Shiksha prad manoranjak kahani ; pani piye chhan ke….Smt. Manorama dixit mandla. छोटी छोटी लघु कथाएं बड़ी शिक्षाओं का स्रोत होती है। जिनमे छिपे हुए सन्देश जीवन मे मार्गदर्शन करते हैं। बातों ही बातों में बच्चों को बड़ी बड़ी शिक्षा मिल जाती है। ऐसी ही Shiksha prad manoranjak kahani ; pani piye chhan ke…. पढ़ते हैं।
Shiksha prad manoranjak kahani ; pani piye chhan ke….
सतपुड़ा के घने जंगल में एक बहुत पुराना पीपल का पेड़ था।
उसकी घनी शाखाओं में चिड़िया चंचला ने अपना घोंसला बनाया था।
उसी पीपल की खोह में चुहिया “सुन्दरी” भी आराम से अपना जीवन बिता रही थी।
सुबह-शाम दोनों सहेलिया टहलने जाती और रास्ते भर खूब
घुलमिल कर बातें करतीं।आज अचानक “चंचला” चिडी को मजाक सूझा और उसने कहा- “चलों बहन सुन्दरी,
हम दोनों इस कुइया (छोटा सा कुआ) को फांदें।” नन्ही सुन्दरी बिना विचारे ही अपनी सहेली चंचला की बात मान
कुंइया फादने चल पड़ी। चंचला तो फुर्र से उड़कर कुंइया के
उस पार पहुंच गयी,परन्तु सुन्दरी चुहिया कुए के अंदर जा गिरी। अब चंचला ने हंसकर कहा- “सुंदरी बहिनी कुंइया मे गिर पड़ी रे।
परन्तु साहसी सुंदरी कुंए के अंदर से बोली- “कुंइया में गिरे तेरी मैया, बहिनिया हम तो गंगा नहा रहे हैं।”
थोड़ी देर में….
थोड़ी देर में एक प्यासे राहगीर ने पानी निकालने को बाल्टी डाली, तो सुंदरी बाल्टी के किनारे में बैठकर ऊपर आ गयी।
उसे देख चंचला फिर चिढ़ाने लगी- “सुंदरी बहिन बाल्टी में बैठी रे।” सुंदरी ने तत्काल जवाब दिया-
बाल्टी में बैठे तेरी मैया, बहिनिया हम तो डोली में बैठे हैं पथिक ने देखा कि बाल्टी में चुहिया तैर रही है,
अतः उसने पानी फेंक दिया। अब बातूनी चंचला ने चहक कर कहा- “सुन्दरी दीदी कीचड़ में गिर गई रे।”
सुन्दरी ने तुरन्त जवाब दिया- “कीचड़ में गिरे तेरी मैया,
बहिनिया हम तो धूप तापती हैं रे।”तभी एक चील उड़ता हुआ आया और चुहिया सुन्दरी को अपनी चोंच में दबा उड़ने लगा।
यह देख चंचला चिल्लायी- “सुन्दरी को चील दबा लिया रे।” सुन्दरी भी कब चूकने वाली थी,
उसने भी साहस भरी आवाज से उत्तर दिया- “चील दबाये तेरी मैया, बहिनिया हम तो विमान में उड़ती है ।”
कुछ ही देर में चील और सुन्दरी चुहिया नीले आसमान
में गायब हो गये।
Shiksha prad manoranjak kahani ; pani piye chhan ke….बच्चों कितनी…
बच्चो कितनी साहसी थी चुहिया सुन्दरी, जिसने अचानक आयी विपत्तियों को गा-गाकर पार किया ।
हमें बुरे समय का सामना बड़े धैर्य से करना चाहिए। पर हां, एक भूल जो सुन्दरी ने बिना सोचे समझे चंचला चिड़ी की
बातों में फंसकर की थी वह तुम कभी न करना विपत्ति आने
पर धैर्य के साथ ही विवेक से निर्णय भी लेना चाहिए औरदुःसाहस नहीं करना चाहिये। चंचला के तो पंख थे अतः उसे कुंआ पार करना सरल था.
किन्तु नन्ही चुहिया को उसकी नकल करने से नुकसान उठाना पड़ा।
एक दुसाहस भरी भूल में फंसकर वह लगातार विपत्ति में फंसती रही।
और हां दोस्तों, कभी ऐसी सहेली या मित्र नहीं बनाना जो कष्ट में तुम्हारी मदद न करें, तुम्हारा मजाक उड़ायें।
किसी ने सच ही कहा है “पानी पीजे छान के, मित्र बनायें जान के” क्यों कैसी लगी यह कथा ?
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