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“आपो दीपो भव”- कहर ढाता 2020, एक पत्र आपके नाम !!

प्रिय मित्रों

कहावत है वक्त बुरा होता है इंसान नहीं। आज हवाओं में घुलता जहर, घर-घर दस्तक दे रहा कोरोनावायरस का कहर, मानसिक दबाव झेलते मासूम बच्चे आर्थिक उलझनो से जूझते अभिभावक।

बेरोजगारी का बोझ सीने में उठाए भटकते हुए युवा बेरोजगार। तथा ऑनलाइन शिक्षा पद्धति से भ्रमित और विचलित विद्यार्थी।

बचपन की नटखट शैतानियों से दूर खामोशियों में दबे छुपे हुए मासूम बच्चे जिन्होंने अभी दुनिया में कदम रखा ही है कि मुख पर मास्क लगा बैठे।

किंतु यह सारी परिस्थितियां कुछ समय की है साथ ही इन परिस्थितियों से जूझते हुए एक नई राह निकल कर सामने आती है। उस नई राह का स्वागत करें।

ऐसी कठिन परिस्थिति में एक दूसरे का मनोबल बढ़ाएं दुखियों का हाथ थाम ले। साथ ही प्रेरक और उत्साहवर्धक चर्चाएं आपस में करें ।

ताकि समय की नकारात्मकता जनमानस के मन पर अंकित ना होने पाए। कोई आत्महत्या ना करें कोई निराश ना हो पाए।

जीवन एक संघर्ष है!!

इस पत्र के माध्यम से आपको अपनी सारे विषम परिस्थितियों से निपटने के लिए हौसला अवश्य मिलेगा।

सचमुच एक बहुत कठिन दौर है। अपने अनुभव के आधार पर मैं यह कह सकती हूं के कितना भी आत्मविश्वासी व दृढ़ निश्चय व्यक्ति क्यों ना हो, लगातार आने वाली मुसीबतें एवं विपरीत परिस्थितियां व्यक्ति को उसके मार्ग से विचलित अवश्य कर देती हैं।

किंतु यह समय अत्यंत धैर्य और संयम से बिताने का होता है ।ऐसे समय में हमें ईश्वर पर अपनी आस्था बनाए रखते हुए एकमात्र ईश्वर की शरण में जाना चाहिए।

जहां कोई राह नहीं होती वहां ईश्वर के द्वार खुलते हैं और ईश्वर सारे ऐश्वर्य का द्वार खोल देते हैं। अतः पूर्ण विश्वास के साथ अपनी श्रद्धा और आस्था को बनाए रखते हुए परमेश्वर पर विश्वास करते हुए जीवन को बिना विचलित हुए एक निश्चित दिनचर्या से व्यतीत करना चाहिए।

वर्तमान महामारी की स्थिति में निश्चित ही प्रत्येक व्यक्ति की दिनचर्या में बहुत बड़ा परिवर्तन और अनिश्चितता आई है। कुछ बातें हैं जो इस समय धैर्य पूर्वक सोचने की है और जो हमें मानसिक संबल प्रदान करती हैं।

कुछ प्रश्नों को समझें….

  • नंबर 1 क्या जीवन का उद्देश्य प्राथमिकता के तौर पर मात्र शिक्षा है ? इसे विद्यार्थी गण समझे।
  • नंबर 2 प्राथमिकता के तौर पर जीवन का उद्देश्य क्या केवल रोजगार है ?
  • नंबर 3 प्राथमिकता के आधार पर जीवन का उद्देश्य क्या मात्र बच्चों का उज्जवल भविष्य है ? इसे अभिभावक समझे।
  • नंबर 4 प्राथमिकता के आधार पर जीवन का उद्देश्य क्या मात्र बच्चों की उच्च शिक्षा डिग्रियां हैं ?
  • नंबर 5 प्राथमिकता के आधार पर जीवन का उद्देश्य क्या मनोरंजन है ? इसे समस्त जनमानस समझे ।
  • नंबर 6 प्राथमिकता के आधार पर क्या अपने क्षेत्र में सफलता ही जीवन का उद्देश्य है ? इसे महत्वाकांक्षी समझें
  • नंबर 7 प्राथमिकता के आधार पर क्या श्रेष्ठता ही जीवन का उद्देश्य है ?
  • नंबर 8 प्राथमिकता के आधार पर अच्छा उत्तम स्वास्थ्य ही जीवन का उद्देश्य है ?
  • नंबर 9 प्राथमिकता के आधार पर क्या हमारी दैनिक आवश्यकताएं ही जीवन का उद्देश्य है ?
  • नंबर 10 प्राथमिकता के आधार पर हमारे शौक हमारी इच्छाएं हमारी आदतों की पूर्णता पाना ही जीवन का उद्देश्य है ?

