Narmada jayanti 2021: नर्मदा जयंती 2021 Total Post View :- 1843

Narmada jayanti: 2021 नर्मदा जयंती 2021

Narmada jayanti 2021: नर्मदा जयंती माघ मास के शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है।

मेकल के पहाड़ों से (अमरकंटक से) निकल कर माता जग का उद्धार करती बह रही है।

यह 16 जिलों से होकर गुजरती है। स्कन्दपुराण के रेवा खण्ड में नर्मदाजी का महात्म्य बताया गया है।

इस लेख में आप पाएंगे-

  1. नर्मदाजी का जन्म कैसे हुआ ।
  2. उल्टी दिशा मे क्यों बहती हैं नर्मदाजी।
  3. नर्मदा जी का क्या महत्व है।
  4. नर्मदा जयंती( Narmada jayanti 2021)
  5. आरती।
  6. श्री नर्मदाष्टकम।

1- नर्मदाजी का जन्म कैसे हुआ।

स्कंद पुराण में रीवा खंड में मां नर्मदा की उत्पत्ति की कथा बताई गई है।

जिसके अनुसार एक बार सभी देवता लोग भगवान विष्णु के पास अपनी मुक्ति हेतु प्रार्थना करने लगे।

तो भगवान विष्णु ने भगवान शंकर से इसका समाधान ढूंढने के लिए कहा।

उस समय भगवान शंकर अंधकासुर का वध करके मैं कल की पहाड़ियों पर अमरकंटक में विराजमान थे।

घोर समाधि में लीन होने के कारण उनके माथे से पसीने की बूंद छलक पड़ी।

जिसने धरती पर पड़ते ही एक सुंदर कन्या का रूप ले लिया। महादेव ने उसका नाम नर्मदा रखा।

तथा उस कन्या को नदी के रूप में बहने का आदेश दिया। भगवान शिव ने नर्मदा को आशीर्वाद दिया।

यह सुनकर नर्मदा ने शिव जी से कहा कि मैं अकेले कैसे कर पाऊंगी। तब शिवजी ने कहा की तुम अकेले नहीं हो।

तुम्हारे जल में पड़ा हुआ प्रत्येक पत्थर, कंकड़, राख, हड्डी, सब शिव रूप हो जाएगा।

इस प्रकार नर्मदा जी की उत्पत्ति मेकल की पहाड़ियों (अमरकंटक) से हुई है।

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2- उल्टी क्यों बहती है नर्मदा।

यह एक प्रेम कथा है। जो नर्मदा जी का सोनभद्र से वियोग दिखाती है।

राजकुमारी नर्मदा मेकल की पुत्री थी। राजा ने अपनी पुत्री के विवाह के लिए एक शर्त रखी थी।

जो व्यक्ति गुलबकावली का फूल लाएगा उसी से राजा अपनी पुत्री नर्मदा का विवाह करेंगे।

नर्मदाजी सोनभद्र के बारे में सुन रखा था। मन ही मन नर्मदा जी सोनभद्र से प्रेम करने लगी थी।

सोनभद्र ने राजा की शर्त को पूरी की। और गुलबकावली का फूल लाकर दिया।

सोनभद्र और नर्मदा जी की शादी तय हो चुकी थी। सोनभद्र ने कभी नर्मदा जी को नहीं देखा था।

नर्मदा जी ने अपनी दासी जूहीला के द्वारा सोनभद्र को प्रेम पत्र भेजा। जूहीला ने राजकुमारी से उनके कपड़े मांगे।

उन्हीं कपड़ों को पहनकर दासी जूहीला सोनभद्र के पास गई। वहां जाकर दासी जूहीला का मन सोनभद्र को देखकर बदल गया।

सोनभद्र भी दासी जोहिला को राजकुमारी समझ कर उसके साथ रहने लगे। जूहीला ने सोनभद्र को सच्चाई नहीं बताई।

बहुत दिन बीतने पर जब जुहिला वापस नहीं आई । तब नर्मदा जी स्वयं सोनभद्र से मिलने पहुंची।

वहां पहुंचकर नर्मदा जी ने सोनभद्र को दासी के साथ देखा । यह देख नर्मदा जी बहुत क्रोध में आ गई ।

