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जया एकादशी व्रत का महत्व, कथा व पूजनविधि।

जया एकादशी व्रत माघ माह की शुक्ल पक्ष के ग्यारस को तिथि को जया एकादशी कहते हैं।
एकादशी तिथि अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। भगवान विष्णु को प्रिय ग्यारस की यह तिथि विष्णु भक्तों के लिए वरदान है।

इस आर्टिकल में आप पाएंगे

  • पूजन सामग्री।
  • पूजन विधि ।
  • क्या करें।
  • एकादशी की कथा।
  • जया एकादशी का महत्व।
  • विशेष मंत्र ।
  • श्री कृष्ण की आरती।

जया एकादशी व्रत में पूजन सामग्री क्या होनी चाहिए।

जया एकादशी में भगवान केवल श्री कृष्ण की पूजा की जाती है। श्री कृष्ण प्रेम और सौंदर्य के देवता है।

देवों के देव श्री कृष्ण को गंगाजल फूल अक्षत रोली तथा अन्य सुगंधित पदार्थों से पूजन करनी चाहिए।

भोग सामग्री में माखन मिश्री का भोग लगाना चाहिए। भोग सामग्री में तुलसी पत्र चढ़ाकर भोग लगाना चाहिए।

श्री कृष्ण को पीतांबर एवं मोर पंख और मुरली अर्पित करनी चाहिए।

जया एकादशी व्रत की पूजन विधि क्या है। 

श्री कृष्ण की पूजन के लिए प्रातः काल स्वयं गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करें।

घर के ही मंदिर में श्री कृष्ण की मूर्ति या फोटो के समक्ष हाथ में गंगाजल लेकर व्रत का संकल्प करें।

भगवान को गंगाजल से स्नान कराएं। पीले वस्त्र (पीतांबर) पहनाएं। केसर का तिलक लगाएं। पीले फूल चढ़ाएं।

घी का दीपक जलाकर आरती उतारे। माखन मिश्री का भोग लगाएं। एवं भोजन कराएं।

जया एकादशी व्रत के दिन क्या करें। 

  • श्रीमद्भागवत गीता का अध्ययन अवश्य करें।
  • भगवान के भोग को स्वयं खाएं ।
  • ब्राह्मण को भोजन कराएं।
  • ब्राह्मणों को यथाशक्ति दान दें।
  • प्रसाद परिवार के सभी जनों में वितरित करें।
  • बच्चों को मीठा खिलाएं। यह नारायण सेवा कहलाती है।
  • जरूरतमंदों की अवश्य मदद करें।

जया एकादशी व्रत की कथा 

एक बार इंद्र की सभा में एक गंधर्व गीत गा रहा था। परंतु उसका मन अपनी पत्नी में लगा हुआ था।

जिस कारण उसके स्वर लय भंग हो रहे थे। यह देखकर इंद्र को बहुत क्रोध आया।

उन्होंने क्रोधित होकर कहा हे दुष्ट गंधर्व तू जिसकी याद में डूबा है वह राक्षसी हो जाएगी।

यह सब सुनकर गंधर्व बहुत घबराया और इंद्र से क्षमा याचना करने लगा। किंतु इंद्र कुछ नहीं बोले।

इंद्र के कुछ ना बोलने पर वह घर चला आया। घर आकर देखने पर उसे उसकी पत्नी सचमुच पिशाचीनी के रूप में मिली।

शापमुक्ति के लिए उसने करोड़ों यत्न किए। किंतु सब असफल रहे तब वह हार कर बैठ गया ।

अचानक एक दिन नारद ऋषि उसे मिले। उन्होंने गंधर्व से उसके दुख का कारण पूछा।

गंधर्व ने इंद्र द्वारा दिए गए शाप की सारी बातें नारदजी से बताइं।

जिसे सुनकर नारदजी ने गंधर्व को उपाय बताया। तथा माघ शुक्ल पक्ष की जया एकादशी का व्रत करने को कहा।

एवं भगवान केवल श्री कृष्ण का कीर्तन करने को कहा। तब गंधर्व ने एकादशी का व्रत किया।

जिसके प्रभाव से उसकी पत्नी पहले की तरह अत्यंत सुंदर रूपवती हो गई। और उसे प्रेत योनि से मुक्ति मिल गई। व्रतकथा

जया एकादशी  व्रत का महत्व 

इस व्रत को करने वाले मनुष्य को कभी भी प्रेत योनि प्राप्त नहीं होती। व्रत के प्रभाव से जन्म जन्मांतर के चिर संचित दोष नष्ट हो जाते हैं।

ब्रह्म हत्या जैसे पाठकों से भी छुटकारा मिल जाता है। व्रत करने वाले को सुंदर रूप की प्राप्ति होती है।

सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला यह व्रत भगवान श्री कृष्ण की भक्ति प्रदान करता है ।

एकादशी व्रत को करने वाले के जीवन में हमेशा सुख और समृद्धि बनी रहती है।

जया एकादशी व्रत में विशेष मंत्र का जप करें।

कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने, प्रणत क्लेश नाशाय गोविंदाय नमो नमः

हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे । हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

जया एकादशी के दिन उक्त मंत्रों का एवं भगवान नाम का जप एवं कीर्तन अवश्य करें।

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श्री कृष्ण जी की आरती

Jaya ekadashi 2021

आरती कुंजबिहारी की श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।।  गले में बैजन्तीमाला बजावैं मुरलि मधुर बाला॥  श्रवण में कुंडल झलकाता, नंद के आनंद नन्दलाला की। आरती…। 

गगन सम अंगकान्ति काली राधिका चमक रही आली।। लतन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर-सी अलक कस्तूरी तिलक।। चंद्र-सी झलक ललित छबि श्यामा प्यारी की। आरती…। 

कनकमय मोर मुकुट बिलसैं देवता दरसन को तरसैं।  गगन से सुमन राशि बरसैं बजै मुरचंग मधुर मृदंग।  ग्वालिनी संग-अतुल रति गोपकुमारी की।। आरती…। 

जहां से प्रगट भई गंगा कलुष कलिहारिणी गंगा।  स्मरण से होत मोहभंगा बसी शिव शीश जटा के बीच।  हरै अघ-कीच चरण छवि श्री बनवारी की।। आरती…।

चमकती उज्ज्वल तट रेनू बज रही बृंदावन बेनू। चहुं दिशि गोपी ग्वालधेनु हंसत मृदुमन्द चांदनी चंद।  कटत भवफन्द टेर सुनु दीन भिखारी की। आरती…। 

जया एकादशी से सम्बंधित आर्टिकल से आपको व्रत की सम्पूर्ण जानकारी देने का प्रयास किया गया है।

उपरोक्त दी गई जानकारी अच्छी लगी हो तो कमेंट अवश्य करें। सम्बंधित अन्य जानकारियों के लिए अवश्य पढें👇👇

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4 thoughts on “जया एकादशी व्रत का महत्व, कथा व पूजनविधि।

  1. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय..🙏🔱✨🌺
    बहुत धन्यवाद मेम..👑🌹✨

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