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श्रीमद्भागवत कथा द्वितीय स्कन्ध- भाग-2 Shrimad Bhagwat katha Second Wing – Part-2

श्रीमद्भागवत कथा द्वितीय स्कन्ध भाग-2 में चतुश्लोकी भागवत व भागवत के दस लक्षण बताए गएहैं।
जब संसार की रचना का समय होता है तब, तपस्या नौ प्रजापति, मरीचि आदि ऋषि ही मेरे रूप में तथा।
जब सृष्टि की रक्षा का समय होता है तब धर्म, विष्णु, मनु, देवता और राजाओं के रूप में ।
तथा जब सृष्टि के पहले का समय होता है तब अधर्म, रुद्र तथा क्रोधवश नाम के सर्प एवं दैत्य आदि के रूप में
सर्वशक्तिमान भगवान की माया विभूतियां ही प्रकट होती हैं।
परमात्मा का वास्तविक स्वरूप एक रस,शांत, अभय एवं केवल ज्ञान स्वरूप है।
इस शरीर में रहने वाले पंच भूतों की अलग अलग हो जाने पर जब यह शरीर नष्ट हो जाता है,
तब भी इसमें रहने वाला अजन्मा पुरुष आकाश के समान नष्ट नहीं होता।

श्रीमद्भागवत कथा द्वितीय स्कन्ध भाग-2 में आप पाएंगे;

  1. राजा परीक्षित के विविध प्रश्न।
  2. ब्रम्हाजी का भगवत धाम दर्शन।
  3. चतुश्लोकी भागवत।
  4.  भागवत के दस लक्षण।
  5. सर्ग, विसर्ग, स्थान, पोषण व ऊति।
  6. मन्वन्तर, इशकथा, निरोध, मुक्ति,आश्रय।

 

1- राजा परीक्षित के विविध प्रश्न! Miscellaneous questions of King Parikshit!

  1. ब्रह्मा जी के आदेश पर नारद जी ने निर्गुण भगवान के गुणों का आदेश किन-किन को किस रूप में दिया?
  2. जीव का पंचभूतों से कोई संबंध ना होने पर भी इसका शरीर पंचभूतों से बनता है,यह स्वभाववश या कारणवशहै?
  3. परमात्मा अपनी माया का त्याग करके किस में किस रूप में शयन करते हैं?
  4. विराट पुरुष के अंगों से लोक व लोकपालों की रचना व उनके रूप में अंगों की कल्पना हुई, इसका क्या अर्थ है?
  5. महाकल्प और अवांतर कल्प कितने हैं ?
  6. भूत ,भविष्य और वर्तमान काल का अनुमान किस प्रकार किया जाता है?
  7. क्या जीवो की आयु बंधी हुई है ? काल की गति क्या है? क्रमानुसार जीवो की गति क्या है ?
  8. सत्व, रज, तम, गुण अनुसार प्राप्त योनियां व कर्म कौन-कौन से हैं? समस्त जीवों की उत्पत्ति कैसे हुई?
  9. ब्रह्मांड का परिमाण, वर्णाश्रम ,धर्म का निरूपण,युगों के भेद, भगवान के विभिन्न अवतार व चरित्र बताइए?
  10. मनुष्यों के साधारण व विशेष धर्म क्या है ? तत्वों की संख्या स्वरूप लक्षण अध्यात्म योग विधि क्या है?
  11. योगेश्वरों के ऐश्वर्य व अंतगति क्या है?
  12. वेद,उपवेद,धर्म शास्त्र, इतिहास,पुराणों का स्वरूप तथा समस्त प्राणियों की उत्पत्ति स्थिति व प्रलय कैसे होता है?
  13. अर्थ-धर्म-काम के साधनों की विधि, पाखंड की उत्पत्ति क्या है? आत्मा के मोक्ष का स्वरूप क्या है? (श्रीमद्भागवत कथा द्वितीय स्कन्ध भाग-2)
सूतजी कहते हैं यह सब प्रश्न सुनकर शुकदेव जी अत्यंत प्रसन्न हुए और यह श्रीमद्भागवत पुराण सुनाया।

2- ब्रह्मा जी का भगवत धाम दर्शन! Brahma Ji’s Bhagwat Dham Darshan!

  • एक बार ब्रह्मा जी कमल पर बैठे सृष्टि करने की इच्छा से विचार कर रहे थे।
  • कि उक्त सृष्टि व्यापार करने की दृष्टि उन्हें अभी प्राप्त नहीं हुई है। तभी प्रलय के समुद्र से उन्होंने सुना “तप-तप”।
  • अर्थात तप करो। जिसे प्रभु की आज्ञा माना । और घोर तपस्या करने लगे। ब्रह्मा जी की तपस्या से प्रसन्न होकर ।
  • भगवान ने उन्हें अपने लोक के दर्शन कराए। तथा वर मांगने को कहा। तब ब्रह्माजी ने कहा कि मुझे वर दीजिए,
  • कि मैं रूप रहित आपके सगुण और निर्गुण दोनों ही रूपों को जान सकूं।तब प्रभु ने उन्हें चतुश्लोकी भागवत सुनाई।

3-प्रभु ने चतुश्लोकी भागवत सुनाई! Lord recited Chatushloki Bhagavata!

