नमस्कार दोस्तों ! बरगद और पीपल वृक्ष जैसे पवित्र वृक्ष घर में गमले में लगाना चाहिए या नहीं इस संबंध में लोगों में बहुत भ्रांतियां हैं। आज इसी भ्रांति को दूर करने के लिए कुछ बातें आपके सामने रखेंगे ।
जिसे जानने के बाद आप स्वयं निर्णय लें कि यह वृक्ष घर में लगाए जाने चाहिए या नहीं। इसके लिए सबसे पहले हम वृक्षों की प्रकृति को जानेंगे।
बरगद और पीपल वृक्ष विशालकाय प्रकृति के होते हैं!
- जैसे प्रत्येक व्यक्ति की एक प्रकृति होती है और वह उसी प्रकृति के अनुसार अपना जीवन जीता है।
- प्रकृति के विरुद्ध माहौल मिलने पर उस व्यक्ति की विकास की संभावनाएं समाप्त हो जाती है।
- पीपल और बरगद वृक्ष कहलाते हैं। वृक्ष का अर्थ बड़े पेड़ जिनकी शाखाएं भी बड़ी होती है।
- और जिनकी नीचे की जड़ें भी बहुत बड़ी होती है।
- जब किसी चीज को बनावटी रूप से काट छांट करके बनाया जाता है, तो उसकी गुणवत्ता में अंतर आ जाता है।
- बरगद और पीपल एक विशालकाय वृक्ष है और यह प्राण दाई वृक्ष भी कहलाते हैं।
- क्योंकि इन वृक्षों में बहुत से पक्षियों का निवास होता है एक प्रकार से यह पक्षियों का घरौंदा कहलाता है।
- किंतु जब हम उस पौधे को एक गमले में लगाते हैं तो हम उन पक्षियों से उनका घरौंदा छीन लेते हैं।
- किसी भी वृक्ष की शाखाएं जितनी दूर तक ऊपर से फैलती हैं। उतनी ही उसकी जड़ें भी चलती हैं।
- ऐसी स्थिति में यह वृक्ष लंबी जड़ों वाले होने के कारण इन्हें खुला स्थान पसंद होता है ।
बरगद और पीपल वृक्ष एकांतवासी होते हैं !
- यह वृक्ष एकांत स्थान में दूर-दूर तक फैले होने के कारण नीरवता को पसंद करते हैं ।
- किंतु जब हम इन्हें गमले में लगाते हैं तो घर में वह शांत और नीरव वातावरण उन्हें नहीं मिल पाता ,
- जिस कारण यह पौधे अपने मौलिक रूप से नहीं पनप पाते।
- अपने स्वभाववश ये जहां होते हैं वहां नीरवता व शांति उतपन्न करते हैं।
- यह दूर निर्जन स्थान में लगे रहने से शांति प्रदान करते हैं।
- और घर मे लगे होने पर घर को निर्जन व अशांत कर देते हैं।
पौधों व वनस्पतियों में जान होती है!
- हमारे शास्त्रों में और वैज्ञानिक शोधों से भी यह बात सामने आती है कि पौधों में भी जान होती है
- वे भी संवेदनशील होते हैं और इसीलिए भी हमारी सारी भावनाओं को समझ लेते हैं ।
- हमारे कष्टों का निवारण भी करते हैं। किंतु जब हम संवेदनहीन होकर उनके वास्तविक स्वरूप को बिगड़ते हैं।
- तब वे दुखी हो जाते हैं और ऐसी स्थिति में वह हमें अपने नैसर्गिक गुणों से वंचित कर देते हैं।
- हमारे शास्त्रों में लिखी हुई बातें हमारे ऋषि मुनियों और देवताओं के शब्द कहे जाते हैं।
- उनके साथ छेड़छाड़ करना या तार्किक बुद्धि लगाकर प्रकृति के साथ विद्रूपता करना कभी भी उचित नहीं होता।
- इसके बहुत से दुष्परिणाम देखने को मिलते हैं ।
- आधुनिकता के प्रभाव से घर में खूबसूरती लाने के लिए हम
- पीपल और बरगद को भी बोनसाई बनाकर के गमलों में उगाते हैं।
- यह उसी प्रकार है जैसे किसी तीव्र बुद्धि बालक को कुंद कर दिया जाए
- और उससे किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने का मौका ना मल सके। ऐसा करके हम प्रकृति का नुकसान करते हैं।
घर मे पौधे लगाएं वृक्ष नहीं !
