पापमोचनी एकादशी (Paapmochani Ekadashi) Total Post View :- 958

पापमोचनी एकादशी (Papamochani Ekadashi), जानिए मुहूर्त व पूजनविधि!

पापमोचनी एकादशी (Papamochani Ekadashi) का यह व्रत चैत्र मास कृष्ण पक्ष एकादशी को किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के चतुर्भुज रूप की पूजा की जाती है।

यह व्रत सारे पापों का नाश करने वाला है। इस दिन व्रत करने से भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है।

इस लेख में आप पाएंगे

  • कैसी हो पूजन सामग्री?
  • पूजनविधि क्या है?
  • पापमोचनी एकादशी व्रत कथा!
  • व्रत का प्रभाव।
  • एकादशी के दिन बिल्कुल न करें।
  • पापमोचनी एकादशी व्रत का महत्व क्या है?

पापमोचनी एकादशी में कैसी  पूजन सामग्री का उपयोग करें?What kind of worship material to use in Papamochani Ekadashi?

  • पापमोचनी एकादशी (Papamochani Ekadashi) को भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
  • अतः पूजन सामग्री उनकी पसंद की होना चाहिए। श्रीहरि को पीला रंग अत्यंत प्रिय है, अतः सभी पीली वस्तुएं प्रयोग करें।
  • स्वयं भी आज पीला वस्त्र ही पहनें। पूजन सामग्री में पीले फल, पीले फूल, पीली मिठाई, व पीले वस्त्र ही अर्पित करें।
  • भगवान विष्णु को अक्षत नहीं चढ़ाए जाते । अतः अक्षत के स्थान पर तिल का प्रयोग करें।
  • जनेऊ चढ़ाते समय उसे हल्दी से पीला अवश्य कर लें।
  • ऐसी मान्यता है कि तिल के प्रयोग से मनुष्य के सारे पाप तिल तिल कर नष्ट हो जाते हैं।

पापमोचनी एकादशी की पूजनविधि क्या है? What is the worship of Papamochani Ekadashi?

  • इस दिन प्रातःकाल उठकर गंगाजल से स्नान करें। पूजन की समस्त सामग्री पर गंगाजल छिड़ककर पवित्र कर लें।
  • आसन पर भी जल छिड़क लें। मंत्र बोलें
  • ॐ पवित्रो अपवित्रो वा सर्वावस्थानगतो पिवा य स्मरेत पुंडरीकाकक्षम स बाह्याभ्यांतरः शुचिः।।
  • इस प्रकार अभिमंत्रित जल से स्वयं को व पूजा सामग्री को शुद्ध कर लें।
  • अब हाथ मे जल और पुष्प लेकर व्रत का संकल्प लें। उसके बाद जल व पुष्प भगवान के चरणों मे अर्पित कर दें।
  • फिर षोडशोपचार विधि से भगवान विष्णु के चतुर्भुज रूप का ध्यान कर पूजन करें।

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पापमोचनी एकादशी की व्रत कथा! Papamochani Ekadashi fasting story!

  • भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप की षोडशोपचार पूजन के पश्चात हाथ मे तिल व पुष्प लें।
  • तथा ध्यान कर व्रत कथा का श्रवण करें। व्रतकथा के सुनने व पढ़ने से गौदान करने का फल मिलता है।
  • कथा है – प्राचीनकाल में चैत्ररथ नामक वन था। इसी वन में देवराज इंद्र गन्धर्व कन्याओं तथा देवताओं सहित विहार करते थे।
  • उसी वन में मेधावी नामक ऋषि भी तपस्या करते थे। ऋषि शिव की उपासना करते थे।
  • अप्सरायें शिवद्रोही कामदेव की दासी थीं। एक बार इंद्र ने ऋषि का तप भंग करने का सोचा।
  • तथा मंजुघोषा नामक अप्सरा को नृत्य गान से तपभंग करने के लिए ऋषि के पास भेजा।
  • अप्सरा के नृत्य गान व कटाक्षों से ऋषि मोहित हो गए। अपनी तपस्या भूलकर अप्सरा के साथ विहार करने लगे।

ऋषि का मोहभंग होना।Sage disillusionment.

