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Baal kahaniya – Teddy bear, teddy bear, touch your shoes.

Baal kahaniya Teddy bear, teddy bear, touch your shoes. . Smt. Manorama dixit. बाल कहानी के माध्यम से टैडी बियर के इतिहास व उतपत्ति के विषय मे बड़े ही रोचक ढंग से बताया जाकर बच्चों का ज्ञान वर्द्धन किया गया है। बालदिवस के महत्व व बच्चों को प्रासंगिक शिक्षा देने का अनूठा प्रयास है। जो केवल कहानियां ही पूरा कर सकती हैं।

आज हम आपको ऐसी ही शिक्षाप्रद व मनोरंजक कहानी Baal kahaniya – Teddy bear, teddy bear, touch your shoes. के बारे में बताएंगे। जो श्रीमती मनोरमा दीक्षित जी द्वारा लिखी गईं है।

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चौदह नवम्बर की उस खुशनुमा प्रातः को कौन भुला सकता है। बच्चों को एक दिन पूर्व ही सब कुछ समझा दिया गयाथा

बच्चे बेहद खुश थे। हो भी क्यों न, आज “बाल दिवस” है,

प्यारे चाचा नेहरू ने नन्हें मुन्नों को अपना जन्म दिवस अर्पित कर दिया था।

आज बच्चों ने विद्यालय को झंडी तोरणों से सजाया था।

खेलकूद, सांस्कृतिक कार्यक्रम सहभोज सभी कुछ तो होना था हमारे विद्यालय में।

रोज वही बस्ता, वही होमवर्क, डाँट-फटकार, सजा सभी से आज मुक्त थे, वह सब मेज पर सजे पुरूस्कारों को बच्चे

बड़ी हसरत से देख रहे थे, किसको कौन सा पुरूस्कार मिलेगा? उनका दिल कुलबुला रहा था।

शिक्षकों के मार्गदर्शन में सारे पुरूस्कार बड़े करीने से सजाये गये थे।

बालवाडी के नन्हें शिशु भी अपनी शिक्षिका के साथ इस सामूहिक कार्यक्रम में शामिल थे।

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आज हमारे कार्यक्रम की…

आज हमारे कार्यक्रम की अतिथि थीं हमारे जिले की कलेक्टर श्रीमती सुलभा देशपांडे।

हर कार्यक्रम उन्हीं बडबोले नेताओं के मुख्य आतिथ्य से मना मनाकर हम ऊब गये थे,

पर आज तो अत्यंत सादे अपितु भव्य वेशभूषा में विराजी श्रीमती देशपांडे ने बड़ी फुर्ती से कार्यक्रम समापन के पूर्व

एक सुंदर से टेडी बियर को बालवाड़ी के बच्चों को दिखाते हुए अपनी बात शुरू की थी।

उनके हाथ में रखें उस टैडी बियर को देख छोटे बच्चे अत्यंत सावधान हो उनकी बातें सुनने लगे और सोच रहे थे “काश

ये टैडी बियर मुझे पुरूस्कार में मिल जाता। जलेबी दौड, कुर्सी दौड आदि खेल उन्हें बालवाड़ी में खिलाये गये थे।

श्रीमती देशपांडे का सुदर्शन व्यक्तित्व और मधुर आवाज पूरे ग्राउण्ड में ‘पिन ड्राप साइलेन्स थी।

बच्चो, ये सभी पुरस्कार तुम्हें ही मिलने वाले हैं।

बालवाड़ी के प्रायः सभी बच्चों को फल और टॉफियों के साथ ये खिलौने मिलने वाले थे।

उन्होंने अपनी बात शुरू की..

बच्चों खिलौनों का चोली- दामन का संबंध सदियों से रहा है। बच्चों की ओर मुखातिब हो उन्होंने कहा- क्यों बच्चों,

तुम्हें यह चाहिए? उनके हाथ के टैडी बियर को देख वे सब एक दूसरे का मुंह देखने लगे अरे बोलो बोलो!

बच्चों ने मिले जुले स्वर में जी हाँ कहा। इसमें खास बात थी कि ये टैडी बियर और छोटी सी रेलगाड़ी, हवाई जहाज,

सुन्दर सी चिडिया, मंजीरा बजाता बंदर बच्चों के लिए वे अपनी ओर से लायी थी।

सभी को खिलौना आज मिलना ही चाहिए उनका विचार था। पर यह सब केवल आयोजक जानते थे बच्चे नहीं।

बच्चो, खिलौनों की रंगीन दुनिया में “टेडी बियर डेरा जमाकर बैठा है।

अमरीकी गश्ती पुलिस की प्रत्येक गाड़ी में एक दो टैडी बियर अवश्य रखे होते हैं,

जिनकी मदद से वे छोटे बच्चों से जल्द ही दोस्ती करने में सफल होते हैं।

जिन बच्चों के साथ कोई वारदात हुई हो अथवा जिन्होंने कोई दुर्घटना या कत्ल को अपनी आंखों से देखा है उन्हें

“”टैडी बियर” दे, उनसे दोस्ती बना सहज ही अपराधों की गुत्थी सुलझा लेते हैं। “टैडी बियर” एक ऐसा खिलौना है,

जिसे दुनिया भर के बच्चे पसंद करते हैं। हमारे घरों में भी कई बच्चे उसे गोद में रखे बिना सो नहीं पाते।

क्यों बच्चों में ठीक कर रही हूँ न?..

