Baal kahani in hindi ; “Panvel” – Smt. Manorama Dixit. दादी और नानी की मीठी कहानियों का संसार इतना सुन्दर और लुभावना है कि बालमन उससे बाहर निकलना ही नहीं चाहता। हर नन्हीं पौध यही चाहती है कि बस कहानी चलती ही रहे।
कहानियां जो बाल मन को सुन्दर विचार एवं कल्पना को ऊँची उड़ान दे और भावनात्मक रूप से घर, परिवार, पड़ोस, पशु, पक्षी, वृक्ष, जंगल, नैतिक मूल्यों से सतत् जोड़े रखे, वही उनकी सार्थकता है। आज ऐसी ही Baal kahani in hindi ; “Panvel” आपको बताएंगे जो श्रीमती मनोरमा दीक्षित द्वारा लिखी गई है।
Baal kahani in hindi ; “Panvel”
– Smt. Manorama Dixit.
बात बहुत पुरानी है। दोआब के मैदान में बसे छोटे से गांव बरबसपुर में तीन दोस्त ज्ञानीलाल, मुहम्मद खा
और जाट मक्खनसिंह रहते थे।
गांव में काम न मिल पाने के कारण उन्होंने दूसरे गांव में जाकर काम खोजने का विचार किया।
रात्रि में तीनों ने अपनी अपनी घरवाली से सलाह ली और सहमति से जाने की तैयारी करने लगे।
मुहम्मद खा को बैल भी खरीदना था। तीनों ने घर से बनवा कर रास्ते का नाश्ता रखा और
अपनी-अपनी पोटली लेकर निकल पड़े काम खोजने। दोपहर होने पर एक कुर्य के पास जलपान करने हेतु
वे छाया में बैठ गये। जाट मक्खनसिंह के कहने पर पंडित ज्ञानीलाल ने गुड़ सत्तू निकाला और बढ़िया घोलकर
अच्छे से खाया और खिलाया। गर्मी के दिन थे अत: दोपहर भर वही पेड़ के नीचे विश्राम कर वे आगे की ओर बढ़े।
रात्रि को वे एक सराय में ठहरे अब भाई मुहम्मद खां की बारी थी।उनकी बीबी “सना” ने शुद्ध घी का हलवा बनाकर रखा था। अतः कटोरदान खोलकर तीनों में हलवा बांटा
और तीनों खा-पीकर गहरी नींद में सो गये। भोर हुए तीनों उठे।
मुहम्मद खां ने …
मुहम्मद खां ने नमाज अता की, पंडित ज्ञानीलाल और जाट मक्खसिंह ने भी स्नान कर जाप पाठ किया।
अब वे मनोरंजन करने लगे शर्त लगाकर जो हारेगा वह जीतने वाले को 100रू. देगा।
खा साहब ने पूछा- “हमारे भगवान कितने ? जाट ने कहा “एक-खुदा जो पैगम्बर है।” जाट ने कहा दो 100रू ।
खां ने पूछा “हमारा धार्मिक ग्रन्थ कौन सा है?” जाट ने कहा- “कुरान शरीफ।”
इस तरह चालाक जाट लगातार शर्त जीतता जा रहा था
और सीधे सादे मुहम्मद खा 300रू. हार चुके थे जो वे बैल खरीदने को लाये थे।
दोपहर होने पर पुन: छाया में भोजन और विश्राम का विचार बना लोटा डोर से पानी खींचकर तीनों खाने बैठे।
अब जाट मक्खनसिंह नेअपनी पोटली खोल तीन बड़ी-बड़ी बाजरे की रोटियां और लहसुन मिर्च वाली चटनी निकाली
और आपस में बांट दी। अब उन रोटियों को देखकर पंडित जी और मुहम्मद खां को पसीना छूट गया।
एक कौर मुँह में डाला तो खाने से मुंह छिल गया। वे
मक्खनसिंह की ओर देखने लगे।मक्खनसिंह ने समझाया कि ये पनवेल है, यानी एक हाथ में पानी का गिलास पकड़ो, एक कौर रोटी मुह में रखकर
पानी से गले के नीचे उतार दो, इसीलिए तो इसको पनवेल कहा गया है।
पंडित जी और मुहम्मद खां ने सिर पकड़ लिया और सोचने लगे कि नरम मीठा सत्तू और शुद्ध घी का हलवा तो
चटखारे लेकर खा रहा था। जाट मक्खनसिंह की चालाकी को देखकर उनका मन खराब हो गया।
“इसीलिए बच्चों, किसी ने सच ही कहा है-
“पानी पीजे छान के, दोस्त बनाओ जान के” । तुम भी हमेशा इस बात को याद रखना। ऐसे
दोस्त से तो अकेले ही भले।
नमस्कार! मैं रेखा दीक्षित एडवोकेट, मैं एडवोकेट ब्लॉगर व युट्यूबर हूं । अपने प्रयास से अपने पाठकों के जीवन की समस्याओं को दूर कर ,जीवन में उत्साह लाकर खुशियां बांटना चाहती हूँ। अपने अनुभव एवं ज्ञान के आधार पर मैंने अपने ब्लॉक को सजाया संवारा है, जिसमें आपको योग ,धार्मिक, दर्शन, व्रत-त्योहार , महापुरुषों से संबंधित प्रेरक प्रसंग, जीवन दर्शन, स्वास्थ्य , मनोविज्ञान, सामाजिक विकृतियों, सामाजिक कुरीतियां,धार्मिक ग्रंथ, विधि संबंधी, जानकारी, स्वरचित कविताएं एवं रोचक कहानियां एवं स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां उपलब्ध हो सकेंगी । संपर्क करें : info.indiantreasure@gmail.com