ये स्वर्ग के समान है! हिंदी कविता- श्रीमती मनोरमा दीक्षित!! Total Post View :- 707

ये स्वर्ग के समान है! हिंदी कविता- श्रीमती मनोरमा दीक्षित!!

ये स्वर्ग के समान है , कविता श्रीमती मनोरमा दीक्षित द्वारा स्वरचित भजन संग्रह “भीनी खुशबू” से ली गईं है । इसके साथ ही एक अन्य भजन राम की व्यथा सुनाते हैं भी प्रस्तुत है। इसे अंत तक ध्यान से पढें। भक्तिरस में डूबी ये कविताएं आत्मविभोर कर देती हैं।

ये स्वर्ग के समान है ! हिंदी कविता- श्रीमती मनोरमा दीक्षित !

विभूतियों की ये धरा,

बहीं यहीं थीं नर्मदा

बसे इसी में प्राण हैं,

ये स्वर्ग के समान हैं।

हैं हिमगिरी अड़ा यहाँ,

चहकते पंछी वन जहाँ

हैं वादी काश्मीर की,

है हल्दी घाटी वीर की,

चरण नमन नदीश हैं,

ये स्वर्ग के समान है

विभूतियों की ये धरा..

है गंग जमुन धार भी,

सरस्वती गोदावरी,

है वंशीवट, है यमुना तट, है

‘हरि’ का द्वार भी यहीं,

यहीं पे चारों धाम हैं,

ये स्वर्ग के समान हैं ।

विभूतियों की ये धरा……

धरा ये राम कृष्ण की,

जिनेन्द्र ईसा बुद्ध की

खुदा भी है, है खालसा

हैं बापू, लाल, पाल भी

हैं तुलसी, मीरा, सूर भी,

ये स्वर्ग के समान है

विभूतियों की ये घरा..

है प्रेम की कथा यहीं,

वियोग की व्यथा यहीं

हैं उर्मिला, मदालसा,

हैं आम्रपाली सी यहीं

‘मनो’ ये दिव्य धाम हैं, ये…….

विभूतियों की ये धरा,

बही यहीं थी नर्मदा ।

बसे इसी में प्राण हैं, ये…..

राम की व्यथा सुनाते हैं! हिंदी कविता- श्रीमती मनोरमा दीक्षित!

आओ आ जाओ मेरे राम, भक्त सब पलक बिछाते हैं,

सीता सन्नारी साथ, राम की व्यथा सुनाते हैं।

राम, सुबाहु, ताड़िका मारी, गुरू को दिये सहारे,

रंगभूमि में सीता ब्याही, कष्टों से थे ना हारे।

फिर भटके वन-वन राम, उन्हीं की कथा सुनाते हैं,

सीता सन्नारी साथ…….

सूना है साकेत, सूना जनकपुर, सूना महल सूनी गलियाँ,

फटता कलेजा सारे अवध का, रोती है बागों की कलियाँ।

दशरथ ने छोड़े प्राण, उन्हीं की कथा सुनाते हैं,

सीता सन्नारी साथ……

सीता हरण है, हनुमत मिलन है, ऐसा है जग का झमेला,

लंका विजय है, राघव तिलक है, ऐसी है भगवन की लीला।

राजा बन गये हैं श्रीराम, उन्हीं की कथा सुनाते

सीता सन्नारी साथ…..

राम राज्य था हुआ देश में, घर-घर में खुशहाली,

पर सीता के दिन भी सूने, रैना भी थी काली ।

सिया पहुंचीं आदिकवि धाम, उन्हीं की कथा सुनाते हैं,

सीता सन्नारी साथ…..

‘पतीव्रता’ सीता की ‘मनो’ ने, करूण कथा है गाई,

जिनके अगम दुःखों की गाथा, लवकुश ने थी सुनाई।

सीता का धरणि विश्राम, उन्हीं की कथा सुनाते हैं,

सीता सन्नारी साथ……..

आओ आ जाओ मेरे राम, भक्त सब पलक बिछाते हैं,

सीता सन्नारी साथ, राम की व्यथा सुनाते हैं।

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