  • इस प्रकार अप्सरा के साथ विहार करते हुए ऋषि को 57 वर्ष बीत गए।
  • एक दिन अप्सरा मंजुघोषा ने ऋषि से वापस जाने की आज्ञा मांगी। तब ऋषि का मोहभंग हुआ।
  • और उन्हें आत्मज्ञान हुआ। अपनी तपस्या भंग होने का आभास हुआ। तो उन्हें बहुत दुःख हुआ।
  • अपनी तपस्या भंग होने का कारण अप्सरा को समझ कर ऋषि को बहुत क्रोध आया।
  • उन्होंने अप्सरा को पिशाचिनी होने का श्राप दे दिया। श्राप सुनकर मंजुघोषा कांपने लगी।
  • तब ऋषि ने पापमोचनी एकादशी (Papamochani Ekadashi) का व्रत रहने को कहा।

ऋषि की पाप से मुक्ति ! Sage free from sin!

  • अप्सरा को मुक्ति का विधान बताकर मेधावी ऋषि अपने पिता च्यवन ऋषि के आश्रम में आ गए।
  • इधर च्यवन ऋषि ने अपने पुत्र के तपभंग व अप्सरा के श्राप की बात सुनी।
  • तब च्यवन ऋषि ने अपने पुत्र मेधावी ऋषि की घोर निंदा की।
  • तथा उन्हें भी चैत्रमास की पापमोचनी एकादशी (Papamochani Ekadashi) का व्रत रहने की आज्ञा दी।

पापमोचनी एकादशी व्रत का क्या प्रभाव है! What is the effect of Papamochani Ekadashi fast!

  • पापमोचनी एकादशी (Papamochani Ekadashi) व्रत के प्रभाव से मंजुघोषा ने पिशाचिनी योनि से मुक्ति पाई।
  • तथा मेधावी ऋषिने पाप से मुक्ति पाई। अतः समस्त घोर से घोर पाप को काटने वाला यह व्रत है।
  • भगवान विष्णु को प्रिय यह व्रत सर्व सौभाग्य को देने वाला है।
  • तथा इसके प्रभाव से मनुष्य सभी पापों से मुक्त होकर श्रेष्ठ योनि को प्राप्त करता है।
  • इस प्रकार श्रध्दा व विश्वास से कथा का श्रवण कर श्रीहरि का ध्यान करें।

पापमोचनी एकादशी के दिन बिल्कुल न करें! Do not do it on Papamochani Ekadashi day at all!

  • पापमोचनी एकादशी (Papamochani Ekadashi) के दिन कभी भी लहसुन,प्याज, चावल, मांस मदिरा का सेवन न करें।
  • यह भी ध्यान रखें कि हमारी बोली भाषा से भी कोई पाप या अपराध न हो। किसी से अपशब्द न कहें।
  • घर मे जो भी बुजुर्ग हों उनका विशेष सम्मान करें। भूलकर भी आपके किसी भी आचरण से उन्हें ठेस न पहुंचे।
  • भगवान विष्णु सुख सम्पत्ति व ऐश्वर्य को देने वाले है। अतः जहाँ सुमति होती हैं वहीं उनका निवास होता है।
  • आज श्रीमद्भागवत गीता अथवा विष्णु सहस्त्र नाम अवश्य पढ़ना चाहिए।

विष्णु सहस्रनाम- नीचे दिये लिंक पर सुनें

https://youtu.be/u1eAxPvgGCg

पापमोचनी एकादशी का महत्व क्या है? What is the importance of Papamochani Ekadashi?

  • पापमोचनी एकादशी (Papamochani Ekadashi) का नाम ही उसका महत्व बताता है।
  • मनुष्य के समस्त पापों का मोचन (छुटकारा दिलाना) करने वाला यह व्रत है।
  • सच्ची श्रद्धा से पूजा करने से की गई मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।
  • यह जाने अनजाने में किये गए सभी पापों से मुक्ति दिलाने वाला अत्यंत फलदायी व्रत है।
  • पापमोचनी एकादशी (Papamochani Ekadashi) व्रत करने से पाप नष्ट होकर पुण्य उदित होते हैं।
  • जिससे मनुष्य सभी ऐश्वर्य व सुख सम्पदा को प्राप्त करता है। पुण्यवान होने से यश और कीर्ति में वृध्दि होती है।

इस दिन भगवान विष्णु को अर्घ्य दान आदि देकर षोडशोपचार पूजा करनी चाहिए।

तत्पश्चात धूप दीप चंदन आदि के द्वारा आरती करनी चाहिए। भिक्षुक बंधु बांधव तथा ब्राह्मणों को भोजन दान देना फलदाई होता है ।

पापमोचनी एकादशी (Papamochani Ekadashi) व्रत सम्बन्धी जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो इसे अपने मित्रों व परिवार जनों को भेजें।

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