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Panchtantra Introduction- Ek parichaya Panchtantra.

Panchtantra Introduction- Ek parichaya Panchtantra. (परिचय-पंचतंत्र ,पंचतन्त्र के रचयिता – पं. विष्णु शर्मा ) पं॰ विष्णु शर्मा प्रसिद्ध संस्कृत नीतिपुस्तक पंचतन्त्र के रचयिता थे।नीतिकथाओं में पंचतन्त्र का पहला स्थान है। उपलब्ध प्रमाणों के आधार पर कहा जा सकता है कि जब इस ग्रंथ की रचना पूरी हुई, तब उनकी उम्र ८० वर्ष के करीब थी। वे दक्षिण भारत के महिलारोप्य नामक नगर में रहते थे। पूरे जीवन के अनुभव व ज्ञान पर आधारित यह ग्रन्थ अबोध बालको को भी सरल व सहज तरीके से शिक्षित करने सक्षम है।

Panchtantra Introduction- Ek parichaya

संस्कृत नीतिकथाओं में पंचतंत्र का पहला स्थान माना जाता है।

यद्यपि यह पुस्तक अपने मूल रूप में नहीं रह गयी है, फिर भी उपलब्ध अनुवादों के आधार पर

इसकी रचना तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व[1] के आस- पास निर्धारित की गई है।

इस ग्रंथ के रचयिता पं॰ विष्णु शर्मा है।

उपलब्ध प्रमाणों के आधार पर कहा जा सकता है कि जब इस ग्रंथ की रचना पूरी हुई,

तब उनकी उम्र लगभग ८० वर्ष थी।

Panchtantra Introduction- Ek parichaya

  • पंचतंत्र को पाँच तंत्रों (भागों) में बाँटा गया है:
  • 1- मित्रभेद (मित्रों में मनमुटाव एवं अलगाव)
  • 2- मित्रलाभ या मित्रसंप्राप्ति (मित्र प्राप्ति एवं उसके लाभ)
  • 3- काकोलुकीयम् (कौवे एवं उल्लुओं की कथा)
  • 4- लब्धप्रणाश (हाथ लगी चीज (लब्ध) का हाथ से निकल जाना (हानि))
  • 5- अपरीक्षित कारक (जिसको परखा नहीं गया हो उसे करने से पहले सावधान रहें ; हड़बड़ी में कदम न उठायें)
  • मनोविज्ञान, व्यवहारिकता तथा राजकाज के सिद्धांतों से परिचित कराती ये कहानियाँ,
  • सभी विषयों को बड़े ही रोचक तरीके से सामने रखती है तथा साथ ही साथ एक सीख देने की कोशिश करती है।
  • पंचतंत्र की कई कहानियों में मनुष्य-पात्रों के अलावा कई बार पशु-पक्षियों को भी कथा का पात्र बनाया गया है
  • तथा उनसे कई शिक्षाप्रद बातें कहलवाने की कोशिश की गई है।

पंचतंत्र की कहानियां..

  • पंचतन्त्र की कहानियां बहुत जीवंत हैं। इनमे लोकव्यवहार को बहुत सरल तरीके से समझाया गया है।
  • बहुत से लोग इस पुस्तक को नेतृत्व क्षमता विकसित करने का एक सशक्त माध्यम मानते हैं।
  • इस पुस्तक की महत्ता इसी से प्रतिपादित होती है कि इसका अनुवाद विश्व की लगभग हर भाषा में हो चुका है।
  • नीतिकथाओं में पंचतंत्र का पहला स्थान है। पंचतंत्र ही हितोपदेश की रचना का आधार है।

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पंचतंत्र की लोकप्रिय व नीतिपरक समस्त कहानियों को एक ही स्थान पर संकलित कर आप तक पहुंचाने का प्रयास हमारे द्वारा किया गया है। ताकि आपकी अपनी वेबसाइट indiantreasure .in के माध्यम से आपको सुलभ हो सके।

पंचतंत्र के पांच तंत्र (भाग) में कुल 67 कहानियां है। जिनमे प्रथम तंत्र – मित्रभेद में 23 कहानियों का संग्रह है।

द्वितीय तंत्र – मित्रलाभ या मित्र सम्प्राप्ति में कुल 5 कहानियां है।

तृतीय तंत्र – काकोलुकीयम में 14 कहानियां हैं। एवं चतुर्थ तंत्र – लब्धप्रणाश में 11 कहानियां है।

पंचतंत्र के पांचवे तंत्र – में अपरिक्षितकारक 14 कहानियां है। उस प्रकार कुल 67 कहानियों का समावेश किया गया है।

ये कहानियां अत्यंत नीतिपरक है जिससे जीवन मे आवश्यक सभी तरह है ज्ञान अर्जित किया जा सकता है।अतः अवश्य पढें।

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