कार्तिक मास का महत्व क्या है Total Post View :- 2860

कार्तिक मास का महात्म्य ; व्रत व पूजन विधि

गंगाजी में कार्तिक स्नान

 

 शास्त्रों में कार्तिक मास का महात्म्य
बताया गया है

ना कार्तिक समो मासे, न कृतेन समम् युगम।
न् वेदसदृशं शास्त्रं, न् तीर्थ गंगा समम् ।।



अर्थात कार्तिक के समान कोई दूसरा मास नहीं है ,
जैसे कि कृत युग /सतयुग के समान कोई युग नहीं है।

वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है ,और गंगा जी के समान कोई तीर्थ नहीं है।

इस लेेेख में मैंने कार्तिक मास का महत्व व व्रत-नियम के सम्बंध में विस्तृत जानकारी देने का प्रयास किया है।


शास्त्रों में 12 महीनों में सबसे पवित्र मास कार्तिक मास को कहा गया है।

यह मास भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है।

यह भी मान्यता है कि कार्तिक मास में किया गया धार्मिक कार्य अनंत गुना फल देता है।

इसी माह में अधिकतम व्रत व त्यौहार पड़ते हैं।

इसी मास में शिव नंदन कार्तिकेय ने तारकासुर राक्षस का वध किया था।

इसीलिए इस मास का नाम कार्तिक पड़ा जो विजय दिलाने वाला है।

इस मास में की गई थोड़ी सी भी पूजा या उपासना यह नियम भगवान को अति प्रिय है।

कार्तिक मास में भगवान बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं।

तथा की गई पूजा बहुत जल्दी फलित होती है।

आइए कार्तिक मास से सम्बंधित सभी प्रश्नों के जवाब जाने,

  1.  कब शुरू होता है कार्तिक मास ?
  2.  सूर्योदय का समय क्या है?
  3. इस मास में किसकी पूजा होती है?
  4.  क्या करना चाहिए कार्तिक मास में ?
  5.  क्या नहीं करना चाहिए?
  6. कार्तिक मास के व्रत और नियम क्या है?

संस्कार क्या है?इनका निर्माण कैसे करें? कौन से संस्कार निर्मित करें?

1-कार्तिक मास कब शुरू होता है?|When does Karthik Mass begin?

कार्तिक मास व्रत स्नान, अश्विन शुक्ल पूर्णिमा से प्रारंभ हो जाता है।

जो पूर्णिमा तक पूरे एक माह तक चलता है।जिसमें सूर्योदय के पूर्व स्नान करना चाहिए।

2- कार्तिक मास में सूर्योदय का समय क्या है?|What is the sunrise time in Kartik month?

आप की सुविधा हेतु सूर्योदय का समय लाला रामस्वरूप पंचांग के अनुसार जाना जा सकता है।

इस प्रकार सूर्योदय के पूर्व किसी पवित्र नदी गंगा यमुना आदि में स्नान करना अत्यंत फलदाई माना जाता है।

किंतु यदि नदी की उपलब्धता ना हो तब नहाने के पानी में गंगाजल डालकर,स्नान करना भी गंगा स्नान के बराबर पुण्य फलदाई है।

गंगाजल को विष्णु जी के चरणों का धोवन माना जाता है।अत: गंगा स्नान का बहुत महत्व होता है।

3- कार्तिक मास में किसकी पूजा होती है?|Who is worshiped in Kartik month?

कार्तिक मास का महात्म्य

कार्तिक मास में विशेषत: राधा कृष्ण, तुलसीजी की पूजा की जाती है।

पीपल, आंवला, शिवजी, कार्तिकेय व सूर्य की पूजा भी की जाती है।

कार्तिक मास में प्रतिदिन विष्णु जी को “तुलसी” एवं सूर्य को अवश्य “जल” चढ़ाना चाहिए।

तथा सभी देवताओं की परिक्रमा भी अवश्य करना चाहिए।

सायंकाल में भगवान व तुलसी जी की पूजा कर दीपदान अवश्य करना चाहिए।

कलियुग में दान कैसे करें?

4- कार्तिक मास में क्या करना चाहिए?|What to do in Karthik month?

कार्तिक मास में कुछ नियम बताए गए हैं; जिनका पालन अवश्य में किया जाना चाहिए ।

1- प्रातः स्नान!