यह कुछ ऐसे प्रश्न है जिन्हें प्रत्येक व्यक्ति को बहुत धैर्यपूर्वक समझना होगा क्योंकि आज जिस स्थिति से सारा समाज गुजर रहा है ऐसी स्थिति में हमारी पहली प्राथमिकता क्या होनी चाहिए ?

जिंदगी जिंदादिली का नाम है!!

2020 के पहली प्राथमिकता केवल और केवल जीवन को सुरक्षित बचाना है। अतः जीवन को बचाने का प्रयास करें और सारे आयोजन मात्र जीवन को सुरक्षित रखने के लिए ही करें।

जिस प्रकार उम्र के विभिन्न पड़ाव पर व्यक्ति की आवश्यकतानुसार उसकी प्राथमिकता बदलती रहती है ,वैसे ही परिस्थितियों के अनुसार सफलतापूर्वक आचरण करना है बुद्धिमानी कहलाती है।

अतः विशेष यह ध्यान रखें की विपरीत परिस्थितियां अपने आप में मानसिक तनाव का कारण होती हैं।

कोरोनावायरस के कारण वैसे ही प्रत्येक व्यक्ति दहशत में है एवं सभी की संपूर्ण दिनचर्या में भारी बदलाव पैदा हो चुका है तब ऐसी स्थिति में यह दो कारण ही इतने बड़े कारण हो सकते हैं जो घर बैठे हुए भी आपके मानसिक तनाव का कारण बनते हैं।

तब ऐसी परिस्थिति में बच्चों, युवाओं ,बेरोजगारों ,विद्यार्थियों ,अभिभावकों और रोजगार में लगे हुए लोगों को भी भारी तनाव का सामना अपनी परिस्थितियों को लेकर करना पड़ रहा है।

ऐसे में परिवार में प्रत्येक व्यक्ति का यह कर्तव्य हो जाता है कि एक दूसरे के तनाव को बढ़ाने की अपेक्षा सामान्य या कम करने की चेष्टा करनी चाहिए।

बच्चों में बढ़ता तनाव समझें!!

इस समय बच्चों के कोमल मन पर भारी दबाव शिक्षा का आ पड़ा है, उनकी मानसिकता को समझते हुए , साथ ही न्यून मानसिक स्तर को जानकर अभिभावक व शिक्षक विद्यार्थियों के साथ एक मित्रवत व्यवहार रखें।

जरा सोचें आज के 6 – 8 महीने पहले बच्चे कितने उत्साह के साथ सुबह उठकर स्कूल जाने की तैयारी करते थे ,दौड़ते हुए ,रिक्शा पकड़ते, साइकिल से ,स्कूटी से स्कूल की ओर दौड़ पड़ते थे।

एक अदम्य उत्साह, आशा चेहरे पर दिखता था और स्कूल पहुंचने के बाद लगभग 5 घंटे स्कूल में बिताने के बावजूद घर पर मुस्कुराते हुए वापस आते थे ।

आज वही बच्चे घर के अंदर कैद हैं। पूरी सुविधाओं के बाद चेहरे कुम्हला गए हैं । मित्र खो गए हैं, शरारते खो गईं हैं, वो मुस्कुराहट, वो खिलखलाहट गायब हो चुकी है।

उसका कारण जानने का प्रयास करें , उनके दिलों पर छोटे से मस्तिष्क पर इतना बड़ा बोझ । शिक्षा को एक डिवाइस के माध्यम से सीखना ।

और स्वयं को नियंत्रित करते हुए स्वयं के शिक्षक बन् करके स्वयं को शिक्षित करना कितना कठिन होता है।

जीवन से बड़ा रोजगार नही हो सकता!!

इसी प्रकार वे बेरोजगार जो अपनी शिक्षा पूर्ण करके नौकरी की लालसा में आवेदन करने के पश्चात भी खाली हाथ घर बैठे हुए हैं और इस कठिन समय की बीत जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं ।

जिन्हें अपने भविष्य की अनिश्चितता के बारे में कोई जानकारी नहीं है कि यह समय कब खत्म होगा कब नौकरियां लगेंगी ? कब उनका जीवन आगे बढ़ेगा ?

