Aalasya se chhutakara kaise paayen Total Post View :- 816

How to get rid of laziness. आलस्य से मुक्ति कैसे पाएं ?

How to get rid of laziness. आलस्य से मुक्ति कैसे पाएं ? नमस्कार दोस्तों इस धरती पर जन्म लिए हुए प्रत्येक व्यक्ति का सपना कुछ ना कुछ पाने का अवश्य होता है । और वह उसे पूरा करने के लिए बड़ी-बड़ी कल्पनाएं करता है । योजनाएं भी बनाता है और उन पर अमल भी करता है । किंतु कुछ लोगों की कल्पना की उड़ान और योजनाएं बहुत सीमित रह जाती हैं ।

क्योंकि योजना तो बहुत बनाते हैं लेकिन जब उस को कार्य रूप में देना होता है। उस समय वह पीछे रह जाते हैं और उनका जीवन एक असफलता की कहानी बनकर रह जाता है। ऐसी हताशा और निराशा को दूर करने के लिए हम आपको ऐसी सकारात्मक और सजीव दुनिया की ओर ले जाएंगे। जहां पर आप अपने जीवन के चरम ऊंचाइयों को पा सकते हैं।

अतः यह अत्यंत ही मनोवैज्ञानिक लेख होने वाला है जिसे आपको बड़े ही धीरज के साथ पढ़ना होगा ताकि इसके एक एक शब्द को आप आत्मसात कर सकें और उसका अच्छी तरह से पालन कर सकें।

How to get rid of laziness. आलस्य से मुक्ति कैसे पाएं ?

सबसे पहले असफलता के उन कारणों को जानना बेहद जरूरी है जो हमें इस अंधकार में धकेल देते हैं ।

और हम दुखी निराश और असफल हो जाते हैं।

अतः यह संकल्प लें कि आपको किसी भी स्थिति में निराश नहीं होना है ।

और अपने प्रयासों में भी कोई भी कमी नहीं रखना है ।

क्योंकि हर एक प्रयास आपको आपकी सफलता के करीब ले जाने वाला होने वाला है।

अतः पूरे उत्साह के साथ आप जीवन में आगे बढ़ने के लिए कमर कस के तैयार हो जाएं।

कई बार ऐसा भी होता है कि हम सफलता से मात्र एक कदम पीछे होते हैं और हार जाते हैं

इसीलिए यदि आप असफल भी होते हैं तो धैर्य रखें, और इस बात को ध्यान रखें,

कि हर असफलता आपकी योग्यता कर्मठता और अनुभव को थोड़ा और बढ़ा देती है।

क्योंकि किसी भी वस्तु को पाने के लिए एक निश्चित प्रयास बहुत जरूरी होता है।

जब तक के उस प्रयास की मात्रा पूरी नहीं हो जाती तब तक वह वस्तु आपको नहीं मिल सकती।

100% सफलता का रहस्य!

मैंने कहीं एक बहुत ही प्रेरक लाइनें पढ़ी थी, जिसमें यह लिखा था कि जिस भी वस्तु को हम पाना चाहते हैं।

उसके प्रति हमें अपने जीवन के 10000 घंटे (दस हजार घण्टे) देने होते हैं।

जब हम उन 10000 घंटों तक किसी चीज को पाने का लगातार प्रयत्न करते रहते हैं ,

तब वह कितनी भी दुर्लभ वस्तु क्यों न हो अवश्य ही प्राप्त होती है ।

अतः इसे आप भी गांठ बांध लें कि यदि आप अपने लक्ष्य के लिए जीवन के 10000 घंटे यदि नहीं दे पा रहे हैं

तो वह लक्ष्य आपको कभी भी उपलब्ध नहीं हो सकता।

यही कारण है कि कुछ प्रयास करने पर ही हम सफलता की उम्मीद करने लगते हैं ,

और असफल होने पर लक्ष्य को ही छोड़ देते हैं। अतः पूर्ण समर्पण के साथ अपनी तैयारी प्रारंभ करें।

असफलता का प्रमुख कारण क्या है ?

क्या आप जानते हैं कि आपकी असफलता के पीछे सबसे बड़ा कारण क्या है?

