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Hindi Kahani- Ghar me hai kulvanti naar…

Hindi Kahani- Ghar me hai kulvanti naar…S mt. Manorama Dixit. स्त्री चरित्र को दर्शाती यह कहानी मूक पशुओं की पीड़ा का भी बखान करती है। मनोभावों को व्यक्त करने का कहानियां एक बहुत अच्छा माध्यम होती हैं ।

ज्ञान की स्रोत ये कहानियां बच्चे, बूढ़े, जवान सभी को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। आइये आज ऐसी ही संवेदनात्मक कहानी Hindi Kahani- Ghar me hai kulvanti naar…बताते हैं।

Hindi Kahani- Ghar me hai kulvanti naar…

घर में है कुलवन्ती नार देहै भुसा बताहै दार!

नैनीताल की तराई के ग्राम सुतेहरा में किसान मोलू बढ़े चैन से जीवन बिता रहा था।

उसके बच्चे सूरज चंदा और हट्टी कट्टी पत्नी लक्ष्मी खेती-बाड़ी के काम में उसकी पूरी मदद करते थे।

कंजूस स्वभाव की लक्ष्मी सार में बधे गाय बैलों को खिलाने-पिलाने पर इतना ध्यान नहीं देती थी।

बस उनसे अधिक से अधिक काम लेना चाहती थी। उनकी गाय कजरी भी उससे नाराज रहती थी।

रूखा- सूखा खिलाकर वह उससे ज्यादा से ज्यादा दूध लेना चाहती थी।

उसका बछड़ा शेरू कितनी भी उछलकूद क्यो न करे ,

उसे मां के थन की आखिरी धार ही चाटकर रहना पड़ता था। उसके सामने भी सूखा भूसा ही रख देती थी लक्ष्मी।

उसकी बेटी चंदा कजरी और शेरू को बहुत प्यार करती थी।

मां की आँख बचाकर वह उनको रोटी गुड और चना दाल खिला देती थी।

मौलू ने हरी घास, चुनी भुसी का डटकर इन्तजाम किया था।

पर गाय बछड़ों को सानी बनाकर देने का कार्य लक्ष्मी के जिम्मे ही था।

नन्हें शेरू ने धीरे धीरे घास के तिनके और भूसा खाकर पेट भरना सीख लिया था,

बस इसीलिये कजरी लक्ष्मी से नाराज रहती थी और आसू बहाकर अपने दुख का इजहार करती थी।

आज उसे बहुत गुस्सा आया..

आज उसने लोटे का दूध गिराकर गुस्सा दिखाया था।

दिन भर “हरर ततत” के साथ खेत जोतते कबरा और

सफेदा में भी अब काम करने का उत्साह नहीं बचा था।

क्योंकि मालकिन उसके रातिब और सानी बनाने में चालाकी करती थी।

केवल गीले भूसे के ऊपर थोड़ा सा दाना बिखराकर उनके सामने रख देती थी।

उनका मालिक इस बात से बेखर था।

दिन भर धूप में लगातार खेत में काम करने से उनके नग-नग दर्द कर रहे थे।

काश हमारे मालिक हमारी आवाज समझ सकते कि आधा पेट खाकर कब तक हम काम करें।

दोनों आपस में अपना सुख दुःख बाट रहे थे और बीच में कजरी सिर हिलाहिला कर उनके दुःखों की गवाह बन रही थी।

कल सुबह जब मोलू खेत जाने लगा तो भूख-प्यास से कमजोर हो गये “सफेदा और कबरा”,

हाँकने पर भी चलने का नाम नहीं ले रहे थे।।मोलू को भी उनकी इस आदत पर बड़ा गुस्सा आया।

उसने भी आव देखा न ताव और दोनों की पीठ पर ठंडे जड़ दिये

तथा सफेदा की पूछ जोर से मरोड़ी । दर्द से कराह कर दोनों धीरे धीरे डग देने लगे।

कबरा की पूँछ को मरोड़ते ही उसमें से खून छलक आया।

मोलू के पुचकारते ही कबरा और सफेदा आंसू बहाने लगे।

रात को मोलू ने उनकी पूंछ की मरहम पट्टी की ।

Hindi Kahani- Ghar me hai…आज दोनों ..