- घर में लगाने वाले पौधे बहुत से हैं ।
- किंतु जो बड़े-बड़े वृक्ष हैं वह समाज के लिए और प्रकृति के लिए बहुत हितकारी होते हैं ।
- इन्हें बड़े और फैले हुए स्थान में लगाने का अर्थ भी यही होता था कि एक बहुत बड़ा स्थान प्रदूषण से मुक्त रह सके।
- और इन वृक्षों की जड़ें पृथ्वी को भी बांध रख सकें ताकि भूकंप आदि स्थितियों को रोका जा सके।
- यह कोई अंधविश्वास या धार्मिक अंधानुकरण नहीं है बल्कि वैज्ञानिक और तार्किक तथ्य है ।
- कि विशाल वृक्षों को उनके नैसर्गिक रूप में समाज से अलग खुले स्थान में लगाया जाए ।
- ताकि सभी को उसका लाभ मिल सके और पर्यावरण संतुलन बना रह सके ।
पीपल और बरगद वृक्ष में देवताओं का निवास है !
- जहां तक पेड़ों की पवित्रता और धार्मिक आस्था की बात है तो इन पेड़ों में देवताओं का निवास होता है।
- और ऐसी स्थिति में हम गृहस्थ आचरण करने वाले लोग उतने पवित्र नहीं होते कि
- हर समय ईश्वर के समक्ष केवल धार्मिक भावना के साथ उपस्थित होते हैं।
- ऐसे में हमें देव अपराध का दोष लगता है।
- क्योंकि घर में सभी तरह के लोग रहते हैं समाज में सभी तरह के लोगों का आना जाना होता है।
- और हर तरह की चर्चा घर में होती है ।
- ऐसी स्थिति में हमारे द्वारा किया गया कोई भी अनाचरण या कदरचरण हमें ईश्वर के समक्ष दोषी बनाता
- इसके विपरीत यदि वृक्ष किसी मंदिर या तीर्थ स्थान में लगाए जाते हैं ।
- तब हम वहां पहुंचकर केवल एक ही धार्मिक भावना के साथ उनकी पूजा करते हैं जिससे हमें लाभ मिलता है।
- किंतु उसी लाभ के लालच में हम जब उन्हें अपने घरों में लगा लेते हैं तो,
- लाभ के बजाय हमें हानि होने की संभावनाएं बढ़ जाती है।
बरगद और पीपल वृक्ष की आयु सैकड़ों वर्षो की होती है!
- इन दीर्घायु वृक्षों को गमले में लगाने के बाद हम उन पौधों की आयु को भी कम कर देते हैं ।
- इस प्रकार हमें उन वृक्षों की हत्या का भी दोष लगता है।
- आज बहुत सी शास्त्र सम्मत बातों को भुलाकर
- आधुनिकता की आड़ में अपने फायदे और लाभ के लालच से तोड़ मरोड करके उपयोग किया जाता है ।
- जिसके दुष्परिणाम समाज में देखने को भी मिलते हैं। अतः ऐसी चीजों से बचना चाहिए।
- यह कोई स्टेटस सिंबल नहीं है कि आपके घर बरगद का पेड़ है या आपके घर पीपल का पेड़ है।
एक सामान्य सा प्रश्न है कि क्या आप जंगली शेर को लाकर अपने घर में पाल सकते हैं ?
नहीं ला सकते !
