What exercise to do in paralysis ! Total Post View :- 1232

What is paralysis ! how to treat it.Know the perfect cure.

What is paralysis, how to treat it . Know the perfect cure. लकवा बहुत ही क्रूर बीमारी है। यह व्यक्ति के जीवन और खुशियों को रोक देती है। अधिक मात्रा में होने पर व्यक्ति अपने उठने, बैठने, खाने, पीने सभी कामों के लिए दूसरे व्यक्ति की दया के भरोसे हो जाता है। यह बीमारी लंबे समय तक चलती है। इसका कोई विशिष्ट इलाज एलोपैथ में नहीं होता है। किंतु कारणों पर आधारित चिकित्सा के बलबूते पर इसे ठीक किया जा सकता है।

लकवा हो जाने की स्थिति में भी निराश होने की आवश्यकता नहीं है हमारे योग ऋषि मुनियों के द्वारा बताई गई प्राणायाम और योग चिकित्सा पद्धति के आधार पर गंभीर से गंभीर लकवा को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। किंतु इसका प्रयोग अत्यंत गंभीरता और ईमानदारी के साथ किया जाना चाहिए तभी यह पूर्णत: दूर होता है। सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि लकवा कैसी बीमारी है और क्यों होती है। आज हम आपको लकवा से संबंधित समस्त जानकारी देने का प्रयास करेंगे जिससे आप अवश्य लाभान्वित होंगे अतः अवश्य पढ़ें What is paralysis ! how to treat it . Know the perfect cure. और अपने आसपास जरूरतमंद व्यक्ति को अवश्य प्रेषित करें व बताएं।

What is paralysis ! how to treat it . Know the perfect cure.

हमेशा से यह सुनते आए हैं कि लकवा लगने की बीमारी को लोग हवा लगना कहते हैं।

जिससे स्पष्ट होता है कि यह एक वायु जनित रोग है।

आयुर्वेद की भाषा में जब प्राण वायु कुपित हो जाती है तब यह लकवा रोग उत्पन्न होता है।

शरीर के जिस अंग में प्राण वायु का प्रवाह रुक जाता है अर्थात प्राणवायु जहां नहीं पहुंच पाती,

वहां के अंग सुन्न पड़ जाते हैं इसे ही लकवा होना कहते हैं।

लकवा होने का कारण जाने के बाद उसका इलाज करना आसान हो जाता है ।

जिस अंग में प्राणवायु नहीं पहुंच पा रही है यदि उस अंग में प्राणवायु पुनः पहुंचने लगे

तो लकवा रोग धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है और व्यक्ति 6 महीने के अंदर पूर्ण रूप से रोग मुक्त हो जाता है।

What is perfect cure of paralysis ! How to treat it.

पैरालिसिस का परफेक्ट इलाज अनुलोम विलोम प्राणायाम और चंद्रभेदी प्राणायाम होता है ।

जिसे एक निश्चित मात्रा में योग्य निर्देशक के सामने उचित रूप से किए जाने पर यह शत प्रतिशत लाभ होता है।

नियमित रूप से उपरोक्त प्राणायाम को किए जाने से लकवा ग्रस्त अंग में धीरे-धीरे प्राणवायु पहुंचने लगती है।

और 6 माह के अंदर ही व्यक्ति रोग मुक्त हो जाता है।

जिस प्रकार हम अपनी विभिन्न चिकित्सा के लिए मालिश या एक्यूप्रेशर आदि के लिए व्यवस्था करते हैं,

उसी प्रकार योग्य प्राणायाम निर्देशक को भी इस कार्य हेतु अवश्य नियुक्त करना चाहिए ।

जो पीड़ित व्यक्ति को रोजाना आधा घंटा से एक घंटा तक सुबह-शाम उपरोक्त प्राणायाम को विधिवत करावे।

ऐसा करने से व्यक्ति को शीघ्र लाभ होता है।

what exercises to do in paralysis !

लकवा ग्रस्त व्यक्ति को हमेशा बिस्तर पर पड़े या लेटे नहीं रहना चाहिए ।

जिन अंगों का संचालन होता हो उन अंगों को चलाते फिराते रहना चाहिए ।

जिससे ब्लड सरकुलेशन होता रहता है। और प्राणवायु निर्बाध रूप से शरीर के अंगों में प्रवाहित होती रहती है।

और धीरे-धीरे लकवा ग्रस्त अंग भी खुलने लगते हैं।

भोजन भी हल्का व सुपाच्य करना चाहिए जिससे वायु कुपित ना हो।

अनुलोम विलोम प्राणायाम व चंद्रभेदी प्राणायाम का नियमित अभ्यास करते हुए,

लगभग एक हजार बार की आवृत्ति तक पहुंचना चाहिए।

इस प्रकार प्रतिदिन एक हजार अनुलोम विलोम प्राणायाम व 1000 चंद्रभेदी प्राणायाम करने से,

प्राण वायु का प्रवाह लकवाग्रस्त अंगों में होने लगता है।

How to do Anulom Vilom Pranayama !

