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पुत्रदा एकादशी ; पूजनविधि

पुत्रदा एकादशी पूजनविधि व कथा आदि समस्त जानकारियों हेतु यह लेख प्रस्तुत है।

हमारा देश व्रत और त्योहारों का देश है। जिसमें एकादशी तिथि भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है।

और इस एकादशी तिथि को जो भी व्यक्ति व्रत और पूजन करते हैं वह भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय होते हैं।

तथा अंत समय में मोक्ष को प्राप्त करते हैं। 

इस आर्टिकल में आप पाएंगे-

  1. एकादशी महात्म्य.
  2. पूजन सामग्री व तैयारी।
  3. पूजनविधि
  4. दानदक्षिणा
  5. एकादशी व्रत कथा

1- एकादशी महात्म्य! Ekadashi Mahatmya!

  • बारह महीने में चौबीस एकादशी होती हैं, जिसमें पौष शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है।
  • इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। यह व्रत सन्तान देने वाला होता है।
  • यह व्रत सन्तान की कामना के साथ साथ, सन्तान को दीर्घायु व स्वस्थ जीवन प्रदान करने वाला है।
  • इस दिन व्रत व भगवान विष्णुजी का पंचोपचार विधि से किया गया पूजन मोक्षदायी है।

2- पूजनसामग्री व तैयारी ! Worshiping materials and preparation!

  • भगवान विष्णु को पीला रंग अत्यंत प्रिय है। अतः श्रीहरि की पूजा में पीले रंगों का ही प्रयोग करना चाहिए।
  • जैसे ; पीले वस्त्र, पीले फूल, पीले रंग का भोग( बेसन के लड्डू), व पीले रंग के फल( केला आदि) इत्यादि।
  • स्वयं भी पूजा के समय पीले वस्त्र ही पहनना चाहिए। केले के पत्ते, श्रीहरि को आसन देने के लिए।
  • भगवान विष्णु को चावल(अक्षत) नहीं चढ़ाए जाते हैं। अतः अक्षत का प्रयोग न करें।गंगाजल का उपयोग अवश्य करें।

3- पूजनविधि !Worship

  • सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगाजल से मिश्रित जल से स्नान करके भगवान को भी गंगाजल से स्नान कराएं।
  • कलश प्रज्वलित कर गौरीगणेशजी व कलश की पंचोपचार पूजन करें।
  • भगवान विष्णु के विशेष पूजा हेतू केले के पत्ते या पीले पुष्पों से आसन दें।
  • पंचोपचार विधि ( धूप ,दीप, फूल, चंदन और नैवेद्य ) से पूजन करें तथा आरती करके उन्हें भोग लगावे।

अवश्य पढ़ें ? किसी भी पूजा की तैयारी कैसे करें ?

4- दान -दक्षिणा ! Daan-Dakshina

  • किसी भी पूजा का महत्वपूर्ण अंग सम्बंधित देवता के निमित्त किया गया दान व दक्षिणा होती है।
  • अतः पूजन के पश्चात इच्छा अनुसार दान दक्षिणा दें ।दान में देवता के पसन्द की वस्तुएं व भोग अवश्य दें।
  • साथ ही आज के दिन सीधा सामग्री भगवान को अर्पित कर के मंदिर में अवश्य दान दें।
  • दान सामग्री के साथ कुछ रुपये व सिक्का अवश्य दें। यह राशि दान में कमी की पूर्ती कर पूर्णता प्रदान करती है।

5- एकादशी व्रतकथा ! Ekadashi fasting story !

  • पुत्रदा एकादशी पूजनविधि व कथा इस प्रकार हैं-
  • किसी समय भद्रावती नगरी में सुकेतुमान राजा राज्य करते थे राजा तथा उनके स्त्री दान शील तथा धर्मात्मा थे।
  • संपूर्ण राज्य कोष धनधान्य से पूर्ण होने के बावजूद भी राजा रानी उनके कोई संतान नहीं होने से अत्यंत दुखी थे।
  • एक बार वे दोनों राज्य भार मंत्रियों के ऊपर छोड़कर वन को चले गए। तथा संतान हीनता के दुख में आत्महत्या
  • करने का विचार किया। किन्तु उन्हें आत्महत्या कर पाप के समान लगा और उन्होंने आत्महत्या का विचार त्याग दिया।

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6- राजा की ऋषियों से भेंट! King’s visit to sages!

  • किंतु वे सदा चिंतित रहते थे। जंगल मे घूमते घूमते राजा रानी ऋषियों के आश्रम में पहुंचे। वहां पर एक सरोवर था।
  • राजा रानी ने ऋषियों को प्रणाम कर वहीं बैठ गए । ऋषियों ने योग बल से राजा के दुख का कारण जान लिया।
  • और आगे ऋषि यों ने आशीर्वाद देते हुए उन्हें संतान प्राप्ति हेतु पुत्रदा एकादशी का व्रत रहने के लिए बताया।
  • राजा रानी ने एकादशी व्रत रहकर विष्णु भगवान की पूजा की और जिससे उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।

7- राजा द्वारा दान व संकल्प! Donation and resolution by the king!

  • तब राजा रानी ने समस्त नगरवासियों को भोज कराया तथा ब्राह्मणों को सीधा सामग्री अर्पित की।
  • और हमेशा एकादशी व्रत व दान करने का संकल्प लिया। एकादशी तिथि बहुत ही पुण्य प्रभावशाली है।
  • इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। मनोकामना इच्छित वर प्राप्त होते हैं।
  • घर में धन धान्य समृद्धि का अखंड भंडार भरता है। तथा यश मान सम्मान और कीर्ति चारों ओर फैलती है।

पुत्रदा एकादशी पूजनविधि व कथा से सम्बंधित समस्त जानकारी देने का प्रयास किया गया है।

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4 thoughts on “पुत्रदा एकादशी ; पूजनविधि

  1. आपके द्वारा बताई पूजन विधि ने पूजा को सरल बना दिया….. धन्यवाद???

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