नमस्कार दोस्तों ! चाय या कॉफी पीने से आयु, प्राणशक्ति व कार्यक्षमता नष्ट होती है। इसका सेवन आपको असमय बूढा बनाता है, यह जहर है। आजकल चाय और कॉफी पीने का चलन सा हो गया है। दिन में तीन से चार कप चाय पीना सामान्य बात हो चली है। चाय के बारे में बिना कुछ जाने हम इसका लगातार बेझिझक सेवन करते हैं ।
इसके दुष्परिणाम जानकर आप आश्चर्यचकित हो जाएंग । आज हम आपको चाय या कॉफी पीना कितना हानिकारक है इस बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देंगे । अतः इसे अंत तक ध्यान से अवश्य पढ़ें ।
चाय या कॉफी में मौजूद तत्व कौन से हैं !
चाय की पत्तियों के जो रासायनिक विश्लेषण किए गए हैं उनसे यह पता चलता है कि
इनमें कैफ़ीन, टैनिक, एसिड, नाइट्रोजन एरोमेटिक ऑइल (सुगंधित तेल) आदि पदार्थ होते हैं।
इन में कैफीन 2.8 से 5.0 प्रतिशत और टैनिक एसिड 7.0 से 14% तक होती है ।
यह दोनों ही पदार्थ स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है ।कैफिन नामक पदार्थ तो एक प्रकार का जहर ही है।
डॉक्टर लोग जब इसे दवाई के रूप में देते हैं तो इसकी मात्रा दो या तीन ग्रेन से अधिक नहीं होती ।
सामान्यत: एक कप चाय में एक या दो ग्रेन कैफीन होती है।
यदि 3 से 4 कप चाय पी जाए तो 4 या 8 ग्रेन जहर का सेवन कर लिया माना जाएगा।
चाय या कॉफी पीने से कैफीन का दिमाग पर असर !
मनुष्य के दिमाग पर कैफीन का उतना ही बुरा असर होता है जितना कि तंबाकू के जहर निकोटिन और शराब का।
इसका सबसे बुरा असर शरीर के स्नायु और वात संस्थान पर पड़ता है ।
जब किसी व्यक्ति के स्नायु संस्थान ही ढीले पड़ गए हैं तो उसे स्वास्थ्य सुख कैसे उपलब्ध हो सकता है ।
दूसरे कैफीन बहुत अधिक उत्तेजना पैदा करता है । व्रहत मस्तिष्क के केंद्रों को यह बहुत अधिक उत्तेजित करता है।
और इसी कारण चाय पीने वाले को यह अनुभव होने लगता है कि उनमे उन्हें शक्ति आ गई है ।
पर इससे अनिद्रा और मन की अशांति पैदा होती है
चाय या कॉफी पीने से सांस प्रणाली और रक्त संचरण पर बुरा असर !
इसका बुरा असर व्यक्ति की सांस प्रणाली और रक्त संचरण पर पड़ता है।
क्योंकि यह धमनियों में भी उत्तेजना पैदा करता है । जिससे वे फैल जाती हैं और रक्त संचरण बढ़ जाता है।
चाय या कॉफी पीने से सांस प्रणाली भी बहुत अधिक उत्तेजित होती है, जिससे सांस की गति बढ़ जाती है।
इससे शरीर की गर्मी भी लगभग 10 से 20% तक बढ़ जाती है।
और मूत्र की मात्रा भी बढ़ जाती है जिससे गुर्दे कमजोर हो जाते हैं ।
टैनिक भी बहुत घातक पदार्थ होता है !
कैफीन के अलावा चाय में टैनिक भी बहुत अधिक घातक पदार्थ है।
चाय की पत्तियों को बहुत अधिक देर तक उबाला जाए तो इसमें टैनिक की मात्रा और अधिक बढ़ जाती है।
टैनिक एक प्रकार का अम्ल है और चमड़े को सख्त करने के लिए उसकी रंगाई के काम आता है।
चाय या कॉफी पीने वाले के शरीर की त्वचा भी इससे सख्त पड़ जाती है।
इसके सेवन का शरीर के पाचन संस्थान पर बहुत बुरा असर पड़ता है ।
इससे कब्ज होता है और अग्नि मंद पड़ जाती है। मुंह की लार ग्रंथियों के कार्य में भी बाधा खड़ी करता है।
क्योंकि इन ग्रंथियों का टायालिन नामक तत्व जो भोजन के निशास्ता को शकर के रूप में परिवर्तित करता है ,
इससे विकृत हो जाता है और अपना कार्य सुचारू रूप से नहीं कर पाता।
खाली पेट चाय या कॉफी पीने के दुष्परिणाम !
