मन की एकाग्रता बढ़ाने के उपाय ! मन की शक्तियों को दूसरी बातों से हटाकर किसी एक वस्तु अथवा विषय पर लगा देना एकाग्रता है। एक बुद्धिमान व्यक्ति यदि मन को भटकने से नहीं रोकता या तेजी से कार्य करने को आदत नहीं डालता, तो वह भी दुनिया में अधिक काम नहीं कर सकता।
एकाग्रता बुद्धि को सहारा देती है, उसे प्रखर बनाती है। जन्मजात प्रतिभा भले कम हो मगर एकाग्रता, प्रतिभा में आश्चर्यजनक वृद्धि कर सकती है। मन की एकाग्रता योग्यता का प्राण है, अपूर्व सिद्धि देने वाली है।
बहुत सी बातों पर बिखरी हुई मनः शक्तियाँ शायद ही कुछ कर सकें, लेकिन एकाग्र मन एकाग्र सूर्य किरणों की तरह असंभव को भी संभव कर सकता है। किसी कार्य में कुशलता का आधार एकाग्रता ही है। स्मरण शक्ति हेतु भी एकाग्रता अनिवार्य है। आइये जानते हैं मन की एकाग्रता बढ़ाने के उपाय !
मन की एकाग्रता बढ़ाने हेतु कुछ सुझाव , टिप्स !
1. शौक अथवा रुचि का एकाग्रता से सीधा संबंध है। किसी कार्य या विषय में एकाग्रता के लिए,
उस विषय में रुचि एवं इच्छा शक्ति पैदा करना आवश्यक है। कार्य या विषय में रुचि पैदा करने के लिए गंभीर प्रयास करें।
किसी भी कार्य को सदा संपूर्ण रीति से करने का एक महान लक्ष्य अपने जीवन में रखें।
2. अपनी रुचियों को अन्य बातों से समेट कर उपयोगी बातों को सीखने में लगाएँ।
रुचि के लिए वस्तु अथवा विषय के महत्व को गहराई पूर्वक समझे। उनके द्वारा होने वाले लाभों पर विचार करें।
प्रारम्भ में रुचि न होने पर भी अपनी तन-मन की शक्तियों को उस विषय-वस्तु पर लगाए रखें।
थोड़ी अवधि में हो आप उसमें रुचि लेने लगेंगे।
मन की एकाग्रता बढ़ाने के सूत्र
3. किसी भी व्यक्ति को कुनैन की गोली खाने, इंजेक्शन लगवाने, ऑपरेशन करवाने में कोई रुचि नहीं होती,
लेकिन स्वास्थ्य लाभ एवं जीवन-मरण के प्रश्न को देखते हुए वह उन्हें प्रचुर धन खर्च करके भी अपनाता है।
4. अपनी रुचियों को सही दिशा देने के लिए ऐसा ही प्रयास हर व्यक्ति को निरंतर करते रहना चाहिए।
एक बालक जब निरंतर अभ्यास द्वारा मिर्ची, चाय, लहसुन, प्याज, मूली, करेले जैसी चीजों में रुचि पैदा कर लेता है,
तब अभ्यास एवं लगन द्वारा कोई भी विद्यार्थी गणित, अंग्रेजी, विज्ञान आदि उपयोगी विषयों तथा
5. परोपकार, दया, अहिंसा, क्षमा, धीरज, सहनशीलता जैसे
सद्गुणों के प्रति क्यों नहीं रुचि पैदा कर सकता ?
शुरू में गणित, विज्ञान, अंग्रेजी आदि विषय सूखे व कठिन लग सकते हैं, परंतु निरंतर अभ्यास द्वारा ये बड़े आसान व
परम रुचिकर हो जाते हैं।
मन की एकाग्रता कैसे बढ़ाएं !
6. रुचि बढ़ाने के लिए अपनी दृढ़ता व संकल्प शक्ति का प्रयोग करें।
आप श्रीराम, कृष्ण, भीष्म पितामह, महाराणा प्रताप, शिवाजी विवेकानन्द, महात्मा गाँधी के वंशज हैं।
आपके दृढ़ संकल्प के आगे कोई बाधा टिक नहीं सकती।
7. एक साथ बहुत सी रुचियों के कारण भी मन भटकता है।
पढ़ते हुए टी.वी. कार्यक्रम देखने, क्रिकेट कमेटी सुनने, बीच में कुछ न कुछ खाते रहने, बाहर खेलने जाने,
रेडियो टेप सुनते रहने, मित्रों से फोन पर बातें करते रहने से मन पढ़ाई पर एकाग्र नहीं हो पाता।
10. मन की एकाग्रता बढ़ाने के लिए आवश्यक है कि एक समय में एक ही कार्य पर मन को केन्द्रित किया जाए।
अन्य बाधाओं को युक्तिपूर्वक दूर करें।
11. बात को कितनी ही अच्छी तरह समझ लिया जाए, कितना ही वाद-विवाद किया जाए,
लेकिन जब तक एकाग्रचित्त होकर काम करने का अभ्यास न किया जावे, तब तक अपेक्षित लाभ नहीं हो सकता।
जब मन लगाकर कार्य नहीं किया जाता तब मानसिक शक्तियाँ, समय आदि व्यर्थ ही नष्ट होते हैं।
एकाग्र होने के टिप्स
12..आलस्य, आराम पसंदगी, कठिन श्रम से जी चुराना, मन की भटकन, चिंता, घबराहट, थकान व अन्य कई व्यर्थ की
बातों में रुचि बिखरने से मन की एकाग्रता में कमी आती है।
साहस, आशा, आत्मविश्वास, धीरज व ईश्वर में श्रद्धा द्वारा इन पर विजय पायें।
13. मन की एकाग्रता बढ़ाने करने की आदत डालने के लिए रोज अपनी किसी प्रिय उपयोगी पुस्तक पत्रिका का कुछ भाग पढें।
और फुरसत के समय में जैसे- ट्रेन, बस की यात्रा में, बस की इंतजार करते या किसी बाग में बैठे ध्यान से यह विचार करें
कि, उस दिन आपने क्या पढ़ा था ? इस बारे में पहले से कितनी जानकारी थी?
इस बात का जीवन में किस प्रकार व कहाँ लाभ लिया। जा सकता है ? आदि।
इस अभ्यास से मन इच्छानुसार एकाग्र हो सकेगा तथा स्मरणशक्ति का भी विकास होगा।
कैसे हों एकाग्र !
14. एकाग्रता के लिए रात्रि में सोने से पहले या अवकाश के समय दिनभर या सप्ताह भर की सारी शिक्षाप्रद व महत्वपूर्ण
बातों को याद करें इन बातों की जीवन में उपयोगिता पर सोचे। जो आगे करने वाले हैं, उस पर विचार करें।
अपनी सुख और शाँति में आप कैसे वृद्धि कर सकते हैं? इन बातों पर लगभग आधा घंटा मनन करने की आदत डालें।
जहाँ और जब भी ध्यान देने की जरूरत हो वहां पर एकाग्रचित्त से ध्यान दें, पढ़ाई हो या किसी से बात करना हो।
किसी भी करने योग्य काम को अच्छी प्रकार से करें। ऐसे अभ्यास से हर कार्य रोचक बन जाएगा,
आत्म-अनुशासन का अभ्यास होगा।
15. एकाग्रता के लिए जरूरी है कि जो भी काम किया जाए उसे रुचिपूर्वक तथा आनंद लेते हुए किया जाए।
उस कार्य से न तो जी उबे न ही यह सोचें कि यह काम किसी तरह जल्दी खत्म हो जाए, वरन् उसे प्रेमपूर्वक करते जाएँ।
अनुभव करते रहे कि आपका काम कितना महत्वपूर्ण और उपकारी है।
इससे आपको और दूसरों को जो लाभ होगा, उसकी कल्पना करें। यही एकाग्रता का रहस्य है।
देखते रहें आपकी अपनी वेबसाइट –
नमस्कार! मैं रेखा दीक्षित एडवोकेट, मैं एडवोकेट ब्लॉगर व युट्यूबर हूं । अपने प्रयास से अपने पाठकों के जीवन की समस्याओं को दूर कर ,जीवन में उत्साह लाकर खुशियां बांटना चाहती हूँ। अपने अनुभव एवं ज्ञान के आधार पर मैंने अपने ब्लॉक को सजाया संवारा है, जिसमें आपको योग ,धार्मिक, दर्शन, व्रत-त्योहार , महापुरुषों से संबंधित प्रेरक प्रसंग, जीवन दर्शन, स्वास्थ्य , मनोविज्ञान, सामाजिक विकृतियों, सामाजिक कुरीतियां,धार्मिक ग्रंथ, विधि संबंधी, जानकारी, स्वरचित कविताएं एवं रोचक कहानियां एवं स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां उपलब्ध हो सकेंगी । संपर्क करें : info.indiantreasure@gmail.com