क्रोध में भरकर नर्मदा जी वापस मुड़कर उल्टी दिशा में चल पड़ी। सोनभद्र को जब सच्चाई पता चली तब उन्होंने नर्मदा जी को बहुत रोका।

किंतु नर्मदा जी नहीं लौटी। तभी से आज तक सारी नदियां पूर्व दिशा की ओर बहती हैं।

वही नर्मदा जी पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर उलटी बहती है।

3- नर्मदा जी का महत्व ।

Narmada jayanti 2021

गंगे च यमुना चैव गोदावरी सरस्वती।

नर्मदे सिंधु कावेरी जलेsस्मिन सन्निधिम कुर्यात ।।

सात पवित्र धार्मिक नदियों में नर्मदा जी का नाम है। सात धार्मिक नदियां गंगा, यमुना, गोदावरी,सरस्वती, नर्मदे, सिंधु, कावेरी है।

स्कंद पुराण रेवा खंड में बताया गया है की नर्मदा के दर्शन मात्र से सारे पाप धुल जाते हैं।

कलयुग में जो फल गंगा जी में स्नान से प्राप्त होता है । वहीं फल मां नर्मदा के दर्शन से प्राप्त होता है।

मां नर्मदा के दर्शन मात्र से तीन जन्मों के पाप और स्नान से सात जन्मों के पाप और दोष मिट जाते हैं।

सभी मनोकामना को पूर्ण करने वाली मां रेवा की आरती मोक्ष दायक है।

रुद्र के अंश से पैदा होने के कारण मां नर्मदा की आराधना से भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं।

पुण्या कनखले गंगा, कुरुक्षेत्रे सरस्वती।

ग्रामे वा यदि वारण्ये, पुण्या सर्वत्र नर्मदा।।

अर्थात मत्स्य पुराण के अनुसार कनखल क्षेत्र में गंगा पवित्र है। कुरुक्षेत्र में सरस्वती पवित्र है। किंतु ग्राम हो या वन हो सभी जगह मां नर्मदा पवित्र हैं।

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4- नर्मदा जयंती ।Narmada jayanti 2021

मध्यप्रदेश में Narmada jayanti 2021 महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

दूर-दूर से श्रद्धालु मां नर्मदा के घाटों पर आकर पूजा अर्चना करते हैं। घाटों पर दीपदान किया जाता है।

श्रद्धालुओं के द्वारा जगह-जगह भंडारे किये जाते हैं। नर्मदा जयंती पर पूरे मध्यप्रदेश का कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं सोता।

अमरकंटक से लेकर खंभात की खाड़ी तक नर्मदा जयंती पर अनेक धार्मिक कार्यक्रम होते हैं।

इस दिन माता को चुनरी भी चढ़ाई जाती है। इस अवसर पर भगवान शंकर की भी पूजा अर्चना और रुद्राभिषेक किया जाता है।

प्रत्येक व्यक्ति अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार माता की पूजा करते हैं। घाटों पर महाआरती का आयोजन किया जाता है।

इस बार Narmada jayanti 2021 में कोरोना कारण विशेष इंतजाम किए गए हैं।

5-माँ नर्मदाजी की पवित्र आरती-

Narmada jayanti 2021

पूजा में आरती कैसे करें ! आरती का महत्व व विधि! माँ अम्बे जी की आरती!

ॐ जय जगदानन्दी, मैया जय आनंद कन्दी।। ब्रह्मा हरिहर शंकर, रेवा शिव हर‍ि शंकर रुद्रौ पालन्ती।।  ॐ जय जगदानन्दी

नारद सारद तुम वरदायक, अभिनव पदण्डी। सुर नर मुनि जन सेवत, सुर नर मुनि…शारद पदवाचन्ती।।  ॐ जय जगदानन्दी 

धूमक वाहन राजत, वीणा वाद्यन्ती।। झुमकत-झुमकत-झुमकत,  झननन झमकत रमती राजन्ती।  ॐ जय जगदानन्दी

बाजत ताल मृदंगा, सुर मण्डल रमती। 
तोड़ीतान-तोड़ीतान-तोड़ीतान, तुरड़ड़ रमती सुरवन्ती।।  ॐ जय जगदानन्दी 