- क्योंकि शेर एक हिंसक पशु है और उसका घर में होना मौत को आमंत्रण देना होता है।
- जो शेर पालते भी हैं तो उनके लिए उद्यान बनाते हैं। उसे जंगल का वातावरण देते हैं।
- यह बात हमें समझ में आती है क्योंकि इसमें सीधा सीधा नुकसान दिखाई देता है।
- किंतु जिन बातों का अप्रत्यक्ष रूप से असर होता है उन्हें समझ पाना हमारे बस में नहीं होता ।
- लेकिन ऐसी स्थिति में हमें अपने शास्त्रों पर विश्वास करते हुए उन बातों पर अमल करना चाहिए जो हमारे पूर्वज,
- और ऋषि मुनि बता गए हैं । आज जो भी यह बात कहती हैं कि बरगद और पीपल वृक्ष घर में लगाना चाहिए।
- वे इसका कोई भी शास्त्र सम्मत तर्क प्रस्तुत नहीं कर सकते ।
- केवल एक लॉजिक लगाते हैं कि पुराने लोगों ने इसलिए कहा होगा कि यह घर में जड़े फैला देता है ।
- और घर की नींव हिला देता है घर को तोड़ डालता है इसलिए घरों में लगाने से मना किया है ।
- किंतु यह हमें समझना चाहिए कि इस पेड़ की प्रकृति क्या है।
- आप शार्क या व्हेल मछली को अपने घर के फिश एक्वेरियम में नहीं रख सकते ।
- यह सीधी सी बात है क्योंकि यह केवल आप के नुकसान की बात नहीं है ।
- यह उस व्हेल और शार्क को होने वाले नुकसान की भी बात है ।
पीपल और बरगद वृक्ष पशु पक्षियों की शरणस्थली है !
- यह वृक्ष हैं इन्हें पौधों की तरह मत पालिए। यह बहुत सारे पक्षियों का घर है।
- यदि आप इनको गमले तक सीमित कर देते हैं तो आप बहुत से पक्षियों के घर उजाड़ रहे हैं।
- बहुत से पशुओं की शरण स्थली को नष्ट कर रहे हैं और इस अपराध का दंड पीढ़ियों तक मिलता है ।
- इसीलिए इन पौधों को यथा स्थान, खुले स्थान में लगाइए इसका बहुत ज्यादा पुण्य आपको मिलेगा ।
- आप किसी का घर तो नहीं बना सकते लेकिन यदि एक बरगद और पीपल वृक्ष कहीं लगाते हैं,
- तो आप असंख्य पशु पक्षियों को उनका घर देते हैं और उन को सुरक्षा प्रदान करते हैं ।
- जब आप ऐसा करते हैं तब सोचे कि आपको कितना पुण्य या दुआएं प्राप्त होती हैं।
घरों में पौधे लगाए जाते हैं वृक्ष नहीं !
- यदि घर में इन पौधों को लगाना इतना ही शुभ होता तो
- अपने आप उग आए पीपल को हम घर से निकाल कर क्यों अलग करते।
- कहावत भी है छाती का पीपल होना अर्थात ऐसा व्यक्ति होना जो घर की नींव तक को हिला देता है ,
- घर को तहस-नहस कर देता है उसे छाती का पीपल होना कहा जाता है।
- इस पेड़ की यह विशेषता है कि कितना ही छोटा क्यों ना हो इसकी जड़ें बहुत ही मजबूत और गहरी होती हैं।
- इसकी जढ़े पाताल तक जाती हैं। जो पेड़ स्वाभाविक रूप से उग आने पर घर की नींव तोड़ डालता है,
- घर को तहस-नहस कर देता है। उस पेड़ को गमले में लगाना क्या उसकी प्रकृति को बदल देगा ?
- घर में बरकत और पीपल वृक्ष होने का मतलब होता है कि कालांतर में वह घर वंश हीन होने वाला है।
- अतः भूल कर भी ऐसी बड़े वृक्षों को घर में लगाने की बिल्कुल भी ना सोचे।
वृक्षों के प्रति संवेदना रखें !