इंसान की असफलता के पीछे सबसे बड़ा कारण उसका आलस्य ही होता है।

क्योंकि जब भी हम कोई कार्य करने जाते हैं तब तमोगुण हमारे मन मस्तिष्क पर प्रभावी होने लगता है।

और उस कार्य को निलंबित करने के बहुत से बहाने ढूंढने लगता है और यदि आप कमजोर मन के हैं तो

उन बहानों पर अमल करके आप अपने लक्ष्य से दूर चले जाते हैं।

अतः आलस्य को कभी भी आप अपने पास तक ना पहुंचने दे ।

आलस्य से मुक्ति के सूत्र

यदि आप आलस्य से मुक्ति पाना चाहते हैं तो अवश्य जानिए How to get rid of laziness.

आलस्य से मुक्ति कैसे पाएं ? अपने जीवन में यदि आप सचमुच कुछ विलक्षण करना चाहते हैं !

यदि आप सर्वश्रेष्ठ बनना चाहते हैं ? यदि आप भीड़ से अलग अपने आप को पाना चाहते हैं ?

तो यह भी समझ लें कि आप को अन्य लोगों की अपेक्षा कुछ अधिक प्रयास करने होंगे।

क्योंकि जो सभी करते हैं वही यदि आप भी कर रहे हैं तो आपको भी उतना ही मिलेगा जितना सबको मिल रहा है।

यदि आप ज्यादा पाना चाहते हैं तो आपके प्रयास भी ज्यादा होने चाहिए ।

आप का संघर्ष भी ज्यादा होना चाहिए, आपकी मेहनत, आपकी तपस्या, आप की लगन और आप का समर्पण भी

उस वस्तु विशेष के प्रति ज्यादा होना चाहिए।

जैसे जैसे आप अपनी लगन, समर्पण, प्रेरणा, मेहनत आदि को अधिक से अधिक तर करते जाएंगे ,

वैसे-वैसे आप अपने लक्ष्य को अधिक और अधिक पास लाते जाएंगे ।

जुनून पैदा करें, लक्ष्य के लिए जिद ठाने !

How to get rid of laziness.

एक जुनून अपने अंदर पैदा करना चाहिए अपने लक्ष्य के लिए मन में सिद्ध हो पागलपन हो ।

और उस जुनून के साथ अपने कार्य को पूरा करने में जुट जाना चाहिए।

अक्सर ऐसा होता है कि जब भी हम कोई लक्ष्य निर्धारित करते हैं तो बहुत से विघ्न या भटकाव सामने आने लगते हैं।

बहुत से विकल्प, बहुत से सुझाव, लोगों की अनेक राय भी आपको सुनने को मिलने लगती हैं ।

ऐसे में आपको अपने दृढ़ निश्चय के साथ अपने द्वारा स्वयं निर्धारित किए हुए कार्यों और कार्यविधि पर अमल करते

हुए बिना भटके आगे बढ़ते जाना चाहिए।

अन्यथा यह तमाम राय मशवरा आपको आपके मार्ग से भटकाने के लिए काफी होता है।

यही विकल्प मन मे आलस्य को पैदा पैदा करते हैं।

कार्यों को शुरू करने में विलंब नहीं करना चाहिए

जब भी कभी आप अपने लिए कोई लक्ष्य निर्धारित करते हैं तो तत्काल उसकी रूपरेखा बनाएं।

उसके ही हिसाब से कार्य को तत्काल प्रारंभ कर देना चाहिए।

कार्य को करने का एक निश्चित समय और निश्चित तरीका भी तय कर लेना चाहिए।

इस तरह तैयार रूपरेखा के आधार पर आपको कार्यों को निरंतर करते जाना चाहिए।

कोई भी कार्य छोटा नहीं होता किंतु जब हम स्वयं ही कार्य को महत्व देना बंद करते हैं ,

तभी वह कार्य हमसे बहुत दूर चला जाता है और आप उस उपलब्धि से भी वंचित हो जाते हैं।

कार्यों को टालें नही !