शरीर में सर्वत्र प्राण वायु सही मात्रा में पहुचती रहे इसके लिये “अनुलोम विलोम” प्राणायाम से बड़ा ,

कोई दूसरा एक्सपर्ट है ही नहीं क्योंकि अनुलोम विलोम प्राणायाम शरीर की 72000 नाड़ियों में मौजूद

अवरोधों को दूर करते हुए उनमे प्राण की गति निर्बाध करता है ।

अनुलोम विलोम प्राणायाम करने के लिए दाहिना हाथ ऊपर उठाकर ,

अंगूठे से बाईं नाक को बंद करते हुए दाहिनी नाक से सांस अंदर खींचे, फिर

बीच की दोनों अंगुलियों अनामिका( रिंग फिंगर) व मध्यमा( बीच की उंगली) से दाहिनी नाक बंद करें ।

और बाईं नाक से अंगूठा हटाते हुए सांस को बाहर छोड़ दें।अब बाईं नाक से सांस लेकर दाहिनी नाक से छोड़े ।

यह क्रम धीरे धीरे बढ़ाते जाएं। पहले ही दिन से 1000 आवृत्ति नहीं करनी चाहिए।

इसे अपने शरीर की क्षमता के अनुसार धीरे धीरे कर बढ़ाना चाहिए।

What instructions should a patient of paralysis follow in Pranayama?

किंतु यदि लकवा ग्रस्त व्यक्ति को दाहिने हाथ में लकवा हुआ है तो वह ऐसा अपने बाएं हाथ से भी कर सकता है।

किंतु यदि किसी व्यक्ति को दोनों साइड में लकवा मारा हो तो वह व्यक्ति ध्यान के माध्यम से ,

अपनी सांसों को महसूस करते हुए दाहिने व बाईं और से लेने और छोड़ने का प्रयत्न करना चाहिए ।

यह अत्यंत कठिन होता है किंतु बीमारी की अवस्था को देखते हुए स्वयं में सुधार लाने के लिए,

एकाग्रता के साथ इस अभ्यास को करने से भारी लाभ होता है।

प्राणायाम को करने की आधा पौन घंटा पहले तक किसी भी प्रकार की चाय कॉफी आदि पेय पदार्थ नहीं पीना चाहिए ।

तथा दो-तीन घंटा पहले तक भोजन नहीं खाना पीना चाहिए।

प्राणायाम करने के 15:20 मिनट बाद तक भी कुछ भी खाना पीना नहीं चाहिए।

How to do Chandra Bhedi Pranayama!

प्रतिदिन एक हजार तक अनुलोम विलोम प्राणायाम करने के अलावा,

चंद्रभेदी प्राणायाम का अभ्यास कम से कम 10 बार और अधिकतम जितना ज्यादा हो सके अवश्य करना चाहिए।

चंद्रभेदी प्राणायाम और अनुलोम विलोम प्राणायाम में अंतर मात्र इतना होता है कि,

अनुलोम विलोम प्राणायाम में दोनों नासिका से सांस ली और छोड़ी जाती है।

जबकि चंद्रभेदी प्राणायाम में केवल बाएं नासिका से ही सांस ली जाती है।

फिर कुंभक अर्थात सांस को रोक कर रखने के बाद दाई नाक से सांस छोड़ते हैं।

फिर वह बाईं ओर से सांस ली जाती है इस प्रकार हमेशा बाएं ओर से सांस ली जाती है।

कुंभक किया जाकर दाएं ओर से सांस निकाली जाती है।

जबकि अनुलोम विलोम प्राणायाम में कुंभक नहीं किया जाता केवल सांस ली जाती है और छोड़ी जाती है।

Learn Pranayama from a qualified instructor!

सोशल मीडिया में प्राणायाम को देखकर बहुत हल्के में नहीं लेना चाहिए।

यह शरीर विज्ञान की एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रक्रिया है।

मात्र प्राणायाम के करने भर से शरीर के समस्त रोगों से मुक्ति पाई जा सकती है।

प्राणायाम देखने और सुनने में आसान अवश्य लगते हैं किंतु यह अत्यंत सूक्ष्म क्रिया है।

अतः इसका अभ्यास हमेशा योग्य मार्गदर्शक के निर्देशन में करने पर उचित लाभ होता है।

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और अगर किसी आदमी के दोनों हाथों में लकवा मारा हुआ हो, तो भी उसे बिल्कुल भी घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वह बिना हाथ का इस्तेमाल किये हुए भी, सिर्फ ध्यान युक्त अनुलोम विलोम प्राणायाम करके भी पूरा लाभ निश्चित प्राप्त कर सकता है ! उस आदमी को अनुलोम विलोम प्राणायाम मानसिक ध्यान द्वारा करने के लिए सबसे पहले यह ध्यान करते हुए सांस को नाक के बाएं छेद से खीचने की कोशिश करनी चाहिए कि सांस उसके नाक के बाए छेद से ही अंदर आ रही है ! और फिर यह ध्यान करते हुए नाक के दायें छेद से सांस को बाहर निकालने का प्रयास करना चाहिए कि सांस दाए छेद से ही बाहर जा रही है ! उसके बाद अब यही पूरी प्रक्रिया उलट कर करना चाहिये अर्थात दायें छेद से अंदर आ रही है और बाएं छेद से बाहर निकल रही है !

नोट – किसी भी रोग की स्थिति में योग्य चिकित्सक से तत्काल सलाह अवश्य लें। व योग्य निर्देशन में प्राणायाम का अभ्यास करें। हमारा उद्देश्य सम्बन्धित जानकारियों व आपके स्वास्थ्य के प्रति आपको जागरूक करना है।

नई महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए देखते रहें आपकी अपनी वेबसाइट http://Indiantreasure. in

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