देवी सकल भुवन पर आप विराजत, निशदिन आनन्दी। गावत गंगा शंकर, सेवत रेवा शंकर तुम भट मेटन्ती।।  ॐ जय जगदानन्दी

 मैयाजी को कंचन थार विराजत, अगर कपूर बाती।। अमर कंट में विराजत घाटन घाट बिराजत, कोटि रतन ज्योति। ॐ जय जगदानन्दी

 मैयाजी की आरती निशदिन पढ़ गा‍वे, हो रेवा जुग-जुग नरगावे, भजत शिवानन्द स्वामी जपत हर‍ि नंद स्वामी मनवांछित पावे। ॐ जय जगदानन्दी

6- श्री नर्मदाष्टकम

त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे।
नमामि देवी नर्मदे, नमामि देवी नर्मदे।

1- सबिंदु सिन्धु सुस्खल तरंग भंग रंजितम।
द्विषत्सु पाप जात जात कारि वारि संयुतम।।
कृतान्त दूत काल भुत भीति हारि वर्मदे।
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे।।

2- त्वदम्बु लीन दीन मीन दिव्य सम्प्रदायकम।
कलौ मलौघ भारहारि सर्वतीर्थ नायकं।।
सुमस्त्य कच्छ नक्र चक्र चक्रवाक् शर्मदे।
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे।।

3- महागभीर नीर पुर पापधुत भूतलं।
ध्वनत समस्त पातकारि दरितापदाचलम।।
जगल्ल्ये महाभये मृकुंडूसूनु हर्म्यदे।
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे।।

4- गतं तदैव में भयं त्वदम्बु वीक्षितम यदा।
मृकुंडूसूनु शौनका सुरारी सेवी सर्वदा।।
पुनर्भवाब्धि जन्मजं भवाब्धि दुःख वर्मदे।
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे।।

5- अलक्षलक्ष किन्न रामरासुरादी पूजितं।
सुलक्ष नीर तीर धीर पक्षीलक्ष कुजितम।।
वशिष्ठशिष्ट पिप्पलाद कर्दमादि शर्मदे।
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे।।

6- सनत्कुमार नाचिकेत कश्यपात्रि षटपदै।
धृतम स्वकीय मानषेशु नारदादि षटपदै:।।
रविन्दु रन्ति देवदेव राजकर्म शर्मदे।
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे।।

7- अलक्षलक्ष लक्षपाप लक्ष सार सायुधं।
ततस्तु जीवजंतु तंतु भुक्तिमुक्ति दायकं।।
विरन्ची विष्णु शंकरं स्वकीयधाम वर्मदे।।
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे।।

8- अहोमृतम श्रुवन श्रुतम महेषकेश जातटे।
किरात सूत वाड़वेषु पण्डिते शठे नटे।।
दुरंत पाप ताप हारि सर्वजंतु शर्मदे।
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे।।

9- इदन्तु नर्मदाष्टकम त्रिकलामेव ये सदा।
पठन्ति ते निरंतरम न यान्ति दुर्गतिम कदा।।
सुलभ्य देव दुर्लभं महेशधाम गौरवम।
पुनर्भवा नरा न वै त्रिलोकयंती रौरवम।।

त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे।
नमामि देवी नर्मदे, नमामि देवी नर्मदे।
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे।।

श्री नर्मदाष्टक रिंगटोन👇👇

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Narmada jayanti 2021 पर यह लेेेख में आवश्यक जानकारी देने का पूरा प्रयास किया गया है।

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8 thoughts on “Narmada jayanti: 2021 नर्मदा जयंती 2021

  1. नर्मदे हर नर्मदे हर त्राहि माम..नर्मदे हर . नर्मदे हर रक्षमाम…जय माँ नर्मदे..🙏💞👑✨✨
    बहुत सुंदर लेख…धन्यवाद मेम ..💝🌹

  2. नर्मदे हर ..नर्मदे हर..नर्मदे हर त्राहि माम..नर्मदे हर..नर्मदे हर ..नर्मदे हर रक्षमाम.. हर हर नर्मदे…🙏👑✨💞
    धन्यवाद मेम…👑🌹💝

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