कुछ खाए बिना चाय या कॉफी पीने से पेट में जख्म हो जाते हैं।
और चाय का एरोमेटिक तेल आंतों में खुश्की पैदा कर देता है ।
चाय या कॉफी पीने से असमय में ही रक्त धमनियों में जड़ता आ जाती है।
जिससे वात रक्त आदि रोग उत्पन्न हो जाते हैं। चाय के सेवन से रक्तचाप बढ़ता है ।
जो लोग यह समझते हैं कि चाय पीने से दिमागी और शारीरिक ताकत बढ़ जाती है तो यह गलत है ।
कुछ लोग कॉफी और चाय के इतने आदी हो जाते हैं कि यदि समय पर चाय या कॉफी ना मिले
तो उनके सर में दर्द होने लगता है और बेचैनी बनी रहती है। चाय या कॉफी से क्षणिक उत्तेजना आती है ।
और बाद में जब उसका असर कम होता है तो शरीर में शिथिलता आ जाती है।
जहां तक कॉफी के सेवन का संबंध है !
यह चाय से भी अधिक हानिकारक है। जिस तरह चाय में शरीर के लिए कोई पोषक तत्व नहीं है ,उसी तरह कॉफी में भी नहीं है।
बल्कि जो कैफ़ीन चाय में होता है वही कैफ़ीन कॉफी में और भी अधिक घातक होता है।
यह घुन की तरह धीरे-धीरे शरीर को क्षीण करता है। कॉफी के सेवन से दिल की धड़कन तेज हो जाती है।
और जैसे ही असर कम होता है धड़कन मंद पड़ने लग जाती है ।
इस उत्तेजना से दिल कमजोर होता है और इससे रक्त संचरण में भी बाधा उपस्थित होती है ।
कॉफी के सेवन से आमाशय में अम्ल रस अत्यधिक मात्रा में बनता है जो गैस्ट्रिक अल्सर का कारण बनता है।
अल्सर के 70% रोगियों का अध्ययन करने पर पता चला है कि
कैफ़ीन वाले अन्य पदार्थ या कॉफी।इस रोग का एक बहुत बड़ा कारण है।
कॉफी पीने के अन्य नुकसान!
यह आंखों की ज्योति को भी हानि पहुंचाती है। आंखों के ग्लूकोमा रोग में काफी का सेवन जहर का काम करता है
इससे रक्त का दबाव बढ़ता है जिससे आंखों की ओर रक्त का प्रवाह होता है और रोग बढ़ कर घातक हो जाता है।
कॉफी के सेवन से दाद के रोगियों को कष्ट बढ़ जाता है दाद खुजली में जो लोग कॉफी का सेवन करते हैं ।
उनको और अधिक खुजली महसूस होती है।
काफी अत्यंत उत्तेजक पदार्थ है । प्राय: सभी उत्तेजक पदार्थ वीर्य जन्य रोग पैदा करते हैं ।
इसलिए कॉफी बढ़ती उम्र वालों के लिए तो बहुत ही हानिकारक है ।
प्रमेह और स्वप्नदोष का रोग का कारण चाय और कॉफी का सेवन करना भी है ।
कॉफी के सेवन से स्त्री और पुरुष दोनों की प्रजनन शक्ति क्षीण होती है
दूसरी बात यह है …
कि चाय या काफी हमारी उस शक्ति को बाहर लाती है जो हमारे शरीर में भविष्य के लिए सुरक्षित रहती है ।
जो शक्ति कल काम आने वाली थी उसे आज ही खर्च कर देती है।
जिसे हमें जमा करके रखना चाहिए चाय और कॉफी उस शक्ति को नष्ट कर देती है
और हममें असमय ही बुढ़ापा आ जाता है।
चाय या कॉफी पीना रोगों को बढ़ा देता है !
बहुत से लोगों का ख्याल है कि चाय कॉफी के सेवन से खाना जल्दी हजम हो जाता है ।
और जुकाम खांसी और गले आदि की बीमारियां दूर होती है।
किंतु यह बहुत ही गलत धारणा है चाय गरम और खुश्क तासीर की होती है ।
जिससे यह आंतों में खुश्की पैदा करती है और कब्ज को बढ़ाती है।
कब्ज और मंदाग्नि के रोगियों के लिए तो यह दोनों ही चीजें चाय और कॉफी जहर के समान है।
बहुत से लोग सर्दी होने पर चाय कॉफी ले लेते हैं पर अधिकांश मामलों में यह पाया गया है कि
ऐसी हालत में चाय या कॉफी पीने से रोगी की तकलीफ बढ़ जाती है।
इससे पिघला हुआ जुकाम खुश्क हो जाता है और कफ, खांसी अनेक रोग पैदा हो जाते हैं ।
प्राय: यह देखा जाता है कि जो लोग इसके सेवन के आदी नहीं होते और इसका सेवन कर लेते हैं
तो उन्हें जुकाम की शिकायत हो जाती है।
संक्षेप में चाय और कॉफी के गुणों पर विचार करने पर स्पष्ट पता चलता है कि चाय या कॉफी पीने से मनुष्य की आयु क्षीण होती है और असमय में ही बूढ़ा होकर काल का ग्रास बन जाता है । आयुर्वेद में चाय या कॉफी पीने को अभक्ष्य व त्याज्य बताया गया है । मान्यता के अनुसार इनके पीने से मनुष्य की आयु, प्राणशक्ति और कार्यक्षमता क्षीण होती है।
अतः इससे बचें और स्वयं को तंदुरुस्त और जवान बनाए रखें। महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए देखते रहे आपकी अपनी वेबसाइट
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