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बच्चों में अच्छी हेल्थ के 10 सूत्र

वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए बच्चों का रहन सहन, खानपान एवं दिनचर्या बहुत ही असामान्य हो चुकी है। वर्तमान कोविड-19 से उत्पन्न हुई परिस्थितियों ने बच्चों में और भी समस्याओं को जन्म दिया है, जिनमें विशेषकर भूख ना लगना एवं शरीर में चुस्ती फुर्ती की कमी आना तथा अध्ययन में एकाग्रता की कमी व सक्रियता में कमी का होना आदि है। किंतु इन परिस्थितियों से घबराने की जरूरत नहीं है , इस लेख में आपकी समस्त समस्याओं का समाधान प्रस्तुत किया जा रहा है।
बच्चों में मुख्य रूप से शरीर के विकास एवं स्वस्थ मानसिकता को लेकर कुछ उपाय एवं दिनचर्या को जीवन में नियमित रूप से स्थान देकर उक्त समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।

1,- समय पर सोना एवं जागना

पेरेंट्स इन बातों का विशेष ध्यान रखें कि बच्चों को एक निश्चित समय पर सोने की एवं निश्चित समय पर जागने की आदत अवश्य डालें। यह भी ध्यान रखें कि उक्त समय में बच्चों की नींद अवश्य पूरी होना चाहिए। क्योंकि नींद जीवन का एक महत्वपूर्ण तथ्य है और जिसके कारण ही जीवन में अनेक अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है और जो हमारे संपूर्ण जीवन की नींव होती है।

अतः बच्चों में प्रारंभ से ही निद्रा के महत्व को बताते हुए निश्चित समय पर सोना एवं जागना सिखाना चाहिए। एवम बड़े बच्चों को स्वयं से इन बातों का ख्याल रखना चाहिए। अन्यथा देर रात तक जागना व सुबह देर तक सोना दोनों ही बातें घुन की तरह स्वास्थ्य एवं जीवन को धीरे धीरे नष्ट कर देती हैं।

2- समय पर भोजन करने की आदत

दूसरी महत्वपूर्ण और मूलभूत आवश्यकता भोजन है , जिससे हमारे शरीर में रक्त मांस एवं कोशिकाओं का निर्माण होता है यह हमारे शरीर एवं मन को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अतः विशेष ध्यान यह रखें कि भोजन का एक निश्चित और नियमित समय अवश्य होना चाहिए।

पूरे दिन कुछ ना कुछ खाते रहने की आदत से हमारे आमाशय पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है और जिससे हमारा पाचन तंत्र गड़बड़ हो कर विभिन्न तरह की बीमारियां घेर लेती हैं। इसके साथ ही लगातार कुछ ना कुछ खाते रहने से मोटापे जैसी गंभीर समस्या से हम घिर जाते हैं और ना चाहते हुए भी जीवन भर इस समस्या से जीत नहीं पाते।

भोजन का एक नियमित अंतराल होना चाहिए। यदि आप बच्चे को दिन में 4 बार या 5 बार भोजन करने की आदत बना देते हैं तब ऐसी स्थिति में इस पांच बार या चार बार में समय की निश्चित सीमा तय की जानी चाहिए ताकि उस निश्चित सीमा में उक्त खाया हुआ भोजन पच सके और वह निश्चित सीमा कम से कम 3 घंटे की निश्चित ही होना चाहिए। प्रत्येक 3 घंटे के अंतराल में थोड़ा-थोड़ा खाने से हमारा पाचन तंत्र भी मजबूत रहता है साथ ही शरीर में भोजन को पचने के लिए समय मिलने के कारण अतिरिक्त चर्बी जमा नहीं हो पाती और जिससे हमारे शरीर संतुलित एवं स्वस्थ बना रहता है।

भोजन में पौष्टिक आहार , सलाद , फल ,डॉयफ्रूट दूध, दही, छाछ जरूर शामिल करें। सभी को नियमानुसार अलग अलग समय निर्धारित कर लें। और प्रत्येक एक से डेढ़ घण्टे के बीच मे पानी अवश्य पियें।

3- व्यायाम करने की आदत

बच्चों में बचपन से ही निश्चित रूप से नियमित व्यायाम करने की आदत जरूर डालनी चाहिए , जिससे शरीर में चुस्ती फुर्ती एवं स्फूर्ति बनी रहती है तथा शरीर भी फिट रहता है। नियमित व्यायाम न केवल हमारे शरीर को फिट रखता है अपितु हमारे मन को भी एकाग्र बनाकर तेज व क्षमतावान बना देता है। इस प्रकार व्यायाम हमारे शारीरिक और मानसिक उत्थान के लिए अत्यंत आवश्यक है ।

अतः नियमित रूप से बच्चों को व्यायाम करने की कम से कम 30 मिनट से लेकर 60 मिनट तक आदत अवश्य डालनी चाहिए। हम दिन भर काम चाहे जितना भी कर ले लेकिन व्यायाम शरीर के अंग प्रत्यंग को संचालित करके पोषण प्रदान करता है तथा रक्त में ऑक्सीजन का संचार करता है जिससे हमारी सक्रियता बनी रहती है।