कभी भी कार्य को टालने का प्रयास नहीं करना चाहिए।

ध्यान रखें जिस चीज को आप महत्व देते हैं वही चीज आपको भी एक दिन जरूर महत्वपूर्ण बना देती है।

प्रतिदिन के लक्ष्य को निर्धारित करें

जिसे लक्ष्य को आप पाना चाहते हैं उसके प्रति प्रति दिन छोटे छोटे लक्ष्य बनाकर उन्हें पूरा करते रहे।

तथा प्रतिदिन अवश्य ही उस लक्ष्य के लिए निश्चित मात्रा में कार्य अवश्य करते जाना चाहिए ।

लक्ष्य की गंभीरता और उसकी विशालता को देखकर कभी भी घबराना नहीं चाहिए।

लक्ष्य जरूर बड़ा होता है किंतु उसके पीछे प्रयास हमेशा छोटे छोटे और नियमित करने पड़ते हैं।

इसके लिए एक प्रेरणादाई कहानी है जिसे आप शायद जानते भी हैं ।

प्रेरक प्रसंग

कहानी इस प्रकार है कि एक बालक अपने घर के गाय के बछड़े को नियमित गोद में उठाकर,

नदी में स्नान करने ले जाया करता था। धीरे-धीरे वह बछड़ा भी बड़ा होता गया और

बालक भी बड़ा होता चला गया लेकिन बालक ने अपने उस अभ्यास को कभी भी नहीं तोड़ा

और वह प्रतिदिन उस गाय के बछड़े को कंधे में उठाकर हमेशा नदी में स्नान कराने ले जाता और वापस लाता था।

धीरे-धीरे बालक युवा हो गया और बैल भी बहुत बड़ा हो गया जो कि लगभग 200 किलो का वजन हो गया ।

लेकिन उसके बावजूद भी वह बालक प्रतिदिन की तरह उस बैल को अपने कंधे पर उठाकर ,

नदी में स्नान करने ले जाता और हमेशा वापस लाता रहा। जिसे देखकर लोग आश्चर्य करते थे ।

जब उससे लोगों ने इसका रहस्य पूछा तो उसने बताया कि मैं बचपन से ही प्रतिदिन इसको अपने कंधे पर उठाकर

ले जाता था ,और लाता था बचपन से मेरी यही आदत थी

और इस कारण कब इसका वजन बढ़ता गया और कब यह इतना बड़ा हो गया मुझे पता ही नहीं चला।

मुझे आज भी इसका वजन उतना ही मालूम होता है जितना मैं बचपन में इसे अपने कंधे पर,

उठाकर ले जाया करता था ।

कहानी से प्रेरणा मिलती है

इस कहानी से या प्रेरणा मिलती है कि आपका लक्ष्य चाहे कितना भी बड़ा क्यों ना हो या कठिन क्यों ना हो लेकिन

यदि आप नियमित और निरंतर उसके प्रति सजग हैं और अपने प्रयास जारी रखते हैं,

तो वह लक्ष्य आपके लिए बहुत ही आसान हो जाता है। इसीलिए जीवन में आलस्य को कभी भी महत्व ना दें।

और अपने लक्ष्य के प्रति प्रतिदिन अपने प्रयास जारी रखें,

जब तक कि आप लक्ष्य को नहीं पा जाते तब तक उसके प्रति अपने समर्पण,लगन और विश्वास को कभी भी

कम ना होने दें तब यह लक्ष्य आपको अवश्य प्राप्त होगा। आलस्य से मुक्ति पाने का यही एक बेहतरीन उपाय है।

अंत में

How to get rid of laziness. आलस्य से मुक्ति कैसे पाएं ? मैं अपने आलस्य को दूर करने के लिए जीवन में लक्ष्यों को निर्धारित करना और लक्ष्यों को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास करने के संबंध में जानकारी हासिल की यह प्रेरणादायक विचार आपको अवश्य ही अपने लक्ष्य की पूर्ति में मददगार होंगे।

जीवन छोटा अवश्य है लेकिन आप अपनी सामर्थ्य और शक्ति से अपने लक्ष्यों को अवश्य पूरा कर सकते हैं। असंभव कुछ भी नहीं होता बस आपको अपने आलस्य पर नियंत्रण करना होता है। अतः संकल्प वान बने और बिना डरे अपने लक्ष्य पर आगे बढ़ते रहें। जैसे ही आपके प्रयास व मेहनत के 10000 घंटे पूरे होंगे, आपका लक्ष्य आपके सामने खड़ा होगा।

http://Indiantreasure. in

https://youtu.be/KRhKSigu0_k

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