमात्र इस मंत्र को जपते हुए करने से भगवान सहर्ष ही उस पूजा को ग्रहण कर लेते हैं।
अतः सावन माह में अधिक से अधिक इस मंत्र का जप करने से भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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