नमस्कार दोस्तों ! बच्चों के बौद्धिक विकास के लिए 11 उपायों को कर हम कुशाग्र प्रखर और तीव्र बुद्धि बालकों का निर्माण कर सकते हैं । बच्चे मूलतः पवित्र होते हैं किंतु मनुष्य के घृणित संपर्क में आकर ही वह अपवित्र हो जाते हैं । बाल्यकाल में मन और शरीर दोनों लचीले होते हैं। जैसी उन्हें शिक्षा दीक्षा मिलती है,वैसे ही बच्चों के शारीरिक मानसिक और सामाजिक व्यक्तित्व का निर्माण होता है।
मानव जीवन में बचपन को क्या महत्व है? और जीवन पर बाल्यकाल का क्या प्रभाव पड़ता है? आज हम आपको बच्चों के बौद्धिक विकास में हीनता के कारण और बच्चों के बौद्धिक विकास के होने के कारण तथा बौद्धिक विकास के उपायों के बारे में बताएंगे। अतः इस अंत तक अवश्य पढ़ें । यह एक मनोवैज्ञानिक ढंग से अनेक शोधों के आधार पर प्रस्तुत की गई जानकारी है। जो बच्चों के बौद्धिक विकास के लिए बहुत ही उपयोगी है ।
बाल्यवस्था मैं बच्चे का विकास किस तरह होता है?
- जीवन के प्रारंभिक विकास का समय बहुत ही मूल्यवान होता है।
- बच्चे जो जो बढ़ते हैं उनके अनुभूतियां दृढ़ होती जाती हैं और विचार शक्ति बढ़ती है।
- चौथे वर्ष में उनके निर्णय लेने की बुद्धि का प्रारंभ हो जाता है।
- वैज्ञानिकों के अनुसार बालक जब 5 या 6 वर्ष का रहता है तभी उसकी जीवनशैली बन जाती है।
- 7 वर्ष के बाद विचार विकास की गति तीव्र हो जाती है।
- 12 साल की उम्र तक उनमें निर्णयात्मक तथा तार्किक बुद्धि बढ़ती है।
- और उनके अनुभवों के अनुसार उनकी विचार वृत्तियां विकसित होती हैं ।
- भारतीय दर्शन के अनुसार मानव जीवन का उत्थान पतन मनुष्य के विचारों पर निर्भर करता है।
- मनुष्य को उसके विचारों का पुतला माना गया है ।
- बाल्यकाल अर्थात 6 से 12 वर्ष के विचारों अनुभूतियों का मानव के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान होता है।
- बालकों के विकासात्मक संरक्षण की यह उपयुक्त अवस्था है ।
बुद्धि के अनुसार बच्चों का विभाजन !
- माता पिता, आहार-विहार और सामाजिक वातावरण सभी के अलग-अलग होते हैं ।
- ऐसे में हर एक बालक अपने अपने माता-पिता से प्राप्त जींस के अनुसार व्यवहार और स्वभाव को प्राप्त करता है।
- सभी के शरीर, मन, बुद्धि तथा अभिरुचि या अलग-अलग होती हैं।
- किंतु स्वाभाविक प्रवृत्ति जैसे भूख लगना, भय लगना, क्रोध आना, आश्चर्य होना, आनंद होना,आमोद प्रमोद आदि
- मानव प्रतियां प्रवृत्तियां सभी में समान रूप से होती हैं। बौद्धिक दृष्टिकोण भी सबका अलग होता है ।
- इसके आधार पर बच्चों को अलग-अलग श्रेणियों में बांट सकते हैं ।
- 1- प्रखर बुद्धि (सुपीरियर), 2-सामान्य बुद्धि (नॉर्मल) और 3-मंदबुद्धि (डल)।
- पहला प्रखर बुद्धि वाले बालकों में एक विशेष तरह की प्रतिभा होती है।
- छोटी सी उम्र में ही उनकी बुद्धि आयु सीमा से भी आगे हो जाती है।
- उनकी देखरेख की बहुत ज्यादा आवश्यकता होती है ।ऐसे बुद्धि बालक कम संख्या में होते हैं।
- दूसरा सामान्य बुद्धि वालों की संख्या अधिक होती है। इन्हें साधारण संरक्षण से पालन किया जा सकता है।
- तीसरा होता है मंदबुद्धि बालक इनका विकास देर से होता है और बड़ी कठिनाई से उनमें सुधार होता है ।
- प्रखर बुद्धि वालों को की तरह ही इनकी भी बहुत अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है।
बुद्धि का वास्तविक अर्थ क्या है ?