सूर्योदय से पूर्व किसी नदी में स्नान करें।

या घर पर ही गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए। स्नान करते समय “स्नान मंत्र” –

कार्तिक अर्घ्य मया दत्तम प्रातः स्नान जनार्दनम।
नित्य के निमित्त के सर्व पाप नाशनम।।”

इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।

2-तुलसी पूजा!

कार्तिक मास में प्रतिदिन स्नान के पश्चात तुलसी जी की पंचोपचार पूजा करें।

अर्थात जल, हल्दी, चंदन, कुमकुम ,पुष्प ,गंध, नैवेद्य, आरती आदि अवश्य करना चाहिए।

3- दीपदान!

दीपदान अवश्य करें!

कार्तिक मास में दीपदान का बहुत ही ज्यादा महत्व है ।

यदि कुछ न भी हो सके तो दीपदान तो अवश्य ही करना चाहिए।

अतः किसी भी मंदिर भगवान विष्णु के समक्ष।

या घर में तुलसी जी के समक्ष ,आंवला वृक्ष के पास।

या चौराहे पर जो भी सुविधा अनुसार उपलब्ध हो दीपक अवश्य जलाएं।

तुलसी के समीप दीपक जलाने से मनुष्य अनंत पुण्य का भागी बनता है।

4- भूमि शयन!

भूमि पर ही सोना अत्यंत पवित्र माना जाता है।

अतः कार्तिक मास में संभव हो तो भूमि पर शयन करना चाहिए।

इससे मन में सात्विक प्रवृत्ति का उदय होता है।

5- ब्रह्मचर्य का पालन!

इस मास में मन, वचन और कर्मों से पूर्णतः ब्रम्हचर्य का पालन करना चाहिए।क्योंकि यह अत्यंत ही पवित्र काल माना जाता है।

इसलिए इस मास में पवित्र विचारों का ही चिंतन मनन होना चाहिए ।

6- जप करना!

कार्तिक मास मे अधिकतम जप करना चाहिए।

ऐसा माना जाता है कि किए गए जप का प्रभाव अनंत गुना हो जाता है।

इसीलिए जितना ज्यादा से ज्यादा हो सके भगवान के नाम का स्मरण करते रहना चाहिए।

5- कार्तिक मास में क्या नहीं करना चाहिए?|What not to do in Karthik month?

कुछ ऐसे नियम है जिनमें कार्तिक का व्रत रखने वालों को व जो व्रत नहीं रख रहे हैं।

सभी को कम से कम कुछ नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए ।

यह हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक होते हैं।

1- दाल का निषेध!

कार्तिक मास में किसी भी प्रकार की दालें नहीं खाना चाहिए ।

खासकर मसूर दाल तो बिल्कुल भी नहीं खाना चाहिए।

2- मांस मदिरा निषेध!

 किसी भी प्रकार की हिंसा ना करते हुए,पूर्ण पवित्रता के साथ बिताना चाहिए।

इस मास में मांस व मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।अन्यथा व्यक्ति के समस्त पुण्य नष्ट हो जाते हैं।

3- निंदा या चुगली ना करें!

इस पूरे मास में अत्यंत शांत भाव से भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए, जप व पूजन करना चाहिए।

तथा किसी भी स्थिति में किसी की भी निंदा, बुराई या चुगली नहीं करना चाहिए।

4- तेल मालिश वर्जित है!

कार्तिक मास में अंगों में तेल मालिश नहीं करने का नियम बताया गया है।

कैसे करें स्नान? जानिए स्नान के प्रकार व फायदे!

6- कार्तिक व्रत के नियम या प्रकार!|Rules and types of Kartik Vrat.

कार्तिक मास अत्यंत शुभ फलदाई व समस्त मनोकामना को पूर्ण करने वाला मास है।

जिसमें कार्तिक व्रती विभिन्न तरह से व्रत रखते हैं।

पहला चंद्रायण व्रत!

 शास्त्रों में कार्तिक मास का महात्म्य बताया गया है।इसमें सूर्योदय के पूर्व गंगा यमुना में स्नान करें ।

तथा भगवान विष्णु और तुलसी जी की पूजा करें। घर में घी का अखंड दीप मास पर्यंत प्रज्वलित रखें।

व तुलसी के पास जौ बोना चाहिए।

दूसरा तारा भोजन!

