सार संक्षेप
- पुरुषोत्तम मास कब आता है ? पुरुषोत्तम मास क्या है ?
- पुरुषोत्तम मास के 3 नाम क्यों है ?
- पुरुषोत्तम मास में क्या करना चाहिए ? पुरुषोत्तम मास के अधिपति देवता कौन है ? व उनके मन्त्र व पाठ क्या हैं ?
- पुरुषोत्तम मास में क्या नहीं करना चाहिए ?
- पुरुषोत्तम मास की कथा क्या है ?
- पुरुषोत्तम मास का महत्व क्या है ?
– इत्यादि समस्त बातें जानने के लिए आज आपके लिए यह जानकारी भरा लेख प्रस्तुत है। आशा है इस लेख से पुरुषोत्तम मास के संबंध में जो भी शंका है उनका समाधान प्राप्त हो सकेगा ।
1- पुरुषोत्तम मास कब आता है।
भारतीय कैलेंडर की गणना अनुसार सूर्य वर्ष लगभग 365 दिन और 6 घंटे का होता है एवं चंद्र वर्ष 354 दिन का होता है।
इस प्रकार सूर्य वर्ष एवं चंद्र वर्ष के बीच में 11 दिनों का अंतर होता है जो कि प्रत्येक 3 साल में लगभग 1 माह का अंतर होकर अधिक मास के रूप में प्रकट होता है। इसीलिए पुरुषोत्तम मास 3 साल मे
3- इस मास के 3 नाम क्यों हैं ।
1- पुरुषोत्तम मास
इस मास के संबंध में एक पौराणिक कथा यह भी है की जब खरमास या मलमास को देवताओं और मनुष्यों ने नकार दिया तब इस अपमान को सहन ना करते हुए खरमास भगवान श्री कृष्ण के पास गए और उनसे अपनी पीड़ा कही ।
तब भगवान श्रीकृष्ण खरमास को लेकर अपने साथ गोलोक आ गए तथा उसे अपना नाम पुरुषोत्तम दिया और कहा कि अब तुम्हारा कोई अपमान नही करेगा। तभी से यह मास पुरुषोत्तम मास कहलाता है और इस मास के अधिपति देवता श्री विष्णुजी हैं।
2- अधिक मास
प्रत्येक 3 वर्ष में पंचांग की गणना के अनुसार लगभग 1 माह की अवधि अधिक पाई जाती है। यही वजह है कि इस मास को अधिक मास के रूप में भी जाना जाता है।
3- खरमास या मलमास-
इस मास में किसी भी शुभ कार्य को नहीं किया जाता जैसे शादी-विवाह, मुंडन, नए घर में प्रवेश, नए सामग्रियों की खरीदी इत्यादि को नहीं किया जाता इस कारण यह मास मलिन होने के कारण मलमास के रूप में जाना जाता है।
4- पुरुषोत्तम मास में क्या करना चाहिए ?
पुरुषोत्तम मास के अधिपति देवता भगवान विष्णु होने से एवं विष्णु जी को यह मात्र अति प्रिय होने से इस मास में पूर्ण भक्ति के साथ भगवान विष्णु के नाम का मंत्रों का एवं विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से भगवान विष्णु अत्यंत प्रसन्न होते हैं।
विष्णु मंत्र
1- ॐ विष्णवे नमः
2- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
3- हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण , हरे हरे। हरे राम, हरे राम, राम राम हरे हरे।
4- विष्णु सहस्त्रनाम पाठ
5- श्रीमद्भागवत गीता का अध्ययन एवं श्रवण
अतः इस मास में पूर्णतः भगवान विष्णु की भक्ति करना चाहिए।
5- पुरुषोत्तम मास में क्या नहीं करना चाहिए।
- पुरुषोत्तम मास में किसी की निंदा नहीं करना चाहिए।
- किसी के साथ दुराचार नहीं करना चाहिए,
- किसी को दुख नहीं देना चाहिए।
- मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
- एवं किसी भी प्रकार के शुभ कार्यों को ना करें ।
- नए गृह प्रवेश, नए वाहन गहने इत्यादि की खरीदी भी नहीं करना चाहिए।
6- पुरुषोत्तम मास की कथा
पुरुषोत्तम मास की कथा संक्षेप में इस प्रकार है कि जब हिरण्यकश्यप ने ब्रह्मा जी की तपस्या की और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने हिरण्यकश्यप से वरदान मांगने को कहा तब हिरण्यकश्यप ने ब्रह्माजी से अमरता का वरदान चाहा।
किंतु अमरता का वरदान ब्रह्मा जी नहीं दे सकते थे अतः उन्होंने हिरण्यकश्यप को ऐसा वरदान दिया कि तुम्हें इस धरती पर या आकाश में , घर के अंदर या घर के बाहर एवं किसी भी अस्त्र-शस्त्र से, 12 महीनों में कोई पशु पक्षी या मानव तुम्हें कोई नहीं मार सकेगा।
ब्रह्मा जी से इस प्रकार वरदान प्राप्त कर हिरण्यकश्यप स्वयं को भगवान समझने लगा एवं अत्याचार करने लगा तब इसी अधिक मास में भगवान विष्णु नरसिंह के रूप में प्रकट होकर, बीच देहरी में, संध्या के समय अपने नाखूनों से, अपनी गोद में लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया था।
इस प्रकार पुरुषोत्तम मास में भगवान विष्णु के पुरुषोत्तम रूप की एवं नरसिंह अवतार की पूजा की जाती है।
7-पुरुषोत्तम मास का महत्व
- गोलोक की प्राप्ति के लिए बड़े-बड़े ऋषि मुनि एवं तपस्वी सघन तपस्या करते हैं किंतु पुरुषोत्तम मास में किए जाने वाली समस्त पूजा एवं आराधना के फल स्वरुप गोलोक की प्राप्ति हो जाती है।
- शास्त्रों के अनुसार इस मास में किए जाने वाले प्रत्येक जप तप व पूजा का 10 गुना फल प्राप्त होता है।
- पुरुषोत्तम मास में जो भी भगवान विष्णु की भक्ति करता है उसे समस्त सुख प्राप्त होते हैं।
- जो पुरुषोत्तम मास में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करता या सुनता है उसे विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।
- एवं जो विष्णु मंत्रों का जाप करता है उससे भगवान विष्णु की परम कृपा प्राप्त होती है।
पुरुषोत्तम मास में श्रीमद्भागवत गीता का अध्ययन एवं श्रवण करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। एवं समस्त ऐश्वर्य के मार्ग खुल जाते हैं।
आशा है आपको पुरुषोत्तम मास से सम्बंधित यह रोचक जानकारी अवश्य अच्छी लगी होगी। अपने विचार हमे अवश्य प्रेषित करें। लेख को अंत तक पढ़ने का लिए आपका धन्यवाद।
नमस्कार! मैं रेखा दीक्षित एडवोकेट, मैं एडवोकेट ब्लॉगर व युट्यूबर हूं । अपने प्रयास से अपने पाठकों के जीवन की समस्याओं को दूर कर ,जीवन में उत्साह लाकर खुशियां बांटना चाहती हूँ। अपने अनुभव एवं ज्ञान के आधार पर मैंने अपने ब्लॉक को सजाया संवारा है, जिसमें आपको योग ,धार्मिक, दर्शन, व्रत-त्योहार , महापुरुषों से संबंधित प्रेरक प्रसंग, जीवन दर्शन, स्वास्थ्य , मनोविज्ञान, सामाजिक विकृतियों, सामाजिक कुरीतियां,धार्मिक ग्रंथ, विधि संबंधी, जानकारी, स्वरचित कविताएं एवं रोचक कहानियां एवं स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां उपलब्ध हो सकेंगी । संपर्क करें : info.indiantreasure@gmail.com
जयश्रीराम जयश्री विष्णु जयश्री कृष्णा
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Jai shree krishna
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