- बुद्धि के अर्थ कई है। कोई इसे सीखने की सामर्थ्य कहते हैं। कुछ लोग बुद्धि का अर्थ ज्ञान (जानना) मानते हैं।
- और कुछ लोगों के विचार में बुद्धि सजीव प्राणियों की एक प्रक्रिया मात्र है
- सार में हम यह समझ लें की बुद्धि एक स्वाभाविक वृत्ति और महत्वपूर्ण तत्व है ।
- जिसे मनुष्य का महाबल कहते हैं। इसी के सहारे मनुष्य लौकिक विभूतियों को प्राप्त करता है ।
- बुद्धि के माध्यम से हम उचित अनुचित का निर्णय करते हैं और अपने विकास का पथ निश्चित करते हैं।
- इसके अलावा मनुष्य परिस्थितियों के अनुसार तत्काल आवश्यक समाधान नहीं कर सकता।
- मानसिक चिंता रहने के कारण व्यक्ति तर्क, विचार नहीं कर पाता।
- इसीलिए वह मनोवृत्तियों का दास बन जाता है और उसके मानसिक विकास में कठिनाई होती है।
बच्चों के बौद्धिक विकास में हीनता के क्या कारण हैं?
- मूल प्रवृत्तियां- बच्चा मूल प्रवृत्तियों और संवेगों का पुतला है और इन्हीं से प्रेरित होता है।
- जिससे उसकी विकास की प्रक्रिया उभर जाती हैं।
- वंशानुगत दोष- जिसमें आजीवन सुधार हो पाना संभव नहीं है ।
- अनुवांशिकता सिद्धांत वालों के विचार में बुद्धि एक स्वाभाविक तत्व है।
- जो जन्म के समय ही से निश्चित रहती है और समय से विकास पाती है।
- वातावरण– सब कुछ वातावरण है। वातावरण के प्रभाव से ही संगठित होकर बुद्धि के स्वरूप का निर्माण होता है।
- शरीर विज्ञान के अनुसार शारीरिक व्यवस्थाओं का नियमित होना मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है
- स्वस्थ शरीर में सुंदर मन का निवास रहता है
बच्चे के बौद्धिक विकास के जिम्मेदार माता पिता हैं!
- बच्चे जन्म से ही मूर्ख नहीं होते । चिंता, भ्रम, असामाजिक वृत्ति लेकर कोई बच्चा पैदा नहीं होता।
- बच्चों में स्वाभाविक जिज्ञासा की प्रवृत्ति होती है जो उन में स्थित बुद्धि का प्रतीक है।
- संस्कारों और वातावरण से बच्चे अनजाने प्रभावित होते हैं
- उनके बोलचाल रहन-सहन आदान-प्रदान व्यवहार आदत नीतियां नीति के भावों पर उनके परिवार का गहरा प्रभाव पड़ता है।
- अंग्रेजी में कहावत है होम इज द फर्स्ट स्कूल ऑफ लाइफ
- माता पिता के सामाजिक, लौकिक, पारिवारिक, व्यवहारों पर बच्चे का संवेगात्मक विकास निर्भर करता है ।
- यदि माता-पिता के व्यवहार सुंदर शिष्ट सभी स्नेह पूर्ण होती हैं, तो बच्चों की संवेदनाएं आदर्श और संतुलित होती हैं।
- इसके विपरीत यदि उनके व्यवहार अश्लील, असभ्य और उद्दंडता पूर्ण होते हैं,
- तो बच्चे अनुशासन हीन ईर्ष्यालु और अयोग्य बनते हैं।
- बच्चों के विकास का पूर्ण उत्तरदायित्व उनके संरक्षक ऊपर है।
- और वातावरण का प्रभाव भी निश्चित रूप से उन पर पड़ता है।
बच्चों के बौद्धिक विकास में विषमता का प्रभाव!
- बच्चों के बौद्धिक विकास में आर्थिक विषमता भी एक प्रबल बाधा है।
- दरिद्रता व गरीबी से बच्चों में आत्म हीनता की भावना उत्पन्न होती है ।जो उनके विकास में बाधक होती है ।
- अगर उचित ढंग से उनका संरक्षण हुआ तो वह स्वावलंबी आशावादी और पराक्रमी बन जाते हैं ।
- अन्यथा उनकी कुशाग्र बुद्धि का भी उपयोग नहीं हो पाता। और मानवता की एक बहुत बड़ी क्षति हो जाती है ।
- समान उम्र के बच्चों में एक स्वाभाविक आकर्षण होता है और इस पर वे एक दूसरे का अनुसरण करते हैं।
- और अपनी जिज्ञासाओं का समाधान भी करते हैं इसके प्रतिक्रिया स्वरूप वे अपने आचरण व्यक्त करते हैं।
- इसी अवसर पर उनकी उचित देखभाल की आवश्यकता होती है।
बच्चों के बौद्धिक विकास में शिक्षा का प्रभाव !