4- मेडिटेशन एवं ध्यान करने की आदत

सुनने में अटपटा जरूर लगता है की हेल्थ का और ध्यान या मेडिटेशन का आपस में कैसा संबंध है। यह जान लेना अत्यंत आवश्यक है की हमारा मन जैसा भी अनुभव करता है , हमारे शरीर की वैसी ही गतिविधि होने लगती है । अतः मन को नियंत्रित करना एवं मन को स्वस्थ और प्रसन्न रखने के लिए ध्यान करना या मेडिटेशन करना अत्यंत आवश्यक है।

ऐसा माना जाता है कि व्यक्ति की जितनी आयु होती है कम से कम उतने मिनट का ध्यान या मेडिटेशन उस व्यक्ति को नियमित करना चाहिए। इस प्रकार यदि बच्चे की आयु 10 वर्ष है तो उसे 10 मिनट का ध्यान अवश्य कराएं , 11 वर्ष है तो 11 मिनट का ध्यान कराएं इसी प्रकार उम्र के हिसाब से उसने मिनट का ध्यान प्रतिदिन बच्चों से कराया जाना चाहिए और बड़ों को भी करना चाहिए ।

इस प्रकार ध्यान करने से हमारे जीवन में मन का नियंत्रण बना रहता है तथा मन में विभिन्न प्रकार के तनाव , डिप्रेशन, कुंठा, हीनभावना जैसे मानसिक रोगों से अपने आप ही छुटकारा मिल जाता है।

5- ईश्वर की उपासना करने की आदत

स्वस्थ जीवन एवं स्वस्थ शरीर तथा स्वस्थ मन के लिए यह जरूर आवश्यक है की हम किसी ना किसी का आदेश अवश्य माने। विभिन्न साहित्य से यह तथ्य भी सामने आया है कि विनम्र व्यक्ति के मन में उतने रोग या विकार उत्पन्न नहीं होते जितने की एक अहंकारी व्यक्ति के मन में पैदा हो जाते हैं।

ईश्वर की उपासना या नियमित पूजा आराधना हमें विनम्र बनाती है एवं हमारे मन के अहंकार को दूर करती है और अनजाने ही हम बहुत से मनोरोगों से दूर हो जाते हैं। साथ ही मन में एक विश्वास जन्म लेता है कि कोई शक्ति है जो हमारे हर बिगड़े कार्य को पूर्ण करेंगी एवं हमारे साथ जरूर किसी भी परिस्थिति में जरूर रहेगी।

यह विश्वास हमारे व्यक्तित्व को दृढ़ एवं मजबूत बनाता है तथा शांति, दिव्यता व एकाग्रता लाता है। इस प्रकार अपरोक्ष रूप से यह हमारे जीवन को सुंदर और स्वस्थ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

6- फल खाने की आदत

बच्चों में नियमित रूप से कोई ना कोई फल खाने की आदत अवश्य डालें। यह ऐसी बाते हैं जो अमृत के समान हमारे शरीर को स्वयं ही स्वस्थ एवं मजबूत बनाती रहती है। बीमारी के पश्चात हम अपने शरीर की बहुत सेवा करते हैं किंतु स्वस्थ शरीर के साथ हम जो खिलवाड़ करते हैं वही हमें बीमारी तक पहुंचा देता है। अतः स्वस्थ शरीर का ध्यान रखना आवश्यक है।

फलों में फाइबर होता है जो शरीर के समस्त जहरीले तत्वों को बाहर निकाल कर पाचन क्षमता को बढ़ाते हैं , साथ ही शरीर मे विटामिन की कमी को दूर करता है। फल खाने से शरीर मे आलस्य दूर होकर फुर्ती बनी रहती है। अतः मौसमी फलों को अपनी डाइट में अवश्य शामिल करें।

7- तेल मालिश करने की आदत

यह हमारे पूर्वजों के पुरानी आदत थी वे नियमित तेल मालिश करते थे। किंतु समय के बदलते ही दिनचर्या के बदलाव के साथ ही समय में कमी आने लगी कार्य अधिक होने लगे और यह आदतें धीरे-धीरे छूटते चली गई, किंतु जिसे भी स्वस्थ रहना है, अपने शरीर को मजबूत रखना है, उसे नियमित अपने शरीर में किसी भी तेल से मालिश अवश्य करनी चाहिए।

मालिश करने के अनेकानेक लाभ है । जब तक बच्चे छोटे रहते हैं , तब तक माता के द्वारा या नाउन के द्वारा बच्चे की मालिश की जाती है , किंतु जैसे ही बच्चा खड़ा हुआ और चलने लगा, उसकी मालिश बंद कर दी जाती है । जो उचित नहीं है। बच्चे के अंदर में ऐसी आदत बचपन से ही डालना चाहिए कि नहाने के पूर्व मालिश करना उसके लिए आवश्यक हो जाए। किन्तु यदि समय के साथ सम्पूर्ण शरीर की मलिश न हो सके तो कम से सिर और पैर के तलुए में जरूर रोज मालिश करनी चााहिये।

