वज्रासन करने की विधि व फायदे ; यदि आप बुढ़ापे को दूर करना चाहते हैं तो वज्रासन को अवश्य अपनाएं। इसे करने से शरीर वज्र की तरह मजबूत हो जाता है।
यह एकमात्र ऐसा आसन है जिसे भोजन करने के बाद भी किया जा सकता है। इसके अनेक फायदे हैं। यह दो तरह से किया जाता है। 1- वज्रासन और 2- सुप्त वज्रासन।
आइए जानते हैं वज्रासन करने की विधि व लाभ ;
वज्रासन करने की विधि व फायदे
- दोनों पाँवों को घुटने मोड़कर पीछे की ओर ले जायें। उनके तलवे आकाश की ओर (ऊँचे उठे रहें।
- पाँव का दाँया अंगूठा बाँये पाँव के तलवे पर रहे तथा दोनों एड़ियाँ गुदा-द्वार के नीचे रहें, घुटने परस्पर मिले हों।
- कमर का ऊपरी भाग (मेरुदण्ड) एकदम तना रहे तथा गर्दन भी सीधी रहे।
- दोनों हाथों को दोनों घुटनों पर जमा लें। हाथों को अँगुलियाँ भी परस्पर मिली रहनी चाहिएं।
- अब दृष्टि को नाक के अग्र भाग पर टिकाकर सामान्य श्वास ले। इस स्थिति में अधिक से अधिक 15 मिनट तक बैठें।
टिप्पणी-
- बहुत मोटे आदमियों को इस आसन का अभ्यास करने में कुछ कठिनाई होती है,
- परन्तु नियमित अभ्यास से उन्हें भी सफलता मिल जाती है।
वज्रासन करने के फायदे
- इस आसन से ध्यान को एकाग्र करने में सहायता मिलती है।
- इसे भोजन करने के तुरन्त बाद भी किया जा सकता है। यह पाचन शक्ति को बढ़ाता है तथा खाना हजम करता है।
- इसके नियमित अभ्यास से पाँवों का बेढङ्गापन सुधर जाता है।
- यह अतिसार, पीठ दर्द तथा छाती के कष्टों को दूर करता है। वृद्धावस्था की शिथिलता को रोकता है।
- साइटिका रोग में भी लाभकारी है। इससे मानसिक निराशा तथा स्मरण शक्ति का ह्रास दूर होता है।
- स्त्रियों के मासिकधर्म सम्बन्धी दोषों को दूर करने में भी हितकर है।
सुप्त वज्रासन करने की विधि
- वज्रासन की स्थिति में बैठें। फिर धीरे-धीरे पीछे की ओर झुकते हुए पीठ को फर्श से लगा दें।
- प्रारम्भ में यदि सन्तुलन स्थिर न रख सकें तो कुहनियों का सहारा लेते हुए धड़ को पीछे की ओर ले जायें।
- सिर को यथा सम्भव पीठ की ओर झुकाते हुए पृथ्वी पर टिका देना चाहिए तथा
- पेट एवं छाती को यथा सम्भव ऊपर की ओर उठाये रखकर कमानी जैसा बना लेना चाहिए।
- घुटने जमीन से सटे रहने चाहिएं तथा श्वास की गति सामान्य रखनी चाहिए ।
- उक्त स्थिति में पाँच मिनट तक रहें।
- फिर धीरे-धीरे उठें तथा कुछ देर विश्राम करने के बाद पुनः तीन बार तक इसे दुहरायें ।
सुप्त वज्रासन करने के फायदे
- उक्त अभ्यास से मेरुदण्ड, पीठ की पेशियों, पेट की नसों तथा वस्ति-प्रदेश का उत्तम व्यायाम हो जाता है।
- यह पीठ के दर्द को मिटाता है तथा स्त्रियों के बाँझपन को दूर करने में सहायक है।
- अर्श (बवासीर) के रोगियों को इस आसन के अभ्यास से पर्याप्त लाभ पहुँचता है।
- अन्य सभी लाभ वज्रासन की भाँति ही समझने चाहिएं।
- इस अभ्यास को भोजन के तुरन्त बाद किया जा सकता है।
- इससे बुढ़ापा शीघ्र पास नहीं आता।
- इसे ‘वज्रासन’ की पूर्ण स्थिति भी कहा जा सकता है।
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उत्तानपादासन करने की विधि व लाभ
निष्कर्ष
आज आपने वज्रासन करने की विधि व फायदे तथा सुप्त वज्रासन करने की विधि व लाभ जाने। आशा है आपको यह आर्टिकल अवश्य अच्छा लगा होगा।
योग का अभ्यास करने से आयु बढ़ती है। अंत मे आपके स्वास्थ्य की शुभकामनाओं के साथ लेख को अन्त तक पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद।
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