- शिक्षा का प्रभाव भी बच्चों के बौद्धिक विकास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
- बच्चों की रुचि के अनुसार उन्हें शिक्षा देने से उनकी प्रवृत्तियों को प्रोत्साहन मिलता है।
- और मनोनुकूल कार्यों में वे विशेष दक्ष और कार्य कुशल होते हैं।
- प्रत्येक कार्य के लिए प्रखर बुद्धि की आवश्यकता नहीं होती और किसी भी कार्य का महत्व कम नहीं होता।
- जिन बालकों में मानसिक हीनता हो उन्हें इस प्रकार की शिक्षा देनी चाहिए और ऐसे कार्यों में लगाना चाहिए जो उनके बौद्धिक स्तर के अनुकूल हैं ।
- आधुनिक शोध के परिणाम स्वरूप बच्चों की बुद्धि सम्मोहन क्रिया द्वारा बढ़ाई जा सकती है ।
- और 16 वर्ष की अवस्था तक मानव बुद्धि को पूर्ण विकसित किया जा सकता है।
- बुद्धि का विकास बुद्धि के द्वारा ही संभव है।
- बच्चों के बौद्धिक विकास के लिए बाल मनोवैज्ञानिकों ने कुछ नियम बताए हैं ।
- जिन्हें हम व्यवहार में लाकर लाभान्वित हो सकते हैं
बच्चों के बौद्धिक विकास के 11 उपाय !
- 1- बच्चों में प्यार की कामना होती है और भी प्यार के भूखे होते हैं।
- स्नेहपूर्ण व्यवहारों से उनके संवेदनात्मक विचारों को बल मिलता है और उनमें सहृदयता उत्पन्न होती है ।
- 2- बच्चों को एक सामान्य व्यक्ति की तरह आदर करें, इससे उनका नैतिक विकास होगा ।
- 3- उनके अपराधों के लिए आप उद्दंडता, क्रोध और आवेश के स्थान पर संयम, धैर्य और विवेक से काम लें।
- 4- उनकी अवस्था से अधिक ऊंचे बौद्धिक स्तर के व्यवहार की आकांक्षा ना रखें।
- 5- उनकी प्रश्न के उत्तर बुद्धिपूर्ण ढंग से देना चाहिए ।
- 6- बच्चों के सामने उसी तरह के आचरण करें जिसे आप निसंकोच समाज में कर सकते हैं ।
- 7- बच्चों को डराना धमकाना नहीं चाहिए ।
- उन्हें ऐसी बातों का आश्वासन नहीं देना चाहिए जिसकी पूर्ति की संभावना नहीं हो ।
- 8- बच्चों में सामाजिक रुचि उत्पन्न करें, इससे उनका नैतिक विकास होता है। वह व्यवहार कुशल बनते हैं ।
- 9- उनकी अनुभूतियों, भावनाओं और कल्पनाओं को व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करें ।
- 10- उनमें प्रतिस्पर्धा की भावना उत्पन्न करें । मनोरंजन का अवसर दें।
- उनकी सफलताओं के लिए आप अपनी प्रसन्नता व्यक्त करें ।
- 11- बच्चों के विकास का पूर्ण उत्तरदायित्व आप अपने ऊपर ले ।
आयुर्वेद में मानसिक स्वास्थ्य के लिए सदविचार, पवित्रता, आस्तिकता, सात्विकता, संयमित आहार-विहार आदि गुणों का प्रमुख स्थान है। आवश्यकता अनुसार बुद्धि वर्धक औषधियों की व्यवस्था भी की गई है। ताजे फलों का सेवन भी मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है ।
अंत मे !
बच्चों के बौद्धिक विकास से संबंधित यह जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो इससे अपने मित्रों और परिजनों में अवश्य शेयर करें ताकि भावी पीढ़ी का निर्माण सुव्यवस्थित ढंग से किया जा सके। ऐसी ही अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए देखते रहे आपकी अपनी वेबसाइट
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नमस्कार! मैं रेखा दीक्षित एडवोकेट, मैं एडवोकेट ब्लॉगर व युट्यूबर हूं । अपने प्रयास से अपने पाठकों के जीवन की समस्याओं को दूर कर ,जीवन में उत्साह लाकर खुशियां बांटना चाहती हूँ। अपने अनुभव एवं ज्ञान के आधार पर मैंने अपने ब्लॉक को सजाया संवारा है, जिसमें आपको योग ,धार्मिक, दर्शन, व्रत-त्योहार , महापुरुषों से संबंधित प्रेरक प्रसंग, जीवन दर्शन, स्वास्थ्य , मनोविज्ञान, सामाजिक विकृतियों, सामाजिक कुरीतियां,धार्मिक ग्रंथ, विधि संबंधी, जानकारी, स्वरचित कविताएं एवं रोचक कहानियां एवं स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां उपलब्ध हो सकेंगी । संपर्क करें : info.indiantreasure@gmail.com
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