आज दोनों बैलों की ओर मोलू ने गौर किया तो समझ में आया कि इनको अच्छी रातिब नहीं मिल रही है।

उसने लक्ष्मी से बुलाकर पूछा तो वह मुकर गयी। पर नन्हीं चंदा ने पिता को बता दिया ,

कि खली और चुनी तो कब की खत्म हो गयी हैं।

मोलू ने अपने हरवाहे हल्क को खली चुनी लेने को बाजार भेजा

तथा तुरन्त आधा मन चना दरवाया कबरा और सफेदा को लालच देते हुए वह बोला

“बडया कमरा चल चल चल, दाल दरायी दर दर दर

चुनी भूसी मसालेदार ,खर खर खर खर चल दें यार”

छोटे बच्चों की तरह मोलू बैलों को नहलाते हुए बार-बार यही गाकर उनकी खुशामद कर रहा था।

डॉक्टर से उन्हें घाव सूखने के इन्जेक्शन भी लगवाये गये। आखिर कबरा भी चुप नहीं रह सका और

घर में है कुलवन्ती नार, दे भूसा बताहै दार
दार बेच दूसर लै लेव, हमे रहन जंगल मा देव

कबरा का जवाब सुन मोलू दंग रह गया और पत्नी को उसकी कंजूसी और जानवरों के प्रति निर्दयता के लिए

बहुत फटकारा। पिछले वर्ष ही तो मेले से लम्बी रकम देकर खरीदा था।

उसने कबरा और सफेदा घर का ही बछड़ा था।जो अब जवान हो गया था।

अभी परसों की ही तो बात जब लक्ष्मी मोलू को नाश्ता के लिए बुलाने बाहर निकली,

तो क्या देखत है कि वह सिर में हाथ धरे बैठा है।

कबरा और सफेदा के भाग जाने की खबर सुनकर,

उसके पैर की जमीन ही सरक गयी। अब वह बहुत पछता रही थी।

Hindi Kahani- Ghar me hai..मोलू..

मोलू बिना खाये पिये ही लाठी हाथ में धर उन्हें खोजने निकल गया।

आखिर गांव के बाहर तालाब के किनारे एक बरगद के नीचे उन्हें बैठे देखा।

कबरा, सफेदा आ आ आ बेटा कहकर उनके गले से लिपटकर पुचकारने लगा।

फिर क्या था कबरा ने अपने मालिक को उस रात की बात साफ-साफ बता दी।

जिस दिन मोलू ने उसकी पूंछ मरोड़ी थी। उसी दिन उन्होंने यहां से भाग जाने का निर्णय ले लिया था ।

क्योंकि सारे दिन खेत में काम करके प्यास से उनका हलक सूख गया था और पेट में चूहे कूद रहे थे ,

पर लक्ष्मी ने सार में बांधकर उनकी खबर नहीं ली।

भला हो सूरज और चंदा का जो नित्य की तरह हमें देखने सार में पहुंचे।

हमें गर्दन झुकाये देख तुरन्त दो बाल्टी पानी लाये व नन्हें हाथों से रातिब बनाकर खिलाया।

आज से मोलू ने निश्चय कर लिया वह इन मूक प्राणी के खाने-पीने का काम स्वयं करेगा।

दादी से कहानी सुनते बच्चे सोने लगे थे।

दादी ने समझाया कि हर प्राणी पर दया करना मानव का धर्म है।

इस सुन्दर संकल्प के साथ ये दोनों स्वप्न की सतरंगी दुनिया की सैर कर रहे थे।

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