8 – सुबह पानी पीने की आदत

प्रत्येक व्यक्ति को सुबह उठते ही कम से कम एक गिलास पानी अवश्य पीना चाहिए । यह पानी अमृत के समान हमारे शरीर के अंदर की सफाई करता है और रात भर में जो भी विषैले तत्व हमारे अंदर एकत्रित हो जाते हैं उन्हें निकाल देता है।

इस तरह पानी पीने की क्रिया को उषःपान कहा जाता है। बच्चों में यह आदत बचपन से ही डालनी चाहिए। इस तरह से हम बच्चों के स्वास्थ्य के नियमों का पालन कराते हुए उनके व्यक्तित्व का विकास कर सकते हैं।

9- सूर्य नमस्कार व प्राणायाम की आदत

बच्चों में सूर्य नमस्कार व प्राणायाम करने की आदत डालें। यह जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी है तथा शरीर को निरोगी रखकर दीर्घायु बनाते हैं । आजकल बच्चों में विभिन्न तरह के खेल खेलने की प्रवृत्ति कम पाई जाती है, जिससे बच्चों के शारिरिक व मानसिक विकास में अवरोध उत्पन्न होता है।

खेलने से प्राणायाम व व्यायाम अपने आप ही हो जाता था किंतु अब ऐसा न हो पाने के कारण शारिरिक व्यायाम , प्राणायाम व सूर्य नमस्कार को जीवन का हिस्सा बना लेना बहुत ही जरूरी हो गया है।

10- स्वाध्याय की आदत

स्वास्थ्य संबंधी नियमों में उचित खानपान के साथ ही उचित आहार-विहार और दिनचर्या का भी विशेष महत्व होता है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए यह जानना भी आवश्यक है कि बच्चे संपूर्ण दिन किस तरह बिताते हैं।

दिन भर मोबाइल या टीवी या अन्य मनोरंजन में लगे रहकर बच्चे कभी भी स्वस्थ नहीं रह सकते बल्कि मानसिक और शारीरिक रूप से हमारा स्वास्थ्य इन डिवाइसों के कारण गिरता रहता है जिसका हमें पता भी नहीं चलता।

अतः स्वाध्याय की एक प्रक्रिया नियमित रूप से हमें अभ्यास में लेनी चाहिए जिसके अंतर्गत शास्त्रों या अच्छी पुस्तकें, शिक्षाप्रद कहानियां, महापुरुषों की जीवनियां आदि का अध्ययन करने की बच्चों में आदत होनी चाहिए। यह शास्त्र निश्चित रूप से एक मार्गदर्शक का कार्य करते हैं और जीवन को सरल और सुगम बनाकर श्रेष्ठतम ऊंचाइयों पर ले जाते हैं।

इस प्रकार स्वास्थ्य के यह 10 सूत्र अपने जीवन में लाकर हम जीवन को नियमित अनुशासित एवं स्वस्थ बना सकते हैं। यह अत्यंत ही सरल और साधारण सूत्र हैं , जिनको हम पालन भी करते हैं , किंतु सही तरीके और सही जानकारी ना हो पाने के कारण इनको उचित रूप से पालन नहीं कर पाते जिसके दुष्परिणाम हमारे गिरते हुए स्वास्थ्य और परेशान मन मस्तिष्क से सामने आते हैं।

अतः बच्चों को स्वास्थ्य के इन 10 नियमों से परिचित कराते हुए उन्हें दीर्घायु निरोगी और सुखी बनाने का प्रयास करें इन सूत्रों के साथ जीवन जीने पर कभी भी मोटापा, डिप्रेशन, हीन भावना, अकर्मण्यता, उदासीनता ,असफलता जैसी अनेकानेक नकारात्मक प्रवृत्तियां कभी भी जन्म नहीं ले पाएंगी।

जो भी आदत आप बचपन से ही बच्चों में डाल देते हैं वही संस्कार बनकर पूरे जीवन भर उनका मार्ग प्रशस्त करती हैं अतः जो भी आप सिखाना चाहते हैं बच्चों को प्रारंभ से ही सिखाना शुरू कर दें, जीवन के बहुमूल्य सूत्रों को कभी भी अध्ययन या कार्य व्यस्तता की भेंट ना चढ़ाते हुए प्राथमिकता पूर्वक जीवन में स्थान दें। आपके द्वारा इस प्रकार महत्व देने से बच्चे भी उन चीजों के महत्व को समझ कर अपने जीवन में पालन करते हैं।

?️यह आलेख मौलिक एवं स्वरचित है।

✍️श्रीमती रेखा दीक्षित एडवोकेट

सहस्त्र धारा रोड देवदर्रा मण्डला।

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18 thoughts on “बच्चों में अच्छी हेल्थ के 10 सूत्र

  1. स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें बहुत उपयोगी जानकारी

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