- हो सकता है आप सभी के विचार इसके संबंध में अलग-अलग हो।
- किंतु एक संवेदनात्मक दृष्टिकोण से देखें तो किसी भी वस्तु व्यक्ति या प्राणी को उसके मूल रूप में रहने देने में ही
- समाज का और हम सबका हित होता है।
- अतः अपने शास्त्रों की बातों को अनदेखा ना करते हुए केवल अपने शौक या सुविधा या
- किसी टोने-टोटके की वजह से इन्हें घर में लगाना ठीक नहीं है।
- यह इस पीढ़ी को तो हो सकता है कोई नुकसान ना हो किंतु आने वाली पीढ़ी इसके प्रकोप से नहीं बचती है।
- यह संतान के जीवन में कष्ट और संकट पैदा करता है ।संताने बीमार हो जाती हैं।
- और तरक्की के मार्ग भी अवरुद्ध हो जाते हैं क्योंकि एक ऐसे वृक्ष जिनकी आयु सैकड़ों वर्ष थी,
- उनकी आयु को हमने सीमित कर दिया ।
- हमें अपनी आयु का ठिकाना नहीं है ।आपकी आयु पूर्ण होने के बाद उसकी क्या स्थिति होगी ,
- यह आप सोच भी नहीं सकते अतः ऐसी स्थिति में ऐसे वृक्षों को बाहर लगाएं ताकि आपको और आपकी पीढ़ी को
- पुण्य लाभ हो साथ ही साथ समाज को और उन मूक पशु पक्षियों को भी इसका लाभ मिल सके ।
- जिससे सारी प्रकृति आपको आशीर्वाद देगी।
प्रकृति को हम माता कहते हैं !
- प्रकृति को हम माता कहते हैं यह हम सब की है ।
- इसे संकुचित करके सब कुछ अपने घर तक सीमित करने की मानसिकता से दूर रहें ।
- यह आर्टिकल किसी धार्मिक अंधविश्वास या किसी पौराणिक मान्यता को लेकर नहीं बनाया गया है।
- बल्कि इसका उद्देश्य एक विशाल हृदय और विशाल दृष्टिकोण को लेकर है।
- ताकि सब के हित में और समाज के हित में हमें सोचने और विचारने का नजरिया मिलता है।
- अतः किसी भी वृक्ष को बोनजाई न बनाये।
- वृक्ष की ग्रोथ को रोकना, उसकी जड़ें काटना बड़ी ही दुखदायी प्रक्रिया है।
- किसी को पीड़ा पहचाना कभी भी शुभफलदायी नहीं हो सकता।
- अपने विवेक को जागृत करें व स्वयं निर्णय लें।
- बरगद और पीपल वृक्ष जरूर लगाएं किन्तु गमले में नहीं। बाहर लगाएं।
- आप प्रकृति प्रेमी हैं तो प्रकृतिमाता (मूक वृक्षों) की पीड़ा को भी जरूर समझेंगे।
पाठकों से निवेदन !
आशा है बरगद और पीपल को घर में लगाना चाहिए या नहीं से संबंधित जानकारी इस आर्टिकल में प्राप्त हो चुकी है।
यह आपके ऊपर है कि अब आप इसे अपने घर में गमले में लगाना चाहते हैं या
पक्षियों का आशियाना बना कर किसी मंदिर या मुक्तिधाम में लगाते हैं।
जहां यह राहगीरों को और थके हारे उन पशुओं को जिनका कोई घर नहीं है उन्हें छाया देगा और वे राहत की सांस लेंगे।
उनकी खुशियां सीधे-सीधे आपको खुशियां प्रदान करेंगी। क्योंकि जो आप दूसरों को देते है, वही आपको मिलता है।
यह आर्टिकल आपको अच्छा लगा हो तो इसे अपने मित्रों और परिजनों को भी शेयर करें,
ताकि वह भी एक विशाल दृष्टिकोण के मालिक बन सके और पक्षियों का आशियाना इन बड़े-बड़े विशालकाय वृक्षों को सावन माह में लगाएं।
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नमस्कार! मैं रेखा दीक्षित एडवोकेट, मैं एडवोकेट ब्लॉगर व युट्यूबर हूं । अपने प्रयास से अपने पाठकों के जीवन की समस्याओं को दूर कर ,जीवन में उत्साह लाकर खुशियां बांटना चाहती हूँ। अपने अनुभव एवं ज्ञान के आधार पर मैंने अपने ब्लॉक को सजाया संवारा है, जिसमें आपको योग ,धार्मिक, दर्शन, व्रत-त्योहार , महापुरुषों से संबंधित प्रेरक प्रसंग, जीवन दर्शन, स्वास्थ्य , मनोविज्ञान, सामाजिक विकृतियों, सामाजिक कुरीतियां,धार्मिक ग्रंथ, विधि संबंधी, जानकारी, स्वरचित कविताएं एवं रोचक कहानियां एवं स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां उपलब्ध हो सकेंगी । संपर्क करें : info.indiantreasure@gmail.com