यहां आकर सारी बातें रुक सी गईहैं। इस परिस्थिति को समझें और मनोबल बढ़ाएं ।

वही नौकरी में लगे हुए लोग जिनका प्रतिदिन संघर्ष के साथ ही शुरु होता है और सारे एहतियात बरतने के बावजूद मन में शंकाओं के साथ घर वापसी होती है।

कब ? किसको? किस तरह ? और कहां से ? इस महामारी का शिकार होना पड़ेगा कोई नहीं जानता। किंतु अपने गंतव्य को हर व्यक्ति चला जा रहा है।

अभिभावक जो हमेशा ही अपने बच्चों की उज्जवल भविष्य की कामना करते रहते हैं। जिनका जीवन ही बच्चों के लिए समर्पित है, उनके लिए यह दौर अत्यंत कठिन है ।

घर बैठे हुए बच्चों को व्यस्त रखना तथा नकारात्मक स्थितियों से दूर रखने का प्रयास करना अत्यंत कठिन होता जाता है।

ये पल भी बीत जाएंगे!!

हमारे अत्यंत वृद्धजन जो शायद अपनी सामर्थ्य अनुसार चलते फिरते थे ,वे भी आज इस महामारी के दौर से संकट में गुजरते हुए स्वयं को घर में ही कैद किए हुए हैं।

अतः ऐसी परिस्थिति में प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक कार्य व्यवस्था निर्धारित करनी होगी साथ ही इन परिस्थितियों से जूझने के लिए स्वयं को तैयार करना होगा।

अपनी आवश्यकताओं को कम करना होगा एवं आपको दीपो भव की उक्ति को चरितार्थ करना होगा आज इस संकट में सभी को स्वयं का मालिक बना दिया है।

स्वयं को नियंत्रित करना सीख रहे हैं । स्वयं के निर्देशन में जीवन जीना कितना दुष्कर होता है। और कितना आसान होता है, जब कोई हमें निर्देशित करता है ,तब हमें सिर्फ कार्य करने होते हैं ,सोचना नहीं होता कि हमें क्या करना है ?और क्या नहीं करना ?

किंतु अब हमें खुद सोचना है कि हमें कब उठना है ? हमें कब नहाना ? है हमें कब खाना है ? हमें कब जागना है ? हमें कब सोना है ? और हमें कब-कब क्या-क्या कार्य करना है ? यह हमें स्वयं से नियंत्रित करना होगा।

जो व्यक्ति इस बात को जितना जल्दी समझ ले उतना जल्द ही उसका जीवन सुव्यवस्थित और नियंत्रित होकर प्रगति के मार्ग पर अग्रसर हो सकेगा। ये पल भी बीत जाएंगे।

समय बदलता जरूर है, धैर्य रखें!!

अतः बदली हुई विशेष परिस्थितियों में एक दूसरे की मानसिक स्थिति को समझते हुए हमें सभी का सहयोग करने की आवश्यकता है। धैर्य के साथ जीवन के कष्टपूर्ण क्षणों को बिता दें। समय बदलता जरूर है।

इसलिए इस पत्र के माध्यम से सभी के परिस्थितियों से सब को अवगत कराना एवं एक दूसरे के प्रति संवेदना पैदा करना मेरा उद्देश्य है।

ऐसे संकट की घड़ी में सभी की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए और सभी की स्थितियों में स्वयं को खड़ा करके देखते हुए दूसरे के कष्टों को समझ कर व्यवहार करना ही बुद्धिमत्ता एवं मानवता है।

अतः विशेष परिस्थितियों का सामना करें , एक दूसरे का मनोबल बढ़ाएं , जीवन में स्वयं से स्वयं को नियंत्रित करें , स्वयं के निर्देशन से कार्यों को करें , स्वयं के मालिक बने एवं हाथ बढ़ाकर दूसरे को दुख से उबारने की कोशिश करें ।

अंत में……..

सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया:

सर्वे भद्राणि पश्यंतु मां कश्चित् दुख भाग भवेत

?जय श्री कृष्ण?

इसी कामना के साथ आप सभी को सद्भावनाए संप्रेषित करती हूं।

?यह आलेख मौलिक व स्वरचित है।

✍️श्रीमती रेखा दीक्षित, सहस्त्रधारा रोड , देवदर्रा, मण्डला।

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18 thoughts on ““आपो दीपो भव”- कहर ढाता 2020, एक पत्र आपके नाम !!

  1. इस कोरोना संकट काल में धीरज बंधाने वाला लेख. अति संसाम्यिक

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