Hindi kahani – Petu badami – Smt. Manorama Dixit. बाल साहित्य के सृजन पर अपनी कमनीय लेखनी से 21वीं सदी के तथाकथित आई.टी. के तंत्रीजाल में उलझे नवनिहालों को कथालोक बालेन्दु बन अमृतघट का पान करायेगा। इस अभिनव युक्ति के साथ आदरणीया श्रीमती मनोरमा दीक्षित जी ने 26 कथानकों की पोटली में भांति-भांति के रसीले कथाओं को पिरोया है, जिसे हमारे नन्हें-मुन्ने चॉकलेटी स्वाद का चटकारा लेते हुए हँसते-खेलते भारतीय संस्कृति संस्कार एवं रिश्ते-नातों की डोर में बंधते चले जाएँगे।
आइये आज कथालोक कहानी संग्रह की एक अन्य Hindi kahani – Peti badami बताते हैं।
Hindi kahani – Petu badami
दोआब के मैदान में एक ग्राम या मधौली। उसमे दो एकड़ एरिया में फल-फूलों का एक सुन्दर बगीचा था।
जिसमें अमरूद, लीची, अंगूर, नीबू, नागपुरी संतरा आदि सभी प्रकार के वृक्ष लगे थे।
जो अच्छे खाद पानी और चतुर माली की देखरेख में काफी अच्छे तैयार थे। अभी अमरूद का मौसम था।
इलाहाबादी अमरूद के वृक्ष फलों से लद गये थे। बाग चारों ओर तारों की बाढ़ से सुरक्षित था
तथा अंदर आने के लिए केवल एक गेट था।
अभी कुछ दिनों से बड़े-बड़े पके और गदरे फलों की चोरी होने लगी थी। बाग का माली काफी चिन्तित रहने लगा था।
रंग-बिरंगे पक्षियों के कलरव से सजे बाग में बूढ़ा माली मनीराम पूरे दिन पेड़-पौधों की देखरेख में लगा रहता था।
दिन ढलते ही वह गेट में ताला लगा अपने घर चला जाता और दिन फैलते ही वह अपना खाना लेकर बाग में
आ जाता था। फलों की चोरी से चिन्तित माली ने यह बात अपने मालिक को भी बतायी।
उसने निश्चय किया कि वह चोर को पकड़कर ही दम लेगा और मन ही मन योजना बनाने लगा।
अब पेटू बदामी से मिलते हैं।
अब चलिए पेटू बदामी से मिलें। बदामी एक बहुत ही लालची, चटोरा और चालाक नौजवान था।
गांव में ढंग से काम न करके यहां वहां टाराफेरी करके वह अपनी भूख मिटाता था।
उसने सुन रखा था कि हमें किसी भी वस्तु को उसके मालिक से पूछे बिना नहीं लेना चाहिए।
पूछकर लेने से कोई पाप नहीं लगता। मनीराम के बगीचे के स्वादिष्ट फलों पर उसकी निगाह लगी हुई थी।
अतः उसने बगीचे के बाहर चक्कर लगाया। परन्तु माली की सतर्क दृष्टि देख उसकी हिम्मत नहीं पड़ी।
अतः सुबह 4 बजे बगीचे में तार के नीचे पेट के बल घिसटकर वह अंदर घुस गया।
इधर माली ने भी अपनी योजना के अनुसार आज रात्रि बगीचे के चारों ओर घूम फिरकर चोर को
रंगे हाथों पकड़ने का निश्चय किया। इसके पहिले भी बदामी माली के रहते हुए भी बगीचे से बड़े-बड़े अमरूद
चुराकर से जा चुका था। फलों के रसीले मीठे स्वाद ने उसे दीवाना बना दिया था।
आज रात्रि को माली अमरूद के वृक्षों से कुछ दूर छुपकर बैठ गया।
तार को पार कर ज्यों ही बदामी बाग के अंदर आया तो माली ने उसे देख लिया और सावधान हो गया।
यहां पेटू बदामी तो बिल्कुल निर्भय था क्योंकि वह जानता था कि मनीराम तो दिन फैले ही आयेगा।
वह अमरूद के….
वह अमरूद के पास गया और बोला- क्यों अमरूद भाई दो-चार अमरूद तोड़ लूँ,
फिर तुरन्त ही जवाब दिया कि क्यों सोचता है, तोड़ ले दस-पचीस इतना कहकर उसने बड़े-बड़े अमरूद से पूरा
थैला भर लिया। एक अमरूद को खाते हुए ज्यों ही थैला लेने के लिए बाहर का रूख किया त्यों ही
मनीराम ने आकर उसे पकड़ लिया। अब तो पेटू बदामी थर थर कांपने लगा। वह हाथ जोड़कर गिडगिडाने लगा कि
उसने पेड़ से पूछकर ही फल तोड़े है, पर माली ने अमरूद को अपने कब्जे में ले लिया और बदामी को
कुऐं के पास ले गया। बदामी ने कहा कि उसे पानी नहीं पीना है।
माली ने उसे कुये के पास ले जा उसकी कमर मे मजबूती से रस्सी बांध उसे कुये में लटकाना प्रारंभ किया।
माली मनीराम ने कुये से पूछा- “क्यों कुआ भाई. बदामी को लगा दूँ दो-चार डुबकी फिर स्वयं ही जवाब दिया
कि दो चार की क्या, लगा दे पच्चीस-पचास डुबकी। अब पेटू बदामी कुये के पानी में डुबकिया लगा रहा था।
आखिर यह ठंड से कांपने लगा और रो-रोकर उसे बाहर निकाल लेने का निवेदन करने लगा।
उसे पर्याप्त सजा मिल चुकी थी। अतः उसे बाहर निकाला गया। कान पकड़कर उठते बैठते उसने कसम खायी
कि वह अब कभी चोरी नहीं करेगा।
क्यों बच्चों तुम्हें अच्छी लगी यह कहानी? यदि हां तो तुम भी शपथ लो कि कभी किसी वस्तु की चोरी में शामिल नहीं रहोगे और न ही झूठ बोलोगे।
Hindi kahani – Petu badami, Smt. Manorama Dixit.
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