  • पहला सृष्टि के पूर्व केवल मैं ही में था। मेरे अतिरिक्त स्थूल सूक्ष्म नहीं दोनों का कारण अज्ञान।
  • जहां नहीं है वहां भी मैं हूं जहां सृष्टि है वहां भी मैं ही हूं और जो कुछ शेष बचा वह भी मैं ही हूं।
  • दूसरा जो कुछ ना होने पर भी सत्य प्रतीत होता है, जैसे दो चंद्रमा की तरह मिथ्या प्रतीत हो रहे हैं।
  • अथवा विद्यमान होने पर भी आकाश मंडल के नक्षत्रों में मेरी प्रतिती नहीं होती, इसे मेरी माया समझना चाहिए।
  • तीसरा प्राणियों के शरीर की दृष्टि से मैं आत्मा के रूप से प्रवेश किए हुए हूँ ।
  • आत्म दृष्टि से अपने अतिरिक्त और कोई वस्तु न होने से उनमें प्रविष्ट नहीं भी हूँ। यह ब्रह्म नहीं निषेध, यह भ्रम है।
  • अन्वय पद्धति से यही सिद्ध होता है कि सर्वस्वरूपभगवान हीं सर्वदा और सर्वत्र स्थित है। वही वास्तविक तथ्य है।
  • श्री शुकदेव जी कहते हैं- ब्रह्मा जी को यह उपदेश देकर देखते ही देखते भगवान ने अपने उस रूप को छुपा लिया।

4- भागवत के दस लक्षण! Ten signs of Bhagwat!

  • परीक्षित! एक बार ब्रह्मा जी के पुत्र नारद जी ने भी ब्रह्मा जी से यही प्रश्न पूछे थे।
  • तब प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने यह 10 लक्षण वाला भागवत पुराण अपने पुत्र नारद को सुनाया था।
  • मेरे पिताजी को नारद जी ने यही पुराण सुनाया था अब तुम्हारे सभी प्रश्नों का उत्तर,
  • मैं उसी भागवत पुराण के रूप में देता हूं। शुकदेव जी कहते हैं; परीक्षित ! इस भागवत पुराण में सर्ग, विसर्ग,
  • स्थान, पोषण, उती, मन्वंतर, ईशानुकथा, विरोध, मुक्ति और आश्रय ,इन दस विषयों का वर्णन है ।

अ-सर्ग,विसर्ग,स्थान,पोषण,व ऊति! Sarga, Visarga, Place, Nutrition, and Ooty!

  • सर्ग – ईश्वर की प्रेरणा से गुणों में क्षोभ होकर रूपांतर होने से जो आकाशादी पंचभूत शब्दादि तन्मात्राएँ, इंद्रियां,
  • अहंकार और महत्व की उत्पत्ति होती है उसको सर्गकहते हैं ।
  • उस विराट पुरुष से उत्पन्न ब्रह्मा जी के द्वारा जो विभिन्न चराचर सृष्टि का निर्माण होता है, उसे विसर्ग कहतें हैं।
  • प्रतिपद नाश की ओर बढ़ने वाली सृष्टि को एक मर्यादा में स्थिर रखने की विष्णु की जो श्रेष्ठता है उसे स्थान कहते हैं।
  • पोषण – सुरक्षित सृष्टि में भक्तों के ऊपर प्रभु की कृपा को पोषण कहते हैं ।
  • ऊति- जीवो की वे वासनाएं जो कर्म के द्वारा उन्हें बंधन में डाल देती है उसे ऊति कहते हैं।

ब- मन्वन्तर,इशकथा,निरोध,मुक्ति,आश्रय! Manvantar, Ishaqatha, detention, liberation, shelter!

  • जो भगवत भक्ति और प्रजा पालन रूप शुद्ध धर्म का अनुष्ठान करते हैं उसे मन्वंतर कहते हैं।
  • इशकथा- भगवान के अवतारों व भक्तों के विभिन्न आख्यानों से युक्त कथाएं ईशकथा है ।
  • जब भगवान योग निद्रा में शयन करते हैं तब इस जीव का अपनी उपाधियों के साथ उन में लीन हो जाना निरोध है।
  • कर्ता-भोक्ता आदि आत्मभाव का परित्याग करके अपने वास्तविक स्वरूप में परमात्मा में स्थित होना ही मुक्ति है।
  • परीक्षित! इस चराचर जगत की उत्पत्ति व प्रलय कि जिस तत्व से प्रकाशित होते हैं वह परम ब्रम्ह ही आश्रय है।
हरिओम तत्सत। (श्रीमद्भागवत कथा द्वितीय स्कन्ध भाग-2)

अवश्य पढ़ें?

अब स्वयं पढें; श्रीमद्भागवत महापुराण ( एक संक्षिप्त विवरण) द्वितीय स्कंध-भाग-1 Now read it yourself; Shrimad Bhagwat Mahapuran (A brief description) Second Wing-Part-1

अब स्वयं पढें; श्रीमद्भागवत महापुराण (एक संक्षिप्त विवरण) प्रथम स्कंध-भाग 2 Now read it yourself; Shrimad Bhagwat Mahapuran (A brief description) First Wing-Part 2

कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने, प्रणत क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमोनमः!
 श्रीमद्भागवत कथा द्वितीय स्कन्ध भाग-2 पूर्ण हुआ। अगले लेख में तृतीय स्कन्ध -भाग-1 प्रस्तुत कियाजाएगा।
यह आलेख श्रीमद्भगवत महापुराण से संकलित किया जाकर मेरे द्वारा संक्षिप्तिकरण किया गया है।

ऐसी ही अन्य जानकारियों के लिए देखें

http://Indiantreasure.in

जो भी त्रुटियाँ हो क्षमा करें। जय श्री कृष्णा।

श्रीमद्भागवत कथा महात्म्य ; जयाकिशोरीजी

https://youtu.be/HHNW0kKqzNM

 

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8 thoughts on “श्रीमद्भागवत कथा द्वितीय स्कन्ध- भाग-2 Shrimad Bhagwat katha Second Wing – Part-2

  1. रेगग जी बहुत ही सुंदर और संक्षिप्त श्री मद्भागवत का महात्म्य

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