कार्तिक मास के प्रारंभ होते ही अश्विन मास के पूर्णमासी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक,

पूरे 1 माह तक नित्य प्रति व्रत करना चाहिए। इस व्रत के अनुसार-प्रतिदिन रात को तारों को अर्घ्य देकर फिर स्वयं भोजन करना चाहिए ।

व्रत के आखरी दिन उद्यापन करें ।उद्यापन में पांच ब्राह्मणों को सीधा सामग्री व सुराही देकर,

घर की बुजुर्ग महिला या सासू जी को वस्त्र दान कर चरणस्पर्श करना चाहिए।(कार्तिक मास का महात्म्य)

तीसरा छोटी सांकली!

छोटी सांकली व्रत भी कार्तिक लगते ही पूर्णमासी से प्रारंभ हो जाता है ।उस दिन कुछ भी ना खाएं अर्थात व्रत रखें ।

फिर 2 दिन भोजन करें। फिर उसके बाद 1 दिन व्रत रखें। इसी बीच यदि रविवार या एकादशी पड़ जाए तो दोनों दिन तक बिल्कुल भोजन ना करें ।

इस प्रकार पूरे कार्तिक मास भर यही क्रम चलता रहता है।व्रत पूर्ण होने के दिन हवन व उद्यापन करें।

उद्यापन में 31 ब्रह्मणों को भोजन कराते हैं। तथा एक ब्राम्हण ब्राम्हणी पति-पत्नी को भोजन कराया जाता है।

घर की बुजुर्ग महिला या सासू जी को वस्त्र दान कर चरण स्पर्श करना चाहिए। (कार्तिक मास का महात्म्य)

चौथा बड़ी सांकली!

बड़ी सांकली भी पूर्णमासी से प्रारंभ होता है। इसमें 1 दिन व्रत करें। दूसरे दिन भोजन करें।

फिर तीसरे दिन व्रत करें । इसी प्रकार पूरे माह भर यह क्रम चलता रहता है।

यदि बीच में एकादशी या रविवार पड़े तो 2 दिन का व्रत रखते हैं।

इसका उद्यापन भी छोटी सांकली व्रत की तरह ही किया जाता है। ( कार्तिक मास का महात्म्य)

पांचवां त्रिकार्तिक व्रत

इसके अनुसार यदि किसी विशेष परिस्थितियों के कारण या शारीरिक अस्वस्थता के कारण,

कार्तिक मास का व्रत या स्नान बीच में टूट जाता है।तब ऐसी स्थिति में त्रिकार्तिक व्रत किया जाता है।

जो संपूर्ण मास के स्नान और व्रत के समान ही फलदाई होता है।

त्रिकार्तिक व्रत कार्तिक मास की त्रयोदशी से प्रारंभ होता है ।

त्रयोदशी, चतुर्दशी एवं पूर्णिमा को विधिवत सूर्योदय के पूर्व स्नान करें।

एवं तुलसी जी विष्णु जी सूर्य आदि देवताओं की विधिवत पूजा करें।

परिक्रमा करें तथा दीप दान करें जप इत्यादि करें। शास्त्रों में इस मास की अनंत महिमा बताई गई है ।

कार्तिक मास में संभव हो तो भोजन दिन में एक ही समय करना चाहिए।

एवं जलाशय में जाकर सूर्योदय से पहले स्नान करने,

तथा जलाशय के निकट दीपदान करने से विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।

कार्तिक मास में व्रत व पूजा करने से अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य फल मिलता है।

स्कंद पुराण में कार्तिक मास का महात्म्य बताया गया है कि


मासानां कार्तिक:श्रेष्ठो, देवानां मधुसूदन।
तीर्थं नारायणाख्यं हि,त्रितयं दुर्लभ कलौ।

अर्थात स्कंद पुराण में विष्णु भगवान ने कहा है कि कार्तिक मास सभी मासों में श्रेष्ठ व दुर्लभ है।

किंतु अपनी अपनी श्रद्धा व शक्ति व सामर्थ्य के अनुसार,किसी भी व्रत ,  का पारण करना चाहिए।

जिससे देवता भी प्रसन्न हों और स्वयं भी स्वस्थ रह सकें।

अतः आपको जानकारी अच्छी लगे तो कमेंट कर अवश्य बताएं ।

तथा पोस्ट को सभी कार्तिक व्रत करने वालों तक पहुंचा कर पुण्य लाभ ले।

Spread the love

6 thoughts on “कार्तिक मास का महात्म्य ; व्रत व पूजन विधि

  1. कार्तिक मास की अत्यंत ज्ञानवर्धक जानकारी प्रदान करने के लिए धन्यवाद

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!