बच्चों ने “हाँ” कह और ताली बजा अपनी सहमति व्यक्त की। यह खिलौना लाड़ दुलार का प्रतीक बन गया हैं।

नन्हें बच्चों को देख श्रीमती देशपांडे अपने बचपन की यादों में डूब गयी। उनकी दादी जहां भी जाती थीं.

वहां से ढेर सारे सुंदर सुंदर खिलौने लाती थीं। पूरे कार्टून भर खिलौने होते थे परन्तु उन्हें बस सबसे अच्छा

“टैडी बियर” ही लगता था। वे यहां भी बालवाड़ी के बच्चों के लिए एक कार्टून भर खिलौने लायी थीं।

एक सर्वेक्षण से यह ज्ञात हुआ कि 60 प्रतिशत बच्चे अपने माता पिता के बाद “टैडी बियर” को ही सबसे अधिक

पसंद करते हैं। वह यदि पास रहे तो वह उन्हें बड़ा सुकून देता है और लगता है जैसे कोई बेहद अपना उनके साथ है।

टैडी न ही शिकायत करता न नाराज होता और न ही बुरा
मानता इसीलिए बच्चों और बड़ों की दुनिया में लाड़ला है।

बच्चो तुम्हें टेडीवियर के जन्म का रोचक प्रसंग सुनाती हूँ, श्रीमती देशपांडे ने बच्चों की ओर देखकर कहा-

सन् 1902 की बात है

जब थियोडोर रूजवेल्ट संयुक्त अमेरिका के राष्ट्रपति थे। उन्हें सीमा विवाद निपटाने मिसीसिपी जाना पड़ा।

काम से फुर्सत पायी तो शिकार पर निकल पड़े। उनके सहायकों ने कुत्तों की मदद से एक बूढ़े और बीमार भालू को

घेर लिया। उसे पेड़ से बांध दिया गया परन्तु राष्ट्रपति को दया आ गयी और उन्होंने उस पर गोली चलाने से इंकार

कर दिया। एक अखबार ने इस घटना पर कार्टून छाप दिया। बकलिन के एक खिलौना स्टोर को यह इतना अच्छा लगा

कि उसने वैसा ही एक भालू बनवाकर अपने शोकेस में
रख दिया।

कपड़े और रूई से बने उस भालू के समीप ही वह कार्टून लगा दिया और लिख दिया टेडी बियर !

रूजवेल्ट को जनता प्यार से टेडी कहती थी अत: उस व्यापारी ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा कि,

यह टैडी नाम को ट्रेडमार्क के रूप में उपयोग करना चाहता है अगर आपकी अनुमति हो तो ।

महामहिम राष्ट्रपति ने लिखा कि मुझे कोई ऐतराज नहीं है इस तरह करोड़ों के व्यापार की नींव पड़ी।

टैडी बियर का उपयोग घरो, होटलों, खिलौने में होता है क्योंकि उसमे चुभने वाला कुछ नहीं होता ।

अतः मातायें बेफिक्री से उसे अपने बच्चों को दे देती है।

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खेलकूद सभी सांस्कृतिक कार्यक्रम संपन्न हो चुके थे अत: पुरस्कार वितरण का कार्यक्रम प्रारंभ हो गया।

श्रीमती कलेक्टर महोदया बच्चों को पास बुलाकर उनका नाम पूछ उन्हें इनाम दे रही थी।

एक बेटी से उन्होंने कहा जरा गाना सुनाओ, तो वह नाच-नाच कर गाने लगी “टैडी वियर, टैडी वियर, टर्न एराउन्ड”

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खेल का पूरा मैदान तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। अब अध्यक्ष महोदय ने कार्यक्रम समाप्ति के पहले

टैडी बियर के ही संबंध में दो चार शब्द बोले बच्चों, मनोवैज्ञानिकों का मत है कि बचपन में किसी कारणवश

जिन्हें सुन्दर खिलौने खेलने को नहीं मिलते वे अपनी अपूर्ण लालसा, अपने बच्चों को सुन्दर खिलौने दे,

उन्हें खेलते देख पूर्ण कर लेते हैं। अपने बचपन को इन खिलौनों में झाका जा सकता है।

बर्थडे पार्टी में रंगबिरंगे।गुब्बारों के साथ सजा सुन्दर “टैडी बियर” पार्टी का आनंद कई गुना बढ़ा देता है।

अब आंगनबाड़ी के सभी बच्चों के हाथ में नये नये खिलौने थे ,और थे टॉफी और बिस्किट के पैकेट।

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http://Indiantreasure. in

https://youtu.be/QraYZCgCiPA

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