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सफला एकादशी कब है ?

सफला एकादशी कब है ? यह व्रत 2021 में 9 जनवरी को पड़ रहा है। यह व्रत पौष महीने के कृष्ण पक्ष में किया जाता है।

इस व्रत को प्रारंभ करने वाले को प्रातः स्नान करके भगवान सके समक्ष एकादशी व्रत रहने का संकल्प करना चाहिए।

व्रत करने वाले को संपूर्ण दिन किसी भी प्रकार के अहंकार क्रोध, लोभ और मोह से दूर रहना चाहिए।

भगवान विष्णु का स्मरण करते रहना चाहिए। इस व्रत को करने से सभी कार्यों को करने में सफलता प्राप्त होती है ।

इसीलिए इसे सफला एकादशी भी कहते हैं । सफ़ला एकादशी का व्रत दशमी तिथि रात्रि से प्रारंभ हो जाता है।

एकादशी पूजनविधि! Ekadashi worship method!

  • दशमी रात्रि से ही भोजन करने के पश्चात भगवान विष्णु का स्मरण कर सो जाएं।
  • ब्रह्ममुहूर्त में उठकर गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करें।
  • तथा श्री विष्णुजी को भी गंगाजल,पंचामृत से स्नान कराएं।
  • पीला चंदन चढ़ाएं, तिल का अक्षत चढ़ाएं, ( भगवान विष्णु को चावल नहीं चढ़ाया जाता)।
  • तुलसी दल और कमल पुष्प से उनकी पूजन करें। तत्पश्चात धूप दीप जलाकर आरती करें।
  • और सफला एकादशी की कथा का श्रवण करें। व रात्रि जागरण करें।

सफला एकादशी का महत्व! Importance of Safala Ekadashi!

  • जो भी मनुष्य सफला एकादशी का व्रत व पूजन करता है उसकी सभी कार्य सफल होते हैं ।
  • तथा समस्त सुख , समृद्धि, ऐश्वर्य की प्राप्ति होकर, अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • एकादशी व्रत करने वाले के सभी जन्मों के पाप नष्ट हो जाते है। (सफला एकादशी कब है ?)

एकादशी व्रतकथा! Ekadashi fasting story!

  • कथा इस प्रकार है! एक समय की बात है, चंपा नगरी में महिष्मान नामक राजा रहता था। उनके चार पुत्र थे ।
  • सबसे बड़ा पुत्र लुम्पक था, वह बड़ा ही व्यभिचारी और दुष्ट था तथा बुरे कामों में राजा का धन नष्ट करता था ।
  • जब राजा को पता चला तो उसने उसे राज्य से निकाल दिया। तब लुम्पक ने चोरी करने का निश्चय किया।
  • वह दिन में वन में रहता और रात में अपने पिता की नगरी में घुसकर चोरी किया करता। और प्रजा को तंग करता।
  • वह पशु आदि को मारकर खा जाता था। लोगों में उसके कारण बहुत ही भय व्याप्त था ।
  • किंतु राजा के डर से कोई कुछ नहीं कहता था।

एकादशी व्रत का प्रभाव! Effect of Ekadashi fast!

  • वन में एक पीपल का वृक्ष था, सभी लोग उस वृक्ष की पूजा किया करते थे।लुम्पक भी उसी पेड़ के नीचे रहा करता था।
  • कुछ समय पश्चात पौष माह दसवीं तिथि में ठंड के कारण रात्रि में वह मूर्छित हो गया । दूसरे दिन एकादशी थी।
  • सूर्य की गर्मी से उसके शरीर में थोड़ी चेतना आई। उसे भूख लगी थी। वह भोजन की तलाश में भटकने लगा।
  • पशुओं को मारने में वह असमर्थ था। उसने पेड़ों के नीचे गिरे फल उठाकर लाए, किंतु खा न सका ।
  • सारे फल पेड़ के नीचे रख भगवान से दुखी भाव से बोला प्रभु अब इन्हें आप ही खाइए। भूख से उसे नींद नहीं आई।
  • एकादशी के दिन व्रत व जागरण होने से उसके सारे पाप नष्ट हो गए। दूसरे दिन द्वादशी थी।

व्रत के प्रभाव से राज्य प्राप्ति! State attainment with the effect of fasting!

  • दूसरे दिन द्वादशी को एक घोड़ा दिव्य वस्त्र सामग्री सहित उसके सामने आ खड़ा हुआ ।तभी आकाशवाणी हुई ।
  • राजपुत्र इस एकादशी व्रत से तुम्हारे सारे पाप नष्ट हो गए हैं। तुम अपने पिता के पास जाकर उनका राजकाज करो।
  • तुम्हारे सभी कार्य सफल होंगे।यह सुनकर वस्त्रों को धारण कर पिता के पास पहुंचकर अपने पूर्व कर्मों की क्षमा मांगी।
  • तथा वन में घटित संपूर्ण वृतांत बताया,सुनकर राजा अत्यंत प्रसन्न हुआ और विधिवत लुम्पक का राज्याभिषेक किया।
  • लुम्पक बहुत अच्छी तरह से राजकाज करने लगा तथा वृद्ध होने पर अपने पुत्र को राज्य का सौंपकर वन चला गया।
  • वन में वह तपस्या करने लगा और अंत समय में बैकुंठ को प्राप्त हुआ।

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इस प्रकार सफला एकादशी का व्रत समस्त मनोरथों को सफल करने वाला,स्मृद्धिदायक व विष्णु की भक्ति प्रदान करने वाला है।। !जय श्री कृष्णा!

अतः सफला एकादशी कब है ? इसकी पूजनविधि तथा कथाएं क्या है ?जैसी समस्त जानकारी इस आर्टिकल के माध्यम से आपको देने का प्रयास किया गया है।

आपके लिए यह जानकारी अवश्य ही उपयोगी होगी। अतः इसे अपने मित्रों व परिवारजनों को प्रेषित करें। जिसमे की सभी को धर्मलाभ मिल सके ।

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6 thoughts on “सफला एकादशी कब है ?

  1. दीदी बहुत ही सारगर्भित एकादशी का महात्म्य

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