साबूदाना खिचड़ी ; कम तेल में बनने वाली साबूदाना खिचड़ी अत्यंत पौष्टिक और स्वादिष्ट होती है। उपवास में बनने वाले तरह-तरह के व्यंजनों में साबूदाने का विशेष स्थान है। 9 दिनों चलने वाला पवित्र नवरात्रि का त्योहार हो और साबूदाने का कोई फलाहार ना बने ऐसा संभव नहीं है ।
खिचड़ी बनाना बहुत ही आसान है। आज हम आपको खिचड़ी बनाने का आसान तरीका बताएंगे । अब आपके लिए खिचड़ी बनाना चुटकियों का काम होगा । तो बिना देर किए हम शुरु करते हैं साबूदाना की खिचड़ी बनाने की तैयारी। इसके लिए सबसे पहले हम आवश्यक सामग्री को लिख लें।
साबूदाना खिचड़ी की आवश्यक सामग्री
- छोटा साबूदाना जिसे मोती साबूदाना भी कहते हैं।
- साबूदाना भिगाने के लिए लगने वाला पानी।
- हरी धनिया
- हरी मिर्च
- आलू
- टमाटर
- सेंधा नमक
- मूंगफल्ली
- मूंगफली का तेल
- मीठी नीम के पत्ते
साबूदाना खिचड़ी खाने के फायदे
यह अत्यंत पौष्टिक और सुपाच्य होती है। अक्सर व्रत उपवास में इसका उपयोग किया जाता है। खिचड़ी में पड़ने वाले सभी तत्व डाइजेशन की दृष्टि से उत्तम होते हैं। उपवास में खाली पेट रहने के कारण कमजोरी महसूस होती है। इसीलिए साबूदाना की खिचड़ी का प्रयोग किया जाता है।
इसे खिचड़ी इसलिए भी कहते हैं कि इसमें उपयोग की सभी सामग्री पौष्टिक तत्वों से भरपूर होती है। जो उपवास में बहुत लाभ पहुंचाती हैं। और सभी सामग्री का मेल होने के कारण इसे खिचड़ी की संज्ञा दी जाती है। जानते है खिचड़ी खाने के फायदे !
साबूदाना|sago
खिचड़ी की सबसे प्रमुख सामग्री साबूदाना है। साबूदाना एक पेड़ का तना होता है। जिसे सैगो पाम कहते हैं। इसके तने से ही साबूदाना बनाया जाता है। यह हड्डियों को मजबूत करता है। साबूदाना वजन कम करने में सहायक होता है।
साबूदाना एनर्जी बनाये रखता है। इसीलिए इसे व्रत में खाया जाता है। पाचनतंत्र को सही रखता है तथा कोशिकाओं की वृद्धि में सहायक होता है। यह अन्न नहीं है। बहुत बलवर्द्धक है।
हरी मिर्च|Green chilli
हरी मिर्च भोजन के स्वाद को बढ़ाती है। यह भोजन के पाचन में मदद करती है। हरी मिर्च में विटामिन सी और विटामिन ए पर्याप्त मात्रा में होता है।
यह मन को खुश करने का काम करती है। इसे मूड बूस्टर भी कहते हैं। हरी मिर्च आंखों और त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होती है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं।
हरी धनिया |Coriander
हरी धनिया में बहुत अधिक मात्रा में विटामिन सी, के और प्रोटीन पाया जाता है। इसकी बहुत थोड़ी मात्रा भी बहुत प्रभावकारी होती है। इसीलिए इसे सजावट के तौर पर ही इस्तेमाल किया जाता है।
यह भोजन का जायका बढ़ा देती है। इसकी खुशबू और स्वाद भूख को बढ़ा देते हैं। धनिया पाचन में सहायक होती है। यह कोलेस्ट्रोल को कम करती है। डायबिटीज के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद है। यह आंखों को भी लाभ पहुंचाती है।
आलू |Potato
आलू जमीन के भीतर पाए जाने वाली बहुत पौष्टिक सब्जी है। यह पोषक तत्वों का भंडार है। इसमें विटामिन ए और विटामिन डी पर्याप्त मात्रा में होते हैं। आलू को हमेशा छिलके सहित बनाना चाहिए। आलू के छिलके के ठीक नीचे समस्त पोषक तत्व पाए जाते हैं।
यह अत्यंत सुपाच्य होता है। पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है। इसमें एनर्जी बहुत अधिक मात्रा में होती है। यह भूख को नियंत्रित करता है। इसे तलकर नहीं खाना चाहिए। पानी में उबालकर या आग में भूनकर उपयोग करना चाहिए।
टमाटर|Tomato
टमाटर विटामिन ए, सी, कैल्शियम और फास्फोरस का अच्छा स्रोत है। यह एसिडिटी को दूर करता है। खाली पेट रहने से एसिडिटी की समस्या बढ़ जाती है। ऐसे में उपवास के समय टमाटर का उपयोग करने से एसिडिटी दूर रहती है।
यह आंखों के लिए बहुत अच्छा होता है। टमाटर में मेलिक एसिड व साइट्रिक एसिड पाया जाता है। जिसके कारण टमाटर का स्वाद खट्टा होता है। यह पाचन तंत्र के लिए बहुत फायदेमंद होता है । यह शरीर से सभी विषैले तत्वों को बाहर निकाल देता है।
सेंधा नमक|Himalayan salt
उपवास में खाया जाने वाला सेंधा नमक समस्त पाचक रसों से पूर्ण होता है। यह पाचन संबंधी सभी समस्याओं को दूर करता है।इसके सेवन से बदहजमी, खट्टी डकार, एसिडिटी समस्या नहीं होने पाती।
अक्सर व्रत में खानपान बदलने के कारण पेट संबंधी समस्याएं भी अपना सिर उठाने लगती है। ऐसे में सेंधा नमक दवाई का काम करता है। और पाचन तंत्र को संतुलित बनाए रखता है। अतः उपवास में सेंधा नमक का उपयोग अवश्य करें।
मीठी नीम के पत्ते|Kari patta
मीठी नीम के पत्तों का प्रयोग तड़का लगाने के लिए किया जाता है। इसके स्वाद और खुशबू बहुत ही अच्छी होती है। यह भोजन के स्वाद को बढ़ा देती है।
करी पत्ता में विटामिन सी और आयरन बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है। यह खून की कमी को पूरा करता है। यह आंखों के लिए भी बहुत लाभकारी होता है। यह त्वचा की खूबसूरती को बनाए रखने में विशेष योगदान देता है।
मूंगफली का तेल|Peanut oil
मूंगफली का तेल गुणों की खान है। यह हार्ड के लिए बहुत फायदेमंद होता है। डायबिटीज के रोगियों को की यह फायदा पहुंचाता है बालों और स्किन के रोगों में इसका इस्तेमाल किया जाता है ।
जोड़ों में दर्द की समस्या होने पर मूंगफली के तेल का इस्तेमाल करना लाभदायक होता है। यह दर्द को दूर कर शरीर में नई ऊर्जा लाता है।
टमाटर को अच्छी तरह धोकर मिक्सी में पीस लें। अब साबूदाना में थोड़ा सा नमक मिला लें।
साबूदाना खिचड़ी बनाने की विधि
- साबूदाना को एक छन्नी में नल चलाकर अच्छी तरह धो दें। ताकि उसका ऊपर से पाउडर अच्छी तरह से निकल जाए।
- साफ पानी में धोने से पाउडर बह जाता है और साबूदाना रह जाएगा।
- साबूदाना से ऊपर उंगली के आधी पोर तक पानी रखकर भीगने के लिए एक बर्तन में ढंक कर रख दें।
- लगभग 1 घंटे बाद साबूदाना उस पूरे पानी को सोख लेगा और सूख जाएगा। यदि साबूदाना ज्यादा सूख जाए, तो थोड़ा पानी और छिड़क दें।
- आलू को उबाल लें छीलकर काट कर रख ले।
- टमाटर को अच्छी तरह धोकर मिक्सी में पीस लें।
- अब साबूदाना में थोड़ा सा सेंधा नमक मिला लें।
- हरी धनिया, हरी मिर्च को भी बारीक काट कर रख लें
- मीठी नीम के पत्ता अच्छी तरह धोकर पानी पोंछ कर रख लें।
- मूंगफली को मिक्सी में थोड़ा दरदरा पीस लें।
- भीगे हुए साबूदाना में दरदरी मूंगफली मिला लें।
- कढ़ाई में साबूदाना खिचड़ी बनाने के लिए थोड़ा सा मूंगफली का तेल गैस पर चढ़ा दें।
- तेल गरम होने पर थोड़े से करी पत्ता से तड़का लगाएं।
- अब कढाई में आलू डाल दें। थोड़ा सा फ्राई करें। अब पिसे टमाटर डालकर मिलाएं।
- थोड़ा फ्राई होने पर बाद सेंधा नमक व दरदरा फल्लीदाना मिला हुआ साबूदाना मिला दें।
- सारे मिश्रण को अच्छी तरह मिला कर 2 मिनट तक धीमी आंच में पकने दें।
- जब साबूदाना ट्रांसपैरेंट हो जाये तो गैस बंद कर दें।
- कटी हुई हरी मिर्च व हरी धनिया ऊपर से डालकर अच्छे से मिलाएं ।
- साबूदाना की स्वादिष्ट व पौष्टिक खिचड़ी तैयार है।
दो शब्द
है ना! साबूदाना खिचड़ी बनाना कितना आसान! अब आप जरूर इसे ट्राई करें। यह बहुत ही स्वादिष्ट होती है। यहाँ अपने पहली बार खिचड़ी में पड़ने वाली सामग्रियों के गुण व लाभ भी जाने साबूदाना खिचड़ी पौष्टिक व सुपाच्य होती है। व्रत व उपवास में इसे खाया जाता है। खिचड़ी में पड़ने वाले सभी तत्व अत्यंत लाभदायक हैं। जो खिचड़ी के गुण को बढ़ाते हैं। आशा है आपको यह जानकारी जरूर पसंद आई होगी। इसे अंत तक पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत आभार।
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