नमस्कार दोस्तों ! भोजन करने के महत्वपूर्ण नियम जरूर अपनाएं महत्वपूर्ण 15 टिप्स ! दोस्तों, स्वस्थ खान-पान स्वस्थ जीवन का मुख्य आधार है। वस्तुतः जो कुछ हम खाते-पीते है वही कुछ हम हैं। अधिकांश रोगों का मूल कारण खानपान में विकृति तथा अनियमितता ही है। कहा भी गया है कि हमारे अच्छे अथवा बुरे स्वास्थ्य का निर्धारण रसोई घर में ही होता है।
आज अधिकांश लोगों का स्वाद इतना हो गया है कि सादा प्राकृतिक भोजन भी उन्हें रास ही नहीं आता। यही कारण है कि आज पूरे विश्व में रोगों की बाढ़ सी आ गई है। अस्पतालों व डॉक्टरों को भरमार के बावजूद रोगों पर नियंत्रण संभव नहीं हो पा रहा है।
आज छ: इंच लंबी जीभ ने छ: फुट लंबे आदमी को वश में कर लिया है। किसी महापुरुष ने ठीक ही कहा है कि आज व्यक्ति अपनी जीभ की नौक से हो अपनी कब्र खोद रहा है। स्वस्थ जीवन हेत भोजन करने के नियम बहुत सरल हैं। आइये इन्हें जाने व जीवन में अपनायें। आइए जानते हैं भोजन करने के महत्वपूर्ण नियम
भोजन करने के महत्वपूर्ण नियम 15 टिप्स !
1. बिना कड़ी भूख लगे कुछ भी न खाने की आदत डालें ।
पाचन अंगों पर तनाव व बोझ न डालें, यथासंभव कम ही भोजन लें।
पेट तन जाना, भारी लगना आदि रोग के बीज है। हमें सही भूख का इंतजार करना चाहिए अथवा
अगले भोजन तक उपवास कर लेना चाहिए। खुलकर भूख लगने पर भोजन का स्वाद ही निराला होता है।
अधिक भोजन करना एक गलती है। इससे शरीर की शक्ति कम होती है, जोर्ण रोगों को नींव पड़ती है
व मोटापा-मधुमेह-बवासीर आदि रोगों का प्रमुख कारण बनती है।
2 .भोजन सदा नियमित समय पर ही करें।
दो भोजनों के बीच कम से कम 5 घंटों का अंतर रखें।
बार-बार बीच-बीच में कुछ न कुछ खाते रहने की आदत ठीक नहीं। भूख से थोड़ा कम ही भोजन करें।
चौथाई पानी तथा चौथाई हवा के लिए खाली रखें।
रात्रि भोजन सोने से 2-3 घण्टे पहले ही कर लें। असमय भूख का आभास होने पर सादा पानी या रसाहार लें।
3- भोजन सदा शांत और प्रसन्नचित्त होकर ही करें।
चिंता, भय, आवेश, थकान, दुख, तनाव, क्रोध, अशांत अवस्था में भोजन सामान्य अवस्था होने तक टाल दें।
भोजन करने के 15 टिप्स !
4. भोजन खूब चबा-चबा कर करें।
दाँतों का काम आँतों से न लें। कहा गया है: Eat Water and Drink Food,
अर्थात तरल पदार्थों को चुस्की लेते हुए मुँह में थोड़ी देर रख कर फिर निगलें तथा ठोस पदार्थों को इतना चबायें कि वे पीने की तरह तरल हो जायें।
5. भोजन को अच्छी तरह चबाकर खाने के लाभ–
पूरा पाचनतंत्र क्रियाशील हो जाता है। भोजन पचाने वाले पाचक रस पर्याप्त मात्रा में स्त्रावित होते हैं।
आंतों की स्वाभाविक गति बढ़ जाती है। शौच खूब साफ आता है और आँतों की गंदगी पूरी तरह साफ हो जाती है।
चबाने से जबड़ों की अच्छी कसरत हो जाती है।
कम भोजन में ही पूरी तृप्ति व पोषण मिलता है। स्वाद बढ़ जाने से अधिक मसालों को आवश्यकता नहीं रहती ।
दाँतों का व्यायाम होने से दाँत मजबूत व आँखें स्वस्थ रहती है।
6. भोजन के आधा घंटा पहले व भोजन के साथ कम से कम पानी पीयें।
भोजन के पश्चात् पानी न पौकर एक डेढ़ घंटे बाद पर्याप्त पानी पीयें। दिन भर में घंटे-घंटे के अंतर पर थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहे।
7. जैसा अन्न-वैसा मन ।
पवित्र कमाई का पवित्रतापूर्वक बनाया, केवल सात्विक अन्न ही ग्रहण करें। प्रभु को अर्पित कर उसी याद में प्रसाद स्वरूप भोजन लें।
भोजन सादा ही करें !
8. भोजन सादा, सात्विक व सुपाच्य रखें।
जीभ के स्वाद को नहीं शरीर के स्वास्थ्य को प्रधानता दें।अच्छे स्वास्थ्य के लिए चीनी व नमक का प्रयोग कम से कम करें।
भोजन जितना सादा व प्राकृतिक होगा उतना ही गुणकारी होगा।
9- नाश्ते में मौसम के ताजा फल व दूध लें।
भोजन में गाजर, ककड़ी, मूली, टमाटर, चुकंदर, अंकुरित मूंग / चना, सब्जियाँ, पत्ता भाजी आदि ज्यादा लें।
अपनी शरीर की प्रकृति के अनुकूल भोजन का निर्धारण स्वयं ही कर लें ।
10- मिर्च, मसाले, आचार आदि कम से कम लें।
मैदे के बने पदार्थ, मिष्ठान, गैस करने वाले, भूने तले, बासी व सड़े-गले खाद्य,
जंक फूड, फास्ट फूड आदि न लें। गरिष्ठ भोजन कम लें अन्यथा नींद व आलस्य पढ़ाई में बाधक बनेंगे।
अम्ल प्रधान भोजन कम व क्षार प्रधान अधिक लें। शुद्ध रक्त में 25 प्रतिशत अम्लीय तथा 75 प्रतिशत क्षारीय तत्व होते हैं।
रक्त की अम्लता में वृद्धि रोगों का कारण बनती है।
11- चाय, कॉफी व अन्य नशों से यथासम्भव दूर रहें।
सभी प्रकार के ठण्डे पेय, फ्रिज के पदार्थ, बर्फ आदि के प्रयोग से बचें Packed, Preserved, Refined, Deep Fried खाद्य पदार्थों से बचें।
अति गर्म व अति ठंडे पदार्थ स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं परहेज से रोग दूर हो जाते हैं। परहेज न हो तो सौ दवाएँ भी बेकार हैं।
कहा भी है- ‘सौ दवा बराबर एक परहेज’ ।
भोजन करने के महत्वपूर्ण नियम
12- बेमेल अथवा विरुद्ध खान-पान न करें,
जैसे दूध के साथ दही, नमक, मूली, नारियल, खटाई, खट्टे फल आदि। ठंडे पानी के साथ तेलीय मेवे व पदार्थ,
तरबूज, अमरूद, ककड़ी आदि न लें। ठंडे पदार्थों के साथ गर्म पदार्थ न लें।
13- खाने के बाद 2 मिनट बज्रासन करें।
14- भोजन के बाद एक-डेढ़ घंटे तक कठिन शारीरिक परिश्रम या व्यायाम न करें। पढ़ाई लिखाई भी आधे घण्टे बाद करें।
15- सप्ताह में एक दिन या एक समय रसाहार या जल उपवास रखें।
इस तरह आयुर्वेद में बताए गए भोजन करने के 15 महत्वपूर्ण टिप्स को ध्यान में रखकर यदि हम अपनी दिनचर्या का पालन करते हैं तो जीवन में कभी भी रोक नहीं सकता सकती और स्वस्थ सुंदर छरहरी काया पा सकते हैं। जरूर अपनाएं भोजन करने के 15 महत्वपूर्ण टिप्स ।
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