Shivaji ki Aarti “Om Jai Shiv Omkara”: आरती शिवजी की : ओम जय शिव ओंकारा ! व क्षमाप्रार्थना मंत्र! भगवान शिव बहुत जल्दी ही प्रसन्न होते हैं अतः इन्हें आशुतोष भी कहा गया है। संपूर्ण पूजा के पश्चात आरती का विधान बताया गया है।
आरती एक स्तुति है। पूजा में यदि कोई भूल चूक भी हो जाती है तो आरती से वह संपूर्ण हो जाती है । अतः पूजा के पश्चात आरती करने का विशेष नियम बनाया गया है। जिसमें देवता के गुणों का वर्णन किया जाता है। पूजा में हुई सभी प्रकार की कमी को आरती पूरा करती है।
आरती के बाद हमेशा क्षमाप्रार्थना अवश्य करना चाहिए। आज आपको Shivaji ki Aarti “Om Jai Shiv Omkara”: आरती शिवजी की : ओम जय शिव ओंकारा ! और क्षमाप्रार्थना का मंत्र बताएंगे अतः इसे अंत तक अवश्य पढ़ें ।
Shivaji ki Aarti “Om Jai Shiv Omkara”: आरती शिवजी की : ओम जय शिव ओंकारा !
जय शिव ओंकारा, ॐ शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्द्धांगी धारा।। ॐ जय शिव..
एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे। ॐ जय शिव ..
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज ते सोहै।
तीनों रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहै। ॐ जय शिव…
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी। ॐ जय शिव…
करकेमध्य श्रेष्ठ कमंडलु चक त्रिशूल धर्ता।
सुखकर्ता दुखहर्ता जग पालनकर्ता। ॐ जय शिव ..
ब्रम्हा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनो एका। ॐ जय शिव ..
त्रिगुण शिव की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवांछित फल पावे।ॐ जय शिव..
जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्द्धांगी धारा।। ॐ जय शिव..
आरती सम्पन्न होने पर समस्त अपराध की क्षमा याचना की जाती है।
ॐ अपराध सहस्त्राणि क्रियन्तेहर्निशं मया, दासोयमिति मां क्षमस्व परमेश्वर:
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम।
पूजां चैव न जानामि क्षम्यताम परमेश्वर:
मंत्र हीनं क्रिया हीनं भक्ति हीनं सुरेश्वर:
यत्पूजितं मया देवो परिपूर्णम तदस्तु मे।
” हरि ओम तत्सत “
इस प्रकार Shivaji ki Aarti “Om Jai Shiv Omkara”: आरती शिवजी की : ओम जय शिव ओंकारा !सम्पन्न होती है। और पूजा में जाने या अनजाने में हुईं समस्त भूलचूक भी समाप्त हो जाती है।
“बोलो हर हर महादेव”
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