दुःख का मूल कारण क्या है ? क्यों होता है दुःख और हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करता है ? Total Post View :- 1135

दुःख का मूल कारण क्या है ? जानिए इसके दुष्प्रभाव !

दुःख का मूल कारण क्या है ? जी हाँ! हम सभी इसी की खोज में लगे रहते हैं क्योंकि हममें से कोई भी दुःखी नहीं रहना चाहता।

पर कभी नही सोचा कि दुःख होता क्यों है और हमारे दुःखी होने से इसका असर हमारे जीवन पर कैसे होता है। तो आज इसी प्रश्न का उत्तर खोजती हुई मैं भी यहाँ तक आ पहुंची।

दरअसल क्या है कि दुःखी रहना इंसान की फितरत होती है, वो ऐसे की कुछ पास में है तो उसका दुःख है, फिर कुछ नही है तो उसका दुःख।

ऐसे ही किसी ने कुछ कह दिया तो उसका दुःख और किसी ने कुछ नहीं कहा तो उसका भी दुःख है।

इसी तरह अनचाहे और अनावश्यक दुःखों के भंवर में हम डूबते-उतराते रहते हैं।

आज इसी दुःख को जीवन मे जड़ से खत्म करने के लिए आपसे कुछ बातें शेयर करूंगी ।

मेरे इस लेख के माध्यम से दुःख के प्रति आपका नजरिया बदल जायेगा और आपके जीवन मे भी खुशियों की फसल लहलहा उठेंगी।

इसे बहुत ध्यान से पढियेगा क्योंकि इसका एक एक शब्द आपके जीवन को पूरी तरह खुशहाली कि ओर ले जाने वाला है।

एक बात और कहूंगी की खुशहाली की ओर जाने के लिए आपके पास एक-दो पॉजिटिव मित्र अवश्य होने चाहिए।

यही वे साधन हैं जो आपका हाथ पकड़ कर खुशियों की पगडंडियों पर ले जाते हैं।

आपके जीवन से दुखों को दूर फेंकने के लिए ही कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को क्रमवार आपसे बताऊंगी।

जिससे आपको इसे समझने में सुविधा होगी। ये बिंदु निम्न हैं –

  1. दुःख का मूल कारण क्या है ?
  2. दुःख हमें किस तरह प्रभावित करता है ?
  3. जीवन में खुशियां कैसे लाएं ?
  4. दुःख पहुंचने पर क्या करें ?

1- दुःख का मूल कारण क्या है ? What is the root cause of grief?

  • दुःख का मूल कारण जानने के लिए सबसे पहले इसका निवास स्थान जानना जरूरी है ।
  • तो आपको बता दूं कि हमारे मस्तिष्क के दो भाग हैं।
  • जिसमे एक भाग में नकारात्मक भावनाएं होती हैं जैसे; जिद, क्रोध, व कुतर्क आदि। तो दूसरी ओर सकारात्मक भावनाएं होती हैं जैसे; अच्छाई, भलाई, करुणा आदि।
  • ये दोनों ही भावनायें शरीर के आधे-आधे भाग सुप्तावस्था अर्थात सोई हुई अवस्था में रहती हैं।
  • जैसे ही आप को किसी की कही कोई बात बुरी लगती है तो आप बहुत दुःखी हो जातें हैं।
  • और हमारे भीतर की नकारात्मक भावनाएं सक्रिय हो जाती हैं।
  • अब देखिएगा की हमारे शरीर मे स्थित सकारात्मक भावनाओं वाला हिस्सा अभी निष्क्रिय है।
  • तो जो सक्रिय भावनाएं है अर्थात क्रोध, जिद्द, अहंकार आदि
  • ये सभी नकारात्मक भावनाएं हमारी निष्क्रिय सकारात्मक भावनाओं पर हावी हो जातीं हैं।
  • और यही हमारे दुःख का मूल कारण है। अब देखते हैं कि ये भावनाएं किस प्रकार हमारे जीवन को प्रभावित करती हैं।

दुःख हमें किस तरह प्रभावित करता है !How Affliction Affects Us!

  • यदि आप सच में सुखी होना चाहते हैं तो केवल दुःख का मूल कारण जानना ही पर्याप्त नहीं है ।
  • बल्कि यह भी जरूरी है कि आप ये समझें कि ये दुःख आपके जीवन को कैसे प्रभावित करने वाला है।
  • आप देखेंगे कि जब आप क्रोध में हैं, तो सामने रखी वस्तु भी दिखाई नही पड़ती।
  • कोई भी बात याद नही रहती। इसका सीधा असर आपकी स्मरणशक्ति पर पड़ता है।
  • चेहरे से चमक और मुस्कुराहट चली जाती है।
  • ऐसी अवस्था मे अपना ब्लडप्रेशर भी चेक कीजियेगा निश्चित ही बढ़ा हुआ मिलेगा।
  • ये भावनाएं स्थायी होने हम अस्वस्थ हो जाते हैं। चिड़चिड़ापन व क्रोध हमारे साथी बन जाते हैं।
  • इस तरह हम पूरी तरह नकारात्मक हो जाते हैं। यही भावनाएं हमें दुःख की ओर ले जाती हैं।
  • क्योंकि ये नकारात्मक बातें प्रकृति से भी नकारात्मकता को ही अपनी ओर खींचती हैं।
  • और वे नकारात्मक चीजें होती है दुःख, दरिद्रता, अपमान, निराशा आदि।
  • जो कि हममें से कोई भी अपने जीवन मे नहीं चाहता। धीरे-धीरे आप निराश और दुःखी हो जाते हैं।
  • इसी नकारात्मकता को दूर करने के लिए हमारी खोज है कि जीवन मे खुशियाँ कैसे लाएं।

3- जीवन मे खुशियाँ कैसे लाएं ! How to bring happiness in life!

  • जैसा कि लेख में ऊपर बताया गया है कि हमारे मस्तिष्क में दो तरह की विचारधारा होती हैं ।
  • जो कि हमारे शरीर को संचालित करती है, यही जीवन मे सुख व दुःख का मूल कारण भी होती हैं।
  • जिस तरह नकारात्मक भावनाओं के सक्रिय होने पर वे सकारात्मक भावनाओं को ढंक देती है।
  • ठीक उसी तरह सकारात्मक भावनाओं के सक्रिय होने पर नकारात्मक भावनायें निष्क्रिय हो जाती हैं।
  • वे सकारात्मक भावनाएं है अच्छाई, भलाई, करुणा, सेवा और ,प्रेम।
  • और इनके जागृत होते ही प्रकृति से सारी सकारात्मक चीजें आपकी ओर आकर्षित होने लगती हैं। जैसे;सफलता, उपलब्धि, यश, कीर्ति, सुख, स्वास्थ्य आदि।
  • इतना ही नहीं इसका औरा इतना विशाल होता है कि आपके भाग्य में लिखीं वस्तुओं को तो ये आपकी ओर खिंचती ही हैं ।
  • साथ ही साथ जो आपके भाग्य में नही भी हैं किंतु आप जिन्हें चाहते हैं , उन चीजों को भी आप तक पहुंचाती हैं।
  • इस तरह खुशियाँ आपके जीवन मे प्रवेश करने लगती हैं। लेकिन इसके लिए हमें लगातार ऐसी ही भावनाओं के साथ बने रहना होता है।
  • और ये बड़ा ही कठिन है किन्तु कोई भी समस्या ऐसी नही है कि जिसका कोई हल न हो। तो क्या करें जब हमें दुःख पहुंचे ?

कैसे बनाएं सकारात्मक सोच !How to make positive thinking!

कैसे रहें सदा प्रसन्न; डालें केवल एक आदत !How to stay happy always; Add only one habit!

4- किसी भी बात से दुःख पहुंचने पर क्या करें !जाने क्या है मूल कारण? What to do if you get sad from anything!Know what is the root cause?

  • दुःख पहुंचने पर तीन बातें हमेशा ध्यान रखें , पहला हमें छोटी-छोटी बातों पर ध्यान नहीं देना है।
  • दूसरा प्रत्येक घटना के दो पहलू होते हैं एक नकारात्मक तो दूसरा सकारात्मक।
  • अब आप यदि खुश रहना चाहते हैं तो नकारात्मक पहलू को भूल जाएं और केवल सकारात्मक पहलू को देखें।
  • अब तीसरा व अंतिम तथ्य है कि बड़ी बातों को छोटा करके देखें।
  • और जो बात आपके बस में न हो उसके बारे में सोचें ही नही , उसे ऐसे ही छोड़ दें।
  • किसी घटना से यदि आपको दुःख हुआ तो निश्चित ही इस में ईश्वर ने कोई संदेश छिपा है ।
  • ऐसा जानकर उसमें से सीखने का प्रयास करें।

दुःख और सुख दोनों की जिम्मेदारी हमारी ही है इसका मूल कारण बताते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा है कि

कोउ न काहू दुःख सुख कर दाता।

निज कृत कर्म भोग सुनु भ्राता ।।

अर्थात कोई भी व्यक्ति, वस्तु, या घटना किसी दूसरे के दुःख-सुख का कारण नही होतीं।
बल्कि व्यक्ति के कर्म ही उसके सुख-दुुुख का कारण होते हैैं।

दुःख का मूल कारण क्या है, दुःख क्यों होता है । ये दुःख हमें किस तरह प्रभावित करता है और जीवन मे खुशियाँ कैसे लाएं।

इन सभी विषयों पर प्रस्तुत विचारों को एक बार नहीं बार बार तब तक पढें,

जब तक इन शब्दों पर आपको विश्वास न हो जाये।

क्योंकि किसी भी बात पर विश्वास ही उस कार्य मे सफलता की पहली निशानी है।

अब यदि आप खुश रहना चाहते हैं तो दुःख का कारण जो मूल में हैं उसे उखाड़ फेंके ।

फिर देखिए जीवन मे कैसे सुख , सम्पन्नता, समृध्दि, सफलता, स्वास्थ्य, यश , कीर्ति, प्रेम की फसल लहलहा उठेगी।

हरदम खुश रहने के लिए सुनें https://youtu.be/n5loCN8EEpU

आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे जीवन में उतारने का प्रयास करें ।

अपने मित्रों व प्रियजनों को भी दुःख का मूल कारण जानने के लिए प्रेरित करें। और देखते रहें